मानवी मिस्टर सिकरवार से बोलती है — अरे .... अरे ..... अंकल यह फर्श एकदम साफ है और वही मेरा सैंडल इसके आगे कितना गंदा लग रहा है और इसमें कितनी मिट्टी भी लगी हुई है । मैं अपना पैर जहां - जहां रखूंगी वहां - वहाँ निशान बन जाएगा मेरे सैंडल का .... । तब दोबारा से इसे साफ करना पड़ेगा । इसलिए मैं सैंडल बाहर ही उतार देती हूं ।
मिस्टर सिकरवार — अरे ...अरे ... पागल मत बनो बेटा , चलो अंदर । तभी मिस्टर सिकरवार की पत्नी माधुरी जी वहां आती हैं , और मानवी को देखकर मिस्टर सिकरवार से पूछती है — यह कौन है ? आपने तो इसके बारे में बताया नहीं कभी ?
मानवी .... माधुरी जी की बात सुनकर थोड़ी सी सहम जाती है । मानवी को यह पता नहीं था कि मिस्टर सिकरवार ने माधुरी जी को उसके बारे में नहीं बताया है । वैसे माधुरी जी दिल से अच्छी है पर वो थोड़ी सख्त मिजाज की हैं । यही वजह हैं कि उनकी प्यारी सी बेटी उनसे थोड़ी डरती है , और उनसे काम चल जाए उतना ही बात करती है , लेकिन मिस्टर सिकरवार से बिल्कुल भी नहीं डरती है । वहीं इसके बिल्कुल उल्टा अनुभव के साथ है । मिस्टर सिकरवार से डरता है , इतना की जरूरी बात भी करने से कतराता है , लेकिन माधुरी जी के बहुत करीब हैं । खैर माधुरी जी मानवी से मिली और उसको अपने साथ हॉल में ले आई और संध्या को अवाज लगाई मानवी के नास्ता लिए । संध्या मिस्टर सिकरवार के घर की साफ सफाई से लेकर किचन तक सम्भालती है । वो एक बहुत ही ईमानदार औरत हैं । कुछ देर बाद संध्या सबके लिए नास्ता लेकर आ गई । तीनों ने नास्ता के साथ कुछ बात भी किया और वो बात सीर्फ और सीर्फ हमारी प्यारी मानवी के बारे में हुई थी ।😊 मिस्टर सिकरवार अपनी पत्नी से उसके बारे में बता रहे थे और मानवी कभी - कभी बीच में हाँ ... हूं ... नहीं ... इतना ही बोल रही थी । 😀 हमेशा बोलने वाली मानवी को आज सीर्फ हाँ ... हूँ ... नहीं .... में ही काम चला रहीं थी । मिस्टर सिरवार भी अपनी वाईफ से यही बाताये कि मानवी तो बहुत बोलती है बट यहां ये अभी नई है और आपकों पहचान भी नहीं रही है तो सिर्फ हाँ ... हूं ... नहीं ... से ही काम चला रही है । कुछ दिन में आपसे भी खुल के बाते करने लगेगी । ये कहते हुए वो मुस्काराने लगे । माधुरी जी भी प्यार से मानवी के सर पर हाथ रख कर कहीं कि बेटा तुम इसे अपना घर ही समझो । आज अगर हमारी बेटी होती तो तुमको यहां देखकर बहुत खुश होती । उसका बहुत मन होता है कि एक और लड़की उसके घर होती । अभी तो वो अपने काम बिजी है छुट्टी नहीं मिली है उसे , पर जब वो घर आयेगी छुट्टी में तो मैं तुम्हें बुलाऊंगी , तुम आओगी ना उससे मिलने । मानवी माधुरी जी की बात सुनकर मुस्कुराते हुए हाँ में अपनी पलके झपका दी । तभी मिस्टर सिकरवार माधुरी जी से पूछे ।
मिसटर सिकरवार — तब आपके लाडले राजकुमार कैसे हैं ? काम ठीक चल रहा है ना ? मुझसे तो बात ही नहीं करते है । जब कभी मैं फोन करता हूँ , तो हाँ ... हूँ ... जी ... नहीं ... में बात को टालने की कोशिश करते है ।
मिस्टर सिकरवार की ये बात सुनकर माधुरी जी मुस्कुराते हुए बोली — ओह अच्छा ... मेरा लड़ला ... मेरा राजकुमार वो तो बहुत अच्छा है और काम भी बहुत अच्छा से चल रहा है । रही बात उसके सिर्फ हाँ ... हूँ ... जी ... नहीं ... से तो आप प्यार ही इतना लुटाते हो उसपर की वो कभी आप से इससे अधिक बात ही नहीं कर पाता है । क्या करे वो भी , आपके प्यार के वजह से तो वो आपसे कोई बात ही नहीं करता है . . . बस आप जो कहो वही करता है हमेशा । चाहे उसे अच्छा लगे या ना लगे ।
तब मिस्टर सिकरवार हंसत हुए माधुरी जी से कहते है — एक बार अगर मैं आपके बेटे की कोई बात मान ली ना मैने , तो वो चाहेगा कि उसकी हर बात को मैं मानू । ये लड़के थोड़े जिद्दी टाइप के होते है । अगर वही लड़कियों की बात कहूं तो वो जिद्द नही करती हैं अपने पापा से । उनकी कोई बात मान लो और वो काम उसके हिसाब से कर लेने दो , तो वो भी दोबारा अपने इच्छा ही कुछ करना चाहती है , लेकिन अगर उसके पापा उसे वो नहीं देते है तो वो रुक जाती है , वही ये लड़के कुछ भी करके वो काम करना ही चाहते है । इसलिए मेरा यहीं मानना है कि लड़को से उनके पिता थोड़ा सख्ती से पेश आये तो वो बेहतर है । ये लड़के किसी से भी डरते कम ही है , अगर एक बार इनके अंदर का डर ( जो कि अपने पिता से होता है ) खत्म हो जाता है ना तो वो फिर अपने पिता के हाथ से छूट जाते है । तब तक इनसे सख्ती से पेश आओं जब तक कि ये अपनी जिम्मेवारी को नही समझ जाते । जो बात वो प्यार से समझते हे उसे उन्हे प्यार से हा समझाइये और जो डाट से समझते है तो डाट से समझाइये । क्या हो जायेगा कुछ दिन तक वो आपसे नाराज रहेगा । जिस दिन वो इस डाट में छुपे हमारे प्यार को समझ जायेगा , उसीदिन उसका नाराजजी भी खत्म हो जायेगी । प्यार तो सारे पिता अपने सभी बच्चों से बराबर ही करते है , लेकन जाहिर नहीं होने देते है ।
माधुरी जी उकनी बात सुनकर उनसे कही — हां हां पता है मुझे कि प्यार करते हो उसे । लेकिन कभी - कभी जता भी दिया करो । नहीं तो उसे लगेगा कि आप सिर्फ अपनी बेटी से ही प्यार करते हो । बचपन से तो मेरा अनुभव यही समझते आ रहा हैं कि आप उसे प्यार नहीं करते हो ।
काफी देर से चुप मानवी माधुरी जी की ये बात सुनकर तपाक से बोली — अरे अंकल मेरा भाई भी ऐसे ही कहता है माँ से कि बाऊ जी मेरे से प्यार नहीं करते है सिर्फ मानवी दी से करते है ।
क्रमश: ........