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अनुभव उसे शांत करने के लिए उसके बाल को सहलाने लगा । लेकिन फिर भी मानवी का डर और हाथ - पांव चलाना कम नहीं हुआ ।
अब आगे
मानवी लगातार अपना हाथ - पाँव मार रही थी । अनुभव ने बहुत कोशिश किया उसको शांत करने कि , लेकिन उसके इतना कोशिश करने के बाद भी जब वो शांत नहीं हुई , तो वो पहले मानवी के दोनों हाथों को पिछे करके अपने एक हाथ से उसका हाथ जोर से पकड़ लिया , फिर उसके सर को अपने सीने पर रख लिया और उसके कान के पीछे , गर्दन के नीचे और उसके कंधों को हल्के हाथों से धीरे - धीरे दबाने लगा । मानवी को इससे काभी राहत मिली , वो अब अनुभव से खुद को छुडाने की कोशिश भी छोड दी । वो बस उसके सीने से लगी खड़ी रही ।
ना चाहते हुए भी अनुभव को ये सब करना पड़ रहा था । उसे ये बिल्कल भी अच्छा नहीं लग रहा था । मानवी के हाथ को इतना जोर से पकड़ कर रखना । वो अपने मन में सोच रहा था , कि मानवी को कितना दर्द हो रहा होगा , कहीं उसके हाथ पर निले - निले निशान ना पड़ जाए मेरी उंगुलियों के ।
कुछ देर बाद
अनुभव को जब लगा , कि मानवी अब पूरी तरह से शांत हो गई है और अब वो यहां से भागने की कोशिश नही करेगी , तो उसने धीरे से उसको खुद से अलग करना चाहा , लेकिन जब वो उससे अलग नहीं हुई तो , अनुभव अपना सर हल्का सा झुका कर उसको देखा , तो पाया कि मानवी खड़े - खड़े ही उसके सीने पर सर रखकर सो चुकी है ।
अब अनुभव सोच में पड़ गया ! , कि उसे कैसे जगाए ? और अगर जगेगी नहीं तो ये खाना कैसे खायेगी और अपने रूम में कैसे जाएगी ?
कुछ पल के लिए वो इसी उधेड - बुन में था , कि मानवी को कैसे जगाए या अभी जगाना ठीक रहेगा भी या नहीं ! , लेकिन जब उसे कुछ नहीं सूझा , तो वो मानवी को वैसे ही जैसे वो खड़े - खड़े सो रहीं थी , उसको सोफे के पास ले गया और फिर आराम से उसको ले कर पहले बैठ गया और तब मानवी के हाथों को छोड़ दिया , जिसको उसने पकड़ रखा था , फिर मानवी को अच्छे से सोफे पर लिटा दिया और तब अपने सर को सोफे पर टिका कर , अपने आँखों को बंद कर लिया और एक गहरा और लंबा सांस लिया । फिर वो सिद्धा होकर बैठ गया ।
लिटाते समय मानवी का जुड़ा अनुभव के हाथ से लग कर खुल गया था , तो आगे के जो छोटे - छोटे लेयर्स थे , उनमें से कुछ बाल मानवी के मुंह पर आ गए , जब मानवी अनुभव के लेटाते ही अपना सर दूसरे तरफ कर ली थी तब ।
अनुभव कुछ सेकेंड्स के लिए उसे ऐसे सोते हुए देखते रहा , फिर वो उसके चेहरे से बाल हटाने के लिए अपना हाथ जैसे ही बढ़ाया था , तभी उसे वॉचमैन की आवाज आयी .... I
अनुभव जल्दी से मानवी के तरफ अपना बढ़ा हुआ हाथ खीच लिया और वो हॉल के गेट के तरफ देखने लगा , लेकिन उसे वॉचमैन वहां नहीं दिखा , क्योंकि वो अभी हॉल में नहीं आया था , उसने दूर से ही अनुभव को आवाज़ दिया था , कि बेटा हम आ गये और आपका खाना भी ला दिये है ।
अनुभव जल्दी से उठा और हॉल के गेट के पास चला गया । वो नहीं चाह रहा था कि वॉचमैन मानवी को ऐसे देखे और हॉल में बिखरी हुई चीजों को भी ।
क्रमशः ......