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कुछ देर बाद जब कॉफी बन गयी तो वो उसे लेकर हॉल में आ गया और मानवी के ठीक सामने बैठ गया और धीरे - धीरे कॉफी की शीप लेने लगा और मानवी के चेहरे को बड़े गौर से देखने लगा ।
अब आगे
अनुभव मानवी को देखकर कुछ सोच रहा था , तभी अचानक से मानवी की सांसें तेज हो गयी , और अपने सर को इधर - उधर करने लगी थी , शायद कोई बुरा ख्बाब देख रही थी ।
अनुभव ये देखकर उसके पास गया , फिर थोड़ा सा उसके ऊपर झुका और उसे जगाना चाहा ... कि तभी मानवी ने चीख मार कर अपनी आँखें खोल दीया और अनुभव को अपने ऊपर झुका हुआ देखकर ...डर गयी , फिर अपनी आंखें जोर से बंद कर के उससे कहने लगी — छोड़ दो ... छोड़ दो मुझे रा .. राघ ... . ..
अभी मानवी इतना ही कह पाई थी , कि तभी अनुभव उसे सोफे पर से उठा दिया और उसको उसके सपने से बाहर लाने के लिए बोला — मानवी ... मानवी उठो तुम कोई बुरा सपना देख रही हो ... उठो ...
लेकिन फिर भी मानवी डर के मारे बोले जा रही थी — न .. न ..नहीं ... नहीं तुम ... तुम फिर से नहीं आ सकते हो ....
अनुभव को मानवी की ये बाते समझ नहीं आ रही थी , वो बार - बार मानवी को बता रहा था ,
कि मैं अनुभव हूँ ... और तुम अभी एक बुरा ख्बाब देख रही हो । देखों तुम मेरे घर हो ... और यहां कोई नहीं हैं ।
लेकिन मानवी अभी भी डरी हुई थी और नींद में थी , इसी वजह से उसको अनुभव की बाते उस इंसान की तरह लग रही थी , जिसको वो अभी अपेने सपने में देख रही थी और इसी कारण से अनुभव की सबसे लास्ट में कही हुई बात मानवी के कान में गुजने लगी । कि " देखों तुम मेरे घर हो ... और यहां कोई नहीं हैं । "
मानवी कुछ देर तक इधर - उधर देखी फिर एकदम से डरी हुई उठी और अनुभव को पीछे के तरफ धक्का देकर भागना चाहि ।
अनुभव को मानवी से इस हरकत की उम्मीद नहीं थी , कि वो उसे धक्का भी दे सकती है । इसलिए वो बस ऐसे ही नॉर्मल तरीके से खड़ा होकर उससे बातें कर रहा था और उसे अपनी बात समझाने की कोशिश कर रहा था ।
मानवी के अचानक से धक्का देने से वो खुद को सम्भाल नहीं पाया और वो सीधा जाके सोफे पर धड़ाम से गिरा , लेकिन वो गिरते ही बिजली के रफ़्तार से उठा और मानवी को पकड़ लिया ।
उसे डर था कि कहीं मानवी घर से बाहर ना भाग जाए । क्योंकि अभी रात ज्यादा नहीं हुई थी और वाचमेंन अनुभव के कहने पर , दोनों के लिए खाना लाने के लिए मार्केट गया था तो , सारे दरवाजे खुले थे अभी और मेन दरवाज़ा भी लॉक नहीं था ।
पहले अनुभव मानवी को पीछे से पकड़ कर अपने तरफ घुमाया , फिर उसके आंखों में और उसके चेहरे को देखते हुए ( जैसे कि वो मानवी के इस डर को समझने की कोशिश कर रहा हो ) धीरे से उसका दोनों हाथ पकड़ लिया ।
मानवी अभी भी उससे दूर भागने कि कोशिश कर रही थी । वो अब अपना हाथ पाँव भी चलाने लगी थी , अनुभव के गिरफ्त से छुड़ने के लिए और डर के मारे कांप रही भी रही थी ।
अनुभव उसे शांत करने के लिए उसके बाल को सहलाने लगा । लेकिन फिर भी मानवी का डर और हाथ - पांव चलाना कम नहीं हुआ ।
क्रमश: ....