निष्कर्ष सीधा अपने कमरे में चला गया उसने किसी से कोई बात नहीं की, कुछ देर बाद काश्वी भी अपने कमरे में आ गई रात भर वो निष्कर्ष के मैसेज या फोन का इंतजार करती रही। रात गुजर गई और सुबह के 9 बजे तक भ
“पापा तो जैसे अपने कैमरे को भूल ही गये थे, उनके लिये अपने परिवार के लिये पैसा कमाना ज्यादा जरूरी था पर मां को लग रहा था कि ऐसे वो अपने सपनों के साथ समझौता कर रहे हैं, जिस कैमरे की वजह से वो दोनों मिल
इन दिनों गुमसुम सी है कुछ चहचहाटें , बेरंग सी लगती है ये धूप जिनमें कभी इंद्रधनुष के सातों रंग नृत्यरत हो उठते थे । दिन का दोलन जो दरियाई फितरत रखता था पहाड़ सा सध गया हो जैसे । कुछ आवाज़ें जिनमें जीवन
करीब दो घंटे तक सबकी तस्वीरों पर खूब चर्चा हुई गलतियों और खूबियों को बताने के बाद उत्कर्ष वहां से चले गये, निष्कर्ष अब भी चुप रहा उसने काश्वी से कोई बात नहीं की, दोनों वहां से कोरिडोर की तरफ निकले, क
अपना पहला एसाइनमेंट देखने के लिये सभी एक्साइटेड हैं लेकिन वापस आने के बाद से काश्वी काफी बेचैन है, वो काफी देर से हॉल के बाहर कोरिडोर के एक छोर से दूसरे छोर तक चक्कर लगा रही है, निष्कर्ष काफी देर त
रात के बाद फिर सुबह हुई, काश्वी और दूसरे फोटोग्राफर को आज बाहर भेजा जा रहा है जहां वो अपने फोटोग्राफी के हुनर को निखार सके, अपने अपने कैमरे के साथ सब निकलने के लिये लॉबी में इकट्ठा हो गये, काश्वी की न
कभी हर शाम उसके मोहल्ले से ,गुजरना होता था,घर के पास उसके कुछ पल, ठहरना होता था.जब घड़ी सांझ को ,छह बजाया करती थी, धीरे से वो छिपते छिपाते, छतपर आया करती थी.बडे प्यार मुझको दिल का,
“फोटोग्राफी एक प्रोफेशन से ज्यादा पेशन है, अगर चीजों को देखकर आपको उसमें कुछ खास नजर नहीं आता तो आप एक अच्छे फोटोग्राफर नहीं बन सकते, कैमरे की नजर से पहले अपनी नजर और नजरिये को समझना जरुरी है यहां क्ल
तेरह घंटे का सफर शुरू तो बहुत जोश के साथ हुआ लेकिन दिन चढ़ते-चढ़ते सबका जोश ठंडा होने लगा। बस में बातों का सिलसिला अहिस्ता अहिस्ता थमने लगा। अब बस, बस के चलने की आवाज और हवा का शोर सुनाई दे रहा है। हम
काश्वी के करियर का ये मोड़ उसके परिवार को नए उत्साह से भर गया। घर लौटते हुए सब इसी के बात करते रहे। पापा ने काश्वी से पूछा “एक महीने की वर्कशॉप, कब से जाना है?” “दो दिन बाद रजिस्ट्रेशन कराने जाना है
सर्दी की वो रात जब बैठे-बैठे भोर हो गयी।सोच बस यही की– "आखिर कौन है वो"। पेड़ों पर बैठे विहग के तरह उनको निहारते ही रहे जब उनकी पहली तस्वीर मेरे नैनों के सामने आई। नीली साड़ी में अपने होठों पर प्या
जो तू हां करे तो तेरे हम हो जाएदो दिल एक जान बनकर मिल जाएधड़कनों की साज में यूं बस जाएएक दूजे के दिल चलो यूं सज जाएइन फिजाओं में भी मुहब्बत की रवानी होबनकर महक प्यार की हवाओं में चलो घुल जाएचांद सितार
बड़ी खूबसूरत जो मेरी ये जिंदगानी हैतेरे साथ और मुहब्बत की सनममेहरबानी हैतुम मिले तो खुशियों की हुई दस्तकअश्कों ने किया अलविदा गम सारे हुए रुकसतलबों पर सजी जो ये मुस्कुराहट हैतेरे साथ से पाई ये सन
वो दे गया आखों कोसौगात में बारिशबेहिसाब बरसे अबबूंदे छम छमदिल में दर्द का सागरहोने की है निशानीइश्क मुहब्बत बस हैकिस्से कहानीदर्द ने दिल पर दी थीदस्तकइश्क हमने था जिसे जानापागल दिलदर्द के छल को ना पहच
मैं और कमल हम दोनों ही प्यार की परिभाषा नहीं समझ पाते थे। हम दोनों के दिलों में प्यार करने की कोई बात नहीं लेकिन जिंदगी में परिवर्तन कैसे होता है यह इस दिन का एक नया अहसास था। मैं अपनी जिंदगी के नये द
काश्वी ने अपने पापा को काम्पिटीशन के बारे में बताया, वो इतनी खुश थी कि उसके पापा ने झट से हां कर दी, रात भर पूरा परिवार उसकी तस्वीरों में से 10 ऐसी तस्वीरें ढूंढता रहा जो उसके टेलेंट को सही - सही दिखा
काश्वी के बड़े होने के सिलसिले में कई मोड़ आए, कभी वो खुद से सवाल करती, तो कभी कोई उससे, कब खुश होती, कब उदास उसे खुद भी नहीं पता चलता, दूसरी लड़कियों से कुछ अलग थी, उसके पापा उससे अक्सर पूछते थे कि उ
कहानी शुरु होती है एक स्कूल के प्रिंसिपल रुम से जहां एक 10 साल की बच्ची को उसी के पेरेंटस के सामने प्रिंसिपल डांट रही है, “मिस्टर कुमार आपकी बेटी इतनी शरारती है, इसकी वजह से एक बच्चे का हाथ टूट गया, इ
"आज एक नई सुबह है, और इस नई सुबह की नई शुरुआत",खता- खत सिया अपने पुराने टाइपराइटर पर अपनी नई कहानी लिखे जा रही थी। महीने भर की कड़कती धूप के बाद दिल्ली में आज आखिरकार बारिश हुई थी। पूरा शहर उसी तरह
हमारी अधूरी प्रेम कहानी भी कितनी अजीब थीनही देखा कभी उसे लेकिन उसके करीब थीनही छुआ उसे कभी अपने हाथों से एक बार भीफिर भी उसके बदन की खुशबू साँसों में मेरी थी।न मिली कभी आँखें मेरी उसकी आँखों सेन मिले