मानवी ( मिस्टर सिकरवार से कहती है )-मैं कभी किसी दूसरे आदमी को बाबूजी बोलती हूं ,तो वह थोड़ा जलते हैं . . . थोड़े जलकुकडे हैं मेरे बाबू जी ... ये कह कर मानवी एक बार फिर से खिल - खिला कर हंस देती हैं . . .😃😃☺️
मिस्टर सिकरवार (मानवी से कहते हैं ) -ओह ! तो यह बात है ।😀 इस वजह से डर रहे हो मुझे बाबूजी कहने से आप ।
मानवी -यह तो ठीक है . .पर आप मुझे आप -आप क्यों कह कर बुला रहे हो । अब जब आप मुझे अपनी बिटिया कह रहे हो , तो मुझसे आप मेरे बाबूजी जैसे ही बात करिए । जैसे मेरे बाबूजी मुझे तुम कहते हैं ।
मिस्टर सिकरवार उसकी ( मानवी की ) बात सुनकर हंसने लगते है और प्यार से उसके सर पर अपना हाथ रख कर कहते हैं ।
मिस्टर सिकरवार -अच्छा-अच्छा बिटिया रानी ,😀 अब मैं आप नहीं कहूंगा ठीक है , अब तो खुश हो तुम बेटा ।
मानवी यह सुनकर हंस देती है और कहती हैं ।
मानवी - आप तो बिल्कुल मेरे जैसे हो । मतलब सब कुछ मैं नहीं । बस बात करने में । फिर मानवी कहती हैं - पता है लोग क्या कहते है हमें , कि हम बात बहुत करते हैं और मेरी माँ तो कहती हैं कि तुम इतनी बडी हो गई हो और छोटे बच्चों जैसी हरकते करती हो ।
मानवी की बात सुनकर मिस्टर सिकरवार कहते हैं ।
मिस्टर सिकरवार- ये तो गलत बात है । तुम तो सच में अभी बच्ची हो और बच्चे जिस घर में रहते हैं , उस घर में हमेशा खुशियां ही छाई रहती है । तो ये बात सुनकर मानवी .. मिस्टर सिकरवार से कहती है -
मानवी -हम्म ...हम तो हमेशा कहते मां से यह बात कि हम तो अभी बहुत छोटे है , पर मां बोलती है तुम बड़ी हो गई हो अब ,ज्यादा उछल कूद मत किया करो तुम अब ।😏 यह बात अभी वह मिस्टर सिकरवार से कहकर ही रही थी , कि शायद उसको कुछ याद आ जाता हैं . .और वो मिस्टर सिकरवार से कहती है -अरे मोरी मइया 🤦🏻♀️अभी हम इधर आप से बात करने में लगे हुए हैं ,और उधर मेरी माता जी मुझे ढूंढ रही होंगी ,मेरी मरम्मत 😣करने के लिए ।🙄 कब से इधर ही हूं और मैं अकेले ही काम कर रही होगी और फिर से मानवी कहने लगती ... अब तो हमें अभी के अभी भागना होगा ।🏃🏻♀️नहीं तो हमारी माता श्री का गुस्सा😡 बढ़ जाएगा और वह हमारी अच्छी से कुटाई कर देंगी ; फिर कुछ दिनों के लिए मेरा घर से बाहर जाना बंद हो जाएगा । यह कहकर मानवी हंस देती है और फिर मिस्टर सिकरवार से कहती हैं ।
मानवी -अच्छा तो हम चलते हैं ; तो मिस्टर सिकरवार मानवी को जाने के लिए कह देते है ।
तब मानवी हाँ में सर हिला कर उसने अपने दोनों हाथ जोड़कर मिस्टर सिकरवार को राधे -कृष्ण बोलती है और फिर वहां से तेज - तेज कदमों से चलकर अंदर चली जाती हैं । जहां पूजा की तैयारी चल रही थी ।
इधर मानवी के जाने के बाद मिस्टर सिकरवार उसकी बातें याद करके मुस्कुरा रहे थे । उन्हें मानवी बहुत अच्छी लगी थी ; बिल्कुल अपनी बेटी अर्पीता जैसी । उसी के तरह चंचल .. हमेशा घर में उधम मचाने वाली । कोई भी बात बेझिझक किसी से भी कह देना , चाहे सामने वाले इंसान को उसकी बात पसंद हो या ना हो और मन की बिल्कुल साफ भी है अर्पिता , जैसे मानवी है ।
दरअसल अर्पिता मिस्टर सिकरवार की इकलौती बेटी है ; जो कि उनके बेटा से छोटी हैं , जिससे मिस्टर सिकरवार अर्पिता को बहुत प्यार करते हैं . . और वो अभी मानवी को देखकर अर्पिता को बहुत मिस कर रहे थे इस समय । अब करे भी क्यों ना मिस अर्पिता को ; एक्चुअली अर्पिता अभी शिवकाशी में बैंक मैनेजर हैं और इसी वजह से वो कभी - कभी ही आती हैं अपने घर और वो 8 या 9 दिन के लिए ही आती है।
फिर मिस्टर सिकरवार मानवी के बारे में सोचने लगे की सच में .. यह बहुत भोली और दिल की साफ लड़की है ,इसके मन में तो लेश मात्र भी छल कपट नहीं है और इसकी बातें भी मुझे बहुत अच्छी लगी , क्योंकि इसके मन में जो बात थी ; वही बात इसके जुबान पर भी थी । डरती तो बिल्कुल भी नहीं है ,यह सोच कर कि लोग मुझे क्या कहेंगे मेरी बातों को सुनकर । बस अपने और अपनी दुनिया में मस्त रहती हैं - खुश रहती है ।
इधर मानवी जैसे ही घर की चौखट पर पैर रखती है , कि उसकी मां उसे रोकते हुए कहती है ।
श्वेता जी - तुझे तेरे बाबू जी को बुला कर लाने के लिए भेजी थी ; ये नहीं कही थी कि बाबू जी को भेज कर खुद बाहर ही रह जाना ।😡
क्रमश: ....