गोपाल का जन्म हुआ, मथुरा नगरी आई बहार,
कंस के कारागार में, छाया आनंद का संसार।
यशोदा के नंदलाला, वसुदेव-देवकी के लाल,
तोड़ दीं सब बेड़ियाँ, खुल गए बंदीगृह के ताल।
कृष्णा की लीला न्यारी, माखन-चोर बन खेले रास,
गोपियों संग रास रचाया, मुरली की मस्ती खास।
कंस का अंत कर, धर्म की स्थापना का प्रण,
बाल गोपाल की छवि देख, हो जाएं हम सब दंग।
भक्ति में डूबे हैं सब, गूंजे हर घर में जयकार,
नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की पुकार।
जन्माष्टमी का पर्व है आया, भक्तों का जीवन हर्षाया,
श्रीकृष्ण के प्रेम में डूबकर, हर दिल ने भगवत गाया।
कृष्ण का बालपन सुहाना, हर दिल में बसा प्यारा नाम,
गोकुल की गलियों में गूंजे, कृष्ण कन्हैया का आवाहन।
माखन की मटकी फोड़ी, गोपियों के दिल में बसाए प्यार,
राधा संग रास रचाया, जिसने मिटाई जग की दरार।
मधुबन की मस्ती में खोए, मुरली की तान हो गई मशहूर,
संसार को सिखाया प्रेम का अर्थ, हर युग में दिया नया सुर।
कुरुक्षेत्र के रण में भी, धर्म की राह दिखाई,
गीता के उपदेश से, मानवता को जीवन की राह बताई।
गोपियों का प्रेम निराला, भक्तों का उत्सव सजीव,
कृष्ण के चरणों में समर्पण, बन जाए जीवन का संजीव।
जनमाष्टमी का पर्व ये, हमें सिखाए धर्म का मार्ग,
कृष्णा के आशीर्वाद से, हर जीवन हो उज्जवल और उजास।
नंदलाल का जन्मदिन है आया, मन में उमंगें, दिल में प्रकाश,जय
हो नटखट बाल गोपाल की, जय हो कान्हा के मधुर रास।