अनिका छत पर पहुंचते ही आदित्य को खुशी के मारे गले लगाते हुए कहने लगी — यार आदि आज तुने मेरा दिल खुश कर दिया है . . . सच कह रही हूं मै । पहली बार तूने कोई काम किया है . . . जो मुझे बहुत अच्छा लगा । यार ... तुम बहुत अच्छे हो .... बहुत .... । मेरे इतना कुछ कहने के बाद भी तुने मेरी हेल्प करी । सच में मैं बहुत खुश हूँ आज ... ।
बैकग्राउंड सॉग
सामने आ गए वो आज
लुट गयी ये आँखें
बिना लफ्जों के उनसे यार
चल पड़ी हैं बातें
पहला लम्हा मोहब्बत का
ज़िन्दगी में जो आया है
हाल देखो मेरा बेचैन हूँ
दवा करो
आदि तो बस बूत बन गया था । उसे ये सब एक बहुत ही प्यारा सा सपना लग रहा था । जिससे वो बाहर नहीं जाना चाह रहा था । उसे यह तब हकीकत लगा , जब अनिका ने उसे खुशी के मारे उसके गाल पर किस कर दिया था । बेचारी अनिका तो ये सब खुशी में कर रही थी , लेकिन हमारे आदि जी के दिल में तितलीयां उड़ने लगी थी । वो तो बस अनिका को अपलक निहारे जा रहा था ...😍 और हमारी प्यारी अनिका बस बोले जा रही थी , नॉनस्टॉप ... अब आप सबको तो पता ही है कि हमारी ये प्यारी अनिका कितना कम बोलती है । 😜 जब बोलना शुरू करती है . . . तो बस बोलते ही रह जाती है ।
इधर सौम्या भी शशांक से बात नहीं करने के लिए ऊपर अपने कमरे में आ जाती हैं । शशांक जब यह देखता है . . तो वह भी बिना एक पल गंवाए उसके पीछे उसके कमरे में आ जाता है । सौम्या जब देखती है कि शशांक यहां भी आ गया है . . . तो वह उससे बोलती है ।
सौम्या — उ ... म्म ... शशांक देखीये मुझे आपसे कोई बात नहीं करनी है ।
यारों सब दुआ करो
मिल के फ़रियाद करो
दिल जो चला गया हैं
उसे आबाद करो
यारों तुम मेरा साथ दो ज़रा
शशांक — लेकिन मुझे तो करनी है ना । आज आप मुझसे भाग नहीं सकती हैं । आज मैं बोलूंगा और आप सुनोगे । यह कहते हुए उसकी नजर सौम्या के बेड पर रखे एक बुक पर गई । शशांक वहां गया और उसने वहां रखें उपन्यास को उठाते हुए कहा — ओह ... तो आप ये पढ़ती हो । वैसे नाम से ही लग रहा है कि यह बहुत अच्छा होगा । सौम्या उसके इस तरह बिना उससे पूछे .. उसके सामान को हाथ लगाने से चिढ़ गई और वो शशांक के हाथ से उस उपन्यास को लेते हुए कहा ।
एक बार मुझपे तू कर दे करम
मेरी गली लेके आजा अपने कदम
दूरियों में साँसे मेरी चलती हैं कम
जिसकी तलाश में थे हम हरदम
मिल गया मिल गया वो मेरा सनम
सौम्या — आपको यह पता होना चाहिए .. कि किसी के भी चीजों को छूने से पहले ... उसकी इजाजत लेनी पड़ती है । फिर सौम्या उस उपन्यास को अपने हाथ में हिलाते हुए कही और हां रही बात इस उपन्यास के नाम से ही अच्छा होना ... तो ये सही है कि यह बहुत ही अच्छी उपन्यास है , लेकिन अफसोस ! कि आप इस नाम का अर्थ अच्छा से नहीं जानते हो । तो आप इसे ना छुए तो बेहतर होगा आपके लिए । आप जैसे राक्षस - लोभी - निर्दई 😡 कभी नहीं जान पाएंगे कि इसका अर्थ वाकई में क्या होता है ? सौम्या इस समय बहुत गुस्से में थी ।
सौम्या आज प्लाजो और कुर्ता पहने हुए थी और उसने अपने बालों को खुला ही छोड़ दिया था । वो बिना मेकअप के भी बहुत सुंदर लग रही थी ।
तू इतनी खूबसूरत हैं
हमें तेरी जरुरत है
तुम्हें चाहे हो ना हमसे
हमें तुमसे मोहब्बत है
शशांक चुप - चाप सौम्या को देख रहा था उसे सौम्या की बातों से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था । वो तो बस अपलक सौम्या को देखे जा रहा था । 😍 सौम्या उसे गुस्से में और भी प्यारी लग रही थी । गुस्से की वजह से उसका चेहरा सूरज की पहली किरण की तरह लाल पड़ गई थी । मतलब सेब की तरह । उसके नाक के नथुने भी गुस्से के वजह से फड़ - फड़ा रहे थे । आँखें गुस्से से लाल हो गई थी और उसके बाल हवा के कारण बार - बार उसके चेहरे पर आ - जा रहे थे ।
तुमने नज़रें मिलायी तो
चल पढ़ी हैं साँसे
ज़ुल्फ़ें लहराई तो हुई
इश्क़ की बरसातें
पहला बादल वो चाहत का
मेरे दिल पे जो छाया है
के ऐसे दूर ना रहे
ये उनसे कहा करो
शशांक को सौम्या गुस्से वाली शक्ल में भी बहुत क्यूट लग रही थी । वह उसके ख्यालों में गुम था । बाहर क्या हो रहा है उसे कुछ पता नहीं था । शशांक की तंद्रा तब टूटी जब सौम्या ये सब कहते हुए रो पड़ी । शशांक एकदम से डर गया । सौम्या को इस तरह रोते देख कर । वो घबराहट के मारे इधर - उधर देखने लगा । उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था , कि वो क्या करे .. सौम्या को चुप कराने के लिए । शशांक एकाएक सौम्या के करीब गया और उसे अपने गले से लगा लिया । सौम्या भी उसके सीने से लग कर पहले से ज्यादा रोने लगी ।
सौम्या बेतहासा रोये जा रही थी । आज उसके सब्र का बांध टूट चुका था । महीनों से जो आँसू उसने किसी के भी सामने नहीं बहाया था । वो आज शशांक के सीने से लग कर उसके शर्ट को भिगों रही थी ।
शशांक भी सौम्या के स्थिति को समझ रहा था , इसलिए उसने सौम्या को कुछ देर तक रो लेने के लिए छोड़ दिया ताकि उसका मन थोड़ा हल्का हो जाए ।
कुछ समय बाद सौम्या का रोना कम हुआ लेकिन बंद नहीं हुआ । वो अभी भी शशांक के सीने से लगी हुई थी और अब वो उससे रो ... रो कर कहने लगी ।
सौम्या — शशांक आप जैसे इंसान से भला कौन लड़की शादी नहीं करना चाहेगी । आप तो लाखों में एक हो । मेरे इतना कुछ कहने के बाद भी आप यहाँ खड़े हो । आपको मेरे किसी भी बात का बुरा नहीं लगा .. कभी भी । आप सच में बहुत ... बहुत अच्छे हो ।
यारों सब दुआ करो
मिल के फ़रियाद करो
दिल जो चला गया है
उसे आबाद करो
यारों तुम मेरा साथ दो ज़रा
शशांक सौम्या की ये बात सुनकर मुस्कुराने लगा था ।
उसने सौम्या से कहा ।
शशांक — सौम्या ... उ .. म्म ... तुम भी बहुत अच्छी हो ... बहुत प्यारी हो । ऐसे ही मैं तुम्हारे आगे - पीछे नहीं घुम रहा हूँ .. । तीन साल ... तीन साल हो गया था तुमसे मिले हुए ... फिर भी मैं तुम्हें अपने जेहन से नहीं निकाल पाया था । सोचता था कि कभी कोई तुम जैसी मिल जायेगी तो शादी कर लूंगा , लेकिन इस दुनिया में तुम एक ही हो । तुम्हारे जैसी कोई नहीं हैं यहां ।
क्रमश: