काफी देर से चुप मानवी माधुरी जी की ये बात सुनकर तपाक से बोली — अरे अंकल मेरा भाई कार्तिक भी ऐसे ही कहता है माँ से कि बाबू जी मेरे से प्यार नहीं करते है सिर्फ मानवी दी से करते है ।
मानवी की बात सुनकर माधुरी जी उससे हंसते हुए कहती हैं — हाँ - हाँ बच्चे ऐसे ही करते हैं । यहां भी यहीं हाल है अनुभव और अर्पिता में भी इसी बात को लेकर लड़ाई चलती हैं ।
ऐसे ही कुछ देर तक बातें चलती रही । फिर मानवी को संध्या उसका कमरा दिखाने के लिए ऊपर ले कर चली गई । कुछ देर बाद वहां अनुभव ऑफिस से आया और बिना किसी के तरफ देखे ही वो ऊपर अपने कमरे में जाने लगा , तभी उसके कानों में मिस्टर सिकरवार कि रौबदार आवाज गई ।
मिस्टर सिकरवार — सुनो ... आज ऑफिस का काम कैसा रहा ? मेरे नहीं रहने पर सब ठीक से रहा या कुछ हुआ भी है ?
अनुभव बिना पीछे मुड़े ही मिस्टर सिकरवार को जवाब दिया — नो डैड सब ठीक रहा , कोई परेशानी नहीं हुई । आप चिंता मत करिए । अब मैं कम्पनी सम्भाल लूंगा ।
मिस्टर सिकरवार मुस्कुराते बोले — गुड़ ... अब तुम्हें ही सम्भालना है मेरा म्यूजिक कम्पनी । सुन कर खुशी हुई कि अब तुम मेरा कम्पनी सम्भाल लोगे । अब जाओं और चेंज कर लो ।
मिस्टर सिकरवार की आखीरी लाइन सुनते ही अनुभव वहां से फॉरन अपने कमरे में चला गया ।
अनुभव के जाने बाद माधुरी जी मिस्टर सिकरवार से शिकायती लहजे में बोली — कभी तो आप मेरे बेटे से अच्छा से बात कर लिया करो । क्यों हर वक्त डाराते रहते हो । अब वो बड़ा हो गया है । उसे समझ हो गई है गलत और सही की । मेरा बेटा अब दिन भर मन लगा कर ऑफिस में काम करता है । पहले जैसा नहीं रहा । उसका भी तो मन होता होगा कि मेरे डैड कभी मेरे कमों की तारीफ करे , गुझे प्यार से गले लगाए और अच्छे से बात करे । लेकिन नहीं आप तो बस उसे डाटने और उसके कामों में कमियां निकालने का बहाना ढुंढ़ते फिरते हो ।
मिस्टर सिकरवार माधुरी जी की बातें सुनकर मुस्कुराते हुए बोले — अच्छा तो आप कह रही हो कि मैं प्यार नहीं करता हूँ आपके बेटे से । 😊 फिर मिस्टर सिकरवार माधुरी जी का हाथ अपने हाथ में लेकर उनसे बोले — आपको क्या लगता है ? मैं अपने बेटे से प्यार नहीं करता हूं ? मैं एक पिता हूँ ... मुझे आपके जैसे प्यार जताना नहीं आता है । फिर माधुरी जी के आंखों में देखते हुए बोले — ठीक है .... अगर आप कह रही हैं उससे प्यार से बात करने के लिए तो ... मैं करूंगा और उसके कामों की तारीफ ही करूंगा । 😊😊 अब खुश हो गई ना आप । माधुरी जी मिस्टर सिकरवार की बातें सुनकर मुस्कुराने लगी और उनसे खुश होते हुए बोली — हम्म खुश हूँ ।
तब मिस्टर सिकरवार माधुरी जी की मजे लेते हुए बोले — हम्म वो तो दिख रहा है आपके चेहरे पर । कभी मेरे बारे में सोच लिया करो ... हमेशा मेरा बेटा - मेरा बेटा किए रहती हो । मेरा क्या भई ... . आप तो मुझसे प्यार करना एकदम से भुल गई हो - ..😒 कभी - कभी भी मुझे प्यार कर लिया करो , मुझे भी तो अपके प्यार की जरूरत है । 😉 मिस्टर सिकरवार की ऐसी बातें सुनकर वो शरमाते हुए अपने आस पास देख कर बोली — क्या आप भी ना ... कुछ भी बोल देते हो .... मैं क्यूं आपको भूलूंगी ।
क्रमश: