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फिर उसके दिमाग में ये बात आयी कि कहीं ये अंकल से बचने के लिए तो नहीं कर रहा हैं ।
अब आगे
मानवी ये बात सिर्फ अपने मन में सोच कर रह गयी , अनुभव से बोली कुछ नहीं और चली गयी फ्रेश होने ।
मानवी जब तक फ्रेश होकर आई , तब तक अनुभव टेबल पर डिनर लगा चुका था ।
मानवी आयी और चुप -चाप चेयर पर बैठ गयी , फिर खाने लगी । खाते समय दोनों में से किसी ने एक - दुसरे को कुछ नहीं कहा । बस अनुभव बीच - बीच में मानवी को और उसके प्लेट में देख ले रहा था ।
वहीं मानवी अनुभव पर चिढ़ि हुई थी , तो वो उसके तरफ या उसके आस - पास भी बिल्कुल ही नहीं देख रही थी । बस खाने की प्लेट में नजरे गड़ाये खाये जा रही थी ।
कुछ देर बाद
दोनों डिनर कर लिए .... फिर सोने चले गए ।
मानवी अपने कमरे में जा कर , अंदर से दरवाजा बंद करने के लिए पिछे मुड़ी , तो देखी कि अनुभव उसके कमरे में ही आ रहा था । उसको अपने कमरे में आता देख कर , वो अनुभव से अपनी भौंहें टेड़ी करके पूछी — अब क्या है ? तुम मेरे कमरे में क्या करने आ रहे हो इस समय ? , खुद के कमरे ना जा कर तुम यहां क्यों आये हो ?
अभी कुछ देर पहले जो हमारे बीच लड़ाई हुई , उससे तुम्हरा मन नहीं भरा है जो फिर से टपक पड़े हो ।
फिर मानवी उसे अपनी एक उंगली दिखाते हुए बोली — देखों अगर अब तुम कुछ किये ना तो हम कह दे रहे है , अंकल को हम आज शाम की पूरी बात बता देगें ।
अनुभव मानवी की धमकी भरी बात सुन कर उससे बोला — देखों मैं वो सब जान बुझ कर नहीं किया था । आज इतना ना काम था कि मैं उसे पूरा करने के चक्कर में , ये भूल गया कि आज तुम घर में अकेली हो और मुझे आज जल्दी घर जाना है ।
फिर उसने कुछ रुक कर बोला — रही बात मेरा इस समय तुम्हारे कमरे में आने की वजह , तो मैं तुम्हें बता दूं कि मैं यहां तुमसे लड़ने - झगने नहीं आया हूं ... मैं तो ...
मैं तो .... क्या ... तब क्या करने आये हो ? जान से मारने , ताकि हम तुम्हारा शिकायत ना कर सके अंकल से ... है ना ! ( मानवी तपाक से उसके बात को बीच में काटते हुए बोली । )
अनुभव मानवी की बात सुनकर चिढ़ गया । उसके जबड़े भिच गये । उसने अपने गुस्से को कंट्रोल करने के लिए अपनी आँखें बंद कर लिया और गर्दन के पिछले हिस्से को अपने हाथ से दबाने लगा । फिर एक - एक शब्द पर जोर देते हुए उससे बोला — देखों ... मैं ... यहां ... सिर्फ ... तुम्हारे लिए आया हूँ । तुम अभी ठीक नहीं हो , तो आज रात मैं तुम्हारे कमरे में ही सोऊंगा ... I बस यही बात है और मैं यहां सिर्फ और सिर्फ इसी वजह से आया हूं ।
ये कहते हुए अनुभव मानवी के इज्जात के बगैर ही अंदर आ गया और सोफे पर जाकर बैठ गया , फिर मानवी से बोला — मैं यहां सोफे पर सो लूंगा , तुम अपने बेड पर आराम से सो जाओं । सुबह जल्दी उठना है ।
डैड का कॉल आया था । उन्हें कल कहीं जाना है किसी काम से , तो वो कल शाम तक घर आयेंगे । ये सब कहते वक्त वो मानवी को बिल्कुल भी नहीं देख रहा था ।
क्रमश: ......