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‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️
🐍🏹 *लक्ष्मण* 🏹🐍
🌹 *भाग - ३* 🌹
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*➖➖➖ गतांक से आगे ➖➖➖*
*हम लक्ष्मण जी के जीवन के रहस्यों को उजागर करने का प्रयास करते हुए उनकी विशेषताओं पर चर्चा कर रहे हैं :---*
*लक्ष्मण जी बचपन से ही अदम्य साहसी एवं अतुलनीय बलशाली थे | एक बार बाल्यकाल में ही रावण के बलशाली पुत्र इंद्रजीत , मेघनाद को बंदी बना कर वध करने की तैयारी कर ली थी , परंतु मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जी ने इन्हें रोक दिया था | क्योंकि लक्ष्मण जी के जीवन का एक ही उद्देश्य था राम जी की आज्ञा का पालन करना इसलिए उन्होंने मेघनाद का वध नहीं किया |*
*लक्ष्मण जी मेघनाथ को क्यों मारना चाहते थे ??*
*कथा इस प्रकार है :--*
*एक बार रावण समुद्र के किनारे बैठ कर भगवान शंकर की आराधना कर रहा था तभी उसकी दृष्टि समुद्र में एक कमल पुष्प पर पड़ी | रावण उस पुष्प को देखकर मंत्रमुग्ध हो गया और अपनी सुधि बुधि खो करती वहीं बैठा रहा | रावण जब महल नहीं लौटता है तो मंदोदरी मेघनाद को पता लगाने के लिए भेजती है | मेघनाद समुद्र तट पर पहुंचकर रावण की मनोदशा भांपकर कमल पुष्प के स्रोत को खोजने के लिए वेष बदल कर चल पड़ता है | आकाश , पाताल एवं पृथ्वी लोक में खोज कर जब थक गया तो उसने देखा कि सरयू जी की धारा में वैसे ही कमलपुष्प बहते हुए चले आ रहे हैं | जिधर से पुष्प आ रहे थे मेघनाद उस दिशा में बढ़ते - बढ़ते दशरथ जी की वाटिका में स्थित एक सरोवर अर्थात कमल पुष्प के स्रोत तक पहुंच जाता है | वहां वह पुष्प लेने के लिए वह जैसे ही सरोवर में उतरता है अयोध्या के सैनिक उसे देख लेते हैं और युद्ध प्रारंभ हो जाता है | सैनिकों को मेघनाद परास्त कर देता है | परास्त होकर सैनिक इसकी सूचना बालकों के साथ खेल रहे लक्ष्मण जी एवं श्री राम को देते हैं | छोटे-छोटे लक्ष्मण एवं श्री राम तत्काल वहां पहुंचकर मेघनाथ को परास्त करके बांध लेते हैं , और लक्ष्मण मेघनाथ को मृत्युदंड देना चाहते हैं |*
*तभी श्रीराम ने कहा कि :- हे भैया लक्ष्मण ! दंड देने का अधिकार राजा को होता है अतः इसे पिताश्री के पास ले चलो वहीं इसका निर्णय करेंगे | बंधन में बंधे मेघनाद को राम लक्ष्मण राज्यसभा में ले जाते है |*
*दशरथ जी ने सारा वृत्तांत सुनकर कहा कि :-- हे राम ! हे लक्ष्मण !! यद्यपि इसने चोरी करने का प्रयास तो किया है परंतु इसका उद्देश्य अपने पिता को संतुष्ट करना था अतः पितृभक्त बालक को मुक्त कर देना ही न्याय संगत है इसलिए इसे बंधन मुक्त करके जाने दो |श्रीराम ने मेघनाद को बन्धनमुक्त करने का वचन अपने पिता महाराज दशरथ को दे दिया |*
*लक्ष्मण मेघनाथ को छोड़ना नहीं चाहते थे परंतु श्री राम की आज्ञा पाकर लक्ष्मण जी ने मेघनाथ को मुक्त कर दिया क्योंकि लक्ष्मण जी का मुख्य उद्देश्य श्री राम की आज्ञा का पालन करना था |*
*जब मेघनाद ने लक्ष्मण जी को शक्तिवाण से मूर्छित कर दिया तो इसी वचन को याद करके श्रीराम विलाप करते हैं कि :---*
*जौ जनतेऊं वन बन्धु विछोहू !*
*पिता वचन मनतेऊं नहिं ओहू !!*
*अर्थात :- जब मैं यह जानता कि इसी मेघनाद के द्वारा हमें लक्ष्मण का विछोह सहना पड़ेगा तो मैं बाल्यकाल में लक्ष्मण द्वारा बाँधे गये मेघनाद को मुक्त कर देने का पिता जी का आदेश कदापि न मानता |*
*इस प्रकार लक्ष्मण जी बाल्यकाल से ही इतने बली एवं साहसी थे कि इन्द्र को भी परास्त कर देने वाले इन्द्रजीत को बाल्यकाल में ही परास्त कर दिया था |*
*शेष अगले भाग में*
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आचार्य अर्जुन तिवारी
प्रवक्ता
श्रीमद्भागवत/श्रीरामकथा
संरक्षक
संकटमोचन हनुमानमंदिर
बड़ागाँव श्रीअयोध्याजी
(उत्तर-प्रदेश)
9935328830
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