*ईश्वर के द्वारा बनाई गयी यह सृष्टि बहुत ही रहस्यमय है | यहां पग पग पर एक नया रहस्य दिखाई पड़ता है | मनुष्य ने अपने बुद्धि बल से अनेक रहस्यों को उजागर भी किया है | ईश्वर के द्वारा प्राप्त विवेक से मनुष्य सर्वश्रेष्ठ प्राणी कहा गया है | सृष्टि के समस्त रहस्य खोजने के लिए तत्पर मनुष्य स्वयं के रहस्य क
*समस्त सृष्टि के कण - कण में ब्रह्म समाया हुआ है जिसे लोग ईश्वर , भगवान या परमात्मा के नाम से जानते हैं | ब्रह्म अर्थात ईश्वर स्वतंत्र है , वह परम शुद्ध और समस्त गुणों से परे है | वह सृष्टि के रचयिता , संरक्षक और विनाशक हैं | समय-समय पर अनेकों रूप धारण करके सृष्टि के संचालन , पालन एवं संहार का कार्
*हमारा देश भारत एवं हमारी भारतीय संस्कृति इतनी दिव्य है जिसका वर्णन कर पाना असंभव है | हमारे पूर्वज महापुरुषों ने मानव मात्र के कल्याण के लिए इतने नियम एवं विधान बता दिए हैं जिसे करने के बाद मनुष्य को और कुछ करने की आवश्यकता ही नहीं हैं | जीवन के प्रत्येक अंग , जीवन
*भारत देश पुरातन काल में विश्व गुरु कहा जाता था क्योंकि हमारे देश में सनातन धर्म के माध्यम से मानव मात्र के कल्याण के लिए अनेकों मान्यताएं एवं विधान बनाए गए थे | विश्व का कोई भी ऐसा देश नहीं होगा जिसने भारत की इन मान्यताओं एवं विधानों से शिक्षा न ग्रहण की हो | विश्व गुरु होने के साथ-साथ हमारा देश भा
ए जिंदगी तू है तो रहस्य... तुझे तरस कहूं ,तुझे ओस कहूं तुझे पारस कहूं, तुझे नूर कहूं तुझे धारा कहूं, तुझे किनारा कहूं तुझे धानी चुनर कहूं , तुझे काली ओढ़नी कहूं तुझे आस कहूं, तुझे विश्वास कहूं तुझे रंग कहूं, तुझे जंग कहूं तुझे पतंग कहूं, तुझे बहता नीर कहूं तुझे उपहार कहूं, तुझे अभिशाप कहूं तुझे कर्म
रात के 10 बजेथे। 18 साल की रज्जो अपनी साइकिल से खेतसे गुजरने वाले रास्ते से तेज-तेज गति में निकल रही थी। तभी धनिया वहां कुछ काम कररहा था, बोला “ अरे इतनी रात को क्या काम है तुझे ? क्या प्रेमी से मिलने जा रही है जो अंधेरे का वक्त चुना है तुने, कुछ डरहै कि नहीं तुझे, औरत ज
🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥 ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️ 🟣 *श्री हनुमान चालीसा* 🟣 *!! तात्त्विक अनुशीलन !!* 🩸 *छठवाँ - भाग* 🩸🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️*गतांक से आगे :--*➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖*पाँचवें भाग* में आपने पढ़ा :---*श्री गुरु चरण सरोज रज ,**निज मन मुक
🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥 ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️ 🟣 *श्री हनुमान चालीसा* 🟣 *!! तात्त्विक अनुशीलन !!* 🩸 *पंचम् - भाग* 🩸🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️*गतांक से आगे :--*➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖*चतुर्थ भाग* तक आपने पढ़ा:--*श्री गुरु चरण सरोज रज**निज मन मुकुर सुध
🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥 ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️ 🟣 *श्री हनुमान चालीसा* 🟣 *!! तात्त्विक अनुशीलन !!* 🩸 *भाग - चतुर्थ* 🩸🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️*गतांक से आगे :--*➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖*तृतीय भाग* तक आपने पढ़ा :---*"श्री गुरु चरण"* की व्याख्या ! अब आगे
🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥 ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️ 🟣 *श्री हनुमान चालीसा* 🟣 *!! तात्त्विक अनुशीलन !!* 🩸 *भाग - तृतीय* 🩸🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️*गतांक से आगे :--*➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖*द्वितीय भाग में आपने पढ़ा :--**श्री
🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥 ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️ 🟣 *श्री हनुमान चालीसा* 🟣 *!! तात्त्विक अनुशीलन !!* 🩸 *भाग - द्वितीय* 🩸🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️*गतांक से आगे :--*➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖गोस्वामी तुलसीदास जी ने *दोहे* का प्रारंभ *"श्री गुरु"* से किया ह
*इस संसार की रचना परमपिता परमात्मा की इच्छा मात्र से हुई है ! ब्रह्मादि देवताओं के आधारभूत पारब्रह्म को जगतनियन्ता , जगत्पिता आदि की उपाधियों से विभूषित किया जाता है | उसी दिव्य शक्ति को विराट पुरुष , श्रीहरि विष्णु ईश्वर , परमेश्वर , भगवान आदि कहा जाता है ! ईश्वर को किसी ने देखा नहीं है वह तो मात्
🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺 ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️ 🐍🏹 *लक्ष्मण* 🏹🐍 🌹 *भाग - ३* 🌹🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸*➖➖➖ गतांक से आगे ➖➖➖**हम लक्ष्मण जी के जीवन के रहस्यों को उजागर करने का प्रयास करते हुए उनकी विशेषताओं पर चर्चा कर रहे हैं :---**लक्ष्मण जी बचपन
*इस संसार में जन्म लेने के बाद मनुष्य का लक्ष्य होता है मोक्ष प्राप्त करना | मोक्ष प्राप्त करने के लिए हमारे महापुरुषों ने कई साधन बताए हैं | कोई भक्ति करके मोक्ष प्राप्त करना चाहता है तो कोई ज्ञानवान
*मानव जीवन यदि देखा जाय तो बहुत ही सरल एवं कठिन दोनों है | इस जीवन के रहस्य को वही जान पाता है जो जीवन को एक कुशल प्रबंधक की तरह प्रबंधित करता है | मानव जीवन में भूतकाल , वर्तमानकाल एवं भविष्यकाल का बहुत ही महत्व है इन्हीं तीनों कालों पर संपूर्ण मानव जीवन टिका हुआ होता है , जो इनके रहस्यों को जान जा
*देवासुर संग्राम में राक्षसों से परास्त होने के बाद देवताओं को अमर करने के लिए श्री हरि विष्णु ने समुद्र मंथन की योजना बनायी | समुद्र मंथन करके अमृत निकाला गया उस अमृत को टीकर देवता अमर हो गए | ठीक उसी प्रकार इस धराधाम के जीवों को अमर करने के लिए वेदव्यास जी ने वेद पुराणों का मंथन करके श्रीमद्भागवत
*सृष्टि के आदिकाल में वेद प्रकट हुए , वेदों का विन्यास करके वेदव्यास जी ने अनेकों पुराणों का लेखन किया परंतु उनको संतोष नहीं हुआ तब नारद जी के कहने से उन्होंने श्रीमद्भागवत महापुराण की रचना की | श्रीमद्भागवत के विषय में कहा जाता है यह वेद उपनिषदों के मंथन से निकला हुआ ऐसा नवनीत (मक्खन) है जो कि वेद
*मानव जीवन में षट्कर्मों का विशेष स्थान है | जिस प्रकार प्रकृति की षडरितुयें , मनुष्यों के षडरिपुओं का वर्णन प्राप्त होता है उसी प्रकार मनुष्य के जीवन में षट्कर्म भी बताये गये हैं | सर्वप्रथम तो मानवमात्र के जीवन में छह व्यवस्थाओं का वर्णन बाबा जी ने किया है जिससे कोई भी नहीं बच सकता | यथा :- जन्म ,
*कार्तिक माह में चल रहे "पंच महापर्वों" के चौथे दिन आज अन्नकूट एवं गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाएगा | भारतीय सनातन त्योहारों की यह दिव्यता रही है कि उसमें प्राकृतिक , वैज्ञानिक कारण भी रहते हैं | प्रकृति के वातावरण को स्वयं में समेटे हुए सनातन धर्म के त्योहार आम जनमानस पर अपना अमिट प्रभाव छोड़ते हैं