शशांक — सौम्या ... उ .. म्म ... तुम भी बहुत अच्छी हो ... बहुत प्यारी हो । ऐसे ही मैं तुम्हारे आगे - पीछे नहीं घुम रहा हूँ .. । तीन साल ... तीन साल हो गया था तुमसे मिले हुए ... फिर भी मैं तुम्हें अपने जेहन से नहीं निकाल पाया था । सोचता था कि कभी कोई तुम जैसी मिल जायेगी तो शादी कर लूंगा , लेकिन इस दुनिया में में तुम एक ही हो । तुम्हारे जैसी कोई नहीं हैं यहां ।
फिर शशांक थोड़ा रुक कर सौम्या से पूछता है ।
शशांक — सौम्या ....
सौम्या — हम्म ....
शशांक — उम्म ... एक बात पूछनी है तुमसे ..
सौम्या — हाँ बोलो ... क्या पूछना है . . ?
शशांक बाहर के तरफ लंबी सांस छोड़ते हुए बोला — अम्म ... तुम मुझसे शादी करना चाहती हो की नहीं ?
अभी तुमने कहा कि मेरे से भला कौन लड़की शादी नहीं करनी चाहेगी ... तो क्या तुम मुझसे शादी करना चाहती हो ? ये सब कहते वक्त शशांक के चेहरे पर गम्भीरता आ गई थी ... थोड़ा डर भी उसके चहेरे पर दिख रहा था ।
सौम्या का रोना अब बंद हो गया था , लेकिन अभी भी वो उसके सीने में लगी हुई थी और शशांक भी उसको अपने से अलग नहीं किया था । दोनों ही ये भुल गए थे कि वो अभी भी एक - दूसरे को आपने बांहों में लिए हुए हैं ।
सौम्या उसके सिने पर सर रखे ही उसके तरफ देखी और फिर बोली — हाँ ! ये सच है कि मैं आप से शादी करना चाहती हूँ । मैं ये चाहती हूँ कि आप ही 💖💝मेरे जीवन साथी💝💖 बनो ।

शशांक उसके बालों को ठीक करते हुए कहा — तो फिर ये ज़िद कैसी हैं ? छोड़ दो ना इस जिद को .... ।
तुम सिर्फ एक बार मेरी आँखों में देख कर मुस्कुराते हुए शादी के लिए हाँ ! कह दो ... बस । उसके बाद क्या करना हैं वो मेरे ऊपर छोड़ दो ।
सौम्या ... शशांक की ये बात सुनकर उसे लगभग धक्का देते हुए उससे अलग हो गई और अपनी आइब्रों को रेज 🤨 करते हुए कही — शशांक .... क्या मैं आपको पागल दिखती हूँ या मेरे माथे पे पागल लिखा हुआ है ? आपको क्या लगता है . . ? मैं अपने खुशियों के खातिर अपने परिवारवालों के खुशियों का गला घोट दूंगी ! उम्म ऽ ऽ ऽ ऐसा लगता है आपको ? या फिर आपको ये लगता है कि मैं अपने खुशी के लिए कुछ भी कर सकती हूँ ... ऐसी लड़की लगती हूँ मैं आपको ?
अगर ऐसा ख्याल है आपका मुझे ले कर तो ... मैं आपको बता दूं ... आप वहम् में जी रहे हो .. समझे ।
आप अपने दोनों कान खोल कर सुन लिजिए मेरी यह बात और दिमाग में बिठा लिजिए । मैं कभी भी आपकों हाँ ! नहीं कहूँगी .. । फिर थोड़ा रुक कर बोली — इस शादी में भैया और भाभी की .. हाँ ! है । मेरी नहीं । उनको इस शादी के होने से खुशी मिल रही है . . . मुझे नहीं ।

सौम्या की ... ये सारी बातें सुन कर शशांक के चेहरे पर गम्मभिरता छा गई थी । उसने अपने आँखों को छोटा करते हुए नीचले होठ को अपने दाँत से दबाते हुए सौम्या के तरफ बढ़कर उसको कंधों से पकड़ कर उसके आँखों में देखते हुए सर्द लहजे में कहा — मैं शादी सिर्फ तुमसे ही करूंगा । ये मेरा आखीरी फैसला है । तुम मानों या ना मानों .. ये तुम्हारे ऊपर हैं और तुम मेरी आगे की बात नहीं सुनना चाहती हो ... तो मत सुनो , लेकिन .. हाँ ! तीन - चार दिन के भित्तर तुम भैया - भाभी और माँ के चेहरे पर मुस्कुराहट देखोगी ... वो भी बहुत ज्यादा ... । शशांक ये बात कह कर सौम्या को छोड़ दिया और बेड पर उपन्यास सौम्या ने रखा था , उसको शशांक ने उठा लिया और जाते - जाते ये कहते गया — और हाँ ! सौम्या मै जो ठान लेता हूँ , वो करके दिखाता हूँ । फिर वो कुछ रुक कर बोला — मैं ... अपने फ्यूचर में मेरे साथ तुमको देखा है । मैं यह उपन्यास ले जा रहा हूं । शायद इसे पढ़कर मुझे इसका सार्थक अर्थ पता हो जाए , लेकिन इसका सही मायने में अर्थ तुम्हारे साथ रहकर पता चलेगा । 😊 तो तुम तैयार रहना । मुझे तुमसे जानना है "💖💝 मेरे जीवनसाथी 💝💖 " का अर्थ । शशांक उपन्यास को दिखाते हुए मुस्कुराकर 😊 कहा और कमरे से बाहर आ गया । शशांक के बाहर जाते ही सौम्या धम से अपने बेड पर बैठ गई । उसके आंखों में आंसू आ गए थे शशांक की ऐसी बातें सुनकर ।
क्रमशः