26 जून 1975. इसी तारीख को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल का ऐलान किया था. 26 जून 2018. अब इसी तारीख को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) इमरजेंसी के खिलाफ देश भर में काला दिवस मना रही है. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहां पीछे रहने वाले थे. मोदी मुंबई पहुंचे, जहां बीजेपी ने एक कार्यक्रम आयोजित किया था. नाम था – 1975 आपातकाल : लोकतंत्र की अनिवार्यता – विकास मंत्र – लोकतंत्र. कार्यक्रम में मोदी इमरजेंसी के खिलाफ जमकर बोले. कांग्रेस पर खूब बरसे. पढ़ें वो क्या बोले –
1. कोई ये समझने की गलती ना करे कि हम सिर्फ देश में आपातकाल लगाने वाली कांग्रेस सरकार की आलोचना करने के लिए काले दिन का स्मरण करते हैं. हम देश की वर्तमान और भावी पीढ़ी को जागरूक करना चाहते हैं. हम लोकतंत्र के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को बनाए रखने के लिए इसका स्मरण करते हैं.
2. देश ने कभी सोचा तक नहीं था कि सत्ता सुख के मोह में और परिवार भक्ति के पागलपन में, लोकतंत्र और संविधान की बड़ी-बड़ी बातें करने वाले लोग हिन्दुस्तान को जेलखाना बना देंगे.
3. एक परिवार के लिए संविधान का किस प्रकार से साधन के रूप में उपयोग किया जा सकता है, शायद ही ऐसा उदाहरण कहीं मिल सकता है.
4. जब-जब कांग्रेस पार्टी को और खासकर एक परिवार को अपनी कुर्सी जाने का संकट महसूस हुआ है तो उन्होंने चिल्लाना शुरू किया है कि देश संकट से गुज़र रहा है, देश में भय का माहौल है और देश तबाह हो जाने वाला है और इसे सिर्फ हम ही बचा सकते हैं.
5. आपातकाल के समय नयायपालिका को भयभीत कर दिया गया था. जो लोकतंत्र के प्रति समर्पित थे, उनको मुसीबत झेलने के लिए मजबूर कर दिया गया था और जो लोग एक परिवार के पक्ष में थे उनकी पांचों उंगलियां घी में थीं.
6. जिस पार्टी के अन्दर लोकतंत्र ना हो, उनसे लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता की अपेक्षा नहीं की जा सकती है.
7. जिन्होंने देश के संविधान को कुचल डाला हो, देश के लोकतंत्र को कैदखाने में बंद कर दिया हो, वो आज भय फैला रहे हैं कि मोदी संविधान को खत्म कर देगा.
8. लोकतंत्र के प्रति आस्था को मजबूत करने के लिए हमें आपातकाल के इस काले दिन को भूलना नहीं चाहिए और भूलने देना भी नहीं चाहिए.
9. उस समय किशोर कुमार को कांग्रेस ने एक परफॉर्मेंस करने के लिए के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया. उनका इतना ही गुनाह था और उसके बाद टीवी और रेडियो से उनकी छुट्टी कर दी गई. फिल्म ‘आंधी’ पर भी रोक लगा दी गई.
10. इस कार्यक्रम का उद्देश्य उन लोगों के प्रति आभार प्रकट करना है, जिन्होंने 1975 में आपातकाल के खिलाफ लड़ाई लड़ी और लोकतांत्रिक मूल्यों के संरक्षित करने के बारे में सोचा.
भाषण देने में तो मोदी जी माहिर हैं हीं. सो यहां भी धाकड़ बोले. कार्यक्रम में उनके अलावा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और प्रदेश भाजपा प्रमुख रावसाहेब दानवे भी मौजूद थे. कार्यकर्ता भी थे. सभी तालियां पीट रहे थे. मगर भाषण के अंत में पीएम ने एक चूक कर दी. वो बोले. हाथ उठाओ. नारा लगाओ –
लोकतंत्र अमर रहे…लोकतंत्र अमर रहे…
बस यही गलती है. अरे भइया अमर वो चीज होती है जो मर चुकी हो. जैसे गुजर चुके लोगों के लिए नारा लगाया जाता है. फलाने जी अमर रहें, ढिमाके जी अमर रहें. पर यहां तो मोदी जी ने लोकतंत्र को ही अमर करवा दिया. उसके बिना मरे ही. अरे इसी लोकतंत्र की वजह से ही तो वो पीएम बने हैं ना. खैर पीएम हैं, गलती हो जाती है. बेहतर होता वो नारा लगाते- लोकतंत्र जिंदाबाद…
Prime Minister Narendra Modi targeted Congress for the Dark Days of Emergency