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भाग–14 नाराज क्‍यूं हो तुम?

28 अगस्त 2022

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 “पापा तो जैसे अपने कैमरे को भूल ही गये थे, उनके लिये अपने परिवार के लिये पैसा कमाना ज्यादा जरूरी था पर मां को लग रहा था कि ऐसे वो अपने सपनों के साथ समझौता कर रहे हैं, जिस कैमरे की वजह से वो दोनों मिले उसकी जगह धूल खा रही अलमारी में नहीं 

एक रात जब पापा घर लौटे तो मां ने जिद करके उनसे छुट्टी लेकर उसी जगह जाने को कहा जहां वो पहली बार मिले थे,
पापा मान गये और हम सब फिर यही आ गये, उस वक्त मैं 4 साल का था, जब यहां आये तो पापा के हाथ में फिर
उन्होंने उनका प्यारा कैमरा दे दिया और कहा कि आपको जो अच्छा लगा उसकी फोटो लो, बस यूं ही, पापा हैरान थे पर कैमरा देखने के बाद उनसे भी रहा नहीं गया और इस बार उन्होंने किसी दबाव में आकर नहीं बस खुलकर जो दिल किया
उसकी तस्वीर ली। 

निष्कर्ष की बात जारी रही काश्वी बड़े ध्यान से उसे सुनती रही, अंधेरा बढ़ने लगा और हल्की धुंध के साथ ठंड भी, निष्‍कर्ष कुछ पल चुप हो गया जैसे वो उसी वक्‍त में दोबारा पहुंच गया है, 

काश्वी ने पूछा, “फिर आगे क्या हुआ?” 

“आगे… उस टूर पर पापा ने सारी टेंशन भूलकर अपने कैमरे के साथ दिन बिताए,
मेरी और मां की खूब फोटो खींची, कुछ दिन बाद जब घर लौटे तो पापा फिर अपने काम में बिजी हो गये। उन्होंने
फिर अपना कैमरा अलमारी में रखने की सोची लेकिन इस बार मां ने उन्हें रोक दिया और कहा कि इसे बाहर ही रहने दो, पापा रुक गये पर कुछ समझ नहीं पाये, बिना कुछ कहे ही वो कैमरा मां को देकर चले गये। 

मां जानती थी कि पापा सबसे ज्यादा खुश तभी होते हैं जब उनके हाथ में उनका कैमरा होता है और शायद उन्हें ये लगता था कि वो उन दोनों के बीच में आ गई इसलिये दूरी बढ़ गई, पर अब मां को एक रास्ता मिल गया, एक कोशिश की उन्होंने इस दूरी को कम करने की। उन्होंने पापा की कुछ तस्वीर सिलेक्ट कर एक कॉम्पीटीशन के लिये भेज दी, पापा को बिना बताएं”, निष्कर्ष की बात को बीच में काटते हुए काश्वी बोली, “अच्छा वाह फिर..” 

“फिर क्या, जो टेलेंट मां को दिखा वो पूरी दुनिया ने देखा, कॉम्पटीशन जीतने के साथ ही पापा को नौकरी का ऑफर भी मिला और ये बात हमारी जिंदगी में नया मोड़ लेकर आई। एक के बाद उनकी तस्वीरों की एग्जिबिशन लगती रही, पापा खुश होते तो मां और ज्यादा खुश हो जाती, सब जगह वो फेमस हो रहे थे कुछ ही सालों में सब बदल गया”, कहते कहते निष्कर्ष फिर खामोश हो गया 

“बदल गया पर सब खुश थे ना?” काश्वी ने पूछा 

“हां कामयाबी किसे अच्छी नहीं लगती पर आवाजों के पीछे की खामोशी सबको दिखाई नहीं देती, रौनक बढ़ी, पापा का नाम भी हुआ लेकिन इन सबने मां और पापा को दूर कर दिया, पापा ज्यादातर बाहर रहने लगे और मां मेरे साथ उनका इंतजार करती रही”, निष्कर्ष की ये बात सुनकर काश्वी को अब कुछ कुछ समझ आने लगा, जो उदासी निष्कर्ष को घेरती है वो
उस अकेलेपन की वजह से है जो पापा के न होने की वजह से हुआ  

निष्कर्ष से बहुत कुछ पूछना चाहती थी काश्वी पर उसे लगा ये शायद सही समय नहीं होगा, निष्कर्ष पहले से ही उदासी की तरफ बढ़ रहा था ऐसे में उसे और उदास करना काश्वी को ठीक नहीं लगा, उसे लगा बात बदल दें तो शायद माहौल कुछ ठीक हो 

‘मुझे ठंड लग रही हैं क्या अंदर चले?” काश्वी ने कहा 

“हां.. ओह सॉरी मैं अपनी बातों में खो गया था तुम्हारा ध्यान ही नहीं रहा, चलो रात भी बढ़ रही हैं अंदर चलते हैं” 

कुछ देर बाद पूरा ग्रुप एक साथ आ गया, इस खूबसूरत रात को और खूबसूरत बनाने का इंतजाम किया गया, खुले आसमान के नीचे आग जलाकर सब उसके आस पास बैठकर हाथ सेंकने लगे, आग की गर्माहट मौसम की ठंडक को कम करने लगी, उस पर सबके मिलने के बाद हंसी ठहाकों का सिलसिला शुरु हुआ लेकिन निष्कर्ष बमुश्किल ही मुस्कुरा पा रहा था,
अचानक सबको न जाने क्या हुआ, सबका फोकस निष्कर्ष की तरफ हो गया, कुछ लोग तो इशारों-इशारों में उसे काश्वी का नाम लेकर छेड़ने भी लगे पर निष्कर्ष ने किसी की बात का जवाब नहीं दिया, बस मुस्कुराकर सबकी बात सुनता रहा, कहने को निष्कर्ष वहां था पर उसका मन वहीं कहीं उसके अतीत में खोया था, काश्वी जानती थी उसे कैसा लग रहा होगा, तो उसने एक तरकीब सोची जिससे निष्कर्ष भी बाकी सबकी तरह खुश हो, काश्वी ने सबको एक गेम खेलने के लिये कहा, कहीं से एक
बोतल मंगाई गई जिसे स्पिन कर ट्रूथ और डेयर खेलने की तैयारी हुई यानि जिसके पास बोतल घूमी उसे या तो एक सवाल का सच सच जवाब देना होगा या फिर सजा के लिये तैयार होना होगा 

एक एक कर सबके पास बोतल घूमने लगी, कुछ सच बोल कर अपने राज खोल रहे थे तो कुछ को सजा में गाना गाने या डांस करने से लेकर सबसे मोटे इंसान को गोद में उठाने तक को कहा गया, धीरे धीरे माहौल का रंग निष्कर्ष पर भी चढ़ा, अब वो भी खुल कर इसे इंजॉय करने लगा। 

जब काश्वी की बारी आई तो उसने सजा नहीं सच बोलने का फैसला किया, किसी ने पूछा उसे इस ट्रिप पर सबसे अच्छा
कौन लगा तो काश्वी निष्कर्ष की तरफ देखने लगी, सबको पता था कि काश्वी ज्यादा किसी से बात नहीं करती लेकिन निष्कर्ष और वो घंटों बातें करते हैं, इसलिये ये सवाल काश्वी से किया पर वो पीछे नहीं हटी, थोड़े से इंतजार के बाद काश्वी खड़ी
हुई और कहा, “यहां जब आई तो सब अनजान थे पर अब धीरे धीरे दोस्त बन रहे हैं शुरुआत निष्कर्ष से हुई, उन्होंने काफी मदद की तो फिलहाल वही सबसे अच्छे हैं” 

निष्कर्ष काश्वी की बात सुनकर अपने चेहरे की रौनक को छुपाने की कोशिश करने लगा पर इसमें वो कामयाब होता नजर नहीं आ रहा था। गेम एक बार फिर शुरू हुआ, जो बच गये उनमें से कई तो ऐसी मुश्किल में फंसे की न तो सच बोल पा रहे थे और न ही सजा पूरी कर रहे थे, काश्वी को निष्कर्ष की बारी का इंतजार था और कुछ देर में वो आ भी गई 

निष्कर्ष की तरफ बोतल घूमी तो उससे सवाल करने के लिये सब एक्साइटेड हो गये पर ये मौका किसी एक को ही मिलना है,
निष्कर्ष तैयार है सच का सामना करने के लिये और उससे सवाल करने का मौका मिला काश्वी को 

काश्वी ने थोड़ा रुक कर कुछ सोच कर निष्कर्ष से सवाल किया, “किसी अपने से नाराज हो तो उसे बता देना
चाहिए या फिर नाराज होकर उससे दूर चले जाना चाहिए?” 

काश्वी के इस सवाल ने निष्कर्ष को हिलाकर रख दिया, उसे एहसास भी नहीं था कि काश्वी ऐसा कुछ पूछेगी 

निश्कर्ष बिना कुछ कहे ही वहां से चला गया, सब देखते रह गये और काश्वी सहम गई उसे लगा इस बार उसने अपनी हद पार कर दी है, उसने निष्‍कर्ष की दुखती रग पर हाथ रख दिया है।  

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रचनाएँ
तलाश में हूं खुद की
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अपनी तलाश की है कभी, कभी खुद को ढूंढने निकले हैं, फुर्सत के लम्हों में कभी खुद से बात की है, कभी जाना क्या चाहता है दिल, हालातों में गुम होने पर तन्हाई की रात में खुद से टकराएं हैं कभी, कभी चलते चलते यूं ही रुक कर पीछे मुड़कर देखा है, सोचा कहां छोड़ आये खुद को, किस मोड़ पर खुद को खो दिया, किस मोड़ पर खुद से फिर मिले, हां, पता है, ये सब सोचने का टाइम किसके पास है, टाइम हो न हो, सवाल तो है, सोच का दायरा छोटा हो, पर जवाब बड़ा है, यूं ही चलते चलते कोई बता जाता है, यूं ही चलते चलते कोई समझा जाता है, यूं ही चलते चलते कोई खुद को खुद से मिलवा जाता है, ये कहानी भी ऐसी ही है अपने आप को तलाशने की, एक सफर अपने आप तक पहुंचने का। काश्‍वी और उत्‍कर्ष एक दूसरे के करीब आये और तब दोनों को एहसास हुआ कि उनकी जिदंगी कितनी अधूरी थी एक तलाश जो हमेशा से उन्‍हें थी धीरे – धीरे पूरी होने को है…
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भाग–1 बिंदास काश्‍वी

2 अगस्त 2022
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कहानी शुरु होती है एक स्कूल के प्रिंसिपल रुम से जहां एक 10 साल की बच्ची को उसी के पेरेंटस के सामने प्रिंसिपल डांट रही है, “मिस्टर कुमार आपकी बेटी इतनी शरारती है, इसकी वजह से एक बच्चे का हाथ टूट गया, इ

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भाग–2 काश्‍वी का नया दोस्‍त

3 अगस्त 2022
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काश्वी के बड़े होने के सिलसिले में कई मोड़ आए, कभी वो खुद से सवाल करती, तो कभी कोई उससे, कब खुश होती, कब उदास उसे खुद भी नहीं पता चलता, दूसरी लड़कियों से कुछ अलग थी, उसके पापा उससे अक्सर पूछते थे कि उ

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भाग–3 जिदंगी की तलाश

5 अगस्त 2022
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काश्वी ने अपने पापा को काम्पिटीशन के बारे में बताया, वो इतनी खुश थी कि उसके पापा ने झट से हां कर दी, रात भर पूरा परिवार उसकी तस्वीरों में से 10 ऐसी तस्वीरें ढूंढता रहा जो उसके टेलेंट को सही - सही दिखा

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भाग–4 धुंधली होती खुशियां

6 अगस्त 2022
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 निष्‍कर्ष की बात ने काश्‍वी की सारी खुशी को धुंधला कर दिया। थोड़ी देर पहले तक वो खुद पर इतरा रही थी लेकिन अब उसे खुद पर ही शक होने लगा। धीरे – धीरे निराशा उसे घेरने लगी और वो चुपचाप एक कोने में जाकर

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भाग–5 जिंदगी की झलक

17 अगस्त 2022
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काश्‍वी के करियर का ये मोड़ उसके परिवार को नए उत्‍साह से भर गया। घर लौटते हुए सब इसी के बात करते रहे। पापा ने काश्वी से पूछा “एक महीने की वर्कशॉप, कब से जाना है?” “दो दिन बाद रजिस्ट्रेशन कराने जाना है

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भाग –6 पहाड़ों का सफर

18 अगस्त 2022
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तेरह घंटे का सफर शुरू तो बहुत जोश के साथ हुआ लेकिन दिन चढ़ते-चढ़ते सबका जोश ठंडा होने लगा। बस में बातों का सिलसिला अहिस्ता अहिस्ता थमने लगा। अब बस, बस के चलने की आवाज और हवा का शोर सुनाई दे रहा है। हम

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भाग –7 बस एक नजर

21 अगस्त 2022
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पहाड़ों की शाम बहुत शांत होती है यहां सच में आप महसूस कर सकते हैं कि शाम हो गई है बड़े शहरों की तरह यहां ट्रेफिक का शोर नहीं होता जिसमें पंछियों की आवाज गुम हो जाती हैं। यहां शाम होते ही पंछी अपने घरो

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भाग –8 जिदंगी ढूंढने निकला जब भी…

22 अगस्त 2022
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काश्वी अब थोड़ी कंफर्टेबल हो गई, काश्वी ने उत्कर्ष से पूछा, “आपने मेरी फोटोग्राफ देखी हैं?” उत्कर्ष ने सिर हिला कर हां कहा और ये भी कहा कि काश्वी को पहला प्राइज देने का आखिरी फैसला उन्होंने ही लिया था

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भाग –9 पुराना कैमरा और नया दोस्‍त

23 अगस्त 2022
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“फोटोग्राफी एक प्रोफेशन से ज्यादा पेशन है, अगर चीजों को देखकर आपको उसमें कुछ खास नजर नहीं आता तो आप एक अच्छे फोटोग्राफर नहीं बन सकते, कैमरे की नजर से पहले अपनी नजर और नजरिये को समझना जरुरी है यहां क्ल

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भाग–10 तुम सवाल बहुत करती हो

24 अगस्त 2022
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रात के बाद फिर सुबह हुई, काश्वी और दूसरे फोटोग्राफर को आज बाहर भेजा जा रहा है जहां वो अपने फोटोग्राफी के हुनर को निखार सके, अपने अपने कैमरे के साथ सब निकलने के लिये लॉबी में इकट्ठा हो गये, काश्वी की न

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भाग–11 नीला आसमान और तुम

25 अगस्त 2022
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अपना पहला एसाइनमेंट देखने के लिये सभी एक्‍साइटेड हैं लेकिन वापस आने के बाद से काश्वी काफी बेचैन  है, वो काफी देर से हॉल के बाहर कोरिडोर के एक छोर से दूसरे छोर तक चक्कर लगा रही है,  निष्कर्ष काफी देर त

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भाग–12 क्‍या हम दोस्‍त हैं?

26 अगस्त 2022
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करीब दो घंटे तक सबकी तस्वीरों पर खूब चर्चा हुई गलतियों और खूबियों को बताने के बाद उत्कर्ष वहां से चले गये, निष्कर्ष अब भी चुप रहा उसने काश्वी से कोई बात नहीं की, दोनों वहां से कोरिडोर की तरफ निकले, क

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भाग–13 मेरा घर कहीं खो गया है !

28 अगस्त 2022
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निष्कर्ष को ऐसे देखकर काश्वी परेशान हो गई और उसने पूछ ही लिया “क्या हुआ? बात क्या है अचानक सीरीयस क्‍यों हो गये?”  “कुछ नहीं बस यूं ही” निष्कर्ष ने जवाब दिया  “नहीं.. कुछ तो है आप और आपके पापा के बी

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भाग–14 नाराज क्‍यूं हो तुम?

28 अगस्त 2022
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 “पापा तो जैसे अपने कैमरे को भूल ही गये थे, उनके लिये अपने परिवार के लिये पैसा कमाना ज्यादा जरूरी था पर मां को लग रहा था कि ऐसे वो अपने सपनों के साथ समझौता कर रहे हैं, जिस कैमरे की वजह से वो दोनों मिल

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भाग–15 काश्वी तुम यहां कैसे आई?

28 अगस्त 2022
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 निष्‍कर्ष सीधा अपने कमरे में चला गया उसने किसी से कोई बात नहीं की, कुछ देर बाद काश्‍वी भी अपने कमरे में आ गई रात भर वो निष्‍कर्ष के मैसेज या फोन का इंतजार करती रही। रात गुजर गई और सुबह के 9 बजे तक भ

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भाग–16 बोलो दोगे मेरा साथ

9 सितम्बर 2022
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निष्कर्ष इधर–उधर सब तरफ काश्वी को ढूंढने लगा, उसने काश्‍वी को फोन भी किया लेकिन फोन लगा नहीं, वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्‍लाकर काश्‍वी को बुलाने लगा लेकिन काश्‍वी का कुछ पता नहीं लग रहा था, उसने थोड़ी दूर जा

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भाग–17 कुछ सामने है तो कुछ छुपा है

13 सितम्बर 2022
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रात को अकेले अपने कमरे में काश्वी ने उन किताबों में से एक को पढ़ना शुरू किया, उसे पढ़ते हुए काश्वी को निष्कर्ष की बात याद आने लगी, निष्‍कर्ष ने उसे ये किताबें इसलिये दी जिससे वो अकेला ना महसूस करें और

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भाग–18 दोस्‍ती में दीवार ?

29 अक्टूबर 2022
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निष्‍कर्ष को इस तरह अचानक देखकर उत्कर्ष को कोई फर्क नहीं पड़ा लेकिन काश्वी एक दम शॉक थी। निष्‍कर्ष का चेहरा देखकर उसे समझ आ गया कि वो क्या सोच रहा है, उत्‍कर्ष के साथ काश्‍वी को ऐसे देखकर निष्‍कर्ष को

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भाग–19 आखिरी असाइनमेंट

3 नवम्बर 2022
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जो बात हमें तकलीफ देती है उसे दिमाग से निकालना इतना आसान नहीं होता और उसे भूलकर किसी और चीज पर ध्‍यान लगाना काफी मुश्किल होता है, निष्कर्ष और उसके पापा का रिश्‍ता अब उस स्‍टेज पर पहुंच गया है जहां दोन

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भाग–20 मुझसे मिलोगे दिल्ली में?

4 नवम्बर 2022
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एक तरफ बर्फ से ढके पहाड़ इौर दूसरी तरफ रंग बिरंगा छोटा सा बाज़ार, निष्‍कर्ष और काश्‍वी अपनी थीम की तलाश करते आगे बढ़ने लगे। दुकानों के बाहर लटके रंग बिरंगी चीजें, ठंड का एहसास कराते गर्म कपड़ों से सजे

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भाग–21 कहानी अनकही

14 नवम्बर 2022
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निष्कर्ष ने काश्वी से पूछा एक बात बताओ, “तुम तो दिल्ली में रही हो हमेशा, फिर नेचर से कितनी करीबी कैसे हो गई? दिल्ली की लड़कियों को तो बड़े बड़े मॉल्स और फोरेन ट्रिप्स पर जाने का शौक होता है और तुम यहा

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भाग–22 एक खूबसूरत रिश्‍ता

30 जनवरी 2023
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सुबह जब निष्‍कर्ष उठा तो उसने अपने फोन पर कई मिस कॉल देखी, रात के ढाई बजे काश्‍वी क्‍यों फोन कर रही थी? ये सोचकर निष्‍कर्ष कुछ परेशान भी हुआ उसने तुंरत काश्‍वी को कॉल किया लेकिन फोन उठा नहीं, शायद अब

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भाग–23 सबसे बड़ी उलझन

30 जनवरी 2023
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कुछ देर तक सब शांत रहा, काश्वी की नजर पहले उत्कर्ष पर गई जो चुप हैं शायद किसी गहरी सोच में हैं, फिर उसने निष्कर्ष को देखा जो उसे ही देख रहा है, निष्कर्ष भी चुप है, कुछ सैकेंड बाद हॉल की शांति तालियों

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भाग–24 प्‍यार के पड़ाव

1 फरवरी 2023
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एक और पड़ाव पार कर लिया निष्कर्ष और काश्वी ने अपनी दोस्ती का, एक महीने के अंदर ही दोनों इतने गहरे दोस्त बन गये कि अब एक दूसरे की जिंदगी से अच्छी तरह परिचित हैं   रात तो गहरी हो रही है लेकिन काश्वी को

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भाग–25 वापसी

2 फरवरी 2023
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काश्वी मुस्कुराते हुए उत्कर्ष के ऑफिस से बाहर निकली, उसे खुशी है कि निष्कर्ष अपने पापा के बारे में जो सोच रहा है वो गलत है और एक न एक दिन दोनों फिर साथ होंगे, ये कैसे होगा ये काश्वी को नहीं पता पर एक

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भाग–26 “ये क्या है काश्वी?”

8 फरवरी 2023
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 पापा के जाने के बाद काश्वी ने अपना फोन चेक किया, निष्कर्ष का मैसेज था, उसे भी नींद नहीं आ रही थी इसलिये मैसेज किया, काश्वी ने टाइम देखा तो रात के तीन बज रहे थे, उसने सोचा अब सुबह ही बात करेगी निष्कर्

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भाग–27 दूर कैसे रह पाएंगे?

10 अप्रैल 2023
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काश्वी ने देखा तो उसका ईमेल खुला हुआ है वहीं मेल जो उत्कर्ष ने उसे किया… मेल में उत्कर्ष ने काश्वी को रिमांइड कराया कि उसे जल्द एडमिशन के बारे में फैसला करना है… काश्वी सब समझ गई… उसका डर अब उसके सामन

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भाग–28 यादगार सफर

26 जुलाई 2023
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निष्कर्ष के कहने पर काश्वी ने उत्कर्ष को रिप्लाई किया और एडमिशन के लिये हां कर दिया… कुछ घंटे बाद ही रिप्लाई आया जिसमें कंफरमेशन के साथ काश्वी को 15 दिन में ज्वाइन करने को कहा गया रिप्लाई आते ही काश्

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भाग–29 सच से सामना

12 सितम्बर 2023
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फ्लाइट में पूरा समय निष्कर्ष ने काश्वी से उदयपुर की बात की… उसने बताया कि वो जब भी उदयपुर आता था तो उसकी मां उसे अपने बचपन की कहानियां सुनाती थी… “रेगिस्तान के बीच पहाड़ों और झीलों से घिरा एक छोटा सा

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भाग–30 हर वक्त साथ रहूंगा

21 सितम्बर 2023
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निष्कर्ष कुछ उदास है… काश्वी ने ठीक कहा था उसे नींद नहीं आ रही है… बहुत बैचेनी है… जब कुछ समझ नहीं आया तो निष्कर्ष ने अपने पापा को फोन किया…   कुछ देर घंटी बजने के बाद उत्कर्ष ने फोन उठाया वो कुछ घबर

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भाग–31 उत्‍कर्ष का सच

3 नवम्बर 2023
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 काश्वी चली गई और निष्कर्ष अपने घर लौट आया… कई घंटे की यात्रा के बाद काश्वी पहुंच गई… एयरपोर्ट पर पहुंचते ही सबसे पहले उसने निष्कर्ष को फोन किया… निष्कर्ष ने उसे वहीं रूकने को कहा… काश्वी कुछ पूछ प

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भाग–32 नया चैप्‍टर

3 नवम्बर 2023
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 सुबह हुई और काश्वी की जिंदगी का नया चैप्टर शुरू हुआ,,, नया देश,, नया कॉलेज और नये लोग पर एक डोर थी जो उसे घबराने या डरने नहीं दे रही थी पहली बार वो नये माहौल में भी इतनी कांफिडेंट थी,,,, वो डोर

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भाग–33 मुझे तुम्हारे पास होना चाहिए था

3 नवम्बर 2023
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 हम हमेशा सोचते है कि हमसे ज्यादा दुख और तकलीफ किसी को नहीं,,,दूसरा हमेशा खुद से खुश ही लगता है,,,किसी की तकलीफ का एहसास तभी होता है जब आप उसी तकलीफ को महसूस करते है,,और उस वक्त जो इसे समझ जाये वो

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भाग–34 सामना करो अपने डर का

3 नवम्बर 2023
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 निष्कर्ष को देखकर काश्वी काफी खुश थी डॉक्टर्स भी हैरान थे उसकी इंप्रूवमेंट देखकर,,, अगले ही दिन काश्वी को आईसीयू से वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया गया,,,,कोई ऐसा पास हो जिससे जिंदगी की हर सांस जुड़ी हो त

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भाग–35 तलाश आज पूरी हुई

3 नवम्बर 2023
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 जब सवालों की भीड़ लग जाये तो जवाब तलाशने पड़ते हैं और जवाब कहां मिलेगा ये सबसे बड़ा सवाल होता है,,,निष्कर्ष के सामने भी अब ये हालात थे काश्वी के सवालों के जवाब उसके पास नहीं थे और जो सवाल उसके मन म

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