अब तक आपने देखा
मानवी को अनुभव का उससे ऐसे बात करने पर चिढ़ गई , क्योंकि आज से पहले उससे कोई ऐसे बात नहीं किया था । उसने गुस्से में आकार अनुभव के आंखों देखते हुए कहां — हां - हां और तुम्हें बताने कि जरूरत भी नहीं हैं । चेहरे से पता चल जा रहा कि तुम कौन हो ?
अब आगे
अनुभव मानवी के ऐसे कहने पर अपनी एक आइब्रो को उचकाते हुए पूछा — चेहरे से पता चल जाता है ? कैसे पता चल जाता है , कि मैं कौन हूं ? क्या तुम कोई अंतरयामी हो ? जो चेहरा देखकर ही बता दे रही हो ?
मानवी अपना मुंह टेढ़ा करते हुए बोली — हुंह ऽ ऽ ये तो एक बच्चा भी बता सकता है , कि तुम कौन हो ?
शक्ल से ही चोर , डाकू और मवाली लग रहे हो ।
मानवी उसको अभी उसको शक्ल से चोर डाकू और मवाली बोली है , यह सुनकर अनुभव का दिमाग सटक गया । आज से पहले किसी ने उसको ये सब नहीं कहा था । अनुभव का जबड़ा ये सोचते हुए भिचते चला गया कि , एक काम वाली लड़की उसको इतना सब कुछ कैसे सुना सकती हैं , कपड़ो से तो ये एकदम गांव की लड़की लग रही है , और मैने सुना हैं कि गांव की लड़कियों में लड़कों से बात करने की हिम्मत ही नहीं होती है । लेकिन ये तो मेरे खुद के ही घर में घुसने पर , मुझे चोर बोल रही हैं और ऊपर से मुझे धमकियां तो ऐसे दे रही है जैसे कि मेरा घर नहीं इसका खुद का घर है । फिर मानवी को ऊपर से नीचे तक घुर कर देखते हुए मन बोला — कपड़े तो देखो कैसे पहनी है , लग रहा है कि बकरी चरने जाना है ।
एक तो अनुभव को लड़कियों के ज्यादा बोलने से चिढ है , इसी वजह से वो लड़कियों से दूर ही रहना पसंद करता है और उनके मुंह भी नहीं लगना चाहता हैं , वो ये मानता है कि लड़कियां बात क्या है ये बिना समझे ही .... कुछ भी सोचने लगती है सामने वाले इसान के बारे में और कुछ भी बोल देती हैं । इन्हें तिल का ताड़ बना बहुत पसंद हैं ।
ये नहीं कि अनुभव साथ अतीत में कुछ भी हुआ ऐसा , जिससे वो लड़कियों से चिढ़ता है । वो तो बस जितना देखा और अपने दोस्तों से सुना है अभी तक लड़िकयों के बारे में , उस हिसाब से उसे यहीं लगता है ।
अब अनुभव मानवी पर भड़कते हुए गुस्से में उससे बोला — तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई , मुझसे ऐसे बात करने की और मुझे शक्ल से चोर , डाकू और मवाली बोलने की ? 😡 आखिर तुम ऐसे कैसे बोल सकती हो मुझे ? तुम ..... अ .....
अभी अनुभव कुछ बोलने ही वाला था कि तभी मानवी उसके बात को बीच में काटते हुए बोल पड़ी — हां तो चोर को चोर नहीं तो क्या , भगवान जी बोलेंगे ? तुम चोर हो चोर । सुन लिये । अब खिसक लो यहां से ... नहीं तो मैं यहां अंकल को बुला लूंगी , समझे !
इतना सुनते ही अनुभव अपना दांत पीसते हुए , मानवी के तरफ अपने हाथ मे लिए हुए डंडे को उसके तरफ प्वाइंट करते हुए बोला — ओए ... सड़ी हुई दिमाग की गवार लड़की , तुम्हें अभी पता नहीं है , कि तुम अभी किसके घर में और किसके सामने खड़ी हो ?
क्रमश: