shabd-logo

भाग–1 बिंदास काश्‍वी

2 अगस्त 2022

104 बार देखा गया 104

कहानी शुरु होती है एक स्कूल के प्रिंसिपल रुम से जहां एक 10 साल की बच्ची को उसी के पेरेंटस के सामने प्रिंसिपल डांट रही है, “मिस्टर कुमार आपकी बेटी इतनी शरारती है, इसकी वजह से एक बच्चे का हाथ टूट गया, इसकी बदमाशियां कम
नहीं हुई तो इसे स्कूल से निकालना पड़ेगा, हम तो इसे समझा कर थक गये पर डांट का भी कोई असर नहीं होता, अपनी जिद के आगे वो किसी की नहीं सुनती, अब आप देख लीजिए ये लास्ट वार्निंग है”, प्रिंसिपल की ये कड़वी बातें और धमकी सुनकर उस बच्ची के पेरेंटस बाहर निकले, खामोशी स्कूल के गेट से कार तक साथ रही, पर यहां ज्यादा देर तक साथ दे न सकी। “काश्वी, हर बार तुम्हारी कंप्लेंट आती है, आखिर प्रोब्लम क्या है? क्यों नहीं तुम सुनती किसी की?”, मम्मी की डांट को अनसुना कर काश्वी कार की विंडो से बाहर देखती रही। काश्वी की मम्मी जितने गुस्से में थी, पापा उतने ही शांत, उन पर जैसे कोई असर ही नहीं हो रहा। ये देखकर काश्वी की मम्मी का पारा और हाई हो गया। वो लगातार बड़बड़ाती रही, कभी काश्‍वी की तो कभी उसके पापा की गलतियां गिनाती रही, काफी देर बोल कर आखिरकार वो चुप हो गई, और अंत में बस इतना कहा कि काश्वी को बिगाड़ने में पूरा हाथ उसके पापा का ही है।  उधर काश्वी अपनी दुनिया में खोई सी, कुछ सोचती रही, उस पर किसी बात का कोई असर नहीं हुआ। मम्‍मी के तानों का तो वैसे भी काश्‍वी और उसके पापा पर कभी कोई असर नहीं होता। घर पहुंचकर काश्‍वी अपने रूम में चली गई लेकिन उसकी मम्मी का गुस्सा अभी कम नहीं हुआ, एक बार फिर उसके पापा को सुनना पड़ा कि काश्‍वी किसी की नहीं सुनती उस पर किसी बात का कोई असर नहीं होता और ये सब सिर्फ
उसके पापा की वजह से है। मम्मी की अपनी परेशानी है, वो फिर वही दोहरा रही है जो हमेशा कहती हैं, यही कि काश्वी की बड़ी बहन और छोटा भाई भी तो है, वो कभी इस तरह कोई बदमाशी नहीं करते, उनके स्कूल से कभी कोई कंप्लेंट नहीं आती, काश्वी को कुछ समझाने के लिये फिर उससे बात करने को मम्मी ने पापा को उकसाया, सब बात उसके पापा चुपचाप सुनते रहे जैसा वो हमेशा करते हैं, कुछ देर बाद वो काश्वी के रूम में गये, अंदर काश्वी अपनी कलर बुक में रंगों से खेल रही थी, उसके पापा ने उससे पूछा, “क्या हुआ था काश्वी, गलती तुम्हारी थी?” मासूम सी काश्वी ने कहा, “नहीं पापा”, “अच्छा तो हुआ क्या था?”, पापा ने फिर पूछा, काश्वी ने पूरी बात बतानी शुरु की, “वो जो चिराग हैं ना जिसका हाथ टूटा, उसने कहा लड़कियां पेड़ पर नहीं चढ़ सकती, तो मैंने कहा इसमें कौन सी बड़ी बात है चढ़ सकती है, उसने कहा ठीक चढ़ के दिखाओ, तो मैंने कहा ठीक है तुम भी चढ़ कर दिखाओ”, “और फिर क्या हुआ”, काश्वी के पापा ने पूछा काश्वी इस बार थोड़ा डरते हुए बोली, “फिर क्या मैं चढ़ गई”, उसने धीरे से कहा, “हममम”, मुस्कुराते हुए पापा ने कहा, “तो तुम पेड़ पर चढ़ी”, “हां”, अपनी शरारत भरी आवाज में काश्वी ने कहा, “अच्छा, इसके बारे में बाद में बात करेंगे पहले ये बात उस बच्चे को चोट कैसे लगी?”, पापा ने पूछा “अरे उसे कुछ आता नहीं, बस बातें करता रहता है, पेड़ पर मैं चढ़ गई और वो चढ़ नहीं पा रहा था, उसका पैर फिसल गया और वो गिर गया”, काश्वी ने बताया, “काश्वी क्या तुमने उसे धक्का दिया?”, पापा ने पूछा “नहीं, मैं तो ऊपर थी और वो तो चढ़ ही नहीं पाया था, वो खुद गिर गया”, काश्वी ने कहा “अच्छा ऐसा था तो तुम्हें क्यों डांटा टीचर ने?”, पापा ने पूछा“वहीं तो, मेरी गलती नहीं थी पर वो मुझे डांट रही थी कुछ सुना भी नहीं”, काश्वी ने कहा “ठीक है मैं बात करुंगा तुम्हारी टीचर से लेकिन एक बात हमेशा याद रखना, कोई कुछ भी कहे तो उसे करने के लिये एकदम तैयार नहीं हो जाना चाहिए, सोच समझ कर ही कुछ करना चाहिए, देखो उसकी एक बात से तुम निकल पड़ी पेड़ पर चढ़ने, ये भी नहीं सोचा कि वहां इतना उपर चढ़ना कितना डेंजरस हो सकता है, उसकी जगह तुम्हें भी चोट लग सकती थी”,

“पर, उसने ऐसा क्यों कहा कि लड़कियां पेड़ पर नहीं चढ़ सकती, उसे दिखाना तो था कि मैं कर सकती हूं”, बीच में ही काश्वी बोली

“देखो बेटा, किसी की बात का जवाब देना अच्छी बात है कोई गलत बोले तो उसे सही भी करना चाहिए लेकिन सिचुएशन के
हिसाब से, तैश में आकर नहीं, सोच समझकर, समझदारी से कुछ भी करो”, पापा ने काश्वी को समझाया

दस साल की काश्वी इस बात को समझने की कोशिश करने लगी। काश्वी अपने पापा के सबसे ज्‍यादा करीब है, उसकी बड़ी बहन और छोटा भाई दोनों से ज्यादा उसके पापा काश्वी से बात करते हैं और उसे समझाते हैं। मम्मी इस टेंशन में रहती है कि
काश्वी अपने दोनों भाई बहन से ज्यादा जिद्दी है, उसे जो करना है वो करके रहती है। उनका मानना है कि लड़कियों को इतना जिद्दी नहीं होना चाहिए, एडजस्ट करना आना चाहिए। खैर काश्वी अभी छोटी है ये सब उसकी समझ में कहां आता, वो अपनी मस्ती में शरारतें करती, बदमाशियां करती बड़ी होने लगी।

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

बहुत प्रशंसनीय व सजीव चित्रण करते हुए आपने लिखा है बहन मेरी कहानी कचोटती तन्हाइयां पढ़कर अमूल्य समीक्षा व लाइक दे दें 😊🙏

20 नवम्बर 2023

Geeta Sharma

Geeta Sharma

24 नवम्बर 2023

Thanks 🙏 sure I will read your stories soon

Laxmi Tyagi

Laxmi Tyagi

कहानी सजीव लग रही थी 👌👌👌मेरी रचनाएँ भी पढें

9 नवम्बर 2023

Geeta Sharma

Geeta Sharma

14 नवम्बर 2023

Thanks 🙏 sure I will read your stories soon

मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

वाह बहुत सुंदर लिखा है आपने 👌👍🙏

7 अगस्त 2023

सोनिका

सोनिका

वहहहह

3 अगस्त 2022

Maneesh

Maneesh

Good 😊👍

3 अगस्त 2022

Ajay nidaan

Ajay nidaan

अदभुत, बेमिसाल, नायाब पेशकश का उत्तम परिचय दिया आपने सटीक शब्दों के साथ सार्थक रचना लेखन और भावपूर्ण ढंग से शब्दों में पिरोया हैं आपने जी।

3 अगस्त 2022

Geeta Sharma

Geeta Sharma

3 अगस्त 2022

Thank you ☺️☺️

35
रचनाएँ
तलाश में हूं खुद की
5.0
अपनी तलाश की है कभी, कभी खुद को ढूंढने निकले हैं, फुर्सत के लम्हों में कभी खुद से बात की है, कभी जाना क्या चाहता है दिल, हालातों में गुम होने पर तन्हाई की रात में खुद से टकराएं हैं कभी, कभी चलते चलते यूं ही रुक कर पीछे मुड़कर देखा है, सोचा कहां छोड़ आये खुद को, किस मोड़ पर खुद को खो दिया, किस मोड़ पर खुद से फिर मिले, हां, पता है, ये सब सोचने का टाइम किसके पास है, टाइम हो न हो, सवाल तो है, सोच का दायरा छोटा हो, पर जवाब बड़ा है, यूं ही चलते चलते कोई बता जाता है, यूं ही चलते चलते कोई समझा जाता है, यूं ही चलते चलते कोई खुद को खुद से मिलवा जाता है, ये कहानी भी ऐसी ही है अपने आप को तलाशने की, एक सफर अपने आप तक पहुंचने का। काश्‍वी और उत्‍कर्ष एक दूसरे के करीब आये और तब दोनों को एहसास हुआ कि उनकी जिदंगी कितनी अधूरी थी एक तलाश जो हमेशा से उन्‍हें थी धीरे – धीरे पूरी होने को है…
1

भाग–1 बिंदास काश्‍वी

2 अगस्त 2022
24
13
9

कहानी शुरु होती है एक स्कूल के प्रिंसिपल रुम से जहां एक 10 साल की बच्ची को उसी के पेरेंटस के सामने प्रिंसिपल डांट रही है, “मिस्टर कुमार आपकी बेटी इतनी शरारती है, इसकी वजह से एक बच्चे का हाथ टूट गया, इ

2

भाग–2 काश्‍वी का नया दोस्‍त

3 अगस्त 2022
19
13
11

काश्वी के बड़े होने के सिलसिले में कई मोड़ आए, कभी वो खुद से सवाल करती, तो कभी कोई उससे, कब खुश होती, कब उदास उसे खुद भी नहीं पता चलता, दूसरी लड़कियों से कुछ अलग थी, उसके पापा उससे अक्सर पूछते थे कि उ

3

भाग–3 जिदंगी की तलाश

5 अगस्त 2022
1
2
0

काश्वी ने अपने पापा को काम्पिटीशन के बारे में बताया, वो इतनी खुश थी कि उसके पापा ने झट से हां कर दी, रात भर पूरा परिवार उसकी तस्वीरों में से 10 ऐसी तस्वीरें ढूंढता रहा जो उसके टेलेंट को सही - सही दिखा

4

भाग–4 धुंधली होती खुशियां

6 अगस्त 2022
1
2
0

 निष्‍कर्ष की बात ने काश्‍वी की सारी खुशी को धुंधला कर दिया। थोड़ी देर पहले तक वो खुद पर इतरा रही थी लेकिन अब उसे खुद पर ही शक होने लगा। धीरे – धीरे निराशा उसे घेरने लगी और वो चुपचाप एक कोने में जाकर

5

भाग–5 जिंदगी की झलक

17 अगस्त 2022
1
2
0

काश्‍वी के करियर का ये मोड़ उसके परिवार को नए उत्‍साह से भर गया। घर लौटते हुए सब इसी के बात करते रहे। पापा ने काश्वी से पूछा “एक महीने की वर्कशॉप, कब से जाना है?” “दो दिन बाद रजिस्ट्रेशन कराने जाना है

6

भाग –6 पहाड़ों का सफर

18 अगस्त 2022
2
3
0

तेरह घंटे का सफर शुरू तो बहुत जोश के साथ हुआ लेकिन दिन चढ़ते-चढ़ते सबका जोश ठंडा होने लगा। बस में बातों का सिलसिला अहिस्ता अहिस्ता थमने लगा। अब बस, बस के चलने की आवाज और हवा का शोर सुनाई दे रहा है। हम

7

भाग –7 बस एक नजर

21 अगस्त 2022
1
2
0

पहाड़ों की शाम बहुत शांत होती है यहां सच में आप महसूस कर सकते हैं कि शाम हो गई है बड़े शहरों की तरह यहां ट्रेफिक का शोर नहीं होता जिसमें पंछियों की आवाज गुम हो जाती हैं। यहां शाम होते ही पंछी अपने घरो

8

भाग –8 जिदंगी ढूंढने निकला जब भी…

22 अगस्त 2022
2
3
0

काश्वी अब थोड़ी कंफर्टेबल हो गई, काश्वी ने उत्कर्ष से पूछा, “आपने मेरी फोटोग्राफ देखी हैं?” उत्कर्ष ने सिर हिला कर हां कहा और ये भी कहा कि काश्वी को पहला प्राइज देने का आखिरी फैसला उन्होंने ही लिया था

9

भाग –9 पुराना कैमरा और नया दोस्‍त

23 अगस्त 2022
3
2
0

“फोटोग्राफी एक प्रोफेशन से ज्यादा पेशन है, अगर चीजों को देखकर आपको उसमें कुछ खास नजर नहीं आता तो आप एक अच्छे फोटोग्राफर नहीं बन सकते, कैमरे की नजर से पहले अपनी नजर और नजरिये को समझना जरुरी है यहां क्ल

10

भाग–10 तुम सवाल बहुत करती हो

24 अगस्त 2022
3
3
0

रात के बाद फिर सुबह हुई, काश्वी और दूसरे फोटोग्राफर को आज बाहर भेजा जा रहा है जहां वो अपने फोटोग्राफी के हुनर को निखार सके, अपने अपने कैमरे के साथ सब निकलने के लिये लॉबी में इकट्ठा हो गये, काश्वी की न

11

भाग–11 नीला आसमान और तुम

25 अगस्त 2022
1
2
0

अपना पहला एसाइनमेंट देखने के लिये सभी एक्‍साइटेड हैं लेकिन वापस आने के बाद से काश्वी काफी बेचैन  है, वो काफी देर से हॉल के बाहर कोरिडोर के एक छोर से दूसरे छोर तक चक्कर लगा रही है,  निष्कर्ष काफी देर त

12

भाग–12 क्‍या हम दोस्‍त हैं?

26 अगस्त 2022
1
1
0

करीब दो घंटे तक सबकी तस्वीरों पर खूब चर्चा हुई गलतियों और खूबियों को बताने के बाद उत्कर्ष वहां से चले गये, निष्कर्ष अब भी चुप रहा उसने काश्वी से कोई बात नहीं की, दोनों वहां से कोरिडोर की तरफ निकले, क

13

भाग–13 मेरा घर कहीं खो गया है !

28 अगस्त 2022
1
2
0

निष्कर्ष को ऐसे देखकर काश्वी परेशान हो गई और उसने पूछ ही लिया “क्या हुआ? बात क्या है अचानक सीरीयस क्‍यों हो गये?”  “कुछ नहीं बस यूं ही” निष्कर्ष ने जवाब दिया  “नहीं.. कुछ तो है आप और आपके पापा के बी

14

भाग–14 नाराज क्‍यूं हो तुम?

28 अगस्त 2022
1
2
0

 “पापा तो जैसे अपने कैमरे को भूल ही गये थे, उनके लिये अपने परिवार के लिये पैसा कमाना ज्यादा जरूरी था पर मां को लग रहा था कि ऐसे वो अपने सपनों के साथ समझौता कर रहे हैं, जिस कैमरे की वजह से वो दोनों मिल

15

भाग–15 काश्वी तुम यहां कैसे आई?

28 अगस्त 2022
2
2
0

 निष्‍कर्ष सीधा अपने कमरे में चला गया उसने किसी से कोई बात नहीं की, कुछ देर बाद काश्‍वी भी अपने कमरे में आ गई रात भर वो निष्‍कर्ष के मैसेज या फोन का इंतजार करती रही। रात गुजर गई और सुबह के 9 बजे तक भ

16

भाग–16 बोलो दोगे मेरा साथ

9 सितम्बर 2022
0
1
0

निष्कर्ष इधर–उधर सब तरफ काश्वी को ढूंढने लगा, उसने काश्‍वी को फोन भी किया लेकिन फोन लगा नहीं, वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्‍लाकर काश्‍वी को बुलाने लगा लेकिन काश्‍वी का कुछ पता नहीं लग रहा था, उसने थोड़ी दूर जा

17

भाग–17 कुछ सामने है तो कुछ छुपा है

13 सितम्बर 2022
0
1
0

रात को अकेले अपने कमरे में काश्वी ने उन किताबों में से एक को पढ़ना शुरू किया, उसे पढ़ते हुए काश्वी को निष्कर्ष की बात याद आने लगी, निष्‍कर्ष ने उसे ये किताबें इसलिये दी जिससे वो अकेला ना महसूस करें और

18

भाग–18 दोस्‍ती में दीवार ?

29 अक्टूबर 2022
1
1
0

निष्‍कर्ष को इस तरह अचानक देखकर उत्कर्ष को कोई फर्क नहीं पड़ा लेकिन काश्वी एक दम शॉक थी। निष्‍कर्ष का चेहरा देखकर उसे समझ आ गया कि वो क्या सोच रहा है, उत्‍कर्ष के साथ काश्‍वी को ऐसे देखकर निष्‍कर्ष को

19

भाग–19 आखिरी असाइनमेंट

3 नवम्बर 2022
0
1
0

जो बात हमें तकलीफ देती है उसे दिमाग से निकालना इतना आसान नहीं होता और उसे भूलकर किसी और चीज पर ध्‍यान लगाना काफी मुश्किल होता है, निष्कर्ष और उसके पापा का रिश्‍ता अब उस स्‍टेज पर पहुंच गया है जहां दोन

20

भाग–20 मुझसे मिलोगे दिल्ली में?

4 नवम्बर 2022
0
0
0

एक तरफ बर्फ से ढके पहाड़ इौर दूसरी तरफ रंग बिरंगा छोटा सा बाज़ार, निष्‍कर्ष और काश्‍वी अपनी थीम की तलाश करते आगे बढ़ने लगे। दुकानों के बाहर लटके रंग बिरंगी चीजें, ठंड का एहसास कराते गर्म कपड़ों से सजे

21

भाग–21 कहानी अनकही

14 नवम्बर 2022
0
1
1

निष्कर्ष ने काश्वी से पूछा एक बात बताओ, “तुम तो दिल्ली में रही हो हमेशा, फिर नेचर से कितनी करीबी कैसे हो गई? दिल्ली की लड़कियों को तो बड़े बड़े मॉल्स और फोरेन ट्रिप्स पर जाने का शौक होता है और तुम यहा

22

भाग–22 एक खूबसूरत रिश्‍ता

30 जनवरी 2023
1
1
2

सुबह जब निष्‍कर्ष उठा तो उसने अपने फोन पर कई मिस कॉल देखी, रात के ढाई बजे काश्‍वी क्‍यों फोन कर रही थी? ये सोचकर निष्‍कर्ष कुछ परेशान भी हुआ उसने तुंरत काश्‍वी को कॉल किया लेकिन फोन उठा नहीं, शायद अब

23

भाग–23 सबसे बड़ी उलझन

30 जनवरी 2023
0
1
0

कुछ देर तक सब शांत रहा, काश्वी की नजर पहले उत्कर्ष पर गई जो चुप हैं शायद किसी गहरी सोच में हैं, फिर उसने निष्कर्ष को देखा जो उसे ही देख रहा है, निष्कर्ष भी चुप है, कुछ सैकेंड बाद हॉल की शांति तालियों

24

भाग–24 प्‍यार के पड़ाव

1 फरवरी 2023
0
1
0

एक और पड़ाव पार कर लिया निष्कर्ष और काश्वी ने अपनी दोस्ती का, एक महीने के अंदर ही दोनों इतने गहरे दोस्त बन गये कि अब एक दूसरे की जिंदगी से अच्छी तरह परिचित हैं   रात तो गहरी हो रही है लेकिन काश्वी को

25

भाग–25 वापसी

2 फरवरी 2023
0
1
0

काश्वी मुस्कुराते हुए उत्कर्ष के ऑफिस से बाहर निकली, उसे खुशी है कि निष्कर्ष अपने पापा के बारे में जो सोच रहा है वो गलत है और एक न एक दिन दोनों फिर साथ होंगे, ये कैसे होगा ये काश्वी को नहीं पता पर एक

26

भाग–26 “ये क्या है काश्वी?”

8 फरवरी 2023
0
1
0

 पापा के जाने के बाद काश्वी ने अपना फोन चेक किया, निष्कर्ष का मैसेज था, उसे भी नींद नहीं आ रही थी इसलिये मैसेज किया, काश्वी ने टाइम देखा तो रात के तीन बज रहे थे, उसने सोचा अब सुबह ही बात करेगी निष्कर्

27

भाग–27 दूर कैसे रह पाएंगे?

10 अप्रैल 2023
1
1
0

काश्वी ने देखा तो उसका ईमेल खुला हुआ है वहीं मेल जो उत्कर्ष ने उसे किया… मेल में उत्कर्ष ने काश्वी को रिमांइड कराया कि उसे जल्द एडमिशन के बारे में फैसला करना है… काश्वी सब समझ गई… उसका डर अब उसके सामन

28

भाग–28 यादगार सफर

26 जुलाई 2023
0
0
0

निष्कर्ष के कहने पर काश्वी ने उत्कर्ष को रिप्लाई किया और एडमिशन के लिये हां कर दिया… कुछ घंटे बाद ही रिप्लाई आया जिसमें कंफरमेशन के साथ काश्वी को 15 दिन में ज्वाइन करने को कहा गया रिप्लाई आते ही काश्

29

भाग–29 सच से सामना

12 सितम्बर 2023
0
1
0

फ्लाइट में पूरा समय निष्कर्ष ने काश्वी से उदयपुर की बात की… उसने बताया कि वो जब भी उदयपुर आता था तो उसकी मां उसे अपने बचपन की कहानियां सुनाती थी… “रेगिस्तान के बीच पहाड़ों और झीलों से घिरा एक छोटा सा

30

भाग–30 हर वक्त साथ रहूंगा

21 सितम्बर 2023
0
1
0

निष्कर्ष कुछ उदास है… काश्वी ने ठीक कहा था उसे नींद नहीं आ रही है… बहुत बैचेनी है… जब कुछ समझ नहीं आया तो निष्कर्ष ने अपने पापा को फोन किया…   कुछ देर घंटी बजने के बाद उत्कर्ष ने फोन उठाया वो कुछ घबर

31

भाग–31 उत्‍कर्ष का सच

3 नवम्बर 2023
0
0
0

 काश्वी चली गई और निष्कर्ष अपने घर लौट आया… कई घंटे की यात्रा के बाद काश्वी पहुंच गई… एयरपोर्ट पर पहुंचते ही सबसे पहले उसने निष्कर्ष को फोन किया… निष्कर्ष ने उसे वहीं रूकने को कहा… काश्वी कुछ पूछ प

32

भाग–32 नया चैप्‍टर

3 नवम्बर 2023
0
0
0

 सुबह हुई और काश्वी की जिंदगी का नया चैप्टर शुरू हुआ,,, नया देश,, नया कॉलेज और नये लोग पर एक डोर थी जो उसे घबराने या डरने नहीं दे रही थी पहली बार वो नये माहौल में भी इतनी कांफिडेंट थी,,,, वो डोर

33

भाग–33 मुझे तुम्हारे पास होना चाहिए था

3 नवम्बर 2023
0
0
0

 हम हमेशा सोचते है कि हमसे ज्यादा दुख और तकलीफ किसी को नहीं,,,दूसरा हमेशा खुद से खुश ही लगता है,,,किसी की तकलीफ का एहसास तभी होता है जब आप उसी तकलीफ को महसूस करते है,,और उस वक्त जो इसे समझ जाये वो

34

भाग–34 सामना करो अपने डर का

3 नवम्बर 2023
0
0
0

 निष्कर्ष को देखकर काश्वी काफी खुश थी डॉक्टर्स भी हैरान थे उसकी इंप्रूवमेंट देखकर,,, अगले ही दिन काश्वी को आईसीयू से वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया गया,,,,कोई ऐसा पास हो जिससे जिंदगी की हर सांस जुड़ी हो त

35

भाग–35 तलाश आज पूरी हुई

3 नवम्बर 2023
1
0
0

 जब सवालों की भीड़ लग जाये तो जवाब तलाशने पड़ते हैं और जवाब कहां मिलेगा ये सबसे बड़ा सवाल होता है,,,निष्कर्ष के सामने भी अब ये हालात थे काश्वी के सवालों के जवाब उसके पास नहीं थे और जो सवाल उसके मन म

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए