अब तक आपने देखा
वो सोच रही थी कि चोर भी मुझसे यही कह रहा था कि वो मुझे बिल्ली समझ कर अपने साथ डण्डा लेकर आया था और आंटी भी मुझे बिल्ली ही समझ रही थी ! उनके बोलने से तो ऐसा लग रहा कि मैं मानवी ना होकर बिल्ली हूँ । 🙄 फिर उसने अपना सर खुझलाते हुए अपने मन में कहा — क्या मैं सच में बिल्ली नजर आती हूँ ।
अब आगे
मानवी वहां बैठे हुए यही सब उल्टा - सीधा बात सोच रही थी कि तभी उसे ख्याल आया कि उसने अपने हाथ से वॉज का टुकडा नहीं निकाला है , उसे जल्दी ही निकाल लेना चाहिए , नहीं तो अगर गलती से अंकल - आंटी की नजर मेरे हाथ पर चला गया तो , वो लोग परेशान हो जायेगें मेरे लिए , जबकि ये बहुत छोटा घाव है और ऐसे घाव तो मेरे लिए कुछ भी नहीं है । हमारे गाँव में तो ऐसे चोट पर ध्यान ही नहीं देते है और जब कभी बच्चा रोने लगता है , तो उसे ये कह कर चुप करा दिया जाता है , कि अरे मेरा बाबू तो बहुत ताकतवर है , देखों तो कैसे इसे तोड़ दिया ! और बच्चा इसे सुन कर खुश हो जाता है , फिर अपना दर्द भुल कर हंसने लगता है । लेकिन यहां शहर में और वो भी बड़े घरों में तो एक छोटी सी खरोच भी लगने पर ऐसे वर्ताव करते है , जैसे की कोई बड़ी विमारी हो गई हो या बहुत ज्यादा चोट लग गई हो ।
मानवी यही सब सोच कर खुद से कही — ना बाबा ना मुझे मरीज नहीं बनना हैं अभी । अभी जाकर मैं इसे साफ कर लेती हूँ और वो किचन में काम कर रही संध्या जी से पूछ ली की यहां नीचे वॉशरूम कहां है ? फिर वो संध्या जी से कर जिधर वॉशरूम था उधर उस तरफ चली गयी ।
मिस्टर सिकरवार मानवी को हॉल में छोड़कर और संध्या जी मानवी के कमरे को साफ करने को कहकर , ऊपर अनुभव के पास चले गये । अभी वो अनुभव के रूम के सामने गये ही थे , कि तभी उधर से अनुभव डोर को खोला और फिर डोर को जोर से बंद करके घुमा । उसके चेहरे से झुझलाहट साफ - साफ झलक रही थी ।
बिना सामने देखे ही वो अपनी आँखों को बंद कर के जैसे ही आगे बढ़ना चाहा , वैसे ही मिस्टर सिकरवार की भारी - भरकम आवाज उसके कान में पड़ी — ये किस तरह की बेवकूफी है ? ऐसे आंखें बंद करके क्यों चल रहे हो ? कही कुछ हो गया तो ? अब तुम मेरे कंपनी के मालिक बनने वाले हो और हरकतें अभी वही बचपन वाली है । क्या हुआ है ? क्या किसी ने कुछ कहा है , जो तुम्हें पसंद नहीं है ?
अभी तुम्हारे चेहरे से यही लग रहा है कि , तुम्हे किसी की कोई बात पसंद नहीं आयी हैं और तुम इसी वजह से अपनी आँखें बंद करके चल रहे थे । तुम बचपन में भी ऐसे ही करते थे क्योंकि तुम्हे गुस्सा बहुत आता था उस समय में भी । तुम्हारे आंख बंद कर के चलने के वजह से तुम्हें कई बार चोटे भी लगी है , कई बार तो तुम बड़ी - बड़ी गाडियों के सामने भी चले जाते थे । इसी वजह से मैं तुम पर हमेशा गुस्सा रहता था । हर वक्त तुम्हारी चिंता लगी रहती थी ।
क्रमश: