देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपने खाताधारकों की मात्र एक गलती से जुर्माने के रूप में लगभग 39 करोड़ रुपये कमाये। स्टेट बैंक ने चेक पर हस्ताक्षर का मिलान ना होने पर ग्राहकों से पिछले 40 महीनों में 39 करोड़ रुपये जुर्माने के रूप में वसूल किये हैं। दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक एसबीआई ने पिछले 40 महीनों में 24 लाख 71 हजार 544 चेक सिग्नेचर नहीं मिलने की वजह से लौटा दिये थे। इस तथ्य का खुलासा एक आरटीआई के जरिये हुआ है। इस आरटीआई के जवाब में बैंक ने माना कि जब कोई भी चेक वापस होता है तो बैंक ग्राहक से बतौर जुर्माना 150 रुपये चार्ज करता है। यही नहीं बैंक इस रकम पर जीएसटी भी लगाता है। इस प्रकार किसी भी चेक के रिटर्न होने पर ग्राहक को लगभग 157 रुपये का चूना लगता है, जबिक बैंक को इतनी ही रकम की कमाई होती है। इससे पहले इस साल जनवरी में ही वित्त मंत्रालय ने बताया था कि एसबीआई ने अप्रैल से लेकर नवंबर 2017 तक अपने खाते में न्यूनत्तम बैलेंस नहीं रखने पर ग्राहकों से 1771 करोड़ रुपये बतौर दंड वसूला था।
आंकड़ों के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2015-16 एसबीआई ने 60 हजार 169 चेक लौटाए। 2016-17 में इस आंकड़े में भारी इजाफा हुआ और लगभग एक लाख चेक एसबीआई ने लौटा दिये। 2017-18 में इसमें थोड़ी कमी आई। इस साल लगभग अस्सी हजार चेक ठीक ना पाये जाने की वजह से वापस कर दिये गये। 2018-19 में ये संख्या फिर बढ़ गई। अप्रैल तक 83 हजार 132 चेक वापस किये जा चुके हैं। 2017-18 में एसबीआई ने चेक का हस्ताक्षर ना मिलने पर जुर्माने के रुप में 11.9 करोड़ रुपये कमाये। बता दें कि कोई भी बैंक चेक से भुगतान करने से पहले सुरक्षा जांच करती है, ताकि पेमेंट सही व्यक्ति को मिल सके। इसमें खाताधारक के नाम की स्पेलिंग, चेक की तारीख, अंक और अक्षर में लिखे गये रकम और अंत में हस्ताक्षर शामिल है। सिग्नेचर का दुरुस्त होना भुगतान पाने के लिए अनिवार्य शर्त है। इसमें किसी भी तरह की गड़बड़ी होने पर चेक वापस कर दिया जाता है।