shabd-logo

भाग–5 जिंदगी की झलक

17 अगस्त 2022

35 बार देखा गया 35

काश्‍वी के करियर का ये मोड़ उसके परिवार को नए उत्‍साह से भर गया। घर लौटते हुए सब इसी के बात करते रहे। पापा ने काश्वी से पूछा “एक महीने की वर्कशॉप, कब से जाना है?” “दो दिन बाद रजिस्ट्रेशन कराने जाना है पापा, फिर पता चलेगा पूरा शेड्यूल”, काश्वी ने जवाब दिया

“अरे वाह एक महीना घर से दूर कितना मजा आएगा तुम्‍हें काश्‍वी”, दीदी ने कहा

“मजे का तो पता नहीं दी, पर मैं उत्‍कर्ष सर से मिलने के लिये बहुत एक्‍साइटेड हूं उनसे अच्‍छा फोटोग्राफर और कोई
नहीं”, काश्‍वी ने जवाब दिया

रास्‍तेभर और फिर घर पर भी यही सब बातें चलती रही, रात को सोने से पहले काश्‍वी ने अपना पुराना कैमरा निकाला और उस दिन को याद करने लगी जब उसके पापा ने उसे पहली बार फोटोग्राफर बनने का सपना दिखाया था। यही सोचते-सोचते काश्‍वी को नींद आ गई। दो दिन बाद रजिस्ट्रेशन के लिये अपने सभी डॉक्यूमेंटस लेकर काश्‍वी निष्कर्ष के ऑफिस पहुंची। रास्‍ते भर वो भगवान से यही मांग रही थी कि निष्‍कर्ष से उसका सामना ना हो। वो जानती थी ऐसा होना म‍ुश्किल है क्‍योंकि उसी की कंपनी ने ये वर्कशॉप कराई है। रिस्पेशन पर पहुंचकर काश्वी ने पूरा प्रोसिजर पूछा तो रिसेप्शन पर बैठी लड़की ने उसे सामने के कमरे में भेज दिया। काश्वी ने दरवाजे पर दस्‍तक दी तो अंदर से 'कम इन' की आवाज आई, सामने वाली कुर्सी
पर निष्कर्ष था। काश्वी एक सैकंड के लिये रूक गई पर उसने खुद को संभाल लिया और बहुत सहज तरीके से उससे बात करने की कोशिश करने लगी। निष्कर्ष ने भी मुस्कुरा कर काश्वी से सारी बात की, उसे पूरा प्रोग्राम डिटेल में बताया। काम पूरा करके काश्वी जाने लगी तो निष्कर्ष ने उसे रोका, “काश्वी, आई एम सॉरी”, निष्कर्ष ने कहा काश्वी ने हैरानी से पीछे मुड़कर देखा, इसी से बचना चाहती थी वो लेकिन बच नहीं पाई। उसे कुछ समझ नहीं आया कि वो क्या कहे, उसने बस निष्कर्ष से पूछा, “सॉरी क्यों?” “उस दिन आपकी फोटोग्राफ्स देखकर मैंने जो कहा, आपको बुरा लगा होगा शायद, इसलिये सॉरी, प्लीज आपको हर्ट करने का मेरा इरादा नहीं था”, निष्कर्ष ये सब बहुत हिम्मत करके कह पाया, सॉरी बोलना आसान नहीं होता, खासकर तब जब आपको पता न हो कि सामने वाला कैसे रिएक्ट करेगा पर निष्कर्ष की तरह हिम्मत करके सॉरी बोल देना चाहिए, मन का बोझ हल्का हो जाता है, रिश्ते बेहतर होते है, खैर निष्कर्ष ने तो अपना काम कर दिया अब जवाब काश्वी को देना है।

“कोई बात नहीं आप को जो लगा आपने कहा, मुझे बुरा नहीं लगा, प्लीज आप मेरी वजह से परेशान न हो”, ये कहकर काश्वी वहां से चली गई और निष्‍कर्ष उसे जाते हुए देखता रहा। काश्‍वी ने बात टाल दी लेकिन निष्कर्ष को उसे देखकर लगा नहीं कि वो इस बात को भुला पाई है, निष्‍कर्ष ने काश्‍वी के चेहरे की उदासी गौर से देखी और समझ गया कि कुछ बात तो है जो काश्‍वी उसे बताना नहीं चाहती। दो दिन बाद काश्वी वर्कशॉप के लिये निकलने की तैयारी करने लगी। ये वर्कशॉप हिमाचल के एक छोटे से हिल स्टेशन पर रखी गई है जहां निष्कर्ष के पापा फेमस फोटोग्राफर उत्कर्ष राय का फोटोग्राफी स्कूल है। अपना बैग पैक करने में व्‍यस्‍त काश्वी सब सामान फिर से चेक करने लगी, कैमरा, कैमरे की बैटरी, हार्ड डिस्क, लैप टॉप, आई पॉड सब सामान रख लिया उसने। पापा, मम्मी, दीदी सब उससे बार बार पूछ रहे थे कि उसने सब सामान रख लिया या नहीं। ये पहली बार है जब वो कहीं अकेली जा रही है वो भी एक महीने के लिये। सुबह पांच बजे काश्वी को निकलना था लेकिन वो इतनी एक्‍साइटेड थी कि रात भर सो नहीं पाई। पौने पांच बजे ही वो तैयार होकर पापा को आवाज देने लगी, “जल्‍दी चलो पापा, मैं लेट हो जाउंगी”, काश्वी की आवाज पूरे घर में गूंजने लगी। मम्मी अब भी उससे पूछे जा रही है कि सब सामान ले लिया और कुछ चाहिए तो नहीं, आखिरकार दस मिनट बाद काश्वी ने सबको बाय कहा और चल पड़ी अपने सपनों की उड़ान भरने। फोटोग्राफी उसकी जिंदगी है और सीखने की चाहत ही उसे यहां तक ले आई है। अब तक वो शौक के तौर पर अपने कैमरे से तस्वीरें खींचती थी पर अब उसे प्रोफेशनल ट्रेनिंग मिलने वाली है ये बात उसकी एक्‍साइटमेंट को दोगुना कर रही है। बस आधे घंटे में वो उस बस में सवार हो गई जिसमें उसी की तरह नौ और ट्रेनी है। आगे से तीसरी विंडो सीट के ऊपर बने रैक पर काश्वी अपना सामान एडजस्ट करने लगी, तभी बस में आवाज सुनाई दी, “वेलकम ऑल, आप सबका स्वागत है, यहां से आपकी एक नई शुरुआत होगी, उम्मीद है आप का ये सफर आपको नई मंजिलों तक ले जाए, रास्ते में कोई प्रोब्लम हो तो मैं और हमारा पूरा क्रू आपके साथ रहेगा”, ये आवाज निष्कर्ष की है। काश्‍वी समझ गई कि इस सफर में निष्‍कर्ष उनके साथ रहेगा और हो सकता है पूरा एक महीना वो वर्कशॉप में ही रहे। वो इसके बारे में ज्‍यादा सोचना नहीं चाहती थी इसलिये चुपचाप अपनी सीट पर बैठकर बाहर देखने लगी। बस चलनी शुरु हुई और सब एक दूसरे को जानने की कोशिश करने लगे, इंट्रोडक्शन हुआ और फिर सब आपस में बात करने लगे। नाम पूछने से शुरू हुआ सिलसिला स्‍कूल, कॉलेज, घर, शहर, पंसद, नापंसद तक पहुंचा लेकिन सबके बीच होकर भी काश्‍वी अकेली सी सबको देखती रही। काश्वी
कुछ झिझक रही थी वो इतनी जल्दी किसी से घुल मिल नहीं पाती, किसी को जानने और पहचानने में उसे थोड़ा वक्त लगता है और दोस्ती करना तो बहुत दूर है। अपने कानों में हेडफोन लगाए वो खिड़की से बाहर देखने लगी। सुबह की हल्की हल्की धुंध में दिल्ली से बाहर निकलते हुए हाईवे का सफर बहुत सुकून देता है उसे भी यही महसूस होने लगा। वो अपनी दुनिया में
खोई सी बैठी रही, आस-पास क्‍या हो रहा है उसे कुछ पता नहीं। वो इस बात से भी अनजान है कि निष्कर्ष का ध्यान उसी पर है, कुछ अलग लगी निष्कर्ष को काश्वी, शायद कुछ स्पेशल भी।  ये शायद इंसानी फितरत होती है जो बोलता है उसकी बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं जाता लेकिन जो चुप होता है उसकी चुप्पी की पीछे के रहस्य को जानने के लिये उत्सुकता जरुर होती है। दस एक ही उम्र के लोग लेकिन सबकी पर्सनेल्टी अलग, कोई ज्यादा बोलता है तो कोई कम, कोई एकदम बिंदास
तो कोई बहुत शर्मिला पर यहां एक लड़की है जिस पर निष्कर्ष का ध्यान है, पूरे रास्ते निष्कर्ष काश्वी के हर हाव-भाव को समझने में लगा रहा और काश्वी सोच रही थी कि वो जगह कैसी होगी जहां वो जा रही है, क्या उसे वहां उस सवाल का जवाब मिल पाएगा जो उसके दिल दिमाग पर छाया हुआ है। क्या उत्कर्ष राय जैसे फेमस और एक्सपीरियंस फोटोग्राफर से सीख कर उसकी तस्वीरों में जिंदगी की झलक आ पाएगी?

35
रचनाएँ
तलाश में हूं खुद की
5.0
अपनी तलाश की है कभी, कभी खुद को ढूंढने निकले हैं, फुर्सत के लम्हों में कभी खुद से बात की है, कभी जाना क्या चाहता है दिल, हालातों में गुम होने पर तन्हाई की रात में खुद से टकराएं हैं कभी, कभी चलते चलते यूं ही रुक कर पीछे मुड़कर देखा है, सोचा कहां छोड़ आये खुद को, किस मोड़ पर खुद को खो दिया, किस मोड़ पर खुद से फिर मिले, हां, पता है, ये सब सोचने का टाइम किसके पास है, टाइम हो न हो, सवाल तो है, सोच का दायरा छोटा हो, पर जवाब बड़ा है, यूं ही चलते चलते कोई बता जाता है, यूं ही चलते चलते कोई समझा जाता है, यूं ही चलते चलते कोई खुद को खुद से मिलवा जाता है, ये कहानी भी ऐसी ही है अपने आप को तलाशने की, एक सफर अपने आप तक पहुंचने का। काश्‍वी और उत्‍कर्ष एक दूसरे के करीब आये और तब दोनों को एहसास हुआ कि उनकी जिदंगी कितनी अधूरी थी एक तलाश जो हमेशा से उन्‍हें थी धीरे – धीरे पूरी होने को है…
1

भाग–1 बिंदास काश्‍वी

2 अगस्त 2022
25
13
9

कहानी शुरु होती है एक स्कूल के प्रिंसिपल रुम से जहां एक 10 साल की बच्ची को उसी के पेरेंटस के सामने प्रिंसिपल डांट रही है, “मिस्टर कुमार आपकी बेटी इतनी शरारती है, इसकी वजह से एक बच्चे का हाथ टूट गया, इ

2

भाग–2 काश्‍वी का नया दोस्‍त

3 अगस्त 2022
19
13
11

काश्वी के बड़े होने के सिलसिले में कई मोड़ आए, कभी वो खुद से सवाल करती, तो कभी कोई उससे, कब खुश होती, कब उदास उसे खुद भी नहीं पता चलता, दूसरी लड़कियों से कुछ अलग थी, उसके पापा उससे अक्सर पूछते थे कि उ

3

भाग–3 जिदंगी की तलाश

5 अगस्त 2022
1
2
0

काश्वी ने अपने पापा को काम्पिटीशन के बारे में बताया, वो इतनी खुश थी कि उसके पापा ने झट से हां कर दी, रात भर पूरा परिवार उसकी तस्वीरों में से 10 ऐसी तस्वीरें ढूंढता रहा जो उसके टेलेंट को सही - सही दिखा

4

भाग–4 धुंधली होती खुशियां

6 अगस्त 2022
1
2
0

 निष्‍कर्ष की बात ने काश्‍वी की सारी खुशी को धुंधला कर दिया। थोड़ी देर पहले तक वो खुद पर इतरा रही थी लेकिन अब उसे खुद पर ही शक होने लगा। धीरे – धीरे निराशा उसे घेरने लगी और वो चुपचाप एक कोने में जाकर

5

भाग–5 जिंदगी की झलक

17 अगस्त 2022
1
2
0

काश्‍वी के करियर का ये मोड़ उसके परिवार को नए उत्‍साह से भर गया। घर लौटते हुए सब इसी के बात करते रहे। पापा ने काश्वी से पूछा “एक महीने की वर्कशॉप, कब से जाना है?” “दो दिन बाद रजिस्ट्रेशन कराने जाना है

6

भाग –6 पहाड़ों का सफर

18 अगस्त 2022
2
3
0

तेरह घंटे का सफर शुरू तो बहुत जोश के साथ हुआ लेकिन दिन चढ़ते-चढ़ते सबका जोश ठंडा होने लगा। बस में बातों का सिलसिला अहिस्ता अहिस्ता थमने लगा। अब बस, बस के चलने की आवाज और हवा का शोर सुनाई दे रहा है। हम

7

भाग –7 बस एक नजर

21 अगस्त 2022
1
2
0

पहाड़ों की शाम बहुत शांत होती है यहां सच में आप महसूस कर सकते हैं कि शाम हो गई है बड़े शहरों की तरह यहां ट्रेफिक का शोर नहीं होता जिसमें पंछियों की आवाज गुम हो जाती हैं। यहां शाम होते ही पंछी अपने घरो

8

भाग –8 जिदंगी ढूंढने निकला जब भी…

22 अगस्त 2022
2
3
0

काश्वी अब थोड़ी कंफर्टेबल हो गई, काश्वी ने उत्कर्ष से पूछा, “आपने मेरी फोटोग्राफ देखी हैं?” उत्कर्ष ने सिर हिला कर हां कहा और ये भी कहा कि काश्वी को पहला प्राइज देने का आखिरी फैसला उन्होंने ही लिया था

9

भाग –9 पुराना कैमरा और नया दोस्‍त

23 अगस्त 2022
3
2
0

“फोटोग्राफी एक प्रोफेशन से ज्यादा पेशन है, अगर चीजों को देखकर आपको उसमें कुछ खास नजर नहीं आता तो आप एक अच्छे फोटोग्राफर नहीं बन सकते, कैमरे की नजर से पहले अपनी नजर और नजरिये को समझना जरुरी है यहां क्ल

10

भाग–10 तुम सवाल बहुत करती हो

24 अगस्त 2022
3
3
0

रात के बाद फिर सुबह हुई, काश्वी और दूसरे फोटोग्राफर को आज बाहर भेजा जा रहा है जहां वो अपने फोटोग्राफी के हुनर को निखार सके, अपने अपने कैमरे के साथ सब निकलने के लिये लॉबी में इकट्ठा हो गये, काश्वी की न

11

भाग–11 नीला आसमान और तुम

25 अगस्त 2022
1
2
0

अपना पहला एसाइनमेंट देखने के लिये सभी एक्‍साइटेड हैं लेकिन वापस आने के बाद से काश्वी काफी बेचैन  है, वो काफी देर से हॉल के बाहर कोरिडोर के एक छोर से दूसरे छोर तक चक्कर लगा रही है,  निष्कर्ष काफी देर त

12

भाग–12 क्‍या हम दोस्‍त हैं?

26 अगस्त 2022
1
1
0

करीब दो घंटे तक सबकी तस्वीरों पर खूब चर्चा हुई गलतियों और खूबियों को बताने के बाद उत्कर्ष वहां से चले गये, निष्कर्ष अब भी चुप रहा उसने काश्वी से कोई बात नहीं की, दोनों वहां से कोरिडोर की तरफ निकले, क

13

भाग–13 मेरा घर कहीं खो गया है !

28 अगस्त 2022
1
2
0

निष्कर्ष को ऐसे देखकर काश्वी परेशान हो गई और उसने पूछ ही लिया “क्या हुआ? बात क्या है अचानक सीरीयस क्‍यों हो गये?”  “कुछ नहीं बस यूं ही” निष्कर्ष ने जवाब दिया  “नहीं.. कुछ तो है आप और आपके पापा के बी

14

भाग–14 नाराज क्‍यूं हो तुम?

28 अगस्त 2022
1
2
0

 “पापा तो जैसे अपने कैमरे को भूल ही गये थे, उनके लिये अपने परिवार के लिये पैसा कमाना ज्यादा जरूरी था पर मां को लग रहा था कि ऐसे वो अपने सपनों के साथ समझौता कर रहे हैं, जिस कैमरे की वजह से वो दोनों मिल

15

भाग–15 काश्वी तुम यहां कैसे आई?

28 अगस्त 2022
2
2
0

 निष्‍कर्ष सीधा अपने कमरे में चला गया उसने किसी से कोई बात नहीं की, कुछ देर बाद काश्‍वी भी अपने कमरे में आ गई रात भर वो निष्‍कर्ष के मैसेज या फोन का इंतजार करती रही। रात गुजर गई और सुबह के 9 बजे तक भ

16

भाग–16 बोलो दोगे मेरा साथ

9 सितम्बर 2022
0
1
0

निष्कर्ष इधर–उधर सब तरफ काश्वी को ढूंढने लगा, उसने काश्‍वी को फोन भी किया लेकिन फोन लगा नहीं, वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्‍लाकर काश्‍वी को बुलाने लगा लेकिन काश्‍वी का कुछ पता नहीं लग रहा था, उसने थोड़ी दूर जा

17

भाग–17 कुछ सामने है तो कुछ छुपा है

13 सितम्बर 2022
0
1
0

रात को अकेले अपने कमरे में काश्वी ने उन किताबों में से एक को पढ़ना शुरू किया, उसे पढ़ते हुए काश्वी को निष्कर्ष की बात याद आने लगी, निष्‍कर्ष ने उसे ये किताबें इसलिये दी जिससे वो अकेला ना महसूस करें और

18

भाग–18 दोस्‍ती में दीवार ?

29 अक्टूबर 2022
1
1
0

निष्‍कर्ष को इस तरह अचानक देखकर उत्कर्ष को कोई फर्क नहीं पड़ा लेकिन काश्वी एक दम शॉक थी। निष्‍कर्ष का चेहरा देखकर उसे समझ आ गया कि वो क्या सोच रहा है, उत्‍कर्ष के साथ काश्‍वी को ऐसे देखकर निष्‍कर्ष को

19

भाग–19 आखिरी असाइनमेंट

3 नवम्बर 2022
0
1
0

जो बात हमें तकलीफ देती है उसे दिमाग से निकालना इतना आसान नहीं होता और उसे भूलकर किसी और चीज पर ध्‍यान लगाना काफी मुश्किल होता है, निष्कर्ष और उसके पापा का रिश्‍ता अब उस स्‍टेज पर पहुंच गया है जहां दोन

20

भाग–20 मुझसे मिलोगे दिल्ली में?

4 नवम्बर 2022
0
0
0

एक तरफ बर्फ से ढके पहाड़ इौर दूसरी तरफ रंग बिरंगा छोटा सा बाज़ार, निष्‍कर्ष और काश्‍वी अपनी थीम की तलाश करते आगे बढ़ने लगे। दुकानों के बाहर लटके रंग बिरंगी चीजें, ठंड का एहसास कराते गर्म कपड़ों से सजे

21

भाग–21 कहानी अनकही

14 नवम्बर 2022
0
1
1

निष्कर्ष ने काश्वी से पूछा एक बात बताओ, “तुम तो दिल्ली में रही हो हमेशा, फिर नेचर से कितनी करीबी कैसे हो गई? दिल्ली की लड़कियों को तो बड़े बड़े मॉल्स और फोरेन ट्रिप्स पर जाने का शौक होता है और तुम यहा

22

भाग–22 एक खूबसूरत रिश्‍ता

30 जनवरी 2023
1
1
2

सुबह जब निष्‍कर्ष उठा तो उसने अपने फोन पर कई मिस कॉल देखी, रात के ढाई बजे काश्‍वी क्‍यों फोन कर रही थी? ये सोचकर निष्‍कर्ष कुछ परेशान भी हुआ उसने तुंरत काश्‍वी को कॉल किया लेकिन फोन उठा नहीं, शायद अब

23

भाग–23 सबसे बड़ी उलझन

30 जनवरी 2023
0
1
0

कुछ देर तक सब शांत रहा, काश्वी की नजर पहले उत्कर्ष पर गई जो चुप हैं शायद किसी गहरी सोच में हैं, फिर उसने निष्कर्ष को देखा जो उसे ही देख रहा है, निष्कर्ष भी चुप है, कुछ सैकेंड बाद हॉल की शांति तालियों

24

भाग–24 प्‍यार के पड़ाव

1 फरवरी 2023
0
1
0

एक और पड़ाव पार कर लिया निष्कर्ष और काश्वी ने अपनी दोस्ती का, एक महीने के अंदर ही दोनों इतने गहरे दोस्त बन गये कि अब एक दूसरे की जिंदगी से अच्छी तरह परिचित हैं   रात तो गहरी हो रही है लेकिन काश्वी को

25

भाग–25 वापसी

2 फरवरी 2023
0
1
0

काश्वी मुस्कुराते हुए उत्कर्ष के ऑफिस से बाहर निकली, उसे खुशी है कि निष्कर्ष अपने पापा के बारे में जो सोच रहा है वो गलत है और एक न एक दिन दोनों फिर साथ होंगे, ये कैसे होगा ये काश्वी को नहीं पता पर एक

26

भाग–26 “ये क्या है काश्वी?”

8 फरवरी 2023
0
1
0

 पापा के जाने के बाद काश्वी ने अपना फोन चेक किया, निष्कर्ष का मैसेज था, उसे भी नींद नहीं आ रही थी इसलिये मैसेज किया, काश्वी ने टाइम देखा तो रात के तीन बज रहे थे, उसने सोचा अब सुबह ही बात करेगी निष्कर्

27

भाग–27 दूर कैसे रह पाएंगे?

10 अप्रैल 2023
1
1
0

काश्वी ने देखा तो उसका ईमेल खुला हुआ है वहीं मेल जो उत्कर्ष ने उसे किया… मेल में उत्कर्ष ने काश्वी को रिमांइड कराया कि उसे जल्द एडमिशन के बारे में फैसला करना है… काश्वी सब समझ गई… उसका डर अब उसके सामन

28

भाग–28 यादगार सफर

26 जुलाई 2023
0
0
0

निष्कर्ष के कहने पर काश्वी ने उत्कर्ष को रिप्लाई किया और एडमिशन के लिये हां कर दिया… कुछ घंटे बाद ही रिप्लाई आया जिसमें कंफरमेशन के साथ काश्वी को 15 दिन में ज्वाइन करने को कहा गया रिप्लाई आते ही काश्

29

भाग–29 सच से सामना

12 सितम्बर 2023
0
1
0

फ्लाइट में पूरा समय निष्कर्ष ने काश्वी से उदयपुर की बात की… उसने बताया कि वो जब भी उदयपुर आता था तो उसकी मां उसे अपने बचपन की कहानियां सुनाती थी… “रेगिस्तान के बीच पहाड़ों और झीलों से घिरा एक छोटा सा

30

भाग–30 हर वक्त साथ रहूंगा

21 सितम्बर 2023
0
1
0

निष्कर्ष कुछ उदास है… काश्वी ने ठीक कहा था उसे नींद नहीं आ रही है… बहुत बैचेनी है… जब कुछ समझ नहीं आया तो निष्कर्ष ने अपने पापा को फोन किया…   कुछ देर घंटी बजने के बाद उत्कर्ष ने फोन उठाया वो कुछ घबर

31

भाग–31 उत्‍कर्ष का सच

3 नवम्बर 2023
0
0
0

 काश्वी चली गई और निष्कर्ष अपने घर लौट आया… कई घंटे की यात्रा के बाद काश्वी पहुंच गई… एयरपोर्ट पर पहुंचते ही सबसे पहले उसने निष्कर्ष को फोन किया… निष्कर्ष ने उसे वहीं रूकने को कहा… काश्वी कुछ पूछ प

32

भाग–32 नया चैप्‍टर

3 नवम्बर 2023
0
0
0

 सुबह हुई और काश्वी की जिंदगी का नया चैप्टर शुरू हुआ,,, नया देश,, नया कॉलेज और नये लोग पर एक डोर थी जो उसे घबराने या डरने नहीं दे रही थी पहली बार वो नये माहौल में भी इतनी कांफिडेंट थी,,,, वो डोर

33

भाग–33 मुझे तुम्हारे पास होना चाहिए था

3 नवम्बर 2023
0
0
0

 हम हमेशा सोचते है कि हमसे ज्यादा दुख और तकलीफ किसी को नहीं,,,दूसरा हमेशा खुद से खुश ही लगता है,,,किसी की तकलीफ का एहसास तभी होता है जब आप उसी तकलीफ को महसूस करते है,,और उस वक्त जो इसे समझ जाये वो

34

भाग–34 सामना करो अपने डर का

3 नवम्बर 2023
0
0
0

 निष्कर्ष को देखकर काश्वी काफी खुश थी डॉक्टर्स भी हैरान थे उसकी इंप्रूवमेंट देखकर,,, अगले ही दिन काश्वी को आईसीयू से वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया गया,,,,कोई ऐसा पास हो जिससे जिंदगी की हर सांस जुड़ी हो त

35

भाग–35 तलाश आज पूरी हुई

3 नवम्बर 2023
1
0
0

 जब सवालों की भीड़ लग जाये तो जवाब तलाशने पड़ते हैं और जवाब कहां मिलेगा ये सबसे बड़ा सवाल होता है,,,निष्कर्ष के सामने भी अब ये हालात थे काश्वी के सवालों के जवाब उसके पास नहीं थे और जो सवाल उसके मन म

---

किताब पढ़िए