💕नहाकर; जब वो, अपनी छत पर बाल सूखाने आती है💕
प्रेम❤ जिनके शब्द ही अधूरे है वो कैसे मिले पूरा सब को अगर देखना हो सच्चा प्र
तेरे इश्क मे, मै इतना मगरुर हो गया
ह्रदय रचना पितृ तुल्य, स्नेह का साथ रखना जी, अपनत्व सानिध्य पाया है, सिर पर
चिर-परिचित सी कोई धुन, जब पड़ती इन कानों में।
तेरी यादों के जुगनू , चमके इन वीरान
कभी कभी सोचता हूँ तुम्हारी हमारी जिंदगी एक फ़ाइल की तरह है जिनमें तमाम
अजनबी वह अजनबी अनजान, जो मिला था रहगुज़र नज़रे बचा के चुपके से, दिल
मुशीबत क्या आई
तू भी मुकर गया
ऐ दोस्त
यूं ही बिछड़ गया।
कौन आएगा यहां, कोई न आया होगा यह
बेशर्म हवाओं ने दरवाजा खटखटाया होगा
【१】 गुमान हम भी करते हैं मगर, शरहदों का फ़