shabd-logo

1(4)√वक्रोक्ति अलंकार

18 जून 2023

55 बार देखा गया 55

  वक्रोक्ति अलंकार 

    वक्रोक्ति शब्द वक्र+उक्ति के योग से बना है, जिसका अर्थ है टेढ़ा कथन अर्थात् जब वक्ता के  कथन का श्रोता अन्य अर्थ ग्रहण कर,ग्रहण किये गये अर्थ के अनुसार व्यहार या कथन करे तब वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है।दूसरे शब्दों में जब  व्यक्ति के एक अर्थ में कहे गये शब्द या वाक्य का दूसरा व्यक्ति जानबूझकर दूसरा अर्थ कल्पित करे तब वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है।इस अलंकार का प्रयोग विशेषकर हास परिहास और व्यंग्यात्मक वार्तालाप में होता है । 

   आचार्य भामह ने वक्र शब्द और अर्थ की उक्ति को काम्य अलंकार मानकर और आचार्य कुन्तक ने वक्रोक्ति को काव्य का जीवन मानकर इस अलंकार को सर्वाधिक महत्त्व दिया है। ‘शब्द’ और ‘अर्थ’ दोनों में ‘वक्रोक्ति होने के कारण ‘श्लेष’ की तरह यहाँ भी विवाद है कि यह शब्दालंकार में माना जाय या अर्थालंकार में।

 आचार्य जयदेव ने इसे अर्थालंकार में स्थान दिया है।

     इस अलंकार में श्लेष तथा काकु से वाच्यार्थ बदलने की कल्पना होती है। ‘काकु’ और ‘श्लेष’ शब्दशक्ति के ही अंग हैं। अतः इस अलंकार को आचार्य मम्मट सहित अधिकतर आचार्यो ने शब्दालंकार में ही स्थान दिया है।

वक्रोक्ति में चार बातों का होना आवश्यक है-

(क) वक्ता की एक उक्ति।

(ख) उक्ति का अभिप्रेत अर्थ होना चाहिए।

(ग) श्रोता उसका कोई दूसरा अर्थ लगाये।

(घ) श्रोता अपने लगाये अर्थ को प्रकट करे।

उदाहरण  :-

एक कह्यौ ‘वर देत भव, भाव चाहिए चित्त’।

सुनि कह कोउ ‘भोले भवहिं भाव चाहिए ? मित्त’ ।

किसी ने कहा-भव (शिव) वर देते हैं; पर चित्त में भाव होना चाहिये।
यह सुन कर दूसरे ने कहा- अरे मित्र, भोले भव अर्थात शंकरजी को रिझाने  के लिए ‘भाव चाहिये’ ?
अर्थात शिव इतने भोले हैं कि उनके रिझाने के लिए ‘भाव’ की भी आवश्यकता नहीं है वे तो बिना भाव के ही प्रसन्न हो जाते हैं और वरदान दे देते हैं।

आचार्य रुद्रट ने  इसके दो भेद किये है-

(1) श्लेष वक्रोक्ति अलंकार
(2) काकु वक्रोक्ति अलंकार

(1) श्लेष वक्रोक्ति अलंकार(चिपका अर्थ)

श्लेष वक्रोक्ति दो प्रकार के होते है-

(i) भंगपद श्लेष वक्रोक्ति अलंकार 
(ii) अभंगपद श्लेष वक्रोक्ति अलंकार 

(i) भंगपद श्लेषवक्रोक्ति का उदाहरण –

अयि गौरवशालिनी, मानिनि, आज
सुधास्मित क्यों बरसाती नहीं ?

निज कामिनी को प्रिय, गौ, अवशा,
अलिनी भी कभी कहि जाती कहीं ?

यहाँ नायिका को नायक ने ‘गौरवशालिनी’ कहकर मनाना चाहा है।नायिका नायक से इतनी तंग और चिढ़ी थी कि अपने प्रति इस ‘गौरवशालिनी’ सम्बोधन से चिढ़ गयी; क्योंकि नायक ने उसे एक नायिका का ‘गौरव’ देने के बजाय ‘गौ’ (सीधी-सादी गाय,जिसे जब चाहो तब पुचकारकर मतलब गाँठ लो), ‘अवशा’ (लाचार), ‘अलिनी’ (यों ही मँडरानेवाली मधुपी अर्थात भ्रमरी) समझकर लगातार तिरस्कृत किया था। नायिका ने नायक के प्रश्र का उत्तर न देकर प्रकारान्तर से वक्रोक्ति या टेढ़े ढंग की उक्ति से यह कहा, ”हाँ, तुम मुझे ‘गौः+अवशा+अलिनी समझते हो।

 इस वक्रोक्ति को प्रकट करनेवाले पद ‘गौरवशालिनी’ में दो अर्थ (एक ‘हे गौरवशालिनी’ और दूसरा ‘गौः, अवशा, अलिनी’) श्लिष्ट होने के कारण यहाँ श्लेषवक्रोक्ति है। और, इस ‘गौरवशालिनी’ पद को ‘गौः+अवशा+अलिनी’ में तोड़कर दूसरा श्लिष्ट अर्थ लेने के कारण यहाँ भंगपद श्लेषवक्रोक्ति अलंकार है।

(ii) अभंगपद श्लेषवक्रोक्ति का उदाहरण

एक कबूतर देख हाथ में पूछा, कहाँ अपर है ?
उसने कहा, ‘अपर’ कैसा ?वह उड़ गया, सपर है।
        यहाँ जहाँगीर ने नूरजहाँ से पूछा: एक ही कबूतर तुम्हारे पास है, अपर अर्थात दूसरा कहाँ है ?  इस बात पर नूरजहाँ ने दूसरे कबूतर को भी उड़ाते हुए कहा:- अपर अर्थात बिना पंख  का कैसा?वह तो इसी कबूतर की तरह सपर अर्थात पंख सहित था, सो  वह उड़ गया।यहाँ ‘अपर’ शब्द को बिना तोड़े ही ‘दूसरा’ और ‘बेपरवाला’ दो अर्थ लगने से अभंगश्लेष वक्रोक्ति  अलंकार है।

 1-राधा-कृष्ण का कुछ हास-परिहास देखते हैं-

  कौन द्वार पर, राधे मैं हरि।

  क्या कहा यहाँ ? जाओ वन में।

   कौन तुम ? मैं घनश्याम।
   तो बरसो कित जाय।।

2-माँ लक्ष्मी-पार्वती का विनोद तो देखें ही-
  'भिक्षुक गो कितको गिरिजे ? '

 ' सो तो मांगन को बलि द्वार गयो री|'

 यहाँ लक्ष्मीजी विनोद में पार्वतीजी से पूछती है कि हे गिरिजा तुम्हारा भिक्षुक अर्थात शिव कहाँ गए हैं ।पार्वतीजी भी परिहास में उत्तर देती हैं कि है लक्ष्मीजी भिक्षुक अर्थात विष्णु तो बलि के द्वार मांगने गये है |

(2) काकु वक्रोक्ति अलंकार (ध्वनि-विकार/आवाज में परिवर्तन)

    कण्ठध्वनि की विशेषता से अन्य अर्थ कल्पित हो जाना ही काकु वक्रोक्ति है।

   अर्थात जहाँ पर उच्चारण के कारण श्रोता वक्ता की बात का दूसरा अर्थ  अपने हिसाब निकाल लेता है, वहाँ काकु वक्रोक्ति अलंकार होता है।काकु वक्रोक्ति में कंठ ध्वनि अर्थात् बोलने वाले के लहजे में भेद होने के कारण दूसरा अर्थ कल्पित किया जाता है।

उदाहरण-

1-कह अंगद सलज्ज जग माहीं। रावण तोहि समान कोउ नाहीं।

 कह कपि धर्मसीलता तोरी। हमहुँ सुनी कृत परतिय चोरी।।

2-जब रावण ने अंगद से अपनी भुजाओं की शक्ति की डिंग मारी तब  अंगदजी कहते हैं- 

सो भुज बल राख्यो उर घाली। जीतेउ सहसबाहु बलि बाली।

3-माता सीता यह कथन भी काकु वक्रोक्ति का शानदार उदाहराण है-

मैं सुकुमारि नाथ बन जोगू।

तुमहिं उचित तप मो कहँ भोगू।।

4-यह दोहा काकु वक्रोक्ति का अप्रतीम उदाहरण है-

काह न पावक जारि सक, का न समुद्र समाइ।

का न करै अबला प्रबल, केहि जग कालु न खाइ॥

5-आइए अब दैनिक जीवन के अपने बात-चीत में हास-परिहास करते हुवे इस अलंकार का प्रयोग हम कैसे करते हैं इन उदाहरणों में देखें-

अ-’’उसने कहा जाओ मत, बैठो यहाँ।

मैंने सुना जाओ, मत बैठो यहाँ।’’
आ-आप जाइए तो। -(आप जाइए)
आप जाइए तो?-(आप नहीं जाइए)

इसी तरह,

इ-जाओ मत, बैठो।

जाओ, मत बैठो ।

ई-घोड़ा पकड़ो,मत जाने दो।

  घोड़ा पकड़ो मत,जाने दो।

इस प्रकार यह अलंकार बहुत ही उपयोगी और महत्त्वपूर्ण है।

                ।।धन्यवाद।।


60
रचनाएँ
साहित्याभूषण
0.0
"साहित्याभूषण" समस्त अलंकार जन-जन के लिए सरल-सहज सुलभ कराने का प्रयास मात्र है।किसी को भी कुछ मिल जाय तो यह संपादक का सौभाग्य है।आशा है कि सभी को "साहित्याभूषण" सर,अलंकार-सरोज समर्पित कर अलंकार-सरोवर में डुबकी लगाने की प्रेरणा अवश्य देता रहेगा। किसी भी सुधी जन को किसी भी प्रकार की त्रुटि मिल जाय तो सर्व प्रथम मैं उसके लिए हमेशा क्षमा प्रार्थी रहूँगा और उनके द्वारा की गयी हर अनुशंसा को शिरोधार्य करूँगा।
1

।।अलंकार परिचय।।

18 जून 2023
3
1
1

"अलंकार"अलंकरोति इति अलंकारः अर्थात् जो विभूषित करता हो वह अलंकार है। अलं क्रियते अनेन इति अलंकारः अर्थात्  जिसके द्वारा किसी की शोभा होती है वह अलंकार है। आचार्य जयदेव ने ‘‘चन्द्रालोक’’ में अलंकार

2

1 √(1) ।। अनुप्रास अलंकार ।।

18 जून 2023
1
1
0

 ।।अनुप्रास अलंकार।।                   अनुप्रास अलंकार एक प्रमुख शब्दालंकार है।अनुप्रास शब्द ‘अनु’ तथा ‘प्रास’ शब्दों के योग से बना है। ‘अनु’ का अर्थ है :- बार-बार तथा ‘प्रास’ का अर्थ है- वर्ण। अर्था

3

1 ( 2 ) ।।√यमक अलंकार।।

18 जून 2023
1
0
0

               ।।यमक अलंकार।। यह प्रमुख शब्दालंकार है। परिभाषा:-  वही शब्द पुनि पुनि परे,अर्थ परे जब होय। यमक अलंकार ही है,जान जाय सब कोय।। अर्थात      जब काव्य में एक ही शब्द बार-बार भिन्न-भिन्

4

1(3)√पुनरुक्ति, पुनरुक्तिप्रकाश,पुनरुक्तिवदाभास और विप्सा अलंकार

18 जून 2023
1
0
0

पुनरुक्ति, पुनरुक्तिप्रकाश पुनरुक्तिवदाभासऔर विप्सा अलंकार(आवृत्ति मूलक अलंकार) 1-पुनरुक्तिअलंकार और पुनरुक्तिप्रकाशअलंकार                  ।।1-पुनरुक्तिअलंकार।।   पुनरुक्तिअलंकार और पुनरुक्तिप्रक

5

1(4)√वक्रोक्ति अलंकार

18 जून 2023
2
0
0

  वक्रोक्ति अलंकार      वक्रोक्ति शब्द वक्र+उक्ति के योग से बना है, जिसका अर्थ है टेढ़ा कथन अर्थात् जब वक्ता के  कथन का श्रोता अन्य अर्थ ग्रहण कर,ग्रहण किये गये अर्थ के अनुसार व्यहार या कथन करे तब वहा

6

1(5) √ ।।श्लेष अलंकार।।

18 जून 2023
1
0
0

श्लेष अलंकार (प्रमुख शब्दालंकार) परिभाषा:- इक शब्द में जब रहते,चिपके अनेक अर्थ। तब उसमें श्लेष होता,  जानो बनो समर्थ।। श्लेष का अर्थ चिपका हुआ होता है अर्थात जब काव्य में एक ही शब्द के कई अर्थ होत

7

1(6)-वीप्सा अलंकार

18 जून 2023
2
0
0

        ।।वीप्सा अलंकार।। "आदर घृणा विस्मय शोक हर्ष युत शब्दों को दोहराये। अथवा विस्मयादिबोधक चिह्नों से भाव जताये। शब्द वा शब्द समूहों से विरक्ति घृणादि दर्शाये। तह वीप्सा अलंकार बन जन जन को लुभा

8

2 (1) √उपमा अलंकार simile

18 जून 2023
1
0
0

   उपमा अलंकार SIMILE      उपमा दो भिन्न-भिन्न वस्तु या प्राणी को बराबर-बराबर तौल( उप+मा)देने का प्रयत्न करती है। उपमा दो शब्दों से मिलकर बना है:-उप+मा यहाँ उप का अर्थ है समीप,पास या निकट और मा का

9

2(2) √रूपक अलंकार:- Metaphor

18 जून 2023
1
0
0

           रूपक अलंकार:- Metaphor  यह सादृश्य मूलक अभेद प्रधान आरोपधर्मी ताद_रुप्य अलंकार है। उपमेय और उपमान के भेद को मिटा देने वाली उपमा रूपक हो जाती है।  परिभाषा:-            जहाँ उपमेय पर उपमान

10

2(3)√।।उत्प्रेक्षा अलंकार-Poetic Fancy।।

19 जून 2023
0
1
0

।।उत्प्रेक्षा अलंकार-PoeticFancy।। "सादृश्य मूलक अर्थालंकार" है। उत्प्रेक्षा का शाब्दिक अर्थ- संभावना या कल्पना है।परिभाषा:-जहाँ  उपमेय में उपमान की  संभावना या कल्पना की जाए वहाँ उत्प्रेक्षा अलंक

11

2(4)√दृष्टान्तअलंकार तथा दृष्टांत,उदाहरण और अर्थान्तरन्यास में अन्तर

19 जून 2023
0
0
0

दृष्टान्त अलंकार तथा दृष्टांत ,उदाहरण और अर्थान्तरन्यास में अन्तर दृष्टान्त अलंकार examplification सादृश्य मूलक अर्थालंकार परिभाषा:- ।।चेद्विम्बप्रतिविम्बत्वं दृष्टांतस्तदलंकृतिः।।आचार्य कुवलयान

12

2(5) सन्देह अलंकार-Doubt

19 जून 2023
0
1
0

      सन्देह अलंकार  -Doubt उपमेय में जब उपमान का संशय हो तब उसे संदेह अलंकार कहते हैं। प्रकृत(प्रस्तुत) में अप्रकृत(अप्रस्तुत) का संशय अर्थात संदेह होता है। संशय ही रहता है स्पष्ट नहीं होता है। ध्य

13

2(6)अतिशयोक्ति अलंकार HYPERBOLE

19 जून 2023
0
0
0

         अतिशयोक्ति अलंकार:-Hyperbole यह सादृश्य मूलक अर्थालंकार है। परिभाषा:-अतिशयोक्ति Hyperbole में एक बात को बहुत बढ़ा या घटाकर कहा जाता है जो वास्तव में नहीं होती है।        इस अलंकार में उ

14

2(7) उपमेयोपमा अलंकार

19 जून 2023
0
0
0

       उपमेयोपमा अलंकार -सादृश्य-मूलक            उपमेय और उपमान को परस्पर  एक दूसरे का उपमेय और उपमान बना देना ही  'उपमेयोपमा' कहा जाता  है।इस वर्णन से यह भी ज्ञात होता है कि इनके समान तीसरा है ही न

15

2(8) प्रतीप अलंकार

19 जून 2023
0
0
0

              प्रतीप अलंकार-अर्थालंकार है     प्रतीप का अर्थ है - विपरीत अथवा उल्टा। जहाँ उपमेय का कथन उपमान के रूप में तथा उपमान का कथन उपमेय के रूप में कहा जाता है वहाँ प्रतीप अलंकार होता है।अर्था

16

2(9) अनन्वय अलंकार Self Comparison

19 जून 2023
0
0
0

  अनन्वय अलंकार- Self Comparison    सादृश्य-मूलक  अनन्वय अलंकार :- एक ही वस्तु को उपमेय और उपमान- दोनों बना देना 'अनन्वय' अलंकार कहलाता है। वामन के अनुसार भी देखें:- एकस्योपमेयोपमानत्वेऽनन्वय  अर्

17

2(10)भ्रांतिमान अलंकार - Error

19 जून 2023
0
0
0

        भ्रांतिमान अलंकार- Error      सादृश्य के कारण प्रस्तुत वस्तु में अप्रस्तुत वस्तु के निश्चयात्मक ज्ञान को भ्रांतिमान् कहते हैं- प्रस्तुत अर्थात उपमेय ,प्रकृत present जो हमारे सामने है उस पर अ

18

2 (11)दीपक अलंकार - Illuminater

19 जून 2023
0
0
0

   ।। दीपक  अलंकार - Illuminater।।  जब किसी पद में उपमेय (वर्ण्य, प्रकृत,प्रस्तुत पदार्थ)तथा उपमान (अवर्ण्य, अप्रकृत,अप्रस्तुत पदार्थ) दोनों के लिए एक ही साधारण धर्म होता है तो वहाँ दीपक अलंकार होता

19

2(12)अपह्नुति अलंकार - Concealment

19 जून 2023
1
0
0

         अपह्नुति अलंकार  - Concealment            प्रकृत, प्रस्तुत या उपमेय का प्रतिषेध/निषेध कर अन्य अप्रकृत,अप्रस्तुत या उपमान का आरोप या स्थापना किया जाए तो 'अपह्नुति अलंकार' होता है।        अपह

20

2(13) व्यतिरेक अलंकार

19 जून 2023
0
0
0

                ।।व्यतिरेक अलंकार।।      काव्य में जहाँ उपमेय को उपमान से श्रेष्ठ बताया जाता है, वहाँ व्यतिरेक अलंकार होता है।दूसरे शब्दों में जहाँ उपमान की अपेक्षा अधिक गुण होने के कारण उपमेय का

21

2 (14) विभावना अलंकार-Peculiar Causation

19 जून 2023
1
1
0

   ।।विभावना  अलंकार-Peculiar Causation।।          (विलक्षण हेतु अर्थात करणीय सम्बन्ध) वि=विशिष्ट, भावना=भावना, कल्पना।        सामान्यतः जबतक कोई कारण नहीं हो तब तक कार्य नहीं होता लेकिन बिना कारण

22

2 (15) विशेषोक्ति अलंकार-Peculiar Allegation

19 जून 2023
0
0
0

विशेषोक्ति अलंकार-Peculiar Allegation                                   (विलक्षण आरोप) परिभाषा:- सति हेतौफलाभाव:विशेषोक्तिर्निगद्यते-  आचार्य विश्वनाथ : साहित्य-दर्पण। अर्थात जहाँ कारण के रहने

23

2 (16)अर्थान्तरन्यास अलंकारCorroboration

19 जून 2023
0
0
0

अर्थान्तरन्यास अलंकार    (Corroboration) जहाँ सामान्य कथन का विशेष से या विशेष कथन का सामान्य से समर्थन किया जाए, वहाँ अर्थान्तरन्यास अलंकार होता है।सामान्य - अधिकव्यापी, जो बहुतों पर लागू हो। वि

24

2 (17) उल्लेख अलंकार

19 जून 2023
0
0
0

                उल्लेख अलंकार  जहाँ एक वस्तु का वर्णन अनेक प्रकार से किया जाये, वहाँ 'उल्लेख अलंकार' होता है। जैसे- तू रूप है किरण में, सौन्दर्य है सुमन में, तू प्राण है पवन में, विस्तार है गगन में

25

2 (18)विरोधाभासअलंकार-Contradiction

19 जून 2023
0
0
0

     ।।विरोधाभास अलंकार -Contradiction।।       विरोधाभास’ शब्द ’विरोध+आभास’ के योग से बना है।इस प्रकार  जहाँ विरोध न होते हुए भी विरोध का आभास हो वहाँ 'विरोधाभास अलंकार' होता है।   विरोधाभास अलंका

26

2(19)।। असंगति अलंकार ।।

19 जून 2023
0
0
0

           ।। असंगति अलंकार  ।। परिभाषा :-  जहाँ कारण कहीं और कार्य कहीं होने का वर्णन किया जाय वहाँ 'असंगति' अलंकार होता है।  कार्यकारणयोर्भित्रदेशतायामसंगति  साहित्यदर्पण आचार्य विश्वनाथ 'असंगत

27

2 (20)।।मानवीकरण अलंकार Personification।।

19 जून 2023
1
0
0

।।मानवीकरण अलंकार  Personification।। यह मूलतः English का अलङ्कार है।अतः हम English,हिन्दी दोनों में इसे समझते हैं। अंग्रेजी परिभाषा:-    In personification inanimate objects and abstract ideas

28

2 (21)।।अन्योक्ति अलंकार।।

19 जून 2023
0
0
0

।।अन्योक्ति अलंकार।।                 ।।अन्योक्ति अलंकार।।  परिभाषा:- जहाँ उपमान(अप्रस्तुत,अप्रत्यक्ष) के वर्णन द्वारा उपमेय (प्रस्तुत,प्रत्यक्ष) की प्रतीति कराई जाती है, वहाँ अन्योक्ति अलंकार

29

2(22) काव्यलिंग अलंकार

19 जून 2023
0
0
0

काव्यलिंग अलंकार:- किसी युक्ति से समर्थित की गयी बात को 'काव्यलिंग अलंकार' कहते है। यहाँ किसी बात के समर्थन में कोई-न कोई युक्ति या कारण अवश्य दिया जाता है।यह एक तर्क न्यायमूलक अलंकार है।बिना ऐसा किय

30

2(23) स्वभावोक्ति अलंकार

19 जून 2023
0
0
0

             ।।स्वभावोक्ति अलंकार।। जब काव्य में किसी वस्तु,व्यक्ति या स्थिति का स्वाभाविक वर्णन हो तब वहाँ स्वभावोक्ति अलंकार होता है।  इस अर्थालंकार की  सादगी में ही चमत्कार रहता है।  उदाहरण :

31

2 (24)परिणाम अलंकार

19 जून 2023
0
0
0

             ।।परिणाम अलंकार।।       जहाँ असमर्थ उपमान उपमेय से अभिन्न रहकर किसी कार्य के साधन में समर्थ होता है, वहाँ परिणाम अलंकार होता है। जब कवि उपमेय के लिए उपमान लाये औऱ वर्णन करते समय केवल

32

2 (25) स्मरण अलंकार

19 जून 2023
0
0
0

              ।।स्मरण अलंकार।।      जहाँ किसी सदृश वस्तु के स्मरण से अन्य वस्तु का स्मरण हो जाय वहाँ स्मरण अलंकार होता है। इसमें दो वस्तुओं  अथवा  स्थितियों का सादृश्य या वैसादृश्य  वर्णन होता है।प्र

33

2 (26) तुल्योगिता अलंकार-Equal Pairing

19 जून 2023
0
0
0

    तुल्योगिता अलंकार-Equal Pairing               जिन अलंकारों में क्रिया की समानता का चमत्कारपूर्ण वर्णन होता है, वे क्रिया साम्यमूलक अलंकार कहे जाते हैं।इन्हें पदार्थगत या गम्यौपम्याश्रित अलंकार भी

34

2 (27) प्रतिवस्तूपमा अलंकार(Typical Comparison)

19 जून 2023
0
0
0

  प्रतिवस्तूपमा अलंकार-TypicalComparison  प्रतिवस्तूपमाअलंकार:-जहाँ उपमेय और उपमान के पृथक-पृथक वाक्यों में एक ही समानधर्म दो भिन्न-भिन्न शब्दों द्वारा कहा जाय, वहाँ प्रतिवस्तूपमा अलंकार होता है। जै

35

2 (28)सहोक्ति अलंकार

19 जून 2023
0
0
0

          ।।सहोक्ति अलंकार।।  जहाँ कई बातों का एक साथ होना सरल रीति से कहा जाता है वहाँ सहोक्ति अलंकार होता है ।  सह+उक्ति=सहोक्ति अर्थात साथ-साथ उक्ति। इसमें  प्रायः सह, समेत, साथ, संग आदि शब्दों क

36

2 (29) परिकर अलंकार

19 जून 2023
0
0
0

परिकर अलंकार              जब विशेष्य के साथ किसी विशेषण का साभिप्राय प्रयोग हो, तब परिकर अलंकार होता है। उदाहरण:- 1.सोच हिमालय के अधिवासी, यह लज्जा की बात हाय। अपने ताप तपे तापों से, तू न तन

37

2(30) परिकरांकुर अलंकार

19 जून 2023
0
0
0

      ।।परिकरांकुर अलंकार।। जहाँ विशेष्य का प्रयोग अभिप्राय-सहित हो, वहाँ परिकरांकुर अलंकार होता है। जहाँ परिकर में विशेषण का प्रयोग साभिप्राय होता है वहाँ परिकरांकुर में विशेष्य  का प्रयोग साभिप्रा

38

2(31)।।पर्यायोक्ति अलंकार।।

20 जून 2023
0
1
0

            ।।   पर्यायोक्ति अलंकार   ।। अभीष्ट अर्थ का स्पष्ट कथन न कर अभ्यंतर से कथन करना पर्यायोक्ति होता है। इस अलंकार में कवि अपना वक्तव्य घूमा-फिराकर प्रगट करता है। पर्यायोक्ति के दो भेद हैं .

39

2 (32) विनोक्ति अलंकार

20 जून 2023
0
0
0

।। विनोक्ति अलंकार।।        जहाँ पर उपमेय या प्रस्तुत को किसी वस्तु के बिना हीन  अर्थात अशोभन या रम्य अर्थात शोभन   कहा जाता है वहाँ विनोक्ति अलंकार होता है. शोभनीय या अशोभनीय बताने के लिए बिना,विन

40

2 (33)अप्रस्तुतप्रशंसा अलंकार --Indirect description (a figure of speech)

20 जून 2023
0
0
0

                 अप्रस्तुत प्रशंसा अलंकार  Indirect description a figure of speech अप्रस्तुतप्रशंसा अलंकार :-    जहाँ अप्रस्तुत के वर्णन में प्रस्तुत की प्रतीति हो, वहाँ 'अप्रस्तुतप्रशंसा' अलंकार ह

41

2 (34)आक्षेप अलंकार

20 जून 2023
0
0
0

               ।।आक्षेप अलंकार।।             आक्षेप करने का सामान्य अर्थ है दोषारोपण करना। परन्तु साहित्य में आक्षेप एक अलंकार है जिसका अर्थ है निषेध। इस अर्थालंकार में लेखक या कवि अपने इष्टार्थ को

42

2 (35)ब्याजस्तुति अलंकार एवं ब्याजनिंन्दा अलंकार

20 जून 2023
0
1
0

ब्याजस्तुति अलंकार एवं ब्याजनिन्दा अलंकार 1.ब्याजस्तुति अलंकार :- काव्य में जब निंदा के बहाने प्रशंसा किया जाता है , तो वहाँ  ब्याजस्तुति  अलंकार होता है । उदाहरण :-   निर्गुन निलज कुबेष कपाली। 

43

2 (36)निदर्शना अलंकार:- Illustration

20 जून 2023
0
0
0

  ।।निदर्शना अलंकार- Illustration।।   जहाँ वस्तुओं का पारस्परिक संबंध संभव अथवा असंभव होकर उनमें बिंब प्रतिबिंब भाव सूचित करता है और सदृशता का आधार करता है, वहाँ निदर्शना अलंकार होता है।  आचार्य वि

44

2(37) सम अलंकार

20 जून 2023
0
0
0

  ।। सम अलंकार।। परिभाषा:-  दो वस्तुओं में योग्य रूप से सम्बन्ध वर्णन को  सम  अलंकार  कहते हैं। उदाहरण:- 1.मो सम दीन न दीन हित तुम्ह समान रघुबीर।  अस बिचारि रघुबंस मनि हरहु बिषम भव भीर॥ 2.भलो भल

45

2(38) विचित्र अलंकार

20 जून 2023
0
0
0

          ।। विचित्र अलंकार।। परिभाषा:-  अपने कारण से विपरीत फल की प्राप्ति के लिए प्रयत्न विचित्र अलंकार है। उदाहरण:- 1.जान आदिकबि नाम प्रतापू।    भयउ सुद्ध करि उलटा जापू॥ 2. मुनि हित कारन कृपा

46

2 (39)अधिक अलंकार

20 जून 2023
0
0
0

                         ।।अधिक अलंकार।। परिभाषा:-  आधार और आधेय में किसी एक का आधिक्य वर्णन अधिक अलंकार कहलाता है। उदाहरण:- 1.ब्रह्मांड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति बेद कहै।   मम उर सो बासी

47

2(40) अन्योन्य अलंकार

20 जून 2023
0
0
0

        ।।       अन्योन्य अलंकार       ।। परिभाषा:-  दो पदार्थ यदि एक ही क्रिया परस्पर करें, तो अन्योन्य अलंकार होता है। उदाहरण:- 1.राम तुम्हहि प्रिय तुम प्रिय रामही।    यह निरजोसु दास बिधि बामही

48

2(41) विशेष अलंकार

20 जून 2023
0
0
0

      ।।  विशेष अलंकार ।। परिभाषा:- आधेय का आधारहीन होना,एक का अनेक गोचर होना तथा असम्भाभ्य वतस्यन्तर का निष्पादन होना विशेष अलंकार होता है। उदाहरण:- 1.नख आयुध गिरि पादपधारी।    चले गगन महि इच्छा

49

2 (42) अल्प अलंकार

20 जून 2023
0
0
0

 ।।   अल्प अलंकार  ।। परिभाषा:-   बृहद आधार को अल्प बताया जाना ही अल्प अलंकार  होता है। उदाहरण:- गूलरि फल समान तव लंका।  बसहु मध्य तुम्ह जंतु असंका॥ .. तेरी लंका गूलर के फल के समान है। तुम सब की

50

2 (43) व्याघात अलंकार

20 जून 2023
0
0
0

।।  व्याघात अलंकार  ।। परिभाषा:- अन्य किसी कारण के विरोधी नहीं होने पर भी जहाँ कारण कार्य का उत्पादन नहीं करता वहाँ व्याघात अलंकार होता है। उदाहरण:- नाम प्रभाव जान शिव नीको।  कालकूट फल दीन्ह अमी

51

2 (44)विषम अलंकार

20 जून 2023
0
0
0

              ।। विषम अलंकार।। परिभाषा:- जहाँ कार्य और कारण से सम्बद्ध गुणों अथवा क्रियाओं का परस्पर विरोध उत्पन्न हो वहाँ  विषम अलंकार होता है। उदाहरण:- 1.कस कीन्ह बरू बौराह  बिधि जेहिं तुम्हहि स

52

2 (45)अनुमान अलंकार

20 जून 2023
0
0
0

                    ।।अनुमान अलंकार।। परिभाषा:- प्रत्यक्ष के आधार पर अप्रत्यक्ष की कल्पना या अनुमान करना ही अनुमान अलंकार होता  है,यह एक तर्क न्यायमूलक अलंकार है। उदाहरण:- 1.चलत मार अस हृदय बिचारा

53

2 (46) ।।पर्याय अलंकार।।

20 जून 2023
0
0
0

                 ।।पर्याय अलंकार।।   परिभाषा:-        जहाँ एक वस्तु की अनेक वस्तुओं में अथवा अनेक वस्तुओं की एक वस्तु में क्रम से (काल-भेद से) स्थिति का वर्णन हो वहां पर्याय अलंकार होता है।यह एक वाक

54

2(47) ।।परिसंख्या अलंकार।।Special mention।।

20 जून 2023
0
0
0

 ।।परिसंख्या अलंकार।। ।। Special mention।।     परिसंख्या अलंकार-Special mention:-       एक वस्तु की अनेकत्र संभावना होने पर भी, उसका अन्यत्र निषेध कर, एक स्थान में नियमन 'परिसंख्या' अलंकार कहलाता है

55

2(48)यथासंख्य अलंकार

20 जून 2023
0
0
0

             ।।यथासंख्यअलंकार।। परिभाषा:-   भिन्न धर्म वाले अनेक निर्दिष्ट अर्थों का अनुनिर्देश यथासंख्य अलंकार कहलाता है।    यथासंख्य का अर्थ हैं संख्या(क्रम) के अनुसार। इसमें एक क्रम से कुछ पदार्

56

2(49) समासोक्तिअलंकार-SpeechofBrevity

20 जून 2023
0
0
0

   ।।समासोक्ति अलंकार -Speech of Brevity।। परिभाषा:-         जहाँ प्रस्तुत के वर्णन में अप्रस्तुत की प्रतीति हो वहाँ समासोक्ति अलंकार होता है।         दूसरे शब्दों में जब प्रस्तुत वृत्तान्त के वर्ण

57

2( 50)उदाहरण अलंकार

20 जून 2023
0
0
0

  ।।उदाहरण अलंकार ।।परिभाषा:-            जहाँ पर एक वाक्य कहकर उसके उदाहरण के रूप में दूसरा वाक्य कहा जाए वहाँ उदाहरण अलंकार होता है। विशेष ध्यान रखने योग्य बात है कि उदाहरण अलंकार में उपमेय वाक्य द

58

3-उभयालंकार(संकर-संसृष्टि)

20 जून 2023
0
0
0

                ।।उभयालंकार।। परिभाषा:-     जब काव्य में चमत्कार शब्द तथा अर्थ दोनों में स्थित हो तब उभयालंकार होता है।               दूसरे शब्दों में जब एक ही जगह शब्दालंकार और अर्थालंकार दोनों हो

59

4।।English में अलंकार(Figure of Speech)।।

20 जून 2023
0
0
0

।।English में अलंकार(Figure of Speech)।। English  में अलंकार Figure of Speech मुख्य  रूप से सात प्रकार के होते हैं: 1-Simile (उपमा) 2-Metaphhor(रूपक/गुप्त उपमा) 3-Hyperbole(अतिश्योक्ति) 4-Oxymo

60

5 अलंकार सम्बन्धित प्रश्नोत्तर

20 जून 2023
0
0
0

।।अलंकार सम्बन्धित प्रश्नोत्तर।। आइये अब हम  सभी क्लासेज एवं सभी कंपेटिशन्स के लिए मोस्ट इम्पॉर्टेन्ट अलंकार सम्बन्धित प्रश्नोत्तर को विस्तार से जानें और लाभ उठायें। प्रश्न-1- कनक कनक ते सौगुनी, माद

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए