मान लीजिए कि ट्विटर मेट्रो सिटी है. उन महानगरों का भी सबसे पॉश इलाका. फेसबुक मिडिल क्लास है. महानगरों में भी, शहरों में भी, हर जगह. और वॉट्सऐप है मास. यानी बिल्कुल आम. दूर-दराज के इलाके, कस्बे-गांव, सब जगह. जिसको हायपर लोकल कहते हैं, वही. तो जब कोई मेसेज वॉट्सऐप पर वायरल हो, तो समझिए कि वो गांव-गांव तक फैल गया है. हमारे एक पाठक ने हमें वॉट्सऐप का ऐसा ही एक वायरल मेसेज भेजा. उन्होंने कहा, हम इसकी तफ्तीश करें. इस मेसेज के मुताबिक, बिहार में बजरंग दल के ‘गुंडों’ ने एक ईसाई धर्म की महिला को नंगा किया, बीच बाजार में उसे घुमाया और उसकी पिटाई की.
क्या है ये वायरल मेसेज?
एक वीडियो है. इसमें एक अधेड़ महिला हैं. उनके शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं है. बाल बिखरे हुए हैं. महिला बिल्कुल हताश है. शायद उन्हें बुरी तरह पीटा गया है. वो लड़खड़ाती हुई चल रही हैं. उनके पीछे एक भीड़ है. ये लोग ‘नीतीश कुमार मुर्दाबाद’ के नारे लगा रहे हैं. फिर ये लोग महिला को मारते हैं. उन्हें नीचे गिरा देते हैं. इस वीडियो के साथ एक मेसेज भी है, जिसमें लिखा है-
बिहार में बजरंग दल के गुंडों ने एक क्रिस्चियन महिला के कपड़े उतारकर बीच बाजार में सरेआम पिटाई की. इसको इतना शेयर करो कि वर्ल्ड ह्युमन राइट्स और वुमन राइट्स कमीशन तक पहुंच जाए क्योंकि इंडियन गवर्नमेंट सब कुछ जानते हुए भी लघुमती समुदायों (माइनॉरिटी) के बचाव में कुछ नहीं करती.
फेसबुक पर भी मिला इसका जिक्र
तलाश करने पर हमें ये मेसेज फेसबुक पर भी दिखा. मगर वहां बस मेसेज था, वीडियो नहीं था. वीडियो न होने की वजह शायद ये है कि फेसबुक इस तरह के हिंसक और आपत्तिजनक वीडियोज़ के वायरल होने पर उन्हें डिलीट कर देता है. ताकि शांति-व्यवस्था बनी रही. वीडियो के कारण सांप्रदायिक तनाव या हिंसा की स्थिति न बने. इसलिए ऐसे वीडियोज़ को आगे बढ़ने से रोकने के लिए इन्हें सेंसर कर दिया जाता है.
असलियत क्या है? अगस्त महीने की 20 तारीख को बिहार में एक घटना हुई. वहां भोजपुर के बिहिया शहर में रेड लाइट एरिया से सटे एक घर के पास रेलवे की पटरी पर करीब 20 साल के एक युवक की लाश मिली.मरने वाले का नाम विमलेश शाह था. लाश रेलवे लाइन के बीचोबीच पड़ी थी. सूचना मिलने पर रेलवे पुलिस आई. स्थानीय पुलिस भी पहुंची. लाश कौन उठाए, इस बात को लेकर सीमा विवाद हो गया. नतीजा ये हुआ कि मौके पर मौजूद भीड़ हिंसक हो गई. भीड़ ने रेड लाइट एरिया पर हमला कर दिया. आगजनी हुई. ट्रेनों पर पथराव हुआ. इसके बाद भीड़ रेड लाइट एरिया के घर में घुस गई. उन्होंने 35 साल की एक महिला को बाहर निकाला और उसे नंगा करके पूरे शहर में घुमाया.
महिला के साथ कई घंटों तक ऐसा ही सलूक हुआ. पुलिस सब देखकर भी कुछ नहीं कर पाई. शाम को किसी तरह पुलिस ने महिला को कस्टडी में लिया. भीड़ को रोकने के लिए फायरिंग वगैरह भी की. इस घटना के कारण इलाके के SHO को सस्पेंड भी कर दिया गया था. जो वीडियो वायरल हो रहा है, वो उसी समय का है. वीडियो में दिख रही महिला वही है, जिसे भीड़ ने नंगा करके घुमाया था. उसे चप्पलों से पीटा था. हमने उस समय भी इस घटना पर खबर की थी. आप इस लिंक पर क्लिक करके वो खबर पढ़ सकते हैं. जो हुआ, वो बहुत संगीन अपराध था. मगर वायरल मेसेज में जो कहा जा रहा है, वैसी कोई बात नहीं हुई थी. ये सांप्रदायिक घटना नहीं थी.
वॉट्सऐप को मॉनिटर करना मुमकिन नहीं है, मगर आप ध्यान रख सकते हैं
हेट क्राइम और फेक न्यूज के फैलने का सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म है सोशल मीडिया. सरकार से लेकर फेसबुक-ट्विटर तक, सबके ऊपर इससे निपटने का बहुत दबाव है. कुछ कदम उठाए भी जा रहे हैं. मगर वॉट्सऐप पर फैल रही चीजों की निगरानी करना और उसके खिलाफ कोई ऐक्शन लेना बहुत हद तक मुमिकन ही नहीं है. वॉट्सऐप का सिस्टम ही ऐसा है. बिना किसी रोक-टोक के यहां एक से एक हेट मेसेजेज़ फैलाए जा रहे हैं. इसी तरह फैलने वाले बच्चा चोरी की अफवाहों के कारण कई लोग मारे जा चुके हैं. इसीलिए इसे इस्तेमाल करते समय अपने विवेक का भी यूज़ कीजिए. कोई चीज गलत लगती है, उसपर शक होता है, लगता है कि वो भड़काऊ या सांप्रदायिक है, तो उसे आगे फॉरवर्ड करने की जगह उसका सही-गलत मालूम कीजिए.