आई दिवाली खुशियों वाली,
खुशियों के सब दीप जलाएं,
कोई दुःखी न हो इस जग में,
ऐसा प्रभु से आशीष हम पाएं।
आई अमावश की काली रात है देखो,
मिलजुल कर सब दीप जलाएं,
एक से मिलकर एक दीप जलाकर,
हम जग को रौशन कर जाएं।
न समाज में ऊँच-नीच हो,
न समाज में कोई कुरीति हो,
नई सोच का प्रकाश फैलाएं,
ऐसा भी एक दीप जलाएं।
कोई भी भूखा न सो जाए,
बीमार गरीब को इलाज मिल जाए,
कोई ऐसा जतन जताएं,
ऐसा भी एक दीप जलाएं।
हर बच्चा स्कूल को जाए,
कोई बच्चा छूट न पाए,
इन्हें देश का भविष्य बनाएं,
ऐसा भी एक दीप जलाएं।
हर बेटी पर गर्वित हों हम,
भार नहीं आधार बनाएं,
हर घर में सम्मान हो उनका,
ऐसा भी एक दीप जलाएं।
गर बुज़ुर्ग माँ-बाप हों घर में,
उनसे अनुभव के मोती चुन लें,
देखभाल उनकी करके हम स्वयं धन्य हो जाएं,
ऐसा भी एक दीप जलाएं।
हर एक का मन उजास हो,
न कहीं कोई उदास हो,
सभी स्वास्थ्य समृद्धि पाएं,
ऐसा भी एक दीप जलाएं।
*दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं*
©प्रदीप त्रिपाठी "दीप"
ग्वालियर