shabd-logo

प्रेमी

hindi articles, stories and books related to premi


होटल पहुंचकर सागर रिसेप्शन से कमरे की चाबी लेता है, जिस पर लिखा होता है "आठवीं मंजिल, कमरा नंबर 86"। सागर चाबी लेकर प्रेम से लिफ्ट में चलने को कहता है और फिर दोनों लिफ्ट से अपने कमरे तक पहुंच जाते हैं

प्रेम: "तो चलो मिली, आज मेरे घर चलो। मेरी माँ के हाथ का खाना खाओ, तुम्हें मज़ा आ जाएगा।"सागर: "हाँ मिली, आंटी बहुत अच्छा खाना बनाती हैं, तुम्हें ज़रूर चलना चाहिए।"मिली: "लेकिन..."प्रेम: "लेकिन-वेकिन क

थोड़ी देर बाद सागर के पापा भी ऑफिस आ जाते हैं और अनुज से पता चलता है कि प्रेम आज सागर सर के साथ उनकी कार में ऑफिस आया था। इतना सुनने के बाद वे गुस्से में सागर के पास जाते हैं, जहां प्रेम पहले से ही मौ

featured image

प्रेम की मां : प्रेम जल्दी उठ जा ऑफिस को लेट हो जाएगा और वैसे भी आज ऑफिस का पहला दिन है उठ जा बेटा ।प्रेम: बस मां दो मिनट और सोने दो अभी आठ भी नहीं बजे मां। प्रेम की मां: तू आठ बोल रहा है सही से

पार्क में टेबल पर बैठी वह लड़की अब पूरी तरह से खुद को असहाय महसूस कर रही थी। पार्क की हल्की-हल्की हवा भी उसे भारी लग रही थी, मानो उसके अंदर से सारी ताकत खींचकर ले जा रही हो। उसके चारों ओर फैली हरियाली

नशीली आंखो से वो जब हमें देखते हैं,           हम घबरा के अपनी ऑंखें झुका लेते हैं, कैसे मिलाए हम उन आँखों से आँखें,           सुना है व

ज़िंदगी मनुष्य को जहां भी लेकर जाती है। यह सब कुदरत का खेल है । जिसने तन दिया और तन के साथ कर्मों के आधार पर भाग्य दिया। भाग्य का निर्माण खाली बैठकर कभी नहीं होता है। उसके लिए तुम्हें कर्म करने की आवश

रोहित एक कस्बा सोनपुर के स्कूल में प्राइमरी शिक्षक था। अपने काम के प्रति बहुत ही ईमानदार, निष्ठावान और समर्पित व्यक्ति था। बुद्धिमता के  सामने शरीर के रंग कभी भी मायने नहीं रखता है।‌ रोहित का रंग

बरसों से सहेजा ख्वाब,सूखे पत्ते-सा उड़ जायेगा। सोचा नहीं था, इक आंधी के झौंके-से,दो हंसों का जोड़ा बिछुड़ जायेगा...!        आह ! इंदु.. तुम भी ना ! ऐसे, ऐसे कौन बिछुड़ता

       उसका चेहरा श्यामवर्ण है, लेकिन जब वह आती है; तो उसे लगता है कि वह गौरवर्ण हुआ जा रहा है। उसकी आंखें छोटे आकार की हैं, लेकिन जब वह आती है; तो उसे लगता है कि उसकी आंखें बड़ी ह

हजारों-लाखों बूंदें नहीं भिगा पाईं मुझे, लेकिन उसके पलकों से गिरी एक बूंद ने पूरी तरह भिगा दिया था मुझे....

मेरे प्यार को तुने पैरों तले रौंद दियापर तेरे पग धुरी को भी मैं प्रसाद के तरह स्वीकार कियाकिस तरह लोगे मेरे प्यार की परीक्षाभूखे रखकर, अग्नि में जलाकर या जहर पीलाकरचाहे जिस तरह ले लो मेरे प्यार की परी

मेरा कष्ट बढ़ाकर तुमको आता है आनंद मुझे छटपटाता देखकर तेरा पुलकित होता मन दिल तड़पाकर क्या चाहते हो दिल दुखाकर क्या चाहते हो  मुझको रुलाकर क्या चाहते हो क्या चाहते हो 

निष्कर्ष के कहने पर काश्वी ने उत्कर्ष को रिप्लाई किया और एडमिशन के लिये हां कर दिया… कुछ घंटे बाद ही रिप्लाई आया जिसमें कंफरमेशन के साथ काश्वी को 15 दिन में ज्वाइन करने को कहा गया रिप्लाई आते ही काश्

"तुम ! यहाँ भी।""हाँ, बिल्कुल ! जहाँ तुम, वहाँ मैं।""अच्छा, ऐसा है क्या ?"" बिल्कुल, तुम्हारा हमसाया जो हूँ।""चुप पागल !"और ऐसा कहते ही वह खिल उठी। सूरजमुखी नहीं थी वह और न था वह सूरज...

काश्वी ने देखा तो उसका ईमेल खुला हुआ है वहीं मेल जो उत्कर्ष ने उसे किया… मेल में उत्कर्ष ने काश्वी को रिमांइड कराया कि उसे जल्द एडमिशन के बारे में फैसला करना है… काश्वी सब समझ गई… उसका डर अब उसके सामन

तेरे इंतज़ार में ,मेरी जिंदगी गुज़र गई।तू मिली तो मुझे हर खुशी मिल गई।।तुम रब ने मेरे लिए बनाई हो।चमन के खिलते सुमन की तरह सजाई हो।प्रेम की दुनिया में तुम्हें याद रखूंगा।तुमसे बिछड़ने की ना उम्मीद करू

क्यों न चाहूं तुझको तू खास जो इतना लगता है मैं गैरों से क्यों आस करूं जब तू अपना सा लगता है क्यों न मांगू तुझको रब से एक फरिश्ता  सा तू लगता है मैं ओरों की क्यूँ चाह करूँ  जब तू अपना सा

मेघो से बोले दिल, दिल कीचाहत है मुझको रंगो से भरदे, दिल की चाहत है उसको भी रंगो से भरदे, मुझसे आहत है...

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए