💫✨❇️💫✳️✨✳️❇️❇️ एक जापानी कहावत है ✳️'✳️चावल के काले पत्थर से नही ,❇️💫उसमें छुपे सफेद पत्थर से डरिये✨❇️✳️✨💫❇️✳️✨💫❇️✳️💫
रात को अकेले अपने कमरे में काश्वी ने उन किताबों में से एक को पढ़ना शुरू किया, उसे पढ़ते हुए काश्वी को निष्कर्ष की बात याद आने लगी, निष्कर्ष ने उसे ये किताबें इसलिये दी जिससे वो अकेला ना महसूस करें और
ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है ।इस कहानी का उद्देश्य किसी भी वर्ग समुदाय को ठेस पहुंचाना नहीं है । ❤️💚✨💫 u are my destiny ❤️💚✨💫
इधर सम्राट माहिरा से छुप - छुप कर मिलता रहा । सम्राट ने अपने चाल चल दी थी । उसने माहि को बताया था कि अर्जिता नहीं चाहती है कि हमदोनों एक साथ रहे । उसने मुझसे कहा था कि वो मुझे पसंद करती है । शाय
अर्जिता जो अब तक सोच रही थी कि वह माहिरा को कैसे बताएगी ये सब । फीर अपने आप को मजबूत करते बोली -कैसे भी हो माहि मैं तुम्हें और अंधेरे में नहीं रख सकती हूँ । अब आगे ......
अनिका दांत दिखाते हुए दोनों से बोली — 😁 तुम दोनों का तो यहीं काम हैं । दूसरे की जिंदगी में क्या चल रहा है यह पता लगाना । कभी खुद के
निष्कर्ष इधर–उधर सब तरफ काश्वी को ढूंढने लगा, उसने काश्वी को फोन भी किया लेकिन फोन लगा नहीं, वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाकर काश्वी को बुलाने लगा लेकिन काश्वी का कुछ पता नहीं लग रहा था, उसने थोड़ी दूर जा
एक दिन माहिरा स्कूल के कैंपस में झूले पर बैठी थी । तभी वहां सम्राट आया और माहिरा को हेलो ! बोल कर उसके पास वाली झूले पर बैठ गया । अब आगे ....... &nb
अर्जिता गुस्से से अपना आँख बंद करते हुए बोली - देखो सेजल हम कुछ और बाते करते हैं पर इस टॉपिक पर नहीं । सेजल - क्यू नहीं कर सकते ?
कॉलेज के कैफेटेरिया में बैठी सेजल और अर्जिता कॉफी पीते हुए गाना सुन कर इधर-उधर की बातें कर रही थी कि तभी सेजल ने अर्जिता से पूछी कौन सा सांग है ? जरा मुझे भी तो सुनाओ अपना सांग और अर्जिता से एक इयर वर
पार्लर गर्ल अनिका को रेडी करने लगी और सौम्या कमरे से बाहर चली आई ये देखने के लिए की नीचे क्या हो रहा है अभी ? वह ऊपर से ही पिलर के पीछे खड़ा हो कर नीचे हॉल में देख रही थी , क्योंकि सौम्या
सौम्या अनिका को अपने रूम में लेकर गई और उससे पूछी — आज तुम हल्दी में इतनी परेशान क्यों लग रही थी । तो अनिका उससे बोली पहले हम फ्रेश होकर आते हैं तब बात करेंगे । मुझे तुमसे सुबह मे
आज इस वक्त अनिका को ये सारी बाते एक के बाद एक याद आने लगी थी , अचानक से आदि के प्रोपज कर देने से । जो कुछ दिन पहले सौम्या ने उससे कहा था । अनिका यहीं सब सोचते - सोचते सो गई ।
अनिका — हाँ - हाँ नहीं तोड़ूंगी दोस्ती तुमसे । आखिर तुम क्या कहने वाले हो ? ..... देखों ... . . आदि तुम्हें जो भी कहना है । साफ - साफ कहों । यूं बात को घूमा - घूम
कुछ देर बाद इस सॉग के साथ ही आज का कार्यक्रम समाप्त हो गया । सब लोग अपने अपने घर चले गये । इधर अभी भी हर्षवर्धन जी दहेज के पैसों को लेकर चिंतित थे , क्योंकि अब तक पैसों का इतंजाम न
ये सब याद करते हुए शशांक कब अपने घर पहुंचा , उसे पता हीं नहीं चला । वो बस सौम्या के ख्यालों में खोया हुआ था और मुस्कुरा रहा था । तीन दिन बाद आज शशांक सौम्या के
तुम ही बताओं ... क्या तुम खुश रह पाओगी उसके दिल को तोड़ कर ? गरीबों की खुशी के साथ अपनी पूरी जिंदगी एक उसके बिना ... ? बताओं .... बोलों ... ?
शशांक उपन्यास को दिखाते हुए मुस्कुराकर 😊 कहा और कमरे से बाहर आ गया । शशांक के बाहर जाते ही सौम्या धम से अपने बेड पर बैठ गई । उसके आंखों में आंसू आ गए थे शशांक की ऐसी बातें सुनकर ।
शशांक — सौम्या ... उ .. म्म ... तुम भी बहुत अच्छी हो ... बहुत प्यारी हो । ऐसे ही मैं तुम्हारे आगे - पीछे नहीं घुम रहा हूँ .. । तीन साल ... तीन साल हो गया था तुमसे
अनिका छत पर पहुंचते ही आदित्य को खुशी के मारे गले लगाते हुए कहने लगी — यार आदि आज तुने मेरा दिल खुश कर दिया है . . . सच कह रही हूं मै । पहली बार तूने कोई काम किया है . . . ज