सुर्ख अंगारे से चटक सिंदूरी रंग का होते हुए भी मेरे मन में एक टीस हैं.पर्ण विहीन ढूढ़ वृक्षों पर मखमली फूल खिले स्वर्णिम आभा से, मैं इठलाया,पर न मुझ पर भौरे मंडराये और न तितली.आकर्षक होने पर भी न गुलाब से खिलकर उपवन को शोभायमान किया.मुझे न तो गुलदस्ते में सजाया गया और न ही माला में गूँथकर द
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली सरकार व एलजी का विवाद क्या खत्म हो जाएगा ? डॉ शोभा भारद्वाज 1991 में संसद द्वारा पास किये गये 69 वे संविधान संशोधन बिल द्वारा दिल्ली को नेशनल कैपिटल टेरेटरी घोषित कर विशे
माँ …मुझे मौत दे दो ???? मर्म की चीख जागरुकता लेख क्यों आज हर माँ को यह कहने की स्थिति में पहुँचा दिया है कि… 'अगले जन्म मुझे बिटिया न दीजो' और एक बेटी को यह कहने पर मजबूर होना पड़ रहा है कि… 'अगले जन्म मुझे बिटिया ना कीजो' आज देश में जो हालात हैं छोटी-छोटी बेटियाँ सुरक्षित नहीं हैं उनको यूँ क
बदलते समीकरण - रिश्तों के...आज ख़ुशी का दिन था,नाश्ते में ममता ने अपने बेटे दीपक के मनपसन्द आलू बड़े वाउल में से निकालकर दीपक की प्लेट में डालने को हुई तो बीच में ही रोककर दीपक कहने लगा-माँ,आज इच्छा नही हैं ये खाने की.और अपनी पत्नी के लाये सेंडविच प्लेट में रख खाने लगा. इस तरह मना करना ममता के मन को
26 जून 1975 देश में आपतकाल की घोषणा डॉ शोभा भारद्वाज 26 जून 1975 ,आकाशवाणी से न्यूज रीडर के बजाय तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिराजी ने आठ बजे की न्यूज में स्वयं आपतकाल की घोषणा की ‘भाईयो और बहनों राष्ट्रपति महोदय ने आपतकाल की घोषणा की है इससे आतंकित होने की आवश्यकता नहीं है’ |ब
माँ बसुन्धरा कोनमन करेंदो फूल श्रधा केअर्पण करेंन होने दें क्षरणमाँ कासब मिलकर यह प्रणकरें।कितना सुन्दर धरतीमाँ का आँचलपल रहा इसमें जगसारा,अपने मद के लिएक्यों तू मानवफिरता मारा-मारासंवार नहीं सकतेइस आँचल को तोविध्वंस भी तो नाकरें,माँ बसुन्धरा कोनमन करें।हिमगिरी शृंखलाओंसे निरंतरबहती निर्मल जलधारा
आज की भागदौड़ और तनाव भरी ज़िंदगी मे ज़्यादातर लोग मोटापे की समस्या से जूझ रहे है| जब एक व्यक्ति के शरीर मे बहुत अधिक वसा या फैट जमा हो जाता है तो इस स्थिति को मोटापा कहते है जिसका उस व्यक्ति के स्वास्थ्या पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकत
अकस्मात मीनू के जीवन में कैसी दुविधा आन पड़ी????जीवन में अजीव सा सन्नाटा छा गया.मीनू ने जेठ-जिठानी के कहने पर ही उनकी झोली में खुशिया डालने के लिए कदम उठाया था.लेकिन .....पहले से इस तरह का अंदेशा भी होता तो शायद .......चंद दिनों पूर्व जिन खावों में डूबी हुई थी,वो आज दिवास्वप्न सा लग रहा था.....
बारिश का मौसम हल्की भीगी सी धरा , अनन्त नभ से बरसता अथाह नीर, उठती गिरती लहरें झील में, आनंद उठाते नैसर्गिक सौंदर्य का, सरसराती हवाओं के तेज झोके, सूखी नदी लवालव हो गई, सिन्चित हुए तरू, छा गई हरियाली, बातें करती तरंगिणी बहती जाती, प्यास बुझाती, जीवो को तृप्त करती, घनी हरियाली से झांकते, आच
अमेरिकन राष्ट्रपति ट्रम्प एवं उत्तरी कोरिया के तानाशाह किम जोंग डॉ शोभा भारद्वाज नदी के दो किनारे मिलना असम्भव है लेकिन राजनीति में सब कुछ सम्भव | लगभग एक
लेख स्नेह और दुलार खो गया एक बच्चे की उन्नति और विकास के लिए अभिभावकों के साथ निरंतर बच्चे की पढ़ाई और क्रियाकलापों को लेकर वार्तालाप बहुत आवश्यक है क्योंकि इससे एक बच्चे के विकास के चरणों का पता चलता है । 24 घंटों में से बच्चे 8 घंटे स्कूल में अपनी शिक्षिकाओं, सहप
“पिता हमारे वट वृक्ष समान” किसी ने सही ही कहा हैं कि ‘पिता न तो वह लंगर होता हैं जो तट पर बांधे रखे, न तो लहर जो दूर तक ले जाएँ. पिता तो प्यार भरी रौशनी होते हैं,जो जहाँ तक जाना चाहों,वहां तक राह दिखाते हैं.’ऐसे ही मेरे पिता हैं,जो चट्टान की तरह दिखने वाले पर एहसास माँ की तरह.घर-परिवार का बोझ
ईद (ख़ुशी ) मुबारक डॉ शोभा भारद्वाज जब भी ईद आती है मेरी स्मृति में कुछ यादें कौंध जाती हैं हम कई वर्ष विदेश में परिवार सहित रहे थे | इस्लामिक सरकार थी वह चाहते थे सभी रोजे रखें सरकारी दफ्तरों में निर्देश आता था किस – किस ने रोजे नहीं रक्खे रिपो
स्नेह ये शब्द कितना मिलता है . लेकिन अगर इसे गौर से पढ़ा जाये तो ये अपने करीब लगने लगता है . अगर ये दुश्मन के सामने भी बोलै जाये तो भी अपना सा और प्यारा सा लगने लगता है . है ना .
!! भगवत्कृपा हि केवलम् !! *इस सृ्ष्टि में ईश्वर ने समस्त प्राणिमात्र को सारी ऊर्जायें समान रूप से प्रदान की हैं | सूर्य का प्रकाश , चन्द्रमा की शीतलता , नदियों का जल , हवा , प्राकृतिक सम्पदायें आदि समस्त प्राणिमात्र को समानरूप से मिल रही हैं | अनेक प्राकृतिक संसाधन मनुष्य को यहाँ प्राप्त हुए है
‘‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’’ मुख्यालय नागपुर में प्रत्येक वर्ष संघ तृतीय वर्ष शिक्षा वर्ग के समापन (दीक्षांत समारोह) का आयोजन करता है। इसके अतिरिक्त संघ प्रत्येक वर्ष विजया-दशमी (दशहरा) के शुभ अवसर पर मुख्यालय नागपुर में ही वार्षिकोत्सव का आयोजन भी करता है। इन अवसरो पर संघ देश की विभिन्न प्रमुख हस्ति
लाज बचा ले मेरे वीरक्यों वेदना शुन्य हुई क्यों जड़ चेतन हुआ शरीरअस्तित्व से वंचित हुआ कँहा खो गया शूरवीरनही सुनी क्या चीत्कार क्यों सोया है तेरा जमीरपुकार रही तुझे धरती माता लाज बचा ले मेरे वीर – १न ले पर ीक्षा अब मेरे धैर्य की बहुत हुआ अत्याचारसहनशीलता दे रही चुनौत