चुनावी मौसम में
झूठ पर झूठ बोली जाएगी,
खाई जाएगी,परोसी जाएगी,
झूठ चासनी में डुबायी जाएगी।
बड़े प्यार से खिलायी जाएगी।
उसकी बन्दिशें हटायी जाएंगी।
चुनाव की होली है।
कई हफ्तों खेली जायेगी।
कीचड़ उछाल खेली जायेगी।
झूठ को मौका है अभी
जी भर के इतराएगी ।
आखिर में उसकी असली जगह
जनमत द्वारा दिखा दी जायेगी।