आज छोटी दीवाली है, कल दीपमालिका के साथ
धन की दात्री माँ लक्ष्मी का आह्वाहन किया जाएगा | धन, जो है
उत्तम स्वास्थ्य का उल्लास... धन, जो है ज्ञान विज्ञान का
आलोक... धन, जो है स्नेह-प्रेम-दया आदि सद्भावों का
प्रकाश... सभी का जीवन इस समस्त प्रकार के वैभव से समृद्ध रहे इसी कामना के साथ सभी
को दीपावली के प्रकाश पर्व की झिलमिल करती हार्दिक शुभकामनाएँ...
एक एक दीपक से सारे जग के आओ दीप जलाएँ
जिनकी झिलमिल आभा में ये चाँद सितारें भू पर आएँ ||
धन की दात्री लक्ष्मी को हम लक्ष्मी ही करते हैं अर्पण |
कैसी ये विडम्बना ? आओ मिलकर इससे पार तो पाएँ ||
आज अगर हर दीन हीन के दीपों में कुछ स्नेह बढ़ाएं |
मधुमय मुस्कानों से कितनों के मुख आलोकित हो जाएँ ||
साज सजें ऐसे जिन पर सब मिलकर दीपक राग सजाएँ
और धरा आकाश गले मिल मस्त मगन मन नृत्य दिखाएँ ||
जन जन का जीवन आलोकित करने हित हम नेह बढ़ाएँ
और बाती को थोड़ा उकसा कर दीपक की जोत बढ़ाएँ |
भेद भाव और व्यंग्य बाण सब दीपशिखा की भेंट चढ़ाएँ
और सद्भावों की आभा फिर जग के कण कण में फैलाएँ ||
देखो चन्द्रकिरण देती है जग को नवयुग का अभिनन्दन
इसी अकौकिक आभा का आओ हम सब कर लें आलिंगन ||
दीपमालिका का प्रकाश जन जन की राहों में फैलाएँ
भागे दूर अँधेरा और सबके मन स्वर्ण कमल खिल जाएँ ||
दीपावली का यह पर्व सभी के लिये मंगलमय हो...