काश्वी ने अपने पापा को काम्पिटीशन के बारे में बताया, वो इतनी खुश थी कि उसके पापा ने झट से हां कर दी, रात भर पूरा परिवार उसकी तस्वीरों में से 10 ऐसी तस्वीरें ढूंढता रहा जो उसके टेलेंट को सही - सही दिखा सके, तस्वीरें देखते - देखते रात भर मस्ती, मजा चलता रहा, कोई तस्वीर पापा को पंसद थी तो मम्मी को नहीं, किसी के लिये भइया मान गये तो दीदी ने मना कर दिया और काश्वी उसे तो अपनी हर तस्वीर देखकर उससे जुड़ी बातें याद आती रही इसलिये उसके लिये चुनना बहुत मुश्किल काम है। सारे ताम – झाम और कड़ी मशक्कत के बाद आखिरकार ऐसी 10 तस्वीरें मिल ही गई जिसे कांम्पीटीशन के लिये भेजा जा सके। काश्वी ने उन तस्वीरों के बढि़या क्वालिटी में प्रिंट निकवाएं और उन्हें पोस्ट से काम्पिटीशन में बताए पत्ते पर भेज दिया। इतने बड़े काम्पिटीशन में अपनी तस्वीरें भेजने के ख्याल से भी डरने वाली काश्वी ना जाने क्यों काफी कॉन्फिडेंट महसूस करने लगी, पता नहीं क्यों लेकिन उसे लग रहा था कि आने वाले दिनों में कुछ अच्छा उसके साथ होने वाला है। रिजल्ट आने में एक हफ्ता बाकी है लेकिन अभी से ही काश्वी ने अपने अगले असाइनमेंट पर काम शुरू कर दिया। वो शहर भर की पुरानी इमारतों को एक नए नजरिए से देखने की कोशिश करने लगी। उन पुरानी बेजान इमारतों में छिपी कहानियों को ढूंढने की कोशिश में ही काश्वी के दिन रात गुजरने लगे। वो तब तक एक ही चीज की फोटो लेती रहती जब तक उसे विश्वास नहीं हो जाता कि उसके कैमरे का लेंस भी वही दिखा रहा है जो उसकी आंखें देख पा रही है। एक हफ्ता ऐसे ही बीत गया और रिजल्ट का दिन आ गया। पूरा परिवार कम्प्यूटर पर नजरें गढ़ाएं था। रिजल्ट ई मेल से आया और सब खुशी से झूम उठे। काश्वी को पहली पॉजिशन मिली और साथ में एक वर्कशॉप का इंवीटेशन भी, वो भी एक फेमस फोटोग्राफर के साथ। काश्वी ने गहरी सांस ली और भगवान का शुक्रिया करते हुए अपनी आंखे बंद कर उन्हें याद किया। उस शाम काश्वी ने अपने परिवार के साथ खूब सेलिब्रेट किया। रात को उसे एक और मेल मिला जिसमें उसके एग्जीबिशन की डिटेल थी। उसके लिये ये एक और खुशखबरी थी, जीतने वाले सारे पार्टिसिपेंटस की तस्वीरों की एक फोटो एग्जिबिशन दो दिन बाद दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में लगाई जानी है, और उसी शाम प्राइस ड्रिस्ट्रीब्यूशन फंक्शन भी होना है।
काश्वी से रहा नहीं गया और उसने रात के 11:30 बजे ही सभी को जगा कर ये खबर दी। काश्वी के लिये उसके परिवार की खुशी अब दोगुनी हो गई। सब चाहते थे कि काश्वी कुछ ऐसा करें जिससे उसका नाम हो, पहचान हो और आज वो दिन आ गया, उसकी फोटो अब एग्जिबशन में लगनी है और सब उसे देखने आएंगे। दो दिन तैयारियों में निकल गये, परफेक्ट ड्रेस, परफेक्ट लुक और अपना कैमरे में परफेक्ट लेंस लगाकर काश्वी एग्जिबिशन में पहुंच गई। सभी ने उसका दिल खोल कर स्वागत किया। हर कोई बस उसी के आस - पास जमा नजर आया। अपनी तस्वीरों को बहुत आराम से समझाने लगी काश्वी और सब उसकी बातें बड़े गौर से सुनने लगे, काश्वी वहां किसी से बात कर रही थी तभी उसके कानों में एक आवाज पड़ी, ''तस्वीर तो बहुत अच्छी है लेकिन इन तस्वीरों में जिंदगी नहीं है, जीवन का अंश कहीं नजर नहीं आता”, काश्वी ने पीछे मुड़कर देखा तो वहां तीन चार लड़के थे, देखने से लग रहा था जैसे कॉलेज स्टूडेंट हो, वो आपस में बात कर रहे थे, उन्हीं में से एक ने काश्वी की तस्वीरों को देखकर ये कहा, काश्वी उसकी बात ध्यान से सुनने लगी, उसने कहा, ''देखो, टेक्नीकली ये फोटो बेस्ट है, इसके एंगल, कलर्स, लाइट, शेडो, थीम, सब परफेक्ट है, पर कुछ मिसिंग है इसमें लाइफ नहीं है, मेच्योरिटी नहीं है, हां जानता हूं ये एक 22 साल की लड़की का काम है उस हिसाब से बहुत अच्छा है लेकिन फिर भी कुछ कमी है'' काश्वी सब सुन रही थी उसने कुछ कहा नहीं, तभी वहां उस एग्जिबिशन के आर्गेनाइजर्स में से एक आये और काश्वी का इंट्रोडक्शन कराने लगे, काश्वी आओ तुम्हें किसी से मिलवाता हूं, ''ये निष्कर्ष है, इनकी कंपनी ही ये कॉम्पिटीशन, एग्जिबिशन और वर्कशॉप स्पॉन्सर करती है, नये यंग टेलेंटिड फोटोग्राफर्स को प्रमोट करते है ये, और निष्कर्ष ये काश्वी है, ये फोटो इन्हीं की है, फर्स्ट प्राइज विनर है ये छोटी सी फोटोग्राफर”, काश्वी गुस्से में थी और निष्कर्ष झेप रहा था क्योंकि वो समझ गया था कि काश्वी ने उसकी बात सुन ली है”