स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः
स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः
स्वस्ति नो ब्रिहस्पतिर्दधातु
ये स्वास्तिक मंत्र है. इसके उच्चारण को स्वस्तिवाचन कहा जाता है. लेकिन आज हम इसकी बात क्यूं कर रहे हैं. चलिए हमेशा की तरह शुरू से शुरू करते हैं-
अमित शाह को तो जानते ही होंगे आप. बालोतरा, राजस्थान में एक रैली को संबोधित कर रहे थे. चारों दिशाओं से उनके वीर रस से ओत-प्रोत इस भाषण की तस्वीरें ली जा रही थीं. इनमें से एक फोटो में अमित शाह एक कालीन पर खड़े दिखते हैं. कालीन में बना था स्वास्तिक का चिह्न. इसी फोटो को अमित शाह के फेसबुक अकाउंट से शेयर भी कर दिया गया. फिर क्या था फेसबुक से लेकर ट्विटर तक उनके साथ वही हुआ जिसे अंग्रेज़, हिंदी में लॉ ऑफ़ कर्मा कहते हैं. मतलब उनकी ट्रोलिंग शुरू हो गई. उन्हीं में से एक पोस्ट पर गौर कीजिए.
इसमें पहले तो स्वास्तिक का हिंदू धर्म में महात्म्य बताया गया है फिर अंत वाले पैरा में लिखा है –
‘हिन्दू धर्म से भी ऊपर यदि स्वास्तिक ने कहीं मान्यता हासिल की है, तो वह है जैन धर्म. जैन धर्म में यह सातवें जिन का प्रतीक है. जिसे सब तीर्थंकर सुपार्श्वनाथ के नाम से जानते हैं. श्वेताम्बर जैनी स्वास्तिक को अष्ट मंगल का मुख्य प्रतीक मानते हैं. अमित शाह जैन हैं. और स्वास्तिक के ऊपर चमड़े का जूता पहनकर खड़े हैं. सोचिए कि यह कैसे ढोंगी भगवा गिरोह के हैं.’
इन पोस्ट्स में स्वास्तिक के बारे में जो जानकारी दी है वो सही है या ग़लत इसके बारे में आगे बात करेंगे. लेकिन ट्रोलिंग के बाद अमित शाह या उनके सोशल मीडिया हैंडल कर रहे लोगों तक ये खबर जरूर पहुंच गई.
फिर वही हुआ जो सोशल मीडिया में युगों-युगों से होता आया है. यानी वो ‘विवादित पोस्ट’ डिलीट कर दी गई. लेकिन सब कुछ कहां मिटता है. जहां डिलिशन है, वहीं स्क्रीनशॉट भी है. यूं अमित शाह के एफबी अकाउंट से पोस्ट और फोटो हटने के बाद भी ट्रोलिंग में खास परिवर्तन नहीं हुआ. वैसे फोटो डिलीट होने का मतलब ये मान लिया गया कि हां, ग़लती तो हुई है.
बहरहाल स्वास्तिक पर इतने विवाद के बाद इसके बारे में कुछ और जान लेना चाहिए.
# ये चिह्न कितना पुराना है. इसका अंदाज़ इसी से लगाया जा सकता है कि सिन्धु घाटी की खुदाई में जो मुद्राएं और बर्तन मिले हैं, उनमें कई एेसे हैं, जिनमें ये चिह्न मौजूद है.
# एडोल्फ हिटलर और उसकी सेना यानी नाज़ी सेना के साथ इसे जोड़कर कई तरह की कथाएं प्रसिद्ध हैं. जैसे कि नाज़ी सेना का स्वास्तिक उल्टा था, इसीलिए हिटलर और उसकी सेना का नाश हो गया.
‘उल्टे’ स्वास्तिक का नाज़ी सेना पर क्या असर पड़ा. इसका कोई सबूत तो नहीं है. मगर इसे मान्यताओं के साथ जोड़कर देखा जाता है. इसमें कोई शक नहीं. स्वास्तिक की पूरी ज्यामिति की बात करें तो ये दो तरह से बनाया जा सकता है. एक वामावर्त और दूसरा दक्षिणावर्त. दक्षिणावर्त शुभ माना जाता है और वामावर्त अशुभ. आपको किसी मांगलिक कार्य के दौरान अगर कोई स्वास्तिक चिह्न दिखे तो जानिए कि वो दक्षिणावर्त है. नाज़ी सेना द्वारा यूज़ किया गया स्वास्तिक वामावर्त था. दक्षिणावर्त वाले चिह्न को स्वास्तिक और वामावर्त वाले को सौवास्तिक कहा जाता है. सौवास्तिक का यूज़ आपको बौद्ध धर्म में भी दिखता है.
# इसी अल्पज्ञान के चलते एक बार रॉयटर्स ने निकी हेली की तस्वीर डिलीट कर दी थी क्यूंकि पीछे एक मंदिर में स्वास्तिक दिख रहा था.
# अभी तक के पॉइंट्स पढ़कर आपको लग रहा होगा कि स्वास्तिक केवल भारत में या जर्मनी में ही पाया गया है. लेकिन एेसा नहीं है. इसका उपयोग कई और देशों में भी मिला है. असल में स्वास्तिक दुनिया के फेमस चिह्नों में से एक है. कई धर्म और देशों के लोग इसे अपनाते रहे हैं. जैसे नेपाल में ‘हेरंब’. बर्मा या म्यांमार में ‘प्रियेन्ने’ और मिस्र में इसे ‘एक्टन’ नाम से भी लोग जानते हैं.
# इसका मूल रूप क्या है? इसके लिए हमें इतिहास में जाना होगा. ये चिह्न मेसोपोटामिया और सिन्धु घाटी की खुदाई में मिले बर्तनों और औज़ारों में मिलता है. उदयगिरि और खंडगिरि की गुफा से लेकर मोहनजोदाड़ो, हड़प्पा, अशोक के शिलालेखों तक में स्वास्तिक का ये चिह्न मिला है. रामायण, महाभारत में इसका रेफरेंस पाया गया है.
# स्वास्तिक शब्द तीन शब्दों की संधि से मिलकर बना है.
– सु जिसका अर्थ है उत्तम (जैसे सुविचार का सु)
– अस जिसका अर्थ है सत्ता
– क जिसका अर्थ हुआ कर्त्ता या करने वाला.
यूं स्वास्तिक मतलब अच्छा करने वाला या मंगलकारी – स्वास्तिक क्षेम कायति, इति स्वस्तिकः
मतलब – कुशलक्षेम या कल्याण का प्रतीक ही स्वस्तिक है.
जैसा कि ऊपर शेयर की गई पोस्ट में भी जानकरी दी गई है, हिंदू धर्म से ज़्यादा कहीं अगर इस चिहन का उपयोग हुआ है तो वो जैन धर्म है. 24 तीर्थंकरों में से एक सुपार्श्वनाथ का शुभ चिह्न स्वास्तिक ही है. जैन धर्म के कई पुराने लेखों में भी इसका उल्लेख मिलता है. जैन धर्म के प्राचीन मंदिरों में भी ये खुदा दिखता है.
# बौद्ध धर्म में, जैसा कि हमने पहले भी डिस्कस किया, स्वास्तिक का एक परिवर्तित रूप जिसे सौवास्तिक कहा जाता है, कई जगहों और मठों में देखने को मिलता है.
अपने विशेष ज्यामितीय आकार के चलते इसका वास्तुशास्त्र में भी बहुत उपयोग है. कहा जाता है कि यदि भवन निर्माण में कोई गलती हो जाती है, तो सामने की दीवार में स्वास्तिक का चिह्न बना देने से या टांग देने से उस गलती का नकारात्मक असर चला जाता है. वैसे आधुनिक विज्ञान ने इसकी कोई पुष्टि अब तक नहीं की है.
# स्वास्तिक चिह्न को हिंदू दर्शन में अलग-अलग तरह से डिकोड किया जाता रहा है. कुछ लोग इसे चार दिशाओं का प्रतीक मानते हैं. कुछ लोग की नजर में ये चार युगों को दर्शाता है. कुछ मान्यताएं इसे चार वेद तो कुछ भक्ति के चार मार्ग बताती हैं. स्वास्तिक को जीवन चक्र के चार पड़ाव और चार आश्रमों से भी जोड़ा जाता है. कहीं-कहीं इसे चार मौसमों और कुंडली के चार चक्रों का भी प्रतीक कहा जाता है. लेकिन ये अपने हर रूप में दिव्य ही माना जाता है.
स्वास्तिक के कई अन्य धार्मिक उपयोग हिंदू से लेकर बौद्ध और जैन धर्म में बताए गए हैं, लेकिन उनकी बात यहां करना मान्यताओं और धर्म की बात करने जैसा होगा.
वैसे स्वास्तिक चिह्न को यदि अमित शाह वाली घटना से जोड़कर देखें तो ऐसी मान्यता है कि स्वास्तिक का प्रयोग पवित्र स्थानों में पूरी शुद्धता के साथ होना चाहिए. गंदे और प्रदूषित स्थानों पर इसका प्रयोग वर्जित है और ऐसा करने पर ने केवल बुद्धि और विवेक पर नकारात्मक असर पड़ता है बल्कि दरिद्रता, बिहारी का कारण भी बनना पड़ता है.
चुनाव के रिज़ल्ट के लिए आपको 11 दिसंबर, 2018 तक इंतज़ार करना पड़ेगा.