*मानव जीवन में जल का बहुत बड़ा महत्व है | बिना जल के जीवन की संकल्पना भी नहीं की जा सकती | जिस प्रकार जीवन में जल का महत्व है उसी प्रकार बारह महीनों में भाद्रपद मास का भी बहुत बड़ा महत्व है क्योंकि जल वर्षा का मुख्य समय भाद्रपद मास ही है | वर्ष की बारह महीनों में यदि भाद्रपद मास में जल वर्षा न हो तो
*हमारा देश भारत एवं हमारी भारतीय संस्कृति इतनी दिव्य है जिसका वर्णन कर पाना असंभव है | हमारे पूर्वज महापुरुषों ने मानव मात्र के कल्याण के लिए इतने नियम एवं विधान बता दिए हैं जिसे करने के बाद मनुष्य को और कुछ करने की आवश्यकता ही नहीं हैं | जीवन के प्रत्येक अंग , जीवन
*भारत देश पुरातन काल में विश्व गुरु कहा जाता था क्योंकि हमारे देश में सनातन धर्म के माध्यम से मानव मात्र के कल्याण के लिए अनेकों मान्यताएं एवं विधान बनाए गए थे | विश्व का कोई भी ऐसा देश नहीं होगा जिसने भारत की इन मान्यताओं एवं विधानों से शिक्षा न ग्रहण की हो | विश्व गुरु होने के साथ-साथ हमारा देश भा
*इस धरती पर जन्म लेने के बाद मनुष्य जाने अनजाने में अनेक प्रकार के पाप एवं पुण्य किया करता है , जिसका फल उसको प्राप्त ही होता है | सनातन धर्म में ऐसे सभी पापों के प्रायश्चित के लिए विधान बनाये गये है | इस संसार में मनुष्य जीवन भर समस्याओं से जूझता रहता है यह सनातन धर्म की ही दिव्यता है कि यहां प्रत्
बाजत (जम कर ठोका) अंतराष्ट्रीय वृद्ध दिवस डॉ शोभा भारद्वाज पाँच वर्ष पुरानी बात है | गौतम बुद्ध नगर से नोएडा आने वाली सड़क एक आने वाले ट्रैफिक के लिए एक जाने वाले ट्रैफिक के लिए है रास्ता भूल जाने पर यदि आप लौटना चाहें काफी दूर तक जाने के बाद चौराहा आता है | सड़क क
।।श्रीमते रामानुजाय नमः।।श्रीरामानुज स्वामी की मेलकोटे की यात्रा-------------------------------------------------श्रीरामानुज स्वामी जी के मार्गदर्शन में सभी वैष्णव श्रीरंगम् में आनन्द मंगल से रह रहे थे। तभी एक दुष्ट राजा , जो शैव सम्प्रदाय से सम्बन्ध रखता था, विचार किया कि शिवजी की श्रेष्ठता को स्थ
कट्टर पंथियों द्वारा राम मन्दिर के भूमि पूजन के खिलाफ प्रोपगंडा डॉ शोभा भारद्वाज 'ऑल इंडिया इमाम एसोसियेशन के मौलाना साजिद रशिदी टीवी डिबेट में कहते थे राम मंदिर बनाइये कौन मना करता है ,मन्दिर वहीं बनायेंगे तारीख नहीं बतायेंगे| जब मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन हुआ उनके विचार अलग थे मौलाना ने कहा
कोई कहे हिंदु पानीकोई कहे मुस्लिम पानी समझाने को आत्मा पानी की अनेकों ने दी कुर्बानी फिर भी न माने क्योंकि कमान ईसाईयत को थीजो थमानी ईसाईयत ने करोड़ों लीले आत्मा की हुई बदनामी स्वतंत्र है देश फिर भी कोई कहे हिंदु पानी ‘कोई’ मुस्लिम पानी क्योंकि
कोई भी व्यक्तिप्रतिभावान हो सकता है चाहे वो किसी भी परिवेश या समाज से संबंध रखता हो। ये बातअलग है कि कहीं कहीं लोग अपने जान- पहचान वालों को ही मौका देना पसंद करते हैलेकिन इसका अर्थ ये नहीं कि आपको दूसरे इंसान को अपने से कमतर आंकने का अधिकार मिलगया है। कुछ इंसानों की बहुत बुरी आदत होती है कि वो हमेशा
पुराने समय की बात हैनगर में सेठ ध्यानचंद रहते थे। वो अपने एक बेटे और पत्नी के साथ सुखमय जीवन व्यतीतकर रहे थे। उनकी दो बेटियां भी थी जिनका विवाह हो चुका था। उनके पुत्र का विवाह भीपड़ोसी शहर में रहने वाले कुलीन घर की कन्या से हुआ था। उनकी बेटे के भी दो छोटे –छोटे पुत्र थे।
धर्म धर्म का उफान उठा है, मानव धर्म कोई ना निभाएं। चील, कव्वे, गिध, गधा, कुत्तों का नाम लेकर एक इंसान दूजे को कोसे, पर खुद के अंदर झांकने का इरादा ना पाए। बेटी पिता को बिठा साइकिल पर मीलों सफर कर, अपने गांव घर ले आए। पढ़ें लिखे लोगों के बीच भूख से व्याकुल हथिनी, खानें के नाम पर धोखा खाएं। कदमों के छ
“ओह कहां रह गई होगी आखिर वो? सारे कमरे में ढूंढनेके बाद सुधीर ने फिर कहा“अरे सुनती होतुमने कोशिश की ढूंढने की”?“हां बहुत ढूंढ ली नहीं मिली.” रमा ने कहा.थोड़ी देर बाद 17वर्षीय मनोहर जो कि उनका छोटा पुत्र था वो भी आ गया और कहने लगा “पिताजी धर्मशाला के आसपास की जिनती भी दु
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🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺 ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️ 🐍🏹 *लक्ष्मण* 🏹🐍 🌹 *भाग - ३९* 🌹🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸*➖➖➖ गतांक से आगे ➖➖➖*मेघनाद ने जब सुना कि राम *लक्ष्मण* नागपाश से मुक्त हो गये तो उसे क्रोध के साथ-साथ आश्चर्य भी हुआ | उसने मन में दृढ़ निश्चय कि
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35 साल की वोऔरत माथे पर बड़ा सा तिलक, आंखों में गहरा काजल लगाकर अपने लंबे केश लहराने लगी।“ हां मुझेमहसूस हो रही है, हां मेरे शरीर में उसका प्रवेश हो चुका है....हां उसकी उपस्थितीमुझे महसूस हो रही है...जय मां...जय मां...” मनोरमा ऐसाकहने लगी।अपने मिट्टीसे बने कमरें में लकड़ी