आज दीपोत्सव की सभी को अनेकशः
हार्दिक शुभकामनाएँ...
माटी के ये दीप जलाने
से क्या होगा, जला सको तो स्नेह भरे कुछ दीप जलाओ |
दीन हीन और निर्बल सबही
के जीवन में स्नेहपगी बाती की उस लौ को उकसाओ ||
दीपमालिका में
प्रज्वलित प्रत्येक दीप की प्रत्येक किरण हम सभी के जीवन में सुख, समृद्धि,
स्नेह और सौभाग्य की स्वर्णिम आभा प्रसारित करे…. आज की अपनी उलझी
सुलझी सी बातों में प्रस्तुत कर रहे हैं दीपावली के शुभावसर पर प्रज्वलित दीप की
जलती हुई कहानी... उसी की जुबानी... कात्यायनी...
मिट्टी का तन, पल भर
जीवन, सदा मोम सा गलता रहता |
जलती बाती धरे हृदय पर
सदा स्नेह में जलता रहता ||
धूमशिखा भी दीप्त
दीप्ति से मिल बन जाती ज्योति सुहानी |
मैं हूँ दीप, सुनाऊँ
तुमको अपनी जलती हुई कहानी...
सुख दुःख दोनों जीवन
साथी,
एक दिया है एक है बाती |
किन्तु स्नेह के बिना
व्यर्थ है दीप और दीपक की बाती ||
स्नेह भरा है यह तन
मेरा,
ज्वाला से है पूर्ण जवानी |
मैं हूँ दीप, सुनाऊँ
तुमको अपनी जलती हुई कहानी...
होती है दीवाली भू पर, जगर
मगर दीपक जलते हैं |
जैसे इस नीले अम्बर में
झिलमिल तारकदल खिलते हैं ||
मुझसे ही है रैन अमावस
की पूनम सी हुई सुहानी |
मैं हूँ दीप, सुनाऊँ
तुमको अपनी जलती हुई कहानी...
जाने कितनी नववधुओं का
मैंने प्रथम मिलन देखा है |
कितने कोमल गीत सुने
हैं,
कितना पग नर्तन देखा है ||
अंगों की थिरकन देखी है, नयनों
की चितवन अलसानी |
मैं हूँ दीप, सुनाऊँ
तुमको अपनी जलती हुई कहानी...
मैंने मेहर सलीम अनेकों
अपनी आँखों मिलते देखे |
और शेख़ अफ़ग़न भी
कितने अपनी आँखों मिटते देखे ||
बहुत मरमरी बाहें देखीं, कितनी
ही सूरत नूरानी |
मैं हूँ दीप, सुनाऊँ
तुमको अपनी जलती हुई कहानी...
साधक योगी, विरह
वियोगी, मैं दोनों का बना सहारा |
मैंने जग को राह दिखाने
में ही अपना जीवन हारा ||
चाहे कितना क्षीण रहा, पर तन
से नहीं पराजय मानी |
मैं हूँ दीप, सुनाऊँ
तुमको अपनी जलती हुई कहानी...
किन्तु विचित्र विधाता, कितना
अद्भुत यह विधान है तेरा |
जो सारे जग को प्रकाश
दे,
उसी दीप के तले अँधेरा ||
यह ही तो है उल्टी माया, और
भाग्य की है मनमानी |
मैं हूँ दीप, सुनाऊँ
तुमको अपनी जलती हुई कहानी...
सभी ओर मेरा प्रकाश है, सबकी
आँखों में लौ मेरी |
सारा तेज तेज है मेरा, और सकल
दाहकता मेरी ||
देखा मेरा सदा सभी ने
स्नेहपूर्ण तन ज्योति सुहानी |
सुनी नहीं है किन्तु
किसी ने मेरी जलती हुई कहानी ||
मैं हूँ दीप, सुनाऊँ
तुमको अपनी जलती हुई कहानी...