उल्लेख अलंकार
जहाँ एक वस्तु का वर्णन अनेक प्रकार से किया जाये, वहाँ 'उल्लेख अलंकार' होता है। जैसे- तू रूप है किरण में, सौन्दर्य है सुमन में, तू प्राण है पवन में, विस्तार है गगन में।
यह दो प्रकार से किया जाता है:-
प्रथम उल्लेख:-
एक का वर्णन अनेक व्यक्तियों द्वारा अनेक प्रकार से किया जाय।
उदाहरण:-
जिन्ह के रही भावना जैसी।
प्रभु मूरति तिन्ह देखी तैसी।।
देखहि रूप महा रनधीरा।
मनहु बीर रस धरे सरीरा।।
बिदुसन्ह प्रभु बिराटमय दीसा।
बहु मुख कर पग लोचन सीसा।।
जनक जाति अवलोकहि कैसे।
सजन सगे प्रिय लागहि जैसे।।
सहित बिदेह बिलोकहिं रानी।
सिसु सम प्रीति न जाहि बखानी।।
जोगिन्ह परम तत्त्व मय भासा।
सांत सुद्ध सम सहज प्रकासा।।
हरि भगतन्ह देखे दोउ भ्राता।
इष्ट देव इव सब सुखदाता।।
द्वितीय उल्लेख:- एक का वर्णन एक व्यक्ति द्वारा अनेक प्रकार से किया जाय।
उदाहरण:-
जय रघुबंस बनज बन भानू।
गहन दनुज कुल दहन कृसानू।।
जय सुर बिप्र धेनु हित कारी।
जय मद मोह कोह भ्रम हारी।।
बिनय सील करुना गुन सागर।
जयति बचन रचना अति नागर।।
सेवत सुखद सुभग सब अंगा।
जय सरीर छबि कोटि अनंगा।।
करौ काह मुख एक प्रसंसा।
जय महेस मन मानस हंसा।।
।। धन्यवाद ।।