shabd-logo

भाग–13 मेरा घर कहीं खो गया है !

28 अगस्त 2022

12 बार देखा गया 12

निष्कर्ष को ऐसे देखकर काश्वी परेशान हो गई और उसने पूछ ही लिया “क्या हुआ? बात क्या है अचानक सीरीयस क्‍यों हो गये?” 

“कुछ नहीं बस यूं ही” निष्कर्ष ने जवाब दिया 

“नहीं.. कुछ तो है आप और आपके पापा के बीच में, आप जब भी उनकी बात करते हो कुछ बदले से दिखते हो, ऐसा क्या है?” काश्वी ने पूछा 

“नहीं ऐसा कुछ नहीं है बस कुछ याद आ जाता है कभी कभी तो… छोड़ो तुम परेशान मत हो, चलो कहीं और चलते हैं, यहां पीछे एक टेरिस है जहां से डूबता सूरज दिखता है कुछ देर में सन सेट होगा देखना है?” निष्कर्ष ने बात बदलते हुए कहा 

“हां मुझे देखना है पर एक शर्त पर आप मुझे पूरी बात बताओगे” काश्वी ने कहा 

“बात कुछ भी नहीं काश्वी”, निष्कर्ष ने जवाब दिया 

“बात तो है आप अगर बताना नहीं चाहते तो कोई बात नहीं” काश्वी ने थोड़ा निराश होकर कहा 

“ठीक है चलो बताता हूं” निष्कर्ष ने काश्वी को चलने का इशारा किया 

ढलते सूरज की कम होती रोशनी में हर चीज का रंग ढलता नजर आने लगा, शाम का रंग पीले से संतरी और फिर नीला होता लग रहा है, ढलती शाम का ये नजारा किसी खूबसूरत सिनरी की तरह लग रहा है, काश्वी इस नजारे को भी अपने कैमरे में कैद करने में पीछे नहीं रही, तभी निष्कर्ष की आवाज सुनकर वो रुक गई “देखो वो पंछी झुंड बनाकर अपने घोसलों को लौट रहे हैं, थक हार कर पूरा दिन गुजारकर अपने घर जा रहे हैं, सुकून से रात गुजारने, पर मेरा घर कहीं खो गया है, इतना आगे आ गया कि वापस लौटने का कोई रास्ता नहीं दिखता”, निष्कर्ष शून्य में ताकता हुआ सब कह रहा है 

काश्वी उस दर्द को महसूस कर रही है जो निष्कर्ष की आवाज में है, जो उसकी आंखों में है, काश्वी ने निष्कर्ष से पूछा, “आपका घर कहां खो गया?” 

“मां चली गई और उसके साथ घर भी”, निष्कर्ष ने जवाब दिया और फिर चुप हो गया 

“और पापा वो तो है न”, काश्वी ने फिर पूछा 

“हां वो है पर मेरे साथ नहीं”, निष्कर्ष ने एक लंबी सांस भरते हुए कहा 

“क्यों पर?” काश्वी ने पूछा 

“काश्वी ये जानने के लिये तुम्हें पूरी कहानी बतानी पड़ेगी”, निष्कर्ष ने कहा 

“मैं सुनना चाहती हूं शायद आपको भी इससे अच्छा लगा”, काश्वी ने जवाब दिया 

निष्‍कर्ष ने काश्‍वी को गौर से देखा फिर कहा “ठीक है तो शुरु से बताता हूं, वो लोकेशन जहां तुम्हारा पहला असाइनमेंट था उसी जगह मेरे मम्मी पापा पहली बार मिले थे। दिल्ली से पापा यहां अपने असानइमेंट के लिये आए थे तब वो फोटोग्राफर बनने की कोशिश कर रहे थे छोटा मोटा काम करके कुछ पैसे कमाने की कोशिश कर रहे थे और मां यहां उदयपुर से
अपने कुछ दोस्तों के साथ घूमने आई थी। फोटो खींचते खींचते पापा की नजर मां पर गई और उन्हें वो अच्छी लगी”, ये कहकर निष्कर्ष मुस्कुराने लगा “अच्छा फिर क्या हुआ?”, काश्वी ने पूछा 

“फिर पापा ने मां की भी फोटो लेना शुरू कर दी, उनकी बस का पीछा भी किया और उस होटल का पता लगाया जहां वो ठहरी थी, अगले दिन फोटो प्रिंट करके मां को देने पहुंच गए” निष्कर्ष मुस्कुरा कर सब काश्वी को बता रहा है। 

“अच्छा इतने रोमेंटिक है सर, फिर मां ने क्या किया?, काश्‍वी ने हैरानी से पूछा  

“पहले तो वो बहुत डर गई सोचा पता नहीं कौन है कहां से आया है, इस तरह बिना पूछे फोटो खींचने का क्या मतलब? पर पापा के चेहरे की मासूमियत शायद उन्हें भी भा गई थी, पता है उस जमाने में ये सब आसान नहीं था लड़का अगर किसी लड़की से बात करते हुए देखा जाए तो बहुत पिटाई होती थी और फिर मां तो राजस्थान की थी वहां तो और भी सख्ती की जाती थी, डर की वजह से मां ने कोई बात नहीं की पर वो तस्वीरें जरूर ले ली, बस पापा को जैसे ग्रीन सिग्नल मिल गया, उन्होंने तभी से मां के बारे में सब पता करना शुरू कर दिया 

जब दोनों दिल्ली लौटे तो पता चला कि मां का कॉलेज खत्म हो रहा था वो उदयपुर से दिल्ली आकर पढ़ाई कर रही थी और आखिरी दिनों में ये टूर रखा गया था। एग्जाम खत्म हो गये थे और रिजल्ट का इंतजार था, पापा को लगा ये आखिरी मौका होगा अगर अभी कुछ नहीं कहा तो वो मां को खो देंगे। उन्होंने पूरा प्लान बनाया और फिर उनके कॉलेज के बाहर इंतजार करने लगे। जब मां बाहर आई तो वो सामने जाकर खड़े हो गये, उन्हें एक लाल गुलाब दिया और कहा, “तुम्हारी तस्वीरें बहुत सुंदर थी चाहता हूं इसी तरह जिंदगी भर तुम्हारी तस्वीरें लेता रहूं क्या ऐसा हो सकता है?” 

मां कुछ नहीं बोल पाई बस एक मुस्कुराहट ने सब कुछ कह दिया” ये कहकर निष्कर्ष चुप हो गया 

“अरे वाह क्या लव स्टोरी है फिर आगे क्या हुआ? दोनों के परिवारवाले मान गये?” काश्वी ने पूछा 

“अरे कहां, नानाजी ने तो साफ इंकार कर दिया, पापा के पास कोई नौकरी नहीं थी छोटे मोटे फोटोग्राफी असाइनमेंट से इंकम कहां थी, पर मां की जिद के आगे वो झुक गये, पापा और मां की शादी हो गई और दोनों दिल्ली आ गये” निष्कर्ष ने बताया 

“वाह, निष्कर्ष अब तक सब ठीक लग रहा है ये तो एक परफेक्ट प्रेम कहानी है फिर आप क्यों परेशान हो ऐसा क्या हुआ जिससे आपके और आपके पापा के बीच इतनी दूरी हो गई” काश्वी ने पूछा 

“काश्वी कुछ चीजें हमारे हाथ में नहीं होती, वक्त उन्हें तय करता है कब, क्या और कैसे होना है ये कोई और तय करता है
और हमें बस उस रास्ते पर चलना होता है, उन दोनों की लाइफ में अभी सब कुछ हरा दिख रहा है लेकिन इंसान की असली पहचान तब होती है जब वो मुसीबत में होता है पापा और मां खुश थे, पैसे की थोड़ी दिक्कत थी पर फिर भी प्यार के सहारे गाड़ी चल रही थी, जब ये खबर उन्हें पता चली कि वो दो से तीन होने वाले है तो पापा थोड़ी टेंशन में आ गये, पैसे की किल्लत की वजह से उनका ध्यान फोटोग्राफी से हट रहा था, इतने साल संघर्ष करने के बाद भी उनके टेलेंट को किसी ने पहचाना नहीं, अपने परिवार के लिये उन्होंने अपने कैमरे को अलमारी में बंद कर दिया और छोटी मोटी जो भी नौकरी मिली करने लगे, तीन साल जैसे-तैसे सब चल रहा था पर मां को ये बात खाए जा रही थी कि उनकी वजह से पापा ने अपना सबसे पंसदीदा काम छोड़ दिया है हांलाकि पापा ने उन्हें कभी ये जाहिर नहीं होने दिया कि वो इसे लेकर परेशान है पर मां को लगा अगर वो उनकी जिंदगी में नहीं आती तो शायद वो एक सफल फोटोग्राफर होते और किसी ने तो शायद नहीं पर मां ने पापा का टेलेंट पहचाना था” 

कहानी थोड़ी गंभीर हो रही है और काश्वी के चेहरे का रंग भी उड़ रहा है निष्कर्ष हर बात में काश्वी का रिएक्शन नोट कर रहा है शायद उसकी अपनी ऑबर्जरवेशन है ये, अपनी कहानी से वो काश्वी को टेस्ट कर रहा है, कहां वो खुश हो रही है कहां उदास, सब निष्कर्ष देख रहा है। आगे कहने के पहले निष्कर्ष ने काश्वी से पूछा, ‘तुम्हें ये सब बताकर परेशान नहीं करना चाहता पर पता नहीं क्यों सब बताने का मन भी कर रहा है पहली बार किसी से ये बात कर रहा हूं, मां हमेशा इसके बारे में बताती थी उन्हें बहुत अच्छा लगता था जब भी पापा बाहर होते थे तो हम यही कहानी दोहराते थे 

“बाहर रहते थे मतलब? कहां बाहर? और उन्होंने फोटोग्राफी दोबारा कब शुरू की?” काश्वी ने पूछा  

35
रचनाएँ
तलाश में हूं खुद की
5.0
अपनी तलाश की है कभी, कभी खुद को ढूंढने निकले हैं, फुर्सत के लम्हों में कभी खुद से बात की है, कभी जाना क्या चाहता है दिल, हालातों में गुम होने पर तन्हाई की रात में खुद से टकराएं हैं कभी, कभी चलते चलते यूं ही रुक कर पीछे मुड़कर देखा है, सोचा कहां छोड़ आये खुद को, किस मोड़ पर खुद को खो दिया, किस मोड़ पर खुद से फिर मिले, हां, पता है, ये सब सोचने का टाइम किसके पास है, टाइम हो न हो, सवाल तो है, सोच का दायरा छोटा हो, पर जवाब बड़ा है, यूं ही चलते चलते कोई बता जाता है, यूं ही चलते चलते कोई समझा जाता है, यूं ही चलते चलते कोई खुद को खुद से मिलवा जाता है, ये कहानी भी ऐसी ही है अपने आप को तलाशने की, एक सफर अपने आप तक पहुंचने का। काश्‍वी और उत्‍कर्ष एक दूसरे के करीब आये और तब दोनों को एहसास हुआ कि उनकी जिदंगी कितनी अधूरी थी एक तलाश जो हमेशा से उन्‍हें थी धीरे – धीरे पूरी होने को है…
1

भाग–1 बिंदास काश्‍वी

2 अगस्त 2022
24
13
9

कहानी शुरु होती है एक स्कूल के प्रिंसिपल रुम से जहां एक 10 साल की बच्ची को उसी के पेरेंटस के सामने प्रिंसिपल डांट रही है, “मिस्टर कुमार आपकी बेटी इतनी शरारती है, इसकी वजह से एक बच्चे का हाथ टूट गया, इ

2

भाग–2 काश्‍वी का नया दोस्‍त

3 अगस्त 2022
19
13
11

काश्वी के बड़े होने के सिलसिले में कई मोड़ आए, कभी वो खुद से सवाल करती, तो कभी कोई उससे, कब खुश होती, कब उदास उसे खुद भी नहीं पता चलता, दूसरी लड़कियों से कुछ अलग थी, उसके पापा उससे अक्सर पूछते थे कि उ

3

भाग–3 जिदंगी की तलाश

5 अगस्त 2022
1
2
0

काश्वी ने अपने पापा को काम्पिटीशन के बारे में बताया, वो इतनी खुश थी कि उसके पापा ने झट से हां कर दी, रात भर पूरा परिवार उसकी तस्वीरों में से 10 ऐसी तस्वीरें ढूंढता रहा जो उसके टेलेंट को सही - सही दिखा

4

भाग–4 धुंधली होती खुशियां

6 अगस्त 2022
1
2
0

 निष्‍कर्ष की बात ने काश्‍वी की सारी खुशी को धुंधला कर दिया। थोड़ी देर पहले तक वो खुद पर इतरा रही थी लेकिन अब उसे खुद पर ही शक होने लगा। धीरे – धीरे निराशा उसे घेरने लगी और वो चुपचाप एक कोने में जाकर

5

भाग–5 जिंदगी की झलक

17 अगस्त 2022
1
2
0

काश्‍वी के करियर का ये मोड़ उसके परिवार को नए उत्‍साह से भर गया। घर लौटते हुए सब इसी के बात करते रहे। पापा ने काश्वी से पूछा “एक महीने की वर्कशॉप, कब से जाना है?” “दो दिन बाद रजिस्ट्रेशन कराने जाना है

6

भाग –6 पहाड़ों का सफर

18 अगस्त 2022
2
3
0

तेरह घंटे का सफर शुरू तो बहुत जोश के साथ हुआ लेकिन दिन चढ़ते-चढ़ते सबका जोश ठंडा होने लगा। बस में बातों का सिलसिला अहिस्ता अहिस्ता थमने लगा। अब बस, बस के चलने की आवाज और हवा का शोर सुनाई दे रहा है। हम

7

भाग –7 बस एक नजर

21 अगस्त 2022
1
2
0

पहाड़ों की शाम बहुत शांत होती है यहां सच में आप महसूस कर सकते हैं कि शाम हो गई है बड़े शहरों की तरह यहां ट्रेफिक का शोर नहीं होता जिसमें पंछियों की आवाज गुम हो जाती हैं। यहां शाम होते ही पंछी अपने घरो

8

भाग –8 जिदंगी ढूंढने निकला जब भी…

22 अगस्त 2022
2
3
0

काश्वी अब थोड़ी कंफर्टेबल हो गई, काश्वी ने उत्कर्ष से पूछा, “आपने मेरी फोटोग्राफ देखी हैं?” उत्कर्ष ने सिर हिला कर हां कहा और ये भी कहा कि काश्वी को पहला प्राइज देने का आखिरी फैसला उन्होंने ही लिया था

9

भाग –9 पुराना कैमरा और नया दोस्‍त

23 अगस्त 2022
3
2
0

“फोटोग्राफी एक प्रोफेशन से ज्यादा पेशन है, अगर चीजों को देखकर आपको उसमें कुछ खास नजर नहीं आता तो आप एक अच्छे फोटोग्राफर नहीं बन सकते, कैमरे की नजर से पहले अपनी नजर और नजरिये को समझना जरुरी है यहां क्ल

10

भाग–10 तुम सवाल बहुत करती हो

24 अगस्त 2022
3
3
0

रात के बाद फिर सुबह हुई, काश्वी और दूसरे फोटोग्राफर को आज बाहर भेजा जा रहा है जहां वो अपने फोटोग्राफी के हुनर को निखार सके, अपने अपने कैमरे के साथ सब निकलने के लिये लॉबी में इकट्ठा हो गये, काश्वी की न

11

भाग–11 नीला आसमान और तुम

25 अगस्त 2022
1
2
0

अपना पहला एसाइनमेंट देखने के लिये सभी एक्‍साइटेड हैं लेकिन वापस आने के बाद से काश्वी काफी बेचैन  है, वो काफी देर से हॉल के बाहर कोरिडोर के एक छोर से दूसरे छोर तक चक्कर लगा रही है,  निष्कर्ष काफी देर त

12

भाग–12 क्‍या हम दोस्‍त हैं?

26 अगस्त 2022
1
1
0

करीब दो घंटे तक सबकी तस्वीरों पर खूब चर्चा हुई गलतियों और खूबियों को बताने के बाद उत्कर्ष वहां से चले गये, निष्कर्ष अब भी चुप रहा उसने काश्वी से कोई बात नहीं की, दोनों वहां से कोरिडोर की तरफ निकले, क

13

भाग–13 मेरा घर कहीं खो गया है !

28 अगस्त 2022
1
2
0

निष्कर्ष को ऐसे देखकर काश्वी परेशान हो गई और उसने पूछ ही लिया “क्या हुआ? बात क्या है अचानक सीरीयस क्‍यों हो गये?”  “कुछ नहीं बस यूं ही” निष्कर्ष ने जवाब दिया  “नहीं.. कुछ तो है आप और आपके पापा के बी

14

भाग–14 नाराज क्‍यूं हो तुम?

28 अगस्त 2022
1
2
0

 “पापा तो जैसे अपने कैमरे को भूल ही गये थे, उनके लिये अपने परिवार के लिये पैसा कमाना ज्यादा जरूरी था पर मां को लग रहा था कि ऐसे वो अपने सपनों के साथ समझौता कर रहे हैं, जिस कैमरे की वजह से वो दोनों मिल

15

भाग–15 काश्वी तुम यहां कैसे आई?

28 अगस्त 2022
2
2
0

 निष्‍कर्ष सीधा अपने कमरे में चला गया उसने किसी से कोई बात नहीं की, कुछ देर बाद काश्‍वी भी अपने कमरे में आ गई रात भर वो निष्‍कर्ष के मैसेज या फोन का इंतजार करती रही। रात गुजर गई और सुबह के 9 बजे तक भ

16

भाग–16 बोलो दोगे मेरा साथ

9 सितम्बर 2022
0
1
0

निष्कर्ष इधर–उधर सब तरफ काश्वी को ढूंढने लगा, उसने काश्‍वी को फोन भी किया लेकिन फोन लगा नहीं, वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्‍लाकर काश्‍वी को बुलाने लगा लेकिन काश्‍वी का कुछ पता नहीं लग रहा था, उसने थोड़ी दूर जा

17

भाग–17 कुछ सामने है तो कुछ छुपा है

13 सितम्बर 2022
0
1
0

रात को अकेले अपने कमरे में काश्वी ने उन किताबों में से एक को पढ़ना शुरू किया, उसे पढ़ते हुए काश्वी को निष्कर्ष की बात याद आने लगी, निष्‍कर्ष ने उसे ये किताबें इसलिये दी जिससे वो अकेला ना महसूस करें और

18

भाग–18 दोस्‍ती में दीवार ?

29 अक्टूबर 2022
1
1
0

निष्‍कर्ष को इस तरह अचानक देखकर उत्कर्ष को कोई फर्क नहीं पड़ा लेकिन काश्वी एक दम शॉक थी। निष्‍कर्ष का चेहरा देखकर उसे समझ आ गया कि वो क्या सोच रहा है, उत्‍कर्ष के साथ काश्‍वी को ऐसे देखकर निष्‍कर्ष को

19

भाग–19 आखिरी असाइनमेंट

3 नवम्बर 2022
0
1
0

जो बात हमें तकलीफ देती है उसे दिमाग से निकालना इतना आसान नहीं होता और उसे भूलकर किसी और चीज पर ध्‍यान लगाना काफी मुश्किल होता है, निष्कर्ष और उसके पापा का रिश्‍ता अब उस स्‍टेज पर पहुंच गया है जहां दोन

20

भाग–20 मुझसे मिलोगे दिल्ली में?

4 नवम्बर 2022
0
0
0

एक तरफ बर्फ से ढके पहाड़ इौर दूसरी तरफ रंग बिरंगा छोटा सा बाज़ार, निष्‍कर्ष और काश्‍वी अपनी थीम की तलाश करते आगे बढ़ने लगे। दुकानों के बाहर लटके रंग बिरंगी चीजें, ठंड का एहसास कराते गर्म कपड़ों से सजे

21

भाग–21 कहानी अनकही

14 नवम्बर 2022
0
1
1

निष्कर्ष ने काश्वी से पूछा एक बात बताओ, “तुम तो दिल्ली में रही हो हमेशा, फिर नेचर से कितनी करीबी कैसे हो गई? दिल्ली की लड़कियों को तो बड़े बड़े मॉल्स और फोरेन ट्रिप्स पर जाने का शौक होता है और तुम यहा

22

भाग–22 एक खूबसूरत रिश्‍ता

30 जनवरी 2023
1
1
2

सुबह जब निष्‍कर्ष उठा तो उसने अपने फोन पर कई मिस कॉल देखी, रात के ढाई बजे काश्‍वी क्‍यों फोन कर रही थी? ये सोचकर निष्‍कर्ष कुछ परेशान भी हुआ उसने तुंरत काश्‍वी को कॉल किया लेकिन फोन उठा नहीं, शायद अब

23

भाग–23 सबसे बड़ी उलझन

30 जनवरी 2023
0
1
0

कुछ देर तक सब शांत रहा, काश्वी की नजर पहले उत्कर्ष पर गई जो चुप हैं शायद किसी गहरी सोच में हैं, फिर उसने निष्कर्ष को देखा जो उसे ही देख रहा है, निष्कर्ष भी चुप है, कुछ सैकेंड बाद हॉल की शांति तालियों

24

भाग–24 प्‍यार के पड़ाव

1 फरवरी 2023
0
1
0

एक और पड़ाव पार कर लिया निष्कर्ष और काश्वी ने अपनी दोस्ती का, एक महीने के अंदर ही दोनों इतने गहरे दोस्त बन गये कि अब एक दूसरे की जिंदगी से अच्छी तरह परिचित हैं   रात तो गहरी हो रही है लेकिन काश्वी को

25

भाग–25 वापसी

2 फरवरी 2023
0
1
0

काश्वी मुस्कुराते हुए उत्कर्ष के ऑफिस से बाहर निकली, उसे खुशी है कि निष्कर्ष अपने पापा के बारे में जो सोच रहा है वो गलत है और एक न एक दिन दोनों फिर साथ होंगे, ये कैसे होगा ये काश्वी को नहीं पता पर एक

26

भाग–26 “ये क्या है काश्वी?”

8 फरवरी 2023
0
1
0

 पापा के जाने के बाद काश्वी ने अपना फोन चेक किया, निष्कर्ष का मैसेज था, उसे भी नींद नहीं आ रही थी इसलिये मैसेज किया, काश्वी ने टाइम देखा तो रात के तीन बज रहे थे, उसने सोचा अब सुबह ही बात करेगी निष्कर्

27

भाग–27 दूर कैसे रह पाएंगे?

10 अप्रैल 2023
1
1
0

काश्वी ने देखा तो उसका ईमेल खुला हुआ है वहीं मेल जो उत्कर्ष ने उसे किया… मेल में उत्कर्ष ने काश्वी को रिमांइड कराया कि उसे जल्द एडमिशन के बारे में फैसला करना है… काश्वी सब समझ गई… उसका डर अब उसके सामन

28

भाग–28 यादगार सफर

26 जुलाई 2023
0
0
0

निष्कर्ष के कहने पर काश्वी ने उत्कर्ष को रिप्लाई किया और एडमिशन के लिये हां कर दिया… कुछ घंटे बाद ही रिप्लाई आया जिसमें कंफरमेशन के साथ काश्वी को 15 दिन में ज्वाइन करने को कहा गया रिप्लाई आते ही काश्

29

भाग–29 सच से सामना

12 सितम्बर 2023
0
1
0

फ्लाइट में पूरा समय निष्कर्ष ने काश्वी से उदयपुर की बात की… उसने बताया कि वो जब भी उदयपुर आता था तो उसकी मां उसे अपने बचपन की कहानियां सुनाती थी… “रेगिस्तान के बीच पहाड़ों और झीलों से घिरा एक छोटा सा

30

भाग–30 हर वक्त साथ रहूंगा

21 सितम्बर 2023
0
1
0

निष्कर्ष कुछ उदास है… काश्वी ने ठीक कहा था उसे नींद नहीं आ रही है… बहुत बैचेनी है… जब कुछ समझ नहीं आया तो निष्कर्ष ने अपने पापा को फोन किया…   कुछ देर घंटी बजने के बाद उत्कर्ष ने फोन उठाया वो कुछ घबर

31

भाग–31 उत्‍कर्ष का सच

3 नवम्बर 2023
0
0
0

 काश्वी चली गई और निष्कर्ष अपने घर लौट आया… कई घंटे की यात्रा के बाद काश्वी पहुंच गई… एयरपोर्ट पर पहुंचते ही सबसे पहले उसने निष्कर्ष को फोन किया… निष्कर्ष ने उसे वहीं रूकने को कहा… काश्वी कुछ पूछ प

32

भाग–32 नया चैप्‍टर

3 नवम्बर 2023
0
0
0

 सुबह हुई और काश्वी की जिंदगी का नया चैप्टर शुरू हुआ,,, नया देश,, नया कॉलेज और नये लोग पर एक डोर थी जो उसे घबराने या डरने नहीं दे रही थी पहली बार वो नये माहौल में भी इतनी कांफिडेंट थी,,,, वो डोर

33

भाग–33 मुझे तुम्हारे पास होना चाहिए था

3 नवम्बर 2023
0
0
0

 हम हमेशा सोचते है कि हमसे ज्यादा दुख और तकलीफ किसी को नहीं,,,दूसरा हमेशा खुद से खुश ही लगता है,,,किसी की तकलीफ का एहसास तभी होता है जब आप उसी तकलीफ को महसूस करते है,,और उस वक्त जो इसे समझ जाये वो

34

भाग–34 सामना करो अपने डर का

3 नवम्बर 2023
0
0
0

 निष्कर्ष को देखकर काश्वी काफी खुश थी डॉक्टर्स भी हैरान थे उसकी इंप्रूवमेंट देखकर,,, अगले ही दिन काश्वी को आईसीयू से वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया गया,,,,कोई ऐसा पास हो जिससे जिंदगी की हर सांस जुड़ी हो त

35

भाग–35 तलाश आज पूरी हुई

3 नवम्बर 2023
1
0
0

 जब सवालों की भीड़ लग जाये तो जवाब तलाशने पड़ते हैं और जवाब कहां मिलेगा ये सबसे बड़ा सवाल होता है,,,निष्कर्ष के सामने भी अब ये हालात थे काश्वी के सवालों के जवाब उसके पास नहीं थे और जो सवाल उसके मन म

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए