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प्रणाम!🙏       आशा करते हैं कि आप सभी कुशल से होंगे और अपने जीवन के बसंती रंगों के साथ मुस्कुरा रहे होंगे।        सबसे पहले तो आप सभी को बसंत पंचमी और 74व

सादर प्रणाम 🌼🙏     🌺आशा करते हैं कि आप सभी सकुशल होंगे।🌺                  आज का दिन की शुरुआत भी प्रतिदिन की भांति बहुत अच्छी

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Story एक लड़का था। जो खुशी खुशी अपनी मस्त जिंदगी जी रहा था । ना कोई टेंसिन ना ही कोई दुख । उसकी बहुत अच्छी जिंदगी गुजार रही थी ।और घर में इकलौता होने के कारण लाडला भी था। वो क्लास 10th में पढ़ रहा था

कंपकपाते हाथ और रूकते हुए पैर,हाड़ कंपकपा देती है दिल्ली की सर्दी।रजाई से बाहर निकलने का मन नहीं करता,उड़ती है हर तरफ बर्फ की गर्दी।।चौराहे पर बैठे मासूम से बच्चे की कंपकपाहट,जो दिल का सीना चीर देती ह

तु आई है नई नवेली दुल्हन की तरह,सजी-धजी सी लोगों के मन के बहारों की तरह।मेरे लिए कुछ खास लेकर आई हैमेरे सपनों की सौगात लेकर आई हैमै तेरी तस्वीरें दीदार कर सकता हूंक्योंकि मैं सूखे रोटियां खा पलती हूं।

यह पुस्‍तक मेरी भूली-बिसरी यादों के पिटारे के रूप में प्रस्तुत है। मैंने इस पुस्तक में अपने दैनन्दिनी जीवन के हर पहलू के जिए हुए खट्टे-मीठे पलों को उसी रूप में पाठकों तक पहुँचाने का प्रयास किया है। मे

                          पहली मुलाकात  कशिश जो कि एक फोटोग्राफर है। वह उज्जैन की नदी के किनारे फोटो ले रही थी तभी वह देखती है कि एक लड़का मदहोश होकर नदी के गहराइयों के बीच जाता जा रहा था उसे अपना हो

प्रिय सखी ।कैसी हो ।हम अच्छे है ।आज घर पर ही थे सोचा थोड़ा सिलाई ही कर लिया जाए। सालों से बंद बक्से से मशीन निकाली ।और सिलने बैठे ।तो हाथ ही दुखने लगे ।हमने तो रख दी एक तरफ मशीन ।अब बस  हमसे नही

बादल गरजते है, तभी तो वर्षा होती हैं, वैसे ही, जब बारिश के बूंदों की तकरार सूर्य से होती हैं, तभी तो इन्द्रधनुष बनता है, बस तो, हमारी जिंदगी का सफ़र भी कुछ ऐसा ही है,&nbs

आज के समय में ऑनलाइन गेमिंग एक बहुत ही महत्वपूर्ण गेम बन गया है आज ज्यादातर युवाओं के लिए ऑनलाइन गेमिंग एक अच्छा सा टाइम स्पेंड करने का ही जरिया है बहुत से लोग ऑनलाइन गेमिंग के द्वारा पैसा भी कमा रहे

प्रिय सखी ।कैसी है ।हम अच्छे है और मौसम से दुःखी है । लगातार बरसात हो रही है ।आज तुम्हें पता है दैनिक प्रतियोगिता का विषय बड़ा ही उम्दा है । "शर्मशार होती इंसानियत "सच मे सखी कहां नही है इंसानियत शर्म

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हैलो सखी।कैसी हो ।कल रात तो जम कर मेघा बरसे ।बस देहली शोप पर आते समय थोड़ा रास्ते मे दिक्कत होती है जगह जगह जल भराव हो जाता है बाकी जो मौसम मे उमस थी उससे काफी निजात मिली।शोप पर आकर बैठे और मोबाइल खोल

प्रिय सखी ।कैसी हो ।मै अच्छी हूं ।अब की बार पुस्तक लेखन प्रतियोगिता में भाग ना लेने का विचार किया है ।बस मन नही करता ऐसे जीत हासिल करने से ।जब फोन वेरिफिकेशन होने लगेगा और रियल पाठक बढ़ेंगे रचनाओं पर

प्रिय सखी।कैसी हो।हम अच्छे है और देहली शोप पर है।आजकल श्राद्ध पक्ष के कारण लोग कपड़ा कम खरीद रहे है इसलिए काम थोड़ा ढीला है ।ये लोगों का अंधविश्वास नही तो और क्या है । क्या हमारे पूर्वज हमे अच्छे कपड़

प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है और मजे से है ।आजकल देहली शोप पर नही जा रही हूं ।कल बैंक का काम था सोई उसे निपटाते हुए बारह यही बज गये ।फिर देहली गये ही नही। कुछ दिनों से फरीदाबाद में मौसम खराब ही चल रह

तूफानी लहरों सी बनी अब हम लड़कियां रोके  अब हमे न कोई रोक पाए ना डरे न घबराए बेझिझक ये आगे बढ़ती जाए अब हारना हमे मंजूर नहीं मुश्किलें जितनी आए हमारे हौसलों से मंजिल अब दूर नहीं कलियां हम फूल

प्रिय सखी।कैसी हो। हम अच्छे है ।कल ही पतिदेव की दादी जी का श्राद्ध था।मौसम भी बदल रहा है तुम से गुजारिश अपना ख्याल रखा करो ।आज का विषय:-पितृपक्षजो  आजकल चल रहा है अश्विनी मास की कृष्ण पक्ष को पित

सुनो द्रोपदी शस्त्र उठा लो, अब गोविंद ना आएंगे छोड़ो मेहंदी खड़ग संभालो खुद ही अपना चीर बचा लो द्यूत बिछाए बैठे शकुनि, ... मस्तक सब बिक जाएंगे सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आएंगे |

मधुर व्यवहार और मीठा बोलना एक कला है...  जो हरेक के पास नहीं होता...  बोलने की कला श्रीराम से सीखो...  जहां रावण ने कड़क जबान से अपने सगे भाई विभीषण को खो दिया...  वहीं श्रीराम ने मीठी जुबान से दुश

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