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भाग–24 प्‍यार के पड़ाव

1 फरवरी 2023

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एक और पड़ाव पार कर लिया निष्कर्ष और काश्वी ने अपनी दोस्ती का, एक महीने के अंदर ही दोनों इतने गहरे दोस्त बन गये कि अब एक दूसरे की जिंदगी से अच्छी तरह परिचित हैं  

रात तो गहरी हो रही है लेकिन काश्वी को नींद नहीं आ रही, उसे वो हर पल याद आ रहा है जो उसने यहां निष्कर्ष के साथ गुजारा, अजनबी से दोस्त और अब अच्छे दोस्त बनने का सफर तय किया 

कुछ देर बाद काश्वी अपने ख्यालों से हकीकत में आई तो उसे याद आया कि कल सुबह उसे वापस दिल्‍ली जाना है
और निष्कर्ष उसके साथ नहीं लौट रहा, अब काश्वी सोचने लगी कि पता नहीं कब फिर निष्कर्ष से मुलाकात होगी, उसने निष्कर्ष को एक एसएमएस किया जिसमें थैंक्स लिखा  

“अगले ही पल जवाब भी आ गया, थैंक्स क्यूं?”, निष्कर्ष ने लिखा 

काश्वी हैरान हो गई कि उसकी तरह निष्कर्ष भी इतनी देर तक जाग रहा है 

“आप सोए नहीं?” उसने पूछा  

“नहीं, अभी नहीं, पर थैंक्स क्यूं?” निष्कर्ष ने मैसेज
किया  

“एक महीने मेरे साथ रहने के लिये, मुझसे बात करने के लिये और मुझे इतना कुछ सिखाने के लिये”, काश्वी ने जवाब दिया 

“कितनी बार थैंक्स कहोगी, ये तो हमेशा के लिये है”, निष्कर्ष ने लिखा 

“हां, ये तो है, वैसे आप कब आओगे दिल्ली?” काश्वी ने पूछा 

“तुम सो जाओ सुबह 11 बजे निकलना है”, इतना लिख कर निष्कर्ष ने काश्वी को गुड नाइट कह दिया 

नींद तो काश्वी को अब भी नहीं आ रही पर वो कोशिश कर रही है सोने की, जैसे - तैसे रात गुजरी और एक नई सुबह हुई, सुबह तैयार होते - होते काश्वी को याद आया कि उसे जाने से पहले उत्कर्ष से भी मिलना है, अपना सामान पैक
करने के बाद काश्वी उत्कर्ष से मिलने उनके ऑफिस पहुंची, दरवाजे पर नॉक किया तो अंदर से उत्कर्ष की आवाज आई, 

उत्कर्ष काश्वी को देखकर बेहद खुश हो गये, उन्होंने काश्वी को बैठने के लिये कहा और पूछा, “कैसा लगा यहां काश्वी?” 

मुस्कुराते हुए काश्वी ने कहा, “बहुत अच्छा काफी कुछ सीखा यहां आपसे, काश एक महीने से ज्यादा होती ये वर्कशॉप तो और सीख पाती आपसे” 

 “अच्छा ऐसा है तो तुम्हारे लिये एक अच्छी खबर है, इसी के लिये बुलाया था मैंने तुम्हें”, उत्कर्ष ने कहा 

  “हां, बताइये”, काश्वी ने कहा 

 “दरअसल एक यूनिवर्सिटी है कैलीफोर्निया में जहां मैं पढ़ाता हूं, वहां मैंने तुम्हारा नाम रिक्मेंड किया था तो वहां से कंफरमेशन कॉल आई है वो लोग तुम्हें स्कॉलरशिप देना चाहते हैं एक साल का एडवांस कोर्स है अगर तुम चाहो तो, तुम्हारे करियर के लिये अच्छा होगा और कोई खर्चा भी नहीं वहां हॉस्टल वगैरह सब यूनिवसिर्टी में ही है, ये उसके पेपर्स हैं तुम घर पर बात करके डिसाइड कर लो और मुझे बता देना, मैं बता दूंगा आगे क्या करना है” 

काश्वी हैरान रह गई, इतना सब उत्कर्ष ने उसके लिये सोचा 

 “मुझे सच में विश्वास नहीं हो रहा कि ये सब आप मेरे लिये कर रहे हैं ये बहुत बड़ी बात है मेरे लिये, मैं जरूर बताउंगी आपको, एक बार घर पर बात करनी पड़ेगी, पर कैसे बताउं ये सच में बहुत बड़ा फेवर किया है आपने”  

“अरे फेवर कैसा तुम जैसे ही स्टूडेंटस की तलाश में रहते हैं हम, टेलेंट को हमेशा मौका मिलना चाहिए और ये एक छोटी सी कोशिश है मेरी तरफ से अगर तुम्हें ठीक लगे तो, ये मेरा कार्ड भी रखो, डिसाइड कर लो तो फोन करना, ऑल द बेस्ट” उत्कर्ष ने कहा   

काश्वी उत्कर्ष को थैंक्स और बाय बोलकर जाने लगी तो उत्कर्ष ने उसे रोका, फिर अपने कुर्सी से उठकर उसके पास आ गये, उनके हाथ में एक और लिफाफा था जो उन्होंने काश्वी की तरफ बढ़ा दिया 

काश्वी ने उस लिफाफे को देखकर पूछा ये क्या हैं सर?  

“खोलकर देखो” उत्कर्ष ने कहा   

उस लिफाफे में कुछ तस्वीरें थी उनके पूरे ग्रुप की, काश्वी बहुत खुश थी उन्हें देखकर 

“अरे वाह ये तो बहुत अच्छी है आपने ली?” काश्वी ने पूछा 

 “हां मैंने ली” उत्कर्ष ने जवाब दिया 

  “पर कब हमें तो पता ही नहीं चला” काश्वी ने पूछा 

  “असली इमोशन कैप्चर करने हो तो ऐसे समय फोटो खींचो जब सामने वाले को पता न हो, कैमरे के आगे लोग
अलर्ट मोड में आ जाते हैं और बनावटी हंसी हंसते हैं असली हंसी वो होती है जो बिंदास होती है, बस यूं ही, मैंने भी अपने कैमरे को ऐसे वक्त ही इस्तेमाल किया” उत्कर्ष ने कहा 

उन तस्वीरों में कुछ तस्वीरें निष्कर्ष के साथ काश्वी की थी, जिन्हें देखकर काश्वी थोड़ी रूक गई, उत्कर्ष ने काश्वी के चेहरे के बदलते रंग को पढ़ लिया और तभी कहा, ‘मैं जानता हूं निष्कर्ष और तुम अच्छे दोस्त बन गये हो, बहुत अच्छा लगा उसे हंसते हुए देखकर इसलिये खुद को रोक नहीं पाया, तुमसे काफी बात करता है न वो?” 

“ये तस्वीरें बहुत अच्छी है और निष्कर्ष को भी पंसद आएंगी, हम अच्छे दोस्त है और मुझे अच्छा लगा आपने ये तस्वीरें ली, ये बहुत सुंदर है, सच में आपने सही वक्त पर सही इमोशन कैप्चर किए” काश्वी ने खुश होकर कहा 

“सही वक्त क्या होता है काश्वी मुझे नहीं पता बस ये पता है कि हमेशा दिल की सुननी चाहिए वो कभी
गलत इशारा नहीं देता” उत्कर्ष ने कहा 

“हां आपने सही कहा और मुझे भी लगता है कि वक्त के साथ हम दिल के इशारों को समझने लगते है और जितनी जल्दी उसके मुताबिक चलना शुरू कर दें उतना अच्छा होता है, थैंक्स इन सबके लिये, मैं चलती हूं आपको फोन जरूर करूंगी दिल्ली पहुंचकर” ये कहकर काश्वी जाने लगी 

 उत्कर्ष ने भी मुस्कुराकर, सिर हिलाकर उसे बाय कहा  

रिश्तों को तोड़ने में वक्त नहीं लगता, टूटे रिश्तों पर वक्त की धूल भी आसानी से आ जाती है लेकिन इस धूल पर जब प्यार की ठंडी हवाएं पड़ती है तो धीरे - धीरे तस्वीर साफ होने लगती है, कभी कभी जो दूरी सदियों की लगती है वो एक हाथ बढ़ाने से पार हो जाती है, उत्कर्ष और निष्कर्ष के बीच की खाई भले ही गहरी हो लेकिन इसे भरने में ज्यादा समय नहीं लगेगा ये अब काश्वी को पता चल गया है, निष्कर्ष जो उत्कर्ष के बारे में सोच रहा है उससे फिर अलग नजर आये उत्कर्ष काश्वी को, काश्वी को पता चला कि अब भी निष्कर्ष उत्कर्ष के लिये वही अहमियत रखता है जो एक बेटा पिता के लिये रखता है, निष्कर्ष को खुश देखना चाहते हैं उससे पापा और इससे बड़ा सबूत और क्या होगा कि वो अब भी अपने बेटे से प्यार करते हैं   

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रचनाएँ
तलाश में हूं खुद की
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अपनी तलाश की है कभी, कभी खुद को ढूंढने निकले हैं, फुर्सत के लम्हों में कभी खुद से बात की है, कभी जाना क्या चाहता है दिल, हालातों में गुम होने पर तन्हाई की रात में खुद से टकराएं हैं कभी, कभी चलते चलते यूं ही रुक कर पीछे मुड़कर देखा है, सोचा कहां छोड़ आये खुद को, किस मोड़ पर खुद को खो दिया, किस मोड़ पर खुद से फिर मिले, हां, पता है, ये सब सोचने का टाइम किसके पास है, टाइम हो न हो, सवाल तो है, सोच का दायरा छोटा हो, पर जवाब बड़ा है, यूं ही चलते चलते कोई बता जाता है, यूं ही चलते चलते कोई समझा जाता है, यूं ही चलते चलते कोई खुद को खुद से मिलवा जाता है, ये कहानी भी ऐसी ही है अपने आप को तलाशने की, एक सफर अपने आप तक पहुंचने का। काश्‍वी और उत्‍कर्ष एक दूसरे के करीब आये और तब दोनों को एहसास हुआ कि उनकी जिदंगी कितनी अधूरी थी एक तलाश जो हमेशा से उन्‍हें थी धीरे – धीरे पूरी होने को है…
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भाग–1 बिंदास काश्‍वी

2 अगस्त 2022
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कहानी शुरु होती है एक स्कूल के प्रिंसिपल रुम से जहां एक 10 साल की बच्ची को उसी के पेरेंटस के सामने प्रिंसिपल डांट रही है, “मिस्टर कुमार आपकी बेटी इतनी शरारती है, इसकी वजह से एक बच्चे का हाथ टूट गया, इ

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भाग–2 काश्‍वी का नया दोस्‍त

3 अगस्त 2022
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काश्वी के बड़े होने के सिलसिले में कई मोड़ आए, कभी वो खुद से सवाल करती, तो कभी कोई उससे, कब खुश होती, कब उदास उसे खुद भी नहीं पता चलता, दूसरी लड़कियों से कुछ अलग थी, उसके पापा उससे अक्सर पूछते थे कि उ

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भाग–3 जिदंगी की तलाश

5 अगस्त 2022
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काश्वी ने अपने पापा को काम्पिटीशन के बारे में बताया, वो इतनी खुश थी कि उसके पापा ने झट से हां कर दी, रात भर पूरा परिवार उसकी तस्वीरों में से 10 ऐसी तस्वीरें ढूंढता रहा जो उसके टेलेंट को सही - सही दिखा

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भाग–4 धुंधली होती खुशियां

6 अगस्त 2022
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 निष्‍कर्ष की बात ने काश्‍वी की सारी खुशी को धुंधला कर दिया। थोड़ी देर पहले तक वो खुद पर इतरा रही थी लेकिन अब उसे खुद पर ही शक होने लगा। धीरे – धीरे निराशा उसे घेरने लगी और वो चुपचाप एक कोने में जाकर

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भाग–5 जिंदगी की झलक

17 अगस्त 2022
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काश्‍वी के करियर का ये मोड़ उसके परिवार को नए उत्‍साह से भर गया। घर लौटते हुए सब इसी के बात करते रहे। पापा ने काश्वी से पूछा “एक महीने की वर्कशॉप, कब से जाना है?” “दो दिन बाद रजिस्ट्रेशन कराने जाना है

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भाग –6 पहाड़ों का सफर

18 अगस्त 2022
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तेरह घंटे का सफर शुरू तो बहुत जोश के साथ हुआ लेकिन दिन चढ़ते-चढ़ते सबका जोश ठंडा होने लगा। बस में बातों का सिलसिला अहिस्ता अहिस्ता थमने लगा। अब बस, बस के चलने की आवाज और हवा का शोर सुनाई दे रहा है। हम

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भाग –7 बस एक नजर

21 अगस्त 2022
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पहाड़ों की शाम बहुत शांत होती है यहां सच में आप महसूस कर सकते हैं कि शाम हो गई है बड़े शहरों की तरह यहां ट्रेफिक का शोर नहीं होता जिसमें पंछियों की आवाज गुम हो जाती हैं। यहां शाम होते ही पंछी अपने घरो

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भाग –8 जिदंगी ढूंढने निकला जब भी…

22 अगस्त 2022
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काश्वी अब थोड़ी कंफर्टेबल हो गई, काश्वी ने उत्कर्ष से पूछा, “आपने मेरी फोटोग्राफ देखी हैं?” उत्कर्ष ने सिर हिला कर हां कहा और ये भी कहा कि काश्वी को पहला प्राइज देने का आखिरी फैसला उन्होंने ही लिया था

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भाग –9 पुराना कैमरा और नया दोस्‍त

23 अगस्त 2022
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“फोटोग्राफी एक प्रोफेशन से ज्यादा पेशन है, अगर चीजों को देखकर आपको उसमें कुछ खास नजर नहीं आता तो आप एक अच्छे फोटोग्राफर नहीं बन सकते, कैमरे की नजर से पहले अपनी नजर और नजरिये को समझना जरुरी है यहां क्ल

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भाग–10 तुम सवाल बहुत करती हो

24 अगस्त 2022
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रात के बाद फिर सुबह हुई, काश्वी और दूसरे फोटोग्राफर को आज बाहर भेजा जा रहा है जहां वो अपने फोटोग्राफी के हुनर को निखार सके, अपने अपने कैमरे के साथ सब निकलने के लिये लॉबी में इकट्ठा हो गये, काश्वी की न

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भाग–11 नीला आसमान और तुम

25 अगस्त 2022
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अपना पहला एसाइनमेंट देखने के लिये सभी एक्‍साइटेड हैं लेकिन वापस आने के बाद से काश्वी काफी बेचैन  है, वो काफी देर से हॉल के बाहर कोरिडोर के एक छोर से दूसरे छोर तक चक्कर लगा रही है,  निष्कर्ष काफी देर त

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भाग–12 क्‍या हम दोस्‍त हैं?

26 अगस्त 2022
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करीब दो घंटे तक सबकी तस्वीरों पर खूब चर्चा हुई गलतियों और खूबियों को बताने के बाद उत्कर्ष वहां से चले गये, निष्कर्ष अब भी चुप रहा उसने काश्वी से कोई बात नहीं की, दोनों वहां से कोरिडोर की तरफ निकले, क

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भाग–13 मेरा घर कहीं खो गया है !

28 अगस्त 2022
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निष्कर्ष को ऐसे देखकर काश्वी परेशान हो गई और उसने पूछ ही लिया “क्या हुआ? बात क्या है अचानक सीरीयस क्‍यों हो गये?”  “कुछ नहीं बस यूं ही” निष्कर्ष ने जवाब दिया  “नहीं.. कुछ तो है आप और आपके पापा के बी

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भाग–14 नाराज क्‍यूं हो तुम?

28 अगस्त 2022
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 “पापा तो जैसे अपने कैमरे को भूल ही गये थे, उनके लिये अपने परिवार के लिये पैसा कमाना ज्यादा जरूरी था पर मां को लग रहा था कि ऐसे वो अपने सपनों के साथ समझौता कर रहे हैं, जिस कैमरे की वजह से वो दोनों मिल

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भाग–15 काश्वी तुम यहां कैसे आई?

28 अगस्त 2022
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 निष्‍कर्ष सीधा अपने कमरे में चला गया उसने किसी से कोई बात नहीं की, कुछ देर बाद काश्‍वी भी अपने कमरे में आ गई रात भर वो निष्‍कर्ष के मैसेज या फोन का इंतजार करती रही। रात गुजर गई और सुबह के 9 बजे तक भ

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भाग–16 बोलो दोगे मेरा साथ

9 सितम्बर 2022
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निष्कर्ष इधर–उधर सब तरफ काश्वी को ढूंढने लगा, उसने काश्‍वी को फोन भी किया लेकिन फोन लगा नहीं, वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्‍लाकर काश्‍वी को बुलाने लगा लेकिन काश्‍वी का कुछ पता नहीं लग रहा था, उसने थोड़ी दूर जा

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भाग–17 कुछ सामने है तो कुछ छुपा है

13 सितम्बर 2022
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रात को अकेले अपने कमरे में काश्वी ने उन किताबों में से एक को पढ़ना शुरू किया, उसे पढ़ते हुए काश्वी को निष्कर्ष की बात याद आने लगी, निष्‍कर्ष ने उसे ये किताबें इसलिये दी जिससे वो अकेला ना महसूस करें और

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भाग–18 दोस्‍ती में दीवार ?

29 अक्टूबर 2022
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निष्‍कर्ष को इस तरह अचानक देखकर उत्कर्ष को कोई फर्क नहीं पड़ा लेकिन काश्वी एक दम शॉक थी। निष्‍कर्ष का चेहरा देखकर उसे समझ आ गया कि वो क्या सोच रहा है, उत्‍कर्ष के साथ काश्‍वी को ऐसे देखकर निष्‍कर्ष को

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भाग–19 आखिरी असाइनमेंट

3 नवम्बर 2022
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जो बात हमें तकलीफ देती है उसे दिमाग से निकालना इतना आसान नहीं होता और उसे भूलकर किसी और चीज पर ध्‍यान लगाना काफी मुश्किल होता है, निष्कर्ष और उसके पापा का रिश्‍ता अब उस स्‍टेज पर पहुंच गया है जहां दोन

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भाग–20 मुझसे मिलोगे दिल्ली में?

4 नवम्बर 2022
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एक तरफ बर्फ से ढके पहाड़ इौर दूसरी तरफ रंग बिरंगा छोटा सा बाज़ार, निष्‍कर्ष और काश्‍वी अपनी थीम की तलाश करते आगे बढ़ने लगे। दुकानों के बाहर लटके रंग बिरंगी चीजें, ठंड का एहसास कराते गर्म कपड़ों से सजे

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भाग–21 कहानी अनकही

14 नवम्बर 2022
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निष्कर्ष ने काश्वी से पूछा एक बात बताओ, “तुम तो दिल्ली में रही हो हमेशा, फिर नेचर से कितनी करीबी कैसे हो गई? दिल्ली की लड़कियों को तो बड़े बड़े मॉल्स और फोरेन ट्रिप्स पर जाने का शौक होता है और तुम यहा

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भाग–22 एक खूबसूरत रिश्‍ता

30 जनवरी 2023
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सुबह जब निष्‍कर्ष उठा तो उसने अपने फोन पर कई मिस कॉल देखी, रात के ढाई बजे काश्‍वी क्‍यों फोन कर रही थी? ये सोचकर निष्‍कर्ष कुछ परेशान भी हुआ उसने तुंरत काश्‍वी को कॉल किया लेकिन फोन उठा नहीं, शायद अब

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भाग–23 सबसे बड़ी उलझन

30 जनवरी 2023
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कुछ देर तक सब शांत रहा, काश्वी की नजर पहले उत्कर्ष पर गई जो चुप हैं शायद किसी गहरी सोच में हैं, फिर उसने निष्कर्ष को देखा जो उसे ही देख रहा है, निष्कर्ष भी चुप है, कुछ सैकेंड बाद हॉल की शांति तालियों

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भाग–24 प्‍यार के पड़ाव

1 फरवरी 2023
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एक और पड़ाव पार कर लिया निष्कर्ष और काश्वी ने अपनी दोस्ती का, एक महीने के अंदर ही दोनों इतने गहरे दोस्त बन गये कि अब एक दूसरे की जिंदगी से अच्छी तरह परिचित हैं   रात तो गहरी हो रही है लेकिन काश्वी को

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भाग–25 वापसी

2 फरवरी 2023
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काश्वी मुस्कुराते हुए उत्कर्ष के ऑफिस से बाहर निकली, उसे खुशी है कि निष्कर्ष अपने पापा के बारे में जो सोच रहा है वो गलत है और एक न एक दिन दोनों फिर साथ होंगे, ये कैसे होगा ये काश्वी को नहीं पता पर एक

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भाग–26 “ये क्या है काश्वी?”

8 फरवरी 2023
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 पापा के जाने के बाद काश्वी ने अपना फोन चेक किया, निष्कर्ष का मैसेज था, उसे भी नींद नहीं आ रही थी इसलिये मैसेज किया, काश्वी ने टाइम देखा तो रात के तीन बज रहे थे, उसने सोचा अब सुबह ही बात करेगी निष्कर्

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भाग–27 दूर कैसे रह पाएंगे?

10 अप्रैल 2023
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काश्वी ने देखा तो उसका ईमेल खुला हुआ है वहीं मेल जो उत्कर्ष ने उसे किया… मेल में उत्कर्ष ने काश्वी को रिमांइड कराया कि उसे जल्द एडमिशन के बारे में फैसला करना है… काश्वी सब समझ गई… उसका डर अब उसके सामन

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भाग–28 यादगार सफर

26 जुलाई 2023
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निष्कर्ष के कहने पर काश्वी ने उत्कर्ष को रिप्लाई किया और एडमिशन के लिये हां कर दिया… कुछ घंटे बाद ही रिप्लाई आया जिसमें कंफरमेशन के साथ काश्वी को 15 दिन में ज्वाइन करने को कहा गया रिप्लाई आते ही काश्

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भाग–29 सच से सामना

12 सितम्बर 2023
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फ्लाइट में पूरा समय निष्कर्ष ने काश्वी से उदयपुर की बात की… उसने बताया कि वो जब भी उदयपुर आता था तो उसकी मां उसे अपने बचपन की कहानियां सुनाती थी… “रेगिस्तान के बीच पहाड़ों और झीलों से घिरा एक छोटा सा

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भाग–30 हर वक्त साथ रहूंगा

21 सितम्बर 2023
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निष्कर्ष कुछ उदास है… काश्वी ने ठीक कहा था उसे नींद नहीं आ रही है… बहुत बैचेनी है… जब कुछ समझ नहीं आया तो निष्कर्ष ने अपने पापा को फोन किया…   कुछ देर घंटी बजने के बाद उत्कर्ष ने फोन उठाया वो कुछ घबर

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भाग–31 उत्‍कर्ष का सच

3 नवम्बर 2023
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 काश्वी चली गई और निष्कर्ष अपने घर लौट आया… कई घंटे की यात्रा के बाद काश्वी पहुंच गई… एयरपोर्ट पर पहुंचते ही सबसे पहले उसने निष्कर्ष को फोन किया… निष्कर्ष ने उसे वहीं रूकने को कहा… काश्वी कुछ पूछ प

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भाग–32 नया चैप्‍टर

3 नवम्बर 2023
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 सुबह हुई और काश्वी की जिंदगी का नया चैप्टर शुरू हुआ,,, नया देश,, नया कॉलेज और नये लोग पर एक डोर थी जो उसे घबराने या डरने नहीं दे रही थी पहली बार वो नये माहौल में भी इतनी कांफिडेंट थी,,,, वो डोर

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भाग–33 मुझे तुम्हारे पास होना चाहिए था

3 नवम्बर 2023
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 हम हमेशा सोचते है कि हमसे ज्यादा दुख और तकलीफ किसी को नहीं,,,दूसरा हमेशा खुद से खुश ही लगता है,,,किसी की तकलीफ का एहसास तभी होता है जब आप उसी तकलीफ को महसूस करते है,,और उस वक्त जो इसे समझ जाये वो

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भाग–34 सामना करो अपने डर का

3 नवम्बर 2023
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 निष्कर्ष को देखकर काश्वी काफी खुश थी डॉक्टर्स भी हैरान थे उसकी इंप्रूवमेंट देखकर,,, अगले ही दिन काश्वी को आईसीयू से वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया गया,,,,कोई ऐसा पास हो जिससे जिंदगी की हर सांस जुड़ी हो त

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भाग–35 तलाश आज पूरी हुई

3 नवम्बर 2023
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 जब सवालों की भीड़ लग जाये तो जवाब तलाशने पड़ते हैं और जवाब कहां मिलेगा ये सबसे बड़ा सवाल होता है,,,निष्कर्ष के सामने भी अब ये हालात थे काश्वी के सवालों के जवाब उसके पास नहीं थे और जो सवाल उसके मन म

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