“पापा तो जैसे अपने कैमरे को भूल ही गये थे, उनके लिये अपने परिवार के लिये पैसा कमाना ज्यादा जरूरी था पर मां को लग रहा था कि ऐसे वो अपने सपनों के साथ समझौता कर रहे हैं, जिस कैमरे की वजह से वो दोनों मिले उसकी जगह धूल खा रही अलमारी में नहीं
एक रात जब पापा घर लौटे तो मां ने जिद करके उनसे छुट्टी लेकर उसी जगह जाने को कहा जहां वो पहली बार मिले थे,
पापा मान गये और हम सब फिर यही आ गये, उस वक्त मैं 4 साल का था, जब यहां आये तो पापा के हाथ में फिर
उन्होंने उनका प्यारा कैमरा दे दिया और कहा कि आपको जो अच्छा लगा उसकी फोटो लो, बस यूं ही, पापा हैरान थे पर कैमरा देखने के बाद उनसे भी रहा नहीं गया और इस बार उन्होंने किसी दबाव में आकर नहीं बस खुलकर जो दिल किया
उसकी तस्वीर ली।
निष्कर्ष की बात जारी रही काश्वी बड़े ध्यान से उसे सुनती रही, अंधेरा बढ़ने लगा और हल्की धुंध के साथ ठंड भी, निष्कर्ष कुछ पल चुप हो गया जैसे वो उसी वक्त में दोबारा पहुंच गया है,
काश्वी ने पूछा, “फिर आगे क्या हुआ?”
“आगे… उस टूर पर पापा ने सारी टेंशन भूलकर अपने कैमरे के साथ दिन बिताए,
मेरी और मां की खूब फोटो खींची, कुछ दिन बाद जब घर लौटे तो पापा फिर अपने काम में बिजी हो गये। उन्होंने
फिर अपना कैमरा अलमारी में रखने की सोची लेकिन इस बार मां ने उन्हें रोक दिया और कहा कि इसे बाहर ही रहने दो, पापा रुक गये पर कुछ समझ नहीं पाये, बिना कुछ कहे ही वो कैमरा मां को देकर चले गये।
मां जानती थी कि पापा सबसे ज्यादा खुश तभी होते हैं जब उनके हाथ में उनका कैमरा होता है और शायद उन्हें ये लगता था कि वो उन दोनों के बीच में आ गई इसलिये दूरी बढ़ गई, पर अब मां को एक रास्ता मिल गया, एक कोशिश की उन्होंने इस दूरी को कम करने की। उन्होंने पापा की कुछ तस्वीर सिलेक्ट कर एक कॉम्पीटीशन के लिये भेज दी, पापा को बिना बताएं”, निष्कर्ष की बात को बीच में काटते हुए काश्वी बोली, “अच्छा वाह फिर..”
“फिर क्या, जो टेलेंट मां को दिखा वो पूरी दुनिया ने देखा, कॉम्पटीशन जीतने के साथ ही पापा को नौकरी का ऑफर भी मिला और ये बात हमारी जिंदगी में नया मोड़ लेकर आई। एक के बाद उनकी तस्वीरों की एग्जिबिशन लगती रही, पापा खुश होते तो मां और ज्यादा खुश हो जाती, सब जगह वो फेमस हो रहे थे कुछ ही सालों में सब बदल गया”, कहते कहते निष्कर्ष फिर खामोश हो गया
“बदल गया पर सब खुश थे ना?” काश्वी ने पूछा
“हां कामयाबी किसे अच्छी नहीं लगती पर आवाजों के पीछे की खामोशी सबको दिखाई नहीं देती, रौनक बढ़ी, पापा का नाम भी हुआ लेकिन इन सबने मां और पापा को दूर कर दिया, पापा ज्यादातर बाहर रहने लगे और मां मेरे साथ उनका इंतजार करती रही”, निष्कर्ष की ये बात सुनकर काश्वी को अब कुछ कुछ समझ आने लगा, जो उदासी निष्कर्ष को घेरती है वो
उस अकेलेपन की वजह से है जो पापा के न होने की वजह से हुआ
निष्कर्ष से बहुत कुछ पूछना चाहती थी काश्वी पर उसे लगा ये शायद सही समय नहीं होगा, निष्कर्ष पहले से ही उदासी की तरफ बढ़ रहा था ऐसे में उसे और उदास करना काश्वी को ठीक नहीं लगा, उसे लगा बात बदल दें तो शायद माहौल कुछ ठीक हो
‘मुझे ठंड लग रही हैं क्या अंदर चले?” काश्वी ने कहा
“हां.. ओह सॉरी मैं अपनी बातों में खो गया था तुम्हारा ध्यान ही नहीं रहा, चलो रात भी बढ़ रही हैं अंदर चलते हैं”
कुछ देर बाद पूरा ग्रुप एक साथ आ गया, इस खूबसूरत रात को और खूबसूरत बनाने का इंतजाम किया गया, खुले आसमान के नीचे आग जलाकर सब उसके आस पास बैठकर हाथ सेंकने लगे, आग की गर्माहट मौसम की ठंडक को कम करने लगी, उस पर सबके मिलने के बाद हंसी ठहाकों का सिलसिला शुरु हुआ लेकिन निष्कर्ष बमुश्किल ही मुस्कुरा पा रहा था,
अचानक सबको न जाने क्या हुआ, सबका फोकस निष्कर्ष की तरफ हो गया, कुछ लोग तो इशारों-इशारों में उसे काश्वी का नाम लेकर छेड़ने भी लगे पर निष्कर्ष ने किसी की बात का जवाब नहीं दिया, बस मुस्कुराकर सबकी बात सुनता रहा, कहने को निष्कर्ष वहां था पर उसका मन वहीं कहीं उसके अतीत में खोया था, काश्वी जानती थी उसे कैसा लग रहा होगा, तो उसने एक तरकीब सोची जिससे निष्कर्ष भी बाकी सबकी तरह खुश हो, काश्वी ने सबको एक गेम खेलने के लिये कहा, कहीं से एक
बोतल मंगाई गई जिसे स्पिन कर ट्रूथ और डेयर खेलने की तैयारी हुई यानि जिसके पास बोतल घूमी उसे या तो एक सवाल का सच सच जवाब देना होगा या फिर सजा के लिये तैयार होना होगा
एक एक कर सबके पास बोतल घूमने लगी, कुछ सच बोल कर अपने राज खोल रहे थे तो कुछ को सजा में गाना गाने या डांस करने से लेकर सबसे मोटे इंसान को गोद में उठाने तक को कहा गया, धीरे धीरे माहौल का रंग निष्कर्ष पर भी चढ़ा, अब वो भी खुल कर इसे इंजॉय करने लगा।
जब काश्वी की बारी आई तो उसने सजा नहीं सच बोलने का फैसला किया, किसी ने पूछा उसे इस ट्रिप पर सबसे अच्छा
कौन लगा तो काश्वी निष्कर्ष की तरफ देखने लगी, सबको पता था कि काश्वी ज्यादा किसी से बात नहीं करती लेकिन निष्कर्ष और वो घंटों बातें करते हैं, इसलिये ये सवाल काश्वी से किया पर वो पीछे नहीं हटी, थोड़े से इंतजार के बाद काश्वी खड़ी
हुई और कहा, “यहां जब आई तो सब अनजान थे पर अब धीरे धीरे दोस्त बन रहे हैं शुरुआत निष्कर्ष से हुई, उन्होंने काफी मदद की तो फिलहाल वही सबसे अच्छे हैं”
निष्कर्ष काश्वी की बात सुनकर अपने चेहरे की रौनक को छुपाने की कोशिश करने लगा पर इसमें वो कामयाब होता नजर नहीं आ रहा था। गेम एक बार फिर शुरू हुआ, जो बच गये उनमें से कई तो ऐसी मुश्किल में फंसे की न तो सच बोल पा रहे थे और न ही सजा पूरी कर रहे थे, काश्वी को निष्कर्ष की बारी का इंतजार था और कुछ देर में वो आ भी गई
निष्कर्ष की तरफ बोतल घूमी तो उससे सवाल करने के लिये सब एक्साइटेड हो गये पर ये मौका किसी एक को ही मिलना है,
निष्कर्ष तैयार है सच का सामना करने के लिये और उससे सवाल करने का मौका मिला काश्वी को
काश्वी ने थोड़ा रुक कर कुछ सोच कर निष्कर्ष से सवाल किया, “किसी अपने से नाराज हो तो उसे बता देना
चाहिए या फिर नाराज होकर उससे दूर चले जाना चाहिए?”
काश्वी के इस सवाल ने निष्कर्ष को हिलाकर रख दिया, उसे एहसास भी नहीं था कि काश्वी ऐसा कुछ पूछेगी
निश्कर्ष बिना कुछ कहे ही वहां से चला गया, सब देखते रह गये और काश्वी सहम गई उसे लगा इस बार उसने अपनी हद पार कर दी है, उसने निष्कर्ष की दुखती रग पर हाथ रख दिया है।