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वो अलबत्ता अनुभव के हाथों से आपना हाथ खिच ली और उसके तरफ एक नजर देख कर , उससे अपनी नजरे फेर ली और अपने आंखों को बंद करके , अपना सर दोनों से पकड़ कर बैठ गई ।
वो अभी भी कभी - कभी गहरी और लंम्बी सांसे ले रही थी ।
अब आगे
अनुभव कुछ देर तक उसे देखता रहा । वह
अभी के लिए मानवी से कोई भी सवाल - जवाब करना ठीक नहीं समझा ।
अनुभव मानवी को एक नजर देखा और फिर वहां से उठकर चला गया चेंज करने । वो उपर पहुंचकर अपने रूम का डोर खोलकर अंदर गया , फिर जल्दी ही बाहर आ गया और नीचे हॉल में बैठी मानवी से कहा — मानवी अगर तुम्हें कोई प्रॉब्लम हो तो तुम मुझे बता देना । मैं अपने रूम में ही हूं । इतना कह कर वो मानवी का जवाब सुने बिना ही अंदर अपने कमरे में चला गया ।
कपड़ा चेंज करके वह वही अपने बेड पर लेट गया । अनुभव आज काफी थक गया था । उसे आज ऑफिस में बहुत काम करने पड़े थे । इस वजह से उसके सर में थोड़ा - थोड़ा दर्द भी हो रहा था ।
अपने इस सर दर्द से निजात पाने के लिए वह संध्या जी से कॉफी लाने के लिए उन्हें आवाज दिया — आंटी .... मेरे लिए प्लीज एक कॉफी बना दीजिए । यह कहते हुए ही उसे याद आया कि , वो जब से घर आया है । तब से उसे संध्या जी नहीं दिखी है । उसने सोचा शायद मॉम नहीं है तो , बात करने के लिए वह किसी पड़ोसी के यहां चली गई होंगी , क्योंकि अभी तो टाइम ही नहीं हुआ है उनके घर जाने का । अनुभव यह सोचते हुए संध्या जी को कॉल किया । दो - दो बार फुल रिंग हुआ , लेकिन संध्या जी कॉल नहीं ली । तो अब अनुभव थोड़ा सा झुंझलाते हुए तीसरी बार कॉल किया । इस बार दो - तीन बेल जाने पर ही संध्या जी ने कॉल रिसीव कर लिया । अनुभव उनके कॉल रिसीव करते ही बोला — हेलो आंटी आप कहां हो ? जरा जल्दी आइए ना , मुझे कॉफी चाहिए थी , सर में हल्का सा दर्द है । Plz जल्दी आइए आंटी ।
संध्या जी उधर कान में फोन चिपकाए हुए , चुपचाप खड़ी थी और अनुभव की बात सुन रही थी । जब अनुभव ने बोलना बंद किया । तब संध्या जी धीरे से उससे बोली — बेटा जी वो ... मैं ... अभी नहीं आ सकती हूं । संध्या जी अभी जैसे बोल रही थी , उससे यहीं लग रहा था कि वो बहुत परेशान है ।
अनुभव संध्या जी कि परेशान सी आवाज सुनकर उनसे पूछा — क्या हुआ ? कुछ हुआ है क्या ?
तब संध्या जी अनुभव से बोली — वो ... बेटा जी ... मेरी बेटी की तबीयत खराब हो गई है , तो मैं उसे अभी हॉस्पिटल में लेकर आई हूं । तब अनुभव उनसे कहा — आंटी अगर मेरी वहां जरूरत है तो बोलो , मैं आ जाऊंगा । आप ज्यादा परेशान मत होइए ।
संध्या जी वैसे ही परेशान सी आवाज में अनुभव से बोली — नहीं बेटा जी ... इसकी कोई जरूरत नहीं है । आपने मुझसे पूछा ... यही मेरे लिए बड़ी बात है । फिर वो थोड़ी सी झिझकते हुए बोली — बेटा जी हो सकता है कि कल मैं लेट आऊंगा या नहीं भी ...
अनुभव ने तुरंत उनकी बात सुनकर कहां — कोई नहीं आंटी । आप कल नहीं आना । जब वह ठीक हो जाए तभी आएगा | वैसे भी डैड कल आएंगे तो वो वहीं से नाश्ता करके आएंगे और हम अपने और मानवी के लिए कुछ मंगवा लेंगे ।
क्रमशः .....