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रहस्य

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"होयसलेश्वरा, जिसे हलेवीडु मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, पत


गढ़ैया ताल का रहस्य

यह उन दिनों की बात है जब हम सब का गर्मियों की छुट्टियों में

★★★प्रणाम निषेध ★★★

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१_दूरस्थं जलमध्यस्थं धावन्तं धनगर्व

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🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️ *‼️ भगवत्कृपा हि केवलम् ‼️* 🚩 *सनातन परिवार* 🚩 *की प्रस्तुति* 🌼 *वैराग्य शतकम्* 🌼 🌹 *भाग - इक्कीसवाँ* 🌹🎈💧🎈💧🎈💧🎈💧

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🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️ *‼️ भगवत्कृपा हि केवलम् ‼️* 🚩 *सनातन परिवार* 🚩 *की प्रस्तुति* 🌼 *वैराग्य शतकम्* 🌼 🌹 *भाग - बीसवाँ* 🌹🎈💧🎈💧🎈💧🎈💧🎈💧🎈💧*अमीषां प्राणानां तुलितबिसि

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🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️ *‼️ भगवत्कृपा हि केवलम् ‼️* 🚩 *सनातन परिवार* 🚩 *की प्रस्तुति* 🌼 *वैराग्य शतकम्* 🌼 🌹 *भाग - उन्नीसवाँ* 🌹🎈💧🎈💧🎈💧🎈💧🎈💧🎈💧*भोगे रोगभयं कुले च्युति

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🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️ *‼️ भगवत्कृपा हि केवलम् ‼️* 🚩 *सनातन परिवार* 🚩 *की प्रस्तुति* 🌼 *वैराग्य शतकम्* 🌼 🌹 *भाग - अठारहवाँ* 🌹🎈💧🎈💧🎈💧🎈💧🎈💧🎈💧*परेषां चेतांसि प्रतिदिवस

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🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️ *‼️ भगवत्कृपा हि केवलम् ‼️* 🚩 *सनातन परिवार* 🚩 *की प्रस्तुति* 🌼 *वैराग्य शतकम्* 🌼 🌹 *भाग - सत्रहवाँ* 🌹🎈💧🎈💧🎈💧🎈💧🎈💧🎈💧*अर्थानामीशिषे त्वं वयमप

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🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️ *‼️ भगवत्कृपा हि केवलम् ‼️* 🚩 *सनातन परिवार* 🚩 *की प्रस्तुति* 🌼 *वैराग्य शतकम्* 🌼 🌹 *भाग - सोलहवाँ* 🌹🎈💧🎈💧🎈💧🎈💧🎈💧🎈💧*न नटा न विटा न गायना न प

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🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️ *‼️ भगवत्कृपा हि केवलम् ‼️* 🚩 *सनातन परिवार* 🚩 *की प्रस्तुति* 🌼 *वैराग्य शतकम्* 🌼 🌹 *भाग - पन्द्रहवाँ* 🌹🎈💧🎈💧🎈💧🎈💧🎈💧🎈💧*त्वं राजा वयमप्युपासि

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🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️ *‼️ भगवत्कृपा हि केवलम् ‼️* 🚩 *सनातन परिवार* 🚩 *की प्रस्तुति* 🌼 *वैराग्य शतकम्* 🌼 🌹 *भाग - चौदहवाँ* 🌹🎈💧🎈💧🎈💧🎈💧🎈💧🎈💧*विपुलहृदयैर्धन्यैः कैश्च

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🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️ *‼️ भगवत्कृपा हि केवलम् ‼️* 🚩 *सनातन परिवार* 🚩 *की प्रस्तुति* 🌼 *वैराग्य शतकम्* 🌼 🌹 *भाग - तेरहवाँ* 🌹🎈💧🎈💧🎈💧🎈💧🎈💧🎈💧*आजानन्माहात्म्यं पततु शल

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🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️🍀🏵️ *‼️ भगवत्कृपा हि केवलम् ‼️* 🚩 *सनातन परिवार* 🚩 *की प्रस्तुति* 🌼 *वैराग्य शतकम्* 🌼 🌹 *भाग - बारहवाँ* 🌹🎈💧🎈💧🎈💧🎈💧🎈💧🎈💧*स्तनौ मांसग्रन्थि कनकलशा

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*इस धरा धाम पर आकर जीव अनेक योनियाँ प्राप्त करके अपना समय व्यतीत करता है | यहाँ प्रत्येक जीव को गिनती की साँसों के साथ एक निश्चित समय मिला हुआ है उसी समयावधि में वह जो चाहे वह कर ले | धरती पर जीवों का सिरमौर मनुष्य है | मानव जीवन पाकर हम जो चाहे वह कर रहे हैं परंतु यह ध्यान नहीं दे पा रहे हैं कि हमक

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*इस संसार में भक्तजन सदैव से निर्गुण निराकार एवं सगुण साका की आराधना करते आये हैं | कोई निराकार ब्रह्म की पूजा करता है तो कोई साकार की | साकार को जाने बिना निराकार को नहीं जाना जा सकता है | जो प्रेम , भाव एवं लीला का अनुभव सगुण साकार में हो सकता है वह निर्गुण निराकार में शायद ही हो पाये | कुछ लोग कह

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🏵️🌟🏵️🌟🏵️🌟🏵️🌟🏵️🌟🏵️🌟 *‼️ भगवत्कृपा हि केवलम् ‼️*☘️🌞☘️🌞☘️🌞☘️🌞☘️🌞☘️🌞*भगवत्प्रेमी सज्जनों ,* *तुलसीदास जी द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस अपने आप में अनेक गूढ़ार्थों को समेटे हुए आवश्यकता है इसकी सत्यता को जानने की | मानस ऐसा अथाह सागर है

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*मानव जीवन बड़ा ही विचित्र है यहां समय-समय पर मनुष्य को सुख एवं दुख प्राप्त होते रहते हैं | किसी - किसी को ऐसा प्रतीत होता है कि जब से उसका जन्म हुआ तब से लेकर आज तक उसको दुख ही प्राप्त हुआ है ! ऐसा हो भी सकता है क्योंकि मनुष्य का इस संसार में यदि कोई सच्चा मित्र है तो वह दुख ही है क्योंकि यह दुख स

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*मानव जीवन में प्रकृति का बहुत ही सराहनीय योगदान होता है | बिना प्रकृति के योगदान के इस धरती पर जीवन संभव ही नहीं है | यदि सूक्ष्मदृष्टि से देखा जाए तो प्रकृति का प्रत्येक कण मनुष्य के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करता है | प्रकृति के इन्हीं अंगों में एक महत्वपूर्ण एवं विशेष घटक है वृक्ष | वृक्ष का मानव

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*सृष्टि के आदिकाल से ही इस धराधाम पर सनातन धर्म की नींव पड़ी | तब से लेकर आज तक अनेकों धर्म , पंथ , सम्प्रदाय जो भी स्थापित हुए सबका मूल सनातन ही है | जहाँ अनेकों सम्प्रदाय समय समय बिखरते एवं मिट्टी में मिलते देखे गये हैं वहीं सनातन आज भी सबका मार्गदर्शन करता दिखाई पड़ता है | सनातन धर्म अक्षुण्ण इसल

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*मानव जीवन में मनुष्य एक क्षण भी कर्म किए बिना नहीं रह सकता है क्योंकि यह सृष्टि ही कर्म प्रधान है | मनुष्य को जीवन में सफलता एवं असफलता प्राप्त होती रहती है जहां सफलता में लोग प्रसन्नता व्यक्त करते हैं वही असफलता मिलने पर दुखी हो जाया करते हैं और वह कार्य पुनः करने के लिए जल्दी तैयार नहीं होते | जी

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