अब तक आपने देखा
अनुभव ने देखा कि मिस्टर सिकरवार उस पर ध्यान नहीं दिये है तो वो मौका का फैदा उठाया और वहां से नीकल गया ।
अब आगे
क्योंकि ( अनुभव को ) उसे पता था कि , उसकी कोई गलती नहीं होने के बावजूद भी , उसको बहुत कुछ सुनने को मिल जाएगा अपने डैड से । इसलिए वह वहां से जाना ही बेहतर समझा ।
मिस्टर सिकरवार मानवी की इस मासूमियत भरी बत को सुनकर उसके सर पर प्यार से अपना हाथ रखकर कहे — अरे पागल .... यह इंसान से किमती थोड़ी ना है , इस वॉज से किमती तुम हो हमारे लिए और तुम तो हमारी बेटी हो , अगर तुम्हें लग रहा है कि तुमसे गलती हो गई है , तो तुम्हें डरना नहीं चाहिए मुझसे । अब बच्चे तोड़ -फोड नहीं करेंगे तो क्या हम बूढ़े लोग चीजों को तोड़ेंगे और सबसे बड़ी बात ये है कि तुमने जान बुझ कर इसे नहीं तोड़ा है . . . तो अब खुद को बुरा कहना बंद करो । तुम तो मेरी बहुत अच्छी बिटिया रानी हो । यह कहते हुए मिस्टर सिकरवार मानवी का हाथ पकड़ लिए और उसे नीचे ले जाने लगे और उससे बोले — तुम छोड़ दो इसे और मेरे साथ चलो नीचे चलो । मैं संध्या को बोलक दे रहा हूँ वो यहां आकर यह सब समेट लेगी ।
मिस्टर सिकरवार मानवी का वही हाथ पकड़े थे जिस हाथ में वॉज का टुकड़ा चुभा हुआ था । मिस्टर सिकरवार के हाथ पकड़ने से उसे थोड़ी सी तकलीफ हो रही थी , क्योंकि वो वॉज का टुकड़ा अभी तक अपने हाथ से नहीं निकाली थी । वह दर्द की वजह से कभी कभी अपना आंख बंद कर ले रही थी , सिठ्ठियों से नीचे उतरे वक्त ।
मानवी का यूं बार - बार आंख बंद करते देख कर नीचे हॉल में बैठी माधुरी जी ने उससे पूछा — क्या हुआ है बेटा ? तुम बार - बार ऐसे क्यूं अपने ऑखों कों बंद कर हो ? कुछ हुआ है क्या तुम्हारी आंखों में ?
माधुरी जी की बात सुनकर मिस्टर सिकरवार हंसते हुए बोले — अरे अरे ये आप क्या कह रही हो ! इसे कुछ नहीं हुआ है , ये एकदम स्वस्थ है और आप जो बात कह रही इसका बार - बार आँख बंद करने का , तो इसका भी एक कारण है ।
माधुरी जी अपना आइब्रों सिकोड़ते हुए बोली — कारण ...
तब मिस्टर सिकरवार माधुरी जी को बताये कि मानवी से गलती से इसके रूम में जो वॉज था वो टूट गया , इस वजह ये डर भी गई थी और खुद की बुराई कर रही थी । कह रही थी कि मैने आपका किमती चीज तोड़ दिया । मैंने बहुत समझया तब जाकर ये खुद को कोसना बंद कि ।
मिस्टर सिकरवार की बात सुनकर माधुरी जी उनसे बोली — हाँ मुझे भी आवाज आई थी किसी चीज का गिरने का ... लेकिन मैंने ध्यान नहीं दिया । मुझे लगा कि बिल्ली होगी ... क्योंकि हमेशा स्टोर रूम वो जाते रहती हैं । इतना कहकर माधुरी जी मानवी से कही — बेटा इसमें खुद को बुरा कहने क्या जरूरत है । इन्सान से किमती चीज भी कुछ है क्या ... ?
मानवी उनकी बात सुनकर मुस्करा कर रह गई । वो उनसे कुछ बोलती , लेकिन उसके दिमाग में अभी कुछ और ही चल रहा था । वो सोच रही थी कि चोर भी मुझसे यही कह रहा था कि वो मुझे बिल्ली समझ कर अपने साथ डण्डा लेकर आया था और आंटी भी मुझे बिल्ली ही समझ रही थी ! उनके बोलने से तो ऐसा लग रहा कि मैं मानवी ना होकर बिल्ली हूँ । 🙄 फिर उसने अपना सर खुझलाते हुए अपने मन में कहा — क्या मैं सच में बिल्ली नजर आती हूँ ।
क्रमश: