निष्कर्ष इधर–उधर सब तरफ काश्वी को ढूंढने लगा, उसने काश्वी को फोन भी किया लेकिन फोन लगा नहीं, वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाकर काश्वी को बुलाने लगा लेकिन काश्वी का कुछ पता नहीं लग रहा था, उसने थोड़ी दूर जाकर फिर से आवाज लगाई तभी किसी ने उसका हाथ पकड़कर उसे साइड में खींचा, जब तक निष्कर्ष कुछ समझ पाता काश्वी ने उसका मुंह बंदकर उसे चुप रहने का इशारा किया, निष्कर्ष चुप चाप काश्वी को देखता रहा, काश्वी ने उसे पेड़ की ओट से झांककर सामने देखने के लिये कहा, निष्कर्ष अब पूरी तरह से हैरान हो गया, उसके मुंह से एक शब्द भी नहीं निकला
जो निष्कर्ष ने देखा वो उसने अपनी जिदंगी में कभी नहीं देखा था, सामने एक तालाब था, जिसके दूसरे किनारे पर एक टाइगर पानी पी रहा था, एक बड़ा सा धारियों वाला जानवर जिसे देखकर ही रोंगटे खड़े हो जाए, दूर बड़े आराम से किसी शंहशाह की तरह रौब दिखाते हुए टहल रहा था वो, निष्कर्ष ने अपनी एक्साइटमेंट छुपाने की बहुत कोशिश की पर कामयाब नहीं हो पा रहा था, उसे अब समझ आने लगा कि काश्वी रात भर जंगल में क्यों रुकी, निष्कर्ष ने काश्वी को देखा तो वो अपने कैमरे के लैंस से टाइगर की हर हरकत को कैप्चर कर रही थी
उसके चेहरे की संजीदगी देखकर निष्कर्ष ने उससे कुछ नहीं कहा, वो उसे चुप चाप देखता रहा, निष्कर्ष मुस्कुराने लगा, उसे अब खुशी महसूस होने लगी क्योंकि काश्वी को जो चाहिए था वो मिल गया, पर डर अब भी गया नहीं, हां, गनीमत वो ये मनाने
लगा कि एक पूरा तालाब उनके और उस खतरनाक जानवर के बीच है। कुछ मिनट के बाद वो टाइगर वहां से दूर जंगल में कहीं खो गया, निष्कर्ष ने अब राहत की सांस ली क्योंकि उसे पता था कि अब वो दोनों वापस जा सकते हैं, काश्वी के चेहरे
पर अब सुकून दिखने लगा, अब वो खुश है उसने निष्कर्ष को अपने कैमरे की फोटो दिखाई, पर निष्कर्ष को अब थोड़ा गुस्सा आने लगा कि अब भी काश्वी क्यों वापस चलने की बात नहीं कर रही, उसे कोई जल्दी ही नहीं यहां से बाहर निकलने की, निष्कर्ष ने नाराज होते हुए काश्वी को वहां से चलने के लिये कहा लेकिन काश्वी पर निष्कर्ष की नाराजगी का कोई असर नहीं दिखा, उसने अपना फोन ऑन किया और निष्कर्ष को अपने पीछे आने के लिये कहा, रास्ते भर दोनों ने कोई बात नहीं की, काश्वी का ध्यान रास्ते से ज्यादा अपने कैमरे में है। निष्कर्ष नाराज है लेकिन जब भी जंगल के उबड़ खाबड़ रास्ते पर काश्वी गिरने लगती, निष्कर्ष बढ़कर उसे संभाल लेता, निष्कर्ष की सांस अब भी अटकी है, चलते-चलते काफी देर हो गई पर अब भी सड़क का कोई नामो निशान नहीं,
काश्वी जानती थी कि निष्कर्ष उसकी वजह से इतना परेशान हुआ, तो उसने बात की शुरूआत सॉरी कहकर की, निष्कर्ष ने उसे देखा और कहा “सॉरी क्यों?” “मेरी वजह से आप भी यहां फंस गये इसलिये”, काश्वी ने जवाब दिया
“वो तो ठीक है पर ये बताओ तुम्हें डर नहीं लगा इस तरह जंगल में अकेले”, निष्कर्ष ने पूछा
“लगा पर आप थे तो, मैं ठीक थी, ऐसा पागलपन कभी किया नहीं, पता नहीं क्यों डर कहीं गायब हो गया था क्योंकि आप
साथ थे”, काश्वी ने जवाब दिया
“मैं? मेरे भरोसे थी तुम? तुम से ज्यादा डरा हुआ था मैं, मुझे ये सब पंसद नहीं, कभी नहीं आया मैँ इस तरह जंगल में अकेले”, निष्कर्ष ने कहा
“हां जानती हूं पर मुझे डर नहीं लगा, लगा सब ठीक ही होगा और देखो हम दोनों ठीक है और टाइगर भी मिल गया” काश्वी ने अपना कैमरा दिखाते हुए खुशी से कहा
“काश्वी ऐसा पागलपन दोबारा मत करना, आगे क्या होगा किसे पता, हर बार तुम सेफ रहो ये जरूरी नहीं, ये रिस्क मत लेना अब कभी भी”, निष्कर्ष ने काश्वी को समझाते हुए कहा
“ठीक है नहीं करूंगी पर आपको एक वादा करना होगा जब भी ऐसा पागलपन करने का मन होगा आप मेरा साथ दोगे, क्योंकि मेरा डर तभी जाएगा जब आपका साथ होगा और फिर कुछ गलत नहीं होगा”, काश्वी ने रूककर निष्कर्ष के सामने अपना हाथ बढ़ाते हुए कहा
कुछ पल निष्कर्ष काश्वी को देखता रहा और फिर उसके हाथ पर हाथ रखकर मुस्कुराते हुए आगे बढ़ गया, काश्वी हैरानी से निष्कर्ष को देखती रह गई और उसके पीछे जाते हुए पूछा, “इसका मतलब हां है या ना?”
निष्कर्ष ने फिर मुड़कर मुस्कुराते हुए काश्वी को देखा पर कुछ कहा नहीं आगे बढ़ते हुए काश्वी ने कई बार पूछा लेकिन निष्कर्ष ने कोई जवाब नहीं दिया बच्चों की तरह जिद करते हुए काश्वी वहीं रूक गई “अगर आप नहीं
बोलोगे तो मैं नहीं जा रही यहां से”
“काश्वी, तुम बच्ची हो कुछ नहीं समझती अभी चलो हम बाद में बात करेंगे, पहले यहां से बाहर निकलने का रास्ता बताओ”
“वहां सामने रोड है, देखो” काश्वी ने धीरे से कहा
सड़क सामने है, अब वापस लौटने का समय है, निष्कर्ष और काश्वी पूरे रास्ते चुप रहें, कार की सीट की एक तरफ सर
टिकाए काश्वी ने अपनी आंखे बंद कर ली, निष्कर्ष ने काश्वी को देखा और फिर सड़क पर नजर टिकाकर जल्दी से पहुंचने की कोशिश करने लगा, उसे पता था काश्वी बहुत थक चुकी है, पर ये सोचकर वो थोड़ा मुस्कुरा भी दिया कि कुछ अजीब है इस लड़की में, जो दिखती हैं वो है नहीं, आज फिर वही मासूमियत काश्वी के चेहरे पर निष्कर्ष को दिखी जो उस समय नजर आई जब वो बस में चुपचाप अकेली अपनी दुनिया में खोई सी थी। रिजॉर्ट पहुंचकर निष्कर्ष ने धीरे से काश्वी को उठाया, उसने अपनी आंखे खोली और कार से उतरकर अंदर चली गई, कुछ घंटों तक दोनों अपने-अपने कमरे में ही रहे, फिर काश्वी को फोनकर निष्कर्ष ने बाहर आने को कहा
निष्कर्ष के साथ ग्रुप के बाकी लोग भी थे, सभी काश्वी से सवाल करने लगे, उससे पूछने लगे कि वो कहां थी और हुआ क्या था, काश्वी ने सब बताया पर निष्कर्ष चुप रहा, उसने कुछ नहीं कहा, जब सबके सवाल खत्म हो गये तो काश्वी निष्कर्ष के पास गई और उसे फिर से सॉरी कहने लगी।
“मेरी वजह से आपको इतनी तकलीफ हुई उसके लिये सॉरी”, काश्वी ने कहा
“अब बस और परेशान मत हो, सब ठीक है, कुछ खा लो और फिर पैकिंग कर लेना कल सुबह वापस जाना है”, निष्कर्ष
ने कहा
“रात के गयारह बजे काश्वी को नींद नहीं आ रही, उसने निष्कर्ष को फोन किया और पूछा, “क्या आप सो गये?”
निष्कर्ष ने हंसते हुए कहा, “हां नींद में बात कर रहा हूं, बोलो क्या हुआ?”
“कुछ नहीं ऐसे ही नींद नहीं आ रही”, काश्वी ने जवाब दिया
"अरे क्यों? कहां उड़ गई नींद?” निष्कर्ष ने पूछा
“नहीं पता, घर की याद आ रही है, वापस जाना है”, काश्वी की आवाज में अब थोड़ा भारीपन आ गया
“काश्वी क्या हुआ, सब ठीक हैं न, वापस क्यों जाना है, यहां तो अच्छा लग रहा है तुम्हें फिर क्या बात है?” निष्कर्ष ने पूछा
“बस यूं ही मन नहीं लग रहा”, काश्वी ने फिर धीरे से कहा
“ओह लगता है टाइगर को देखकर डर गई तुम?” निष्कर्ष ने पूछा
काश्वी हंस दी, “नहीं ऐसा कुछ नहीं, मैं नहीं डरती? अब थोड़ा अकेला सा लग रहा है इसलिये”, काश्वी ने कहा
“अकेला क्यों, सब तो हैं यहां, मैं हूं” निष्कर्ष ने काश्वी को समझाते हुए कहा
“आप हो भी और नहीं भी”, काश्वी ने कहा
“अब इसका क्या मतलब है?” निष्कर्ष ने पूछा
निष्कर्ष कुछ बातें परेशान करती है जब उनका जवाब नहीं मिलता, मुझे भी कुछ परेशान कर रहा हैं पर समझ नहीं आ रहा क्या करूं”, काश्वी कुछ परेशान लहजे में बोली
“काश्वी तुम्हें क्या परेशान कर रहा हैं”, निष्कर्ष ने पूछा
“नहीं पता, जब पता चलेगा तब बताउंगी”, काश्वी ने कहा
“काश्वी ज्यादा मत सोचो कल की थकान होगी इसलिये तुम परेशान हो, अभी आराम से सो जाओ, सुबह भी जल्दी निकलना है” निष्कर्ष ने कहा
“हां, शायद यही ठीक है आप भी सो जाओ”, ये कहकर काश्वी ने फोन रख दिया
सुबह सुबह वो सब वापस जाने के लिये निकल पड़े, निष्कर्ष काश्वी के पास आकर बैठ गया और पूछा, “तुम्हारा मूड ठीक है अब?”
काश्वी ने मुस्कुराकर हामी भर दी,
काश्वी ने हां कहा पर उसे देखकर ऐसा लग नहीं रहा था कि उसका मूड ठीक हुआ है। निष्कर्ष ने अब उससे इधर उधर की बातें कर उसे बहलाने की कोशिश की, काश्वी को उस जगह के बारे में बहुत कुछ बताया, काश्वी भी बड़े ध्यान से सब सुनती रही, कुछ घंटों में वो वापस पहुंच गये, अब तो काश्वी का मूड भी ठीक हो गया, निष्कर्ष से बात करके उसे अच्छा लगने लगा। वापस पहुंच कर सब अगले दिन की क्लास की तैयारी में जुट गये। अगले दिन सुबह नौ बजे सब उत्कर्ष सर की क्लास में पहुंच गये, काश्वी ने नोट किया कि निष्कर्ष उसे सुबह से दिखा नही, उसे भी जल्दी क्लास में पहुंचना था इसलिये वो उससे बात भी नहीं कर पाई। क्लास शुरू हो चुकी थी तभी काश्वी के मोबाइल पर निष्कर्ष का मैसेज आया जिसमें लिखा था कि
उसे किसी काम से जाना पड़ रहा है और वो एक हफ्ते के बाद वापस लौटेगा, काश्वी मैसेज पढ़कर हैरान हो गई, उसने मैसेज करके पूछा कि वो कब जा रहा है?
निष्कर्ष ने फिर मैसेज कर कहा कि शाम को ही उसे जाना होगा,ये पढ़कर काश्वी की जान में जान आई, क्लास खत्म होने के बाद काश्वी ने निष्कर्ष को मैसेज कर पूछा कि वो कहां है,
निष्कर्ष ने काश्वी को उसी रूम में आने को कहा जहां उसने काश्वी को वो फोटोग्राफ दिखाई थी, काश्वी वहीं पहुंची, वो कमरा निष्कर्ष की मां का है, काश्वी ने अंदर आकर देखा तो निष्कर्ष वहीं था निष्कर्ष ने काश्वी से पूछा, “कैसी रही क्लास?”
“हां अच्छी थी पर आप कहां जा रहे हो?” काश्वी ने पूछा
“दिल्ली जा रहा हूं कुछ काम आ गया, जाना जरूरी है, तुम्हें जाना है वापस?” निष्कर्ष ने पूछा
काश्वी मुस्कुराने लगी, “नहीं, जब जाने को बोला था तो आपने कहां रूको, अब बोल रहे हो चलना है, अब नहीं जाना, आप जाओ, यहां क्यों बुलाया आपने मुझे?” काश्वी ने पूछा
“तुम्हें कुछ देना है इसलिये”, निष्कर्ष ने कहा
“क्या?” काश्वी ने पूछा
“ये कुछ किताबें हैं मेरी मां की, उन्हें किताबें पढ़ने का बहुत शौक था, बहुत संभाल कर रखा अपनी एक एक किताब को उन्होंने, मैं इन्हें पढ़ता हूं जब भी अकेलापन लगता है, अब लगता तुम्हें इनकी जरूरत है, अगर चाहो तो ले सकती हो, मन
लगा रहेगा, बहुत अच्छी है ये”, निष्कर्ष ने कुछ किताबें काश्वी को देते हुए कहा
काश्वी ने कुछ नहीं कहा, चुपचाप वो किताबें ले ली और धीरे से निष्कर्ष को ये भी कहा कि कुछ किताबें वो अपने साथ ले जाए क्योंकि उसे भी इसकी जरूरत पड़ने वाली है।
निष्कर्ष ने मुस्कुराते हुए कहा, “हां मुझे भी जरूरत पड़ेगी”
कुछ देर दोनों बातें करते रहे और फिर निष्कर्ष दिल्ली के लिये निकल गया।