*इस संसार में जन्म लेने के बाद मनुष्य का लक्ष्य होता है मोक्ष प्राप्त करना | मोक्ष प्राप्त करने के लिए हमारे महापुरुषों ने कई साधन बताए हैं | कोई भक्ति करके मोक्ष प्राप्त करना चाहता है तो कोई ज्ञानवान बन करके सत्संग के माध्यम से इस मार्ग को चुनता है , और कई मनुष्य बैराग्य धारण करके मोक्ष की कामना करते हैं | यह कामना अनेक मार्ग अपनाने के बाद भी यदि मनुष्य की नहीं सफल होती है तो उसका एक ही कारण है कि मनुष्य के भीतर का अहंकार | जब तक मनुष्य के भीतर का अहंकार नहीं जाएगा तब तक कुछ भी नहीं प्राप्त किया जा सकता है | थोड़ा सा ज्ञान प्राप्त कर लेने पर मनुष्य स्वयं को विज्ञानी समझने लगता है यह उसका अहंकार ही है | जबकि अहंकार रहित जीवन एवं ज्ञान , भक्ति , वैराग्य इन तीनों का समन्वय देखना है तो हमें अनंत बलवंत हनुमंत लाल जी का चरित्र देखना चाहिए | अतुलनीय बल का स्रोत होने के बाद भी , बज्र जैसा शरीर , ज्ञानियों में सर्वश्रेष्ठ ज्ञानी एवं भक्ति में अग्रगण्य तथा अद्भुत बैरागी जीवन होने पर भी लेश मात्र भी अहंकार हनुमान जी के जीवन में देखने को नहीं मिलता है | सेवाभाव , दास्यभाव , भक्तिभाव का जैसा अनुपम उदाहरण हमें हनुमान जी के चरित्र से देखने को मिलता है वह अन्यत्र कहीं दृष्टिगत नहीं होता | अपने भक्तों को अभय प्रदान करने वाले हनुमान जी की महिमा चारों युगों में बतलाई गई है | मनुष्य अपने जीवन में अनेकानेक मार्ग अपनाने के स्थान पर यदि हनुमान जी के चरित्रों का अवलोकन करके उनका अनुसरण करके अपना जीवन व्यतीत करें तो जीवन का अंतिम लक्ष्य मोक्ष उसे अवश्य प्राप्त हो सकता है | सनातन धर्म में अनेक देवी देवताओं को मान्यता दी गई है परंतु हनुमान जी को कलयुग का प्रत्यक्ष देवता माना गया है | जहां भी भगवान श्री राम का कीर्तन होता है वहां हनुमान जी अपना आसन लगाकर बैठ जाते हैं , अपने भक्तों की रक्षा करने में अग्रणी हनुमान जी का चरित्र अविश्वसनीय एवं अविस्मरणीय है | प्रत्येक मनुष्य को हनुमान जी के जीवन से शिक्षा लेते हुए उनकी भक्ति करके अपने जीवन को धन्य बनाने का प्रयास करना चाहिए |*
*आज हमारे देश में हनुमान जी की जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई जा रही है | जयंती का अर्थ होता है जिस दिन जन्म हुआ हो | तो क्या चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जी का जन्म हुआ था ?? चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जी की जयंती क्यों मनाई जाती है इसका कारण जान लेना परम आवश्यक है | वैसे तो हमारे देश में हनुमान जी की जयंती चार बार बनाई जाती है जहां संपूर्ण भारत में चैत्र पूर्णिमा एवं कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को हनुमान जी का जन्म दिवस धूमधाम से मनाया जाता है वहीं हमारे ही देश के तमिलनाडु एवं केरल में हनुमान जी की जयंती मार्गशीर्ष माह की अमावस्या को तथा उड़ीसा में वैशाख मास के प्रथम दिन मनाई जाती है | मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" बताना चाहूंगा कि आदिकवि वाल्मीकि जी ने अपनी रामायण में हनुमान जी का जन्म कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को , मंगलवार के दिन , स्वाति नक्षत्र और मेष लग्न में बताया है | चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जयंती मनाने का कारण यह है कि आज के दिन सूर्य को निगलने का उद्योग करते हुए हनुमान जी इंद्र के द्वारा वज्र से आहत होकर के अचेतावस्था में पृथ्वी पर गिर पड़े थे , तब वायुदेवता के कोप से बचने के लिए हनुमान जी सभी देवताओं ने अपनी शक्तियां प्रदान की थीं | आज के ही दिन हनुमान जी ने सभी देवताओं की कृपा से पुनर्जीवन प्राप्त किया था | एक अन्य कथा के अनुसार "कालकारमुख" नामक ग्यारहमुखी दैत्य का वध करने के लिए हनुमान जी ने चैत्र पूर्णिमा को ही ग्यारहमुखी स्वरूप धारण किया था | इसलिए आज के दिन को हमारे शास्त्रों में हनुमान जयंती ना कहकरके "विजय अभिनंदन दिवस" कहा गया है | हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाने के कारणों पर दृष्टि अवश्य डालनी चाहिए , परंतु आज हम अपने शास्त्रों का अवलोकन नहीं करना चाहते हैं इसीलिये कभी-कभी लोग हमारी मान्यताओं पर उंगली उठाया करते हैं | आज हनुमान जी का "विजय अभिनंदन दिवस" जयंती के रूप में मनाया जा रहा है |*
*प्रत्येक संकट से छुटकारा पाने के लिए तथा भगवान की भक्ति अहंकार रहित होकर कैसे की जाती है यह देखने के लिए हमें हनुमान जी के चरित्रों का अनुसरण करते हुए अपने जीवन को वैसा ही बनाने का प्रयास करना चाहिए |*