🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺 ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️ 🐍🏹 *लक्ष्मण* 🏹🐍 🌹 *भाग - ८* 🌹🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸*➖➖➖ गतांक से आगे ➖➖➖**जनकपुर में श्री लक्ष्मण जी के जीवन में आई उर्मिला जी | लक्ष्मण जी का चरित्र यदि इतना देदीप्यमान हुअ तो उसमें उर्मिला जी की
🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺 ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️ 🐍🏹 *लक्ष्मण* 🏹🐍 🌹 *भाग - १०* 🌹🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸*➖➖➖ गतांक से आगे ➖➖➖**लक्ष्मण जी* को गोस्वामी तुलसीदास जी ने *चातक* कहा है और गोस्वामी जी का यह चतुर *चातक* देखना हो को *दोहावली* में देखा जा सक
🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺 ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️ 🐍🏹 *लक्ष्मण* 🏹🐍 🌹 *भाग - ९* 🌹🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸*➖➖➖ गतांक से आगे ➖➖➖*रामायण में *लक्ष्मण जी* का चरित्र बहुत ही सूक्ष्म दर्शाया गया है | यह भी सच है कि जितना महत
🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺 ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️ 🐍🏹 *लक्ष्मण* 🏹🐍 🌹 *भाग - ७* 🌹🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸*➖➖➖ गतांक से आगे ➖➖➖**महाराज जनक की सभा में लक्ष्मण जी एवं परशुराम जी का घनघोर वाकयुद्ध हुआ | परशुराम जी इतने ज्यादा क्रोध में थे कि लक्ष्मण जी क
🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺 ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️ 🐍🏹 *लक्ष्मण* 🏹🐍 🌹 *भाग - ६* 🌹🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸*➖➖➖ गतांक से आगे ➖➖➖**श्री लक्ष्मण जी ने जो आधारशिला रखी उसी पर चलकर श्री राम ने विशाल शिव धनुष का खंडन करके सीता जी द्वारा जयमाला ग्रहण की | जन
🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺 ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️ 🐍🏹 *लक्ष्मण* 🏹🐍 🌹 *भाग - ५* 🌹🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸*➖➖➖ गतांक से आगे ➖➖➖**श्री लक्ष्मण जी भगवान श्री राम को पूर्णता प्रदान करते हैं , यदि लक्ष्मण ना होते तो शायद भगवान श्री राम एवं भगवती सीता का मि
🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺 ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️ 🐍🏹 *लक्ष्मण* 🏹🐍 🌹 *भाग - ४* 🌹🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸*➖➖➖ गतांक से आगे ➖➖➖**लक्ष्मण जी के बिना श्री राम जी का चरित्र अधूरा है | भगवान श्रीराम यदि पूर्ण परमात्मा है तो उनको पूर्णत्व प्रदान करते ही श्र
🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺 ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️ 🐍🏹 *लक्ष्मण* 🏹🐍 🌹 *भाग - ३* 🌹🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸*➖➖➖ गतांक से आगे ➖➖➖**हम लक्ष्मण जी के जीवन के रहस्यों को उजागर करने का प्रयास करते हुए उनकी विशेषताओं पर चर्चा कर रहे हैं :---**लक्ष्मण जी बचपन
🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺 ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️ 🐍🏹 *लक्ष्मण* 🏹🐍 🌹 *भाग - २* 🌹🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸*➖➖➖ गतांक से आगे ➖➖➖**लक्ष्मण की जन्म से ही भगवान श्रीराम से बहुत प्रेम करते थे | लक्ष्मण जी के माता , पिता , गु
*इस संसार में जन्म लेने के बाद मनुष्य का लक्ष्य होता है मोक्ष प्राप्त करना | मोक्ष प्राप्त करने के लिए हमारे महापुरुषों ने कई साधन बताए हैं | कोई भक्ति करके मोक्ष प्राप्त करना चाहता है तो कोई ज्ञानवान
मरकज़ की घटना पर जनाब असग़र वज़ाहत साहेब के विचारधर्म का मर्म- असग़र वज़ाहतदिल्ली में निजामुद्दीन इलाके के मरकज़ में जो घटना घटी उसने बहुत से सवाल खड़े कर दिए हैं। सबसे पहली बात यह की बिना प्रशासन को विश्वास में लिए इतने लोगों का जमा करना और वह भी इस माहौल में जमा करना कितना उचित है और कितना नहीं । दूसरी
भारत में बहुत सारे ऐतिहासिक मंदिर हैं जिनकी अपनी अलग ही कहानी है। इन्हीं मंदिरों में एक हैं तिरुपति बालाजी है जिसकी मान्यता कुछ ऐसी है, जहां जाने से लोगों की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुमाला की
*इस सृष्टि में समस्त चराचर जगत को जीवन प्रदान करने भगवान सूर्य निरंतर चलायमान हैं | अपनी दैनिक यात्रा में वे कभी उत्तरायण तो कभी दक्षिणायन हुआ करते हैं | जिस प्रकार मनुष्यों के लिए दिन एवं रात्रि का विधान ब्रह्मा जी ने बनाया है उसी प्रकार देवताओं के लिए दिन - रात्रि क
सीता स्वंयवर पर .....कैसे मैं पहचानू उन्हें.कैसे मैं जानूं के वो बनें हैै वो मेरे लिए.होगी सैकड़ों की भीड़ वहां.तेजस्वी और वैभवशाली तो होंगेवहां कई और भी.लेकिन सुना है मैंनें शिव का धनुषउठा सकेंगे कुछ ऐसे प्र
भविष्य की आवाज।जुबा चुप ही सही सत्य बोलताहैं, गरीब ही अमीरी को जानता हैं।लम्हे कितने भी दुख भरे होजीवन की राह मे, चलते रहो मंजिल की तरफ। जिसे मजदूर अपनी जरूरत समझताहैं, अमीर उसे अपना सौक समझता हैं।मोटा दाना खाने वाले को दिमागसे मोटा कहते हैं,चना खाकर घोड़ा दौड़ता हैं।मक
आसान नहीं है ज़िंदगीजीने का तरीका सीखलाना.आसान नहीं किसी कोसही राह दिखाना.आसान नहीं है खुद को भी बदलना, कुछ ख़्वाहिशोंको छोड़ना, कुछ सुविधाओं को त्यागना.त्याग की अग्नी में तपना औरउम्मीद के दीपक जलाना.धूप, बारिश, और ठंडको सहना.होंठो पर शिकायत कम और समाधाननिकालना.हां सचम
*सृष्टि के आदिकाल से ही इस धरा धाम पर मनुष्य विचरण कर रहा है | मनुष्य ने अपने जीवन को सुचारू ढंग से चलाने के लिए जहां अनेकों प्रकार के संसाधन बनाएं वही समय-समय पर वह ईश्वर का भी आश्रय लेता रहा है इसके लिए मनुष्य ने वैदिक कर्मकांड एवम पूजा पाठ का सहारा लिया | सतयुग से लेकर के त्रेता , द्वापर तक ईश्वर
भेजा था विष का प्याला अमृत बन गया। भेजा था विषैला सांपफूलों का हार बन गया। तेरी ही करामात है ये मोहनकि कलियुग में भी जी रही हूं। बिना डरे तेरी भक्ति के गीतगा रही हूं। शिल्पा रोंघे
भारतीय संस्कृति में जन मानस में धार्मिक आस्थाभारत में उत्तर से दक्षिण तक और पूरबसे पश्चिम तक अनगिनत जातियाँ हैं | उन सबके अपने अपने कार्य व्यवहार हैं, रीतिरिवाज़ हैं, जीवन यापन की अनेकों शैलियाँ हैं, अनेकों पूजा विधियाँ हैं, उपासना केपंथ हैं और अनेकों प्रकार के कर्म विस्तार हैं, तथापि उनका धर्म एक ही