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भूल  करो, लगते  समझदार सेवंचित न रह जाना तुम प्यार सेगलियों में आना जरा संभाल केकदम हर एक रखना संभाल केमौसम खराब, चलना संभाल केहर घर दफ्तर  खुले अखबार से...बुला लेना तुम, मुझे पुकार क

अरे हो भारती तेरी बहन मिनू कहा है उसको देख जाकर की तैयार हूई क्या आज उसकी हल्दी दुल्हे को हल्दी लग चुकी है तो वो अब दुल्हन की हल्दी लेकर निकल गये है सुन रही है ना भारती हां हां मां ये है हमारी

कमाल है कमाल है मचा हुआ बवाल है हड़बड़ी मन में है क्यों उठा रहे सवाल है क्या हुआ है क्या पता हर कोई ये पूछता सबको दिल की मत बता कुछ राज अपने तो छुपा जो हुआ नहीं अभी क्यों आ रहा ख्याल है अपने म

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बड़े दिनों के बाद इस मन में सन्नाटा सा छाया है | देख लकीरें हाथों की एक प्रश्न ज़हन में आया है | मन की खुशियों को बेचकर क्या खोया क्या पाया है | लाख उम्मीदें थी जीवन से कामयाबी की दौड़ मे

नैनो की वो मझधार  जो रुक भी ना सकी और रो भी ना सकी इजहार तेरे इश्क का  तुझसे जुदा होते वक्त कर भी न सकी सिसक कर रह गई तब मेरी हर एक सांस जब तेरी झुकती पलकें भी  उन जाते लम्हे को थाम ना स

एक बात रह गई थी अधूरी जो चाही हमें करनी पुरी उन चाहत को अबाद करे फिर एक नई शुरुआत करें खामोश तब ये आंखें थी हल्की हल्की सी साँसे थी कुछ दिल से दिल की बातें थी चल दिल की सारी बात करे फिर एक नई शुरुआत क

(प्यार शब्द है बहुत छोटा है लेकिन इसकी गहराई बहुत ही विस्तृत है। इसके विस्तार को समझने के लिए मनुष्य को अपने जीवन में भावनाओं को नियंत्रण करके अपनी आंतरिक जीवन की इच्छाओं को प्रकट करना होता है।प्रेम श

मेरे दिल में अभी भी है, लेकिन किस्मत से निकल गयी है, कल राह में मिला था उससे, वो कितनी बदल गयी है.उसके हाथों में चुड़ियाँ, और मांग में सिंदूर देखकर, मेरी आँखें फटी की फटी रही,

एक तरफ बर्फ से ढके पहाड़ इौर दूसरी तरफ रंग बिरंगा छोटा सा बाज़ार, निष्‍कर्ष और काश्‍वी अपनी थीम की तलाश करते आगे बढ़ने लगे। दुकानों के बाहर लटके रंग बिरंगी चीजें, ठंड का एहसास कराते गर्म कपड़ों से सजे

जो बात हमें तकलीफ देती है उसे दिमाग से निकालना इतना आसान नहीं होता और उसे भूलकर किसी और चीज पर ध्‍यान लगाना काफी मुश्किल होता है, निष्कर्ष और उसके पापा का रिश्‍ता अब उस स्‍टेज पर पहुंच गया है जहां दोन

निष्‍कर्ष को इस तरह अचानक देखकर उत्कर्ष को कोई फर्क नहीं पड़ा लेकिन काश्वी एक दम शॉक थी। निष्‍कर्ष का चेहरा देखकर उसे समझ आ गया कि वो क्या सोच रहा है, उत्‍कर्ष के साथ काश्‍वी को ऐसे देखकर निष्‍कर्ष को

कैसे शब्दों से जताएंअहसास कैसे ये शब्दों में बताएं मचल रहा है दिल में एक तूफान सा हैजो नजरो से नज़रे तुम मिलाकरपूछ तुम दिल का हालबताना कुछ तो आसान सा होसमझ लो जो कभी इशारा मेराकर लो साथ गंवारा मे

ना ऐसे मुंह मोड लो, ये चुप्पी अब तोड़ दो, मिटा दो सभी फासले, आपस के ये शिकवे गिले, मितवा चलो चलें, खुले आसमां तले.एक दुजे के बाहों में आ जाए हम, एक दूजे में कुछ देर खो जा

सारे जमाने की खुशियां पा लेजिंदगी मिल जाएजो हमें अपना लेखुशनुमा हो हर लम्हा मेराजो तू हां कहेतरसते लबों पर हंसी सज जायेगीबंजर दिल की जमीं परतेरी मुहब्बत की जो रिमझम बूंदे बरसेहसरतों की कलियां&nbs

जब आप प्रेम में होते हैं, तो प्रकृति के सबसे नजदीक होते हैं, ठंडी हवायें कुछ ज्यादा शिद्दत से महसूस होती है । सूरज की तपती रौशनी चाँदनी सरीखा एहसास दिलाती हैं, सुबह पक्षियों का कलरव आपकी प्रेम गाथा का

सच्चा प्यारदिल सबके पास हैधड़कता सभी का भी हैख्वाहिश इश्क की हर किसी को हैपर साथी ऐसा चाहे सुकून तो दे ही परजो उसे समझता भी हैचेहरा वो नजरो के सामने चाहेजिसे देख हर परेशानी भूल जाएहोंठो पर मुस्का

पुरुषों के लिए कम सजाए गए है किस्सेप्रेम , सौंदर्य, साहित्य सब आयाऔरत के हिस्सेइसलिए पुरुष को काव्य में कम रचापुरुष का जीवन शब्दों में इसलिए हीकम सजापुरुष ने भी खुद को कर दरकिनारप्रेयसी अपनी दिया

एक तुम्हारा होना~तुमसे कही बातों का कोई अंत क्यो नही मिलता । हर बार कहकर सोचता हूँ अब आखिरी बात तो कह डाली मैंने , पर देखो न अंतिम दफा की कहन अपनी मेढ़ को तोड़कर बह चुकी है किसी ओर , और अब मैं इसे शब्द

आप लोगों ने पिछले पार्ट में देखा क्षितिज ने कैसे समृद्धि का तारीफ कर रहा था ।    क्षितिज - "अगर किसी की खूबसूरती की तारीफ करना गुनाह है तो मैं कुबूल करता हूं कि मैं आप के मामले में यह गुनाह

उम्र के किसी मोड़ पर, इश्क़ मैंने किया था कभी.प्यार में किसी के सुनहरा, दौर मैने जीया था कभी.ये मेरी कहानी, जरा है पुरानी, जो तुम सुन रहो, तुम्हे है बतानी, बात है उस वक्त

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