शशांक उपन्यास को दिखाते हुए मुस्कुराकर 😊 कहा और कमरे से बाहर आ गया । शशांक के बाहर जाते ही सौम्या धम से अपने बेड पर बैठ गई । उसके आंखों में आंसू आ गए थे शशांक की ऐसी बातें सुनकर ।
शशांक नीचे हॉल में आ गया और आदि एवं अनिका का नीचे आने का वेट करने लगा । वो बहुत खुश लग रहा था । उसके आँखों में एक अलग तरह की चमक थी इस समय । वो बार - बार सौम्या से ली हुई यानि कि जबरदस्ती ली हुई उपन्यास को देख रहा था और मुस्कुरा रहा था ।
इधर आदि अभी भी अनिका को बस देखे जा रहा था । वो ये सोच रहा था कि कोई ऐसे कैसे हो सकता है । इसको तो किसी का कोई परवाह ही नहीं होता है कि कौन उसके बारे में क्या सोचता है । ये इतनी अच्छी मुझे कब से और क्यों लगने लगी । शायद इसके इन्ही सब हरकतों का मुझ पर असर हुआ होगा । 🤔🤔 खैर अब जो भी हो । अब तो मैं इससे प्यार करने लगा हूँ ... । ये पता नहीं कब समझेगी । समझेगी भी या नहीं । 🙄 पता नहीं पर मैं अब इसे बता दूंगां कि मैं इससे प्यार करता हूँ ... ।
आदि खुद से बाते करने में इतना मसगूल था कि अनिका उससे कब अलग हुई उसे पता ही नहीं चला । अनिका जब बहुत देर तक उसको भिन्न - भिन्न प्रकार के शक्ल बनाते 😄हुए देखी तो वो उसको उसके कंधों से पकड़कर जोर से हिलाई । ( क्योंकि वो ठहरा हठा कठा इंसान बेचारी अनिका धीरे से हिलाती तो उस पर कोई असर ही नहीं पड़ता ।😀😀 ) तब जाकर आदि अपने ख्याली दुनिया से बाहर आता है ।
अनिका — यह क्या था ...किस बात पर तुम अपना यह शक्ल बना बिगाड़ रहे थे ।
आदित्य अनिका के ऐसे पूछने पर हड़बड़ा जाता है उसे कुछ समझ नहीं आता है कि क्या कहे तो वह हड़बड़ाहट में वो .. मैं .. मैं ... वो .. वो .. मैं .... तुम ..
अनिका उसकी वो ..वो ..मैं .. मैं .. सुन कर चिढ़ जाती है और अपने शक्ले बिगड़ते हुए कहती है — . . . इससे आगे कुछ बोलोगे ... या बकरी की तरह मैं .. मै . . करते रहोगें ।😏🤨 आदि अनिका के ऐसे खुद पर चिढ़ते हुए देख कर वो जल्दी - जल्दी में अनिका से बोल देता है कि वो उसके बारे में सोच रहा था ।
आदि तो जल्दी-जल्दी में यह बोल गया लेकिन अनिका की पल्ले नहीं पड़ी उसकी यह बातें । तो अनिका नासमझी में अपना सर खुजाते हुए खुद से बोलती हैं — हम्म ... तुम्हारे बारे में या ... नी कि ... मेरे बारे में ... , लेकिन ये क्या सोच रहा होगा ??🤔🤔 फिर जैसे आनिका को कुछ याद आ गया हो ... उसने खुद से कहा — हाँ .... ये गधा मेरे आज के हरकतों के बारे में ही सोच रहा होगा ... जरूर यही सोच रहा होगा कि आज मैं इतने अच्छे से कैसे पेश आ गई । चलो कोई नहीं बाद में पूछूंगी इससे । यह बात खुद से कहती है — अभी नीचे चलते हैं . . . बहुत देर हो गई है और यह बात सोचते हुए वह एकदम से चौकी जैसे उसे कुछ याद आ गया हो .... वह अपने मुंह पर हाथ रख लेती है । हो ... अ ... और कहती है — हे भगवान 🤦🏻♀️ हम इतने देर से यहाँ है . . ।कहीं सौम्या ने नीचे काम खराब ना कर दिया हो । बात बनते - बनते बिगड़ जाएगी । बिचारे शशांक की तो वह बुरा हाल कर दी होगी टोंट मार मार के ...और अनीका यह कहते हुए आदि का हाथ पकड़ी और उसे अपने साथ खींचते हुए नीचे ले जाने लगी । दोनों जब नीचे आए तो वहां का माहौल शांत देखकर दोनों एक दूसरे के तरफ देखे जैसे कोई बहुत बड़ी अनहोनी होने वाली है या हो चुकी है ।
क्योंकि उन दोनों ने शशांक को हॉल में अकेले बैठा हुआ देखा था । अनिका आदि को वहीं छोड़कर तुरंत ऊपर भागी सौम्या के रूम में और जैसे ही वह दरवाजा खोली तो वह देखती है कि सौम्या बेड पर बैठी रो रही थी । बहुत देर तक रोते रहने से सिसकियां बंध चुकी थी । वह लगातार दीवार को घूरे जा रही थी और अपने आंसू को रोकने का प्रयास भी कर रही थी ।
अनिका जल्दी से उसके पास आई और उसे एक टाइट हग कर ली । फिर वह सौम्या को अपनी तरफ घुमा कर उसके आंसू साफ करते हुए थोड़े चिंतित लहजे में पूछी — क्या हुआ सोमू ... ? उसने कुछ कहा क्या ? क्यों रो रही हो तुम ? प्लीज बताओं मुझे .... ।
सौम्या अनिका का साथ पाकर और जोर - जोर से रोने लगी और रोते हुए कहने लगी — यार .. अन्नु ... मैं .. मैं बहुत गंदी हूं 😭 मैंने फिर से शशांक को हर्ट 💔 कर दिया है । वह बहुत अच्छे इंसान हैं . . .और मैं उन्हीं से शादी करना चाहती हूं ... लेकिन ....
तभी अनिका उसके बाद को बीच में काटते हुए थोड़ी नाराजगी भरे स्वर में बोली — हम्म ... क्या यार ... लेकिन ... लेकिन का माला जपते रहती हो ... तुम थकती नहीं हो क्या इस लेकिन ... से ? जब देखो तब लेकिन पुराण लेकर बैठ जाती हो ... कभी तुम्हारे जिंदनी से दूर होने का नाम ही नहीं देता है ये । लेकिन अब बस करो ... बहुत हो गया ... । तुम बहुत लकी हो कि तुम्हें शशांक के जैसा लड़का पति के रूप में तुम्हें मिल रहा है । उसके जगह कोई और होता यहां ... तो वह कब का चला गया होता , तुमसे दूर ... वो भी बहुत दूर ... मुड़ के तुम्हारी तरफ नहीं देखता ।
फिर अनिका कुछ रुक कर सौम्या से बोली — वह तुम्हारा बहुत कद्र करता है , लेकिन तुम .. तुम उसे बेइज्जत करने का एक भी मौका खाली नहीं जाने देती हो अपने हाथ से । तुम्हें अपनी कदर है और ना उसकी और उसके प्यार की कदर हैं । तुम ही बताओं ... क्या तुम खुश रह पाओगी उसके दिल को तोड़ कर ? क्या जी पाओंगी खुशी के साथ अपनी पूरी जिंदगी एक उसके बिना ... ? बताओं .... बोलों ... ?
क्रमशः