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2 (1) √उपमा अलंकार simile

18 जून 2023

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   उपमा अलंकार SIMILE

     उपमा दो भिन्न-भिन्न वस्तु या प्राणी को बराबर-बराबर तौल( उप+मा)देने का प्रयत्न करती है। उपमा दो शब्दों से मिलकर बना है:-उप+मा यहाँ उप का अर्थ है समीप,पास या निकट और मा का अर्थ है देखना, तौलना,मापना या तुलना करना इस प्रकार उपमा का शाब्दिक अर्थ भी होता है निकट से तुलना करना या समानता करना।

   उपमा की परिभाषा है:- 

जहाँ एक वस्तु या प्राणी की तुलना अत्यन्त समानता के कारण किसी अन्य प्रसिद्ध वस्तु या प्राणी से की जाती है  वहाँ उपमा अलंकार होता है।

जैसे:-चाँद सा  सुन्दर मुख यहाँ मुख की तुलना चाँद से।और वास्तव में सबके लिए है सरल पानी सा उपमा तरल यहाँ उपमा की तुलना पानी से।

उपमा अलंकार के अंग

उपमा अलंकार के चार अंग होते हैं:- उपमेय,उपमान, साधारण धर्म और सादृश्य वाचक शब्द।

1-उपमेय ( प्रत्यक्ष /प्रस्तुत/ present ):- उपमेय का अर्थ होता है उपमा देने योग्य अर्थात वह वस्तु या प्राणी जिसकी उपमा दी जाय उसे  उपमेय कहते हैं।जैसे- मुख ,मन आदि।

2- उपमान ( अप्रत्यक्ष / अप्रस्तुत/absent ):- उपमेय की तुलना जिससे की जाती है वह उपमान होता है अर्थात वह प्रसिद्ध बिन्दु या प्राणी जिससे  तुलना की जाय उसे उपमान कहते हैं।जैसे-कमल,चाँद आदि।

3- साधारण धर्म:- उपमान तथा उपमेय में पाया जाने वाला परस्पर समान गुण  साधारण धर्म कहलाता है जैसे :-चाँद सा सुन्दर मुख में सुन्दर शब्द।

4-सादृश्य वाचक शव्द:- उपमेय और उपमान के बीच समानता बताने के लिए जिस शब्द का प्रयोग होता हैं उस शब्द को सादृश्य वाचक शब्द या वाचक शब्द  कहते हैं वास्तव में उपमा अलंकार को पहचानने में इनका बहुत बड़ा योगदान होता है जैसे:-से, सा, सी, सम, समान, सरिस, जैसा, तैसा, कैसा, वैसा, जैसे जिमि, वैसे, तैसे, कैसे, जिससे,उससे,इव,की नाई ,की तरह के अर्थ के आदि शब्द।

उपमा अलंकार के भेद :-उपमा अलंकार के तीन भेद हैं:-1 .पूर्णोपमा  2 .लुप्तोपमा  और 3. मालोपमा 

(1)पूर्णोपमा – जब वाक्य में उपमा के चारों अंग अर्थात – उपमेय , उपमान  ,साधारण धर्म तथा वाचक शब्द उपस्थित हो तब वहाँ पूर्णोपमा अलंकार होता है।उदाहरण:-

1-उषा-सुनहले तीर बरसती

   जय-लक्ष्मी-सी उदित हुई।

यहाँ उपमेय-उषा,उपमान-जय-लक्ष्मी,साधारण धर्म-उदित हुई(सुनहले तीर बरसती)और वाचक शब्द-सी अर्थात उपमा के चारों अंग उपस्थित हैं अतः पूर्णोपमा अलंकार है।

2. सुनि सुरसरि सम सीतल बानी।

यहाँ उपमेय-बानी, उपमान-सुरसरि,साधारण धर्म-सीतल और वाचक शब्द-समअर्थात उपमा के चारों अंग उपस्थित हैं अतः पूर्णोपमा अलंकार है।

3-राम लखन सीता सहित सोहत परण निकेत।

  जिमि बस बासव अमरपुर सची जयंत समेत।

यहाँ उपमेय-राम लखन सीता परण निकेत,उपमान- वासव सची जयन्त अमरपुर,साधारण धर्म-सोहत,वाचक शब्द-जिमिअर्थात उपमा के चारों अंग उपस्थित हैं अतः पूर्णोपमा अलंकार है।

4-करिकर सरिस सुभग भुजदण्डा

यहाँ उपमेय-भुजदण्डा,उपमान-करिकर,साधारण धर्म- सुभग,वाचक शब्द-सरिसअर्थात उपमा के चारों अंग उपस्थित हैं अतः पूर्णोपमा अलंकार है।

5.निज अघ समुझि न कछु कहि जाई।

तपै अवा इव उर अधिकाई।

यहाँ उपमेय-उर,उपमान-अवा,साधारण धर्म-तपै,वाचक शब्द-इवअर्थात उपमा के चारों अंग उपस्थित हैं अतः पूर्णोपमा अलंकार है।

6-कीरति भनीति भूति भलि सोई।

   सुरसरि सम सबकर हित होई।।

कीर्ति,कविता और सम्पत्ति वही भली है जो गंगा की तरह सबका हित करती है।

यहाँ उपमेय-कीरति भनीति भूति,उपमान-गंगा,साधारण धर्म-हित,वाचक शब्द-समअर्थात उपमा के चारों अंग उपस्थित हैं अतः पूर्णोपमा अलंकार है।

7-सादर कहहि सुनहि बुध ताही।

 मधुकर सरिस संत गुनग्राही।।

यहाँ उपमेय-संत,उपमान-मधुकर,साधारण धर्म- गुनग्राही,वाचक शब्द-सरिस अर्थात उपमा के चारों अंग उपस्थित हैं अतः पूर्णोपमा अलंकार है।

8-पहेली सा जीवन है व्यस्त।

यहाँ उपमेय-जीवन,उपमान-पहेली,साधारण धर्म-है व्यस्त,वाचक शब्द-साअर्थात उपमा के चारों अंग उपस्थित हैं अतः पूर्णोपमा अलंकार है।

9-नदियाँ जिसकी यशधारा सी

   बहती है अब निशि वासर ।

यहाँ उपमेय-नदियाँ,उपमान-यशधारा, साधारण धर्म-बहती, वाचक शब्द- सी अर्थात उपमा के चारों अंग उपस्थित हैं अतः पूर्णोपमा अलंकार है।

10-हरिपद कोमल कमल से ।

यहाँ उपमेय-हरिपद,उपमान-कमल, साधारण धर्म-कोमल,वाचक शब्द-से अर्थात उपमा के चारों अंग उपस्थित हैं अतः पूर्णोपमा अलंकार है।

11-अस  मन गुनई  राउ नहि बोला।

     पीपर पात सरिस मन डोला।।

यहाँ उपमेय-मन,उपमान-पीपर पात,साधारण धर्म-डोला, वाचक शब्द-सरिसअर्थात उपमा के चारों अंग उपस्थित हैं अतः पूर्णोपमा अलंकार है।

12.सीता राम संग बन बासू।

  कोटि अमरपुर सरिस सुपासू।।

यहाँ उपमेय-सीता राम संग बन बासू ,उपमान-कोटि अमरपुर,साधारण धर्म-सुपासू,वाचक शब्द-सरिस

अर्थात उपमा के चारों अंग उपस्थित हैं अतः पूर्णोपमा अलंकार है।

(2)लुप्तोपमा – जिस पंक्ति में उपमा अलंकार के चारों अंग में से एक या अधिक अंग लुप्त हो वहां लुप्तोपमा अलंकार होता है।

उपमेय लुप्तोपमा:-

1-पड़ी थी बिजली सी विकराल ।

यहाँ उपमान -बिजली,वाचक शब्द-सी, साधारण धर्म- विकराल तो हैं पर उपमेय नहीं  है अतः यहाँ उपमेय लुप्तोपमा है।

2-धर्म हेतु अवतरेउ गोसाई।

   मारेहु मोहि व्याध की नाई।

यहाँ उपमान -ब्याध,वाचक-शब्द-की नाई, साधारण धर्म - मारेहु तो हैं पर उपमेय नहीं  है अतः यहाँ उपमेय लुप्तोपमा है।

2-उपमान लुप्तोपमा:-

1-जौ पट तरिय तीय सम सिया।

  जग अस जुवती कहाँ कमनीया।

यहाँ उपमेय -सिया,वाचक-शब्द-जौ, साधारण धर्म - कमनीया तो हैं पर उपमान नहीं  है अतः यहाँ उपमान लुप्तोपमा है।

3-वाचक लुप्तोपमा:-

नील सरोरुह स्याम तरुन अरुन बारिज नयन।

करहु सो मम उर धाम सदा क्षीर सागर सयन।।

यहाँ उपमेय-नयन, उपमान-नील सरोरुहऔरअरुन बारिज साधारण धर्म- स्यामऔर तरुन तो हैं पर वाचक शब्द नहीं है अतः वाचक लुप्तोपमा है।

4-धर्म लुप्तोपमा:-

1-करि प्रणाम रामहि त्रिपुरारी।

  हरषि सुधा सम गिरा उचारी।

2-कोटि कुलिस सम वचन तुम्हारा।

इन दोनों उदाहरणों में उपमेय,उपमान,वाचक शब्द तो हैं पर साधारण धर्म के नहीं होने के कारण धर्म लुप्तोपमा है।

विशेष:-जो-जो अंग नहीं होते हैं उन-उन के नाम से लुप्तोपमा हो जाता है जैसे:- 

वाचक उपमान लुप्तोपमा का यह उदाहरण है-

सुनि केवट के बैन प्रेम लपेटे अटपटे।

बिहसे  करुना अयन चितइ जानकी लखन तन।।(3)मालोपमा – जिस पंक्ति में एक से अधिक उपमेय तथा उपमान उपस्थित हो।  जिससे ऐसा प्रतीत हो कि काव्य में उनकी माला बन गई हो तब वहाँ मालोपमा अलंकार होता है।

उदाहरण:-

1:-हिमवंत जिमि गिरिजा महेसहि हरिहि श्री सागर दई।तिमि जनक रामहि सिय समर्पी बिश्वकल कीरति नई।।2:- हिरनी से मीन से , सुखखंजन समान चारु

  अमल कमल से , विलोचन तिहारे हैं।

3:-जिन्ह हरि कथा सुनी नहि काना।

    श्रवन रन्ध्र अहि भवन समाना।

    नयनन्हि संत दरस नहि देखा।

    लोचन मोर पंख कर लेखा।

    ते सिर कटु तुंबरि सम तूला।

    जे न नमत हरि गुरु पद मूला।

    जिन्ह हरिभगति हृदयँ नहिं आनी।

    जीवत सव समान तेइ प्रानी॥
    जो नहिं करइ राम गुन गाना।

    जीह सो दादुर जीह समाना॥

    कुलिस कठोर निठुर सोइ छाती।

    सुनि हरिचरित न जो हरषाती॥


     ।।          धन्यवाद       ।।

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रचनाएँ
साहित्याभूषण
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"साहित्याभूषण" समस्त अलंकार जन-जन के लिए सरल-सहज सुलभ कराने का प्रयास मात्र है।किसी को भी कुछ मिल जाय तो यह संपादक का सौभाग्य है।आशा है कि सभी को "साहित्याभूषण" सर,अलंकार-सरोज समर्पित कर अलंकार-सरोवर में डुबकी लगाने की प्रेरणा अवश्य देता रहेगा। किसी भी सुधी जन को किसी भी प्रकार की त्रुटि मिल जाय तो सर्व प्रथम मैं उसके लिए हमेशा क्षमा प्रार्थी रहूँगा और उनके द्वारा की गयी हर अनुशंसा को शिरोधार्य करूँगा।
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।।अलंकार परिचय।।

18 जून 2023
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"अलंकार"अलंकरोति इति अलंकारः अर्थात् जो विभूषित करता हो वह अलंकार है। अलं क्रियते अनेन इति अलंकारः अर्थात्  जिसके द्वारा किसी की शोभा होती है वह अलंकार है। आचार्य जयदेव ने ‘‘चन्द्रालोक’’ में अलंकार

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1 √(1) ।। अनुप्रास अलंकार ।।

18 जून 2023
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 ।।अनुप्रास अलंकार।।                   अनुप्रास अलंकार एक प्रमुख शब्दालंकार है।अनुप्रास शब्द ‘अनु’ तथा ‘प्रास’ शब्दों के योग से बना है। ‘अनु’ का अर्थ है :- बार-बार तथा ‘प्रास’ का अर्थ है- वर्ण। अर्था

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1 ( 2 ) ।।√यमक अलंकार।।

18 जून 2023
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               ।।यमक अलंकार।। यह प्रमुख शब्दालंकार है। परिभाषा:-  वही शब्द पुनि पुनि परे,अर्थ परे जब होय। यमक अलंकार ही है,जान जाय सब कोय।। अर्थात      जब काव्य में एक ही शब्द बार-बार भिन्न-भिन्

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1(3)√पुनरुक्ति, पुनरुक्तिप्रकाश,पुनरुक्तिवदाभास और विप्सा अलंकार

18 जून 2023
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पुनरुक्ति, पुनरुक्तिप्रकाश पुनरुक्तिवदाभासऔर विप्सा अलंकार(आवृत्ति मूलक अलंकार) 1-पुनरुक्तिअलंकार और पुनरुक्तिप्रकाशअलंकार                  ।।1-पुनरुक्तिअलंकार।।   पुनरुक्तिअलंकार और पुनरुक्तिप्रक

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1(4)√वक्रोक्ति अलंकार

18 जून 2023
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  वक्रोक्ति अलंकार      वक्रोक्ति शब्द वक्र+उक्ति के योग से बना है, जिसका अर्थ है टेढ़ा कथन अर्थात् जब वक्ता के  कथन का श्रोता अन्य अर्थ ग्रहण कर,ग्रहण किये गये अर्थ के अनुसार व्यहार या कथन करे तब वहा

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1(5) √ ।।श्लेष अलंकार।।

18 जून 2023
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श्लेष अलंकार (प्रमुख शब्दालंकार) परिभाषा:- इक शब्द में जब रहते,चिपके अनेक अर्थ। तब उसमें श्लेष होता,  जानो बनो समर्थ।। श्लेष का अर्थ चिपका हुआ होता है अर्थात जब काव्य में एक ही शब्द के कई अर्थ होत

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1(6)-वीप्सा अलंकार

18 जून 2023
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        ।।वीप्सा अलंकार।। "आदर घृणा विस्मय शोक हर्ष युत शब्दों को दोहराये। अथवा विस्मयादिबोधक चिह्नों से भाव जताये। शब्द वा शब्द समूहों से विरक्ति घृणादि दर्शाये। तह वीप्सा अलंकार बन जन जन को लुभा

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2 (1) √उपमा अलंकार simile

18 जून 2023
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   उपमा अलंकार SIMILE      उपमा दो भिन्न-भिन्न वस्तु या प्राणी को बराबर-बराबर तौल( उप+मा)देने का प्रयत्न करती है। उपमा दो शब्दों से मिलकर बना है:-उप+मा यहाँ उप का अर्थ है समीप,पास या निकट और मा का

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2(2) √रूपक अलंकार:- Metaphor

18 जून 2023
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           रूपक अलंकार:- Metaphor  यह सादृश्य मूलक अभेद प्रधान आरोपधर्मी ताद_रुप्य अलंकार है। उपमेय और उपमान के भेद को मिटा देने वाली उपमा रूपक हो जाती है।  परिभाषा:-            जहाँ उपमेय पर उपमान

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2(3)√।।उत्प्रेक्षा अलंकार-Poetic Fancy।।

19 जून 2023
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।।उत्प्रेक्षा अलंकार-PoeticFancy।। "सादृश्य मूलक अर्थालंकार" है। उत्प्रेक्षा का शाब्दिक अर्थ- संभावना या कल्पना है।परिभाषा:-जहाँ  उपमेय में उपमान की  संभावना या कल्पना की जाए वहाँ उत्प्रेक्षा अलंक

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2(4)√दृष्टान्तअलंकार तथा दृष्टांत,उदाहरण और अर्थान्तरन्यास में अन्तर

19 जून 2023
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दृष्टान्त अलंकार तथा दृष्टांत ,उदाहरण और अर्थान्तरन्यास में अन्तर दृष्टान्त अलंकार examplification सादृश्य मूलक अर्थालंकार परिभाषा:- ।।चेद्विम्बप्रतिविम्बत्वं दृष्टांतस्तदलंकृतिः।।आचार्य कुवलयान

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2(5) सन्देह अलंकार-Doubt

19 जून 2023
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      सन्देह अलंकार  -Doubt उपमेय में जब उपमान का संशय हो तब उसे संदेह अलंकार कहते हैं। प्रकृत(प्रस्तुत) में अप्रकृत(अप्रस्तुत) का संशय अर्थात संदेह होता है। संशय ही रहता है स्पष्ट नहीं होता है। ध्य

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2(6)अतिशयोक्ति अलंकार HYPERBOLE

19 जून 2023
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         अतिशयोक्ति अलंकार:-Hyperbole यह सादृश्य मूलक अर्थालंकार है। परिभाषा:-अतिशयोक्ति Hyperbole में एक बात को बहुत बढ़ा या घटाकर कहा जाता है जो वास्तव में नहीं होती है।        इस अलंकार में उ

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2(7) उपमेयोपमा अलंकार

19 जून 2023
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       उपमेयोपमा अलंकार -सादृश्य-मूलक            उपमेय और उपमान को परस्पर  एक दूसरे का उपमेय और उपमान बना देना ही  'उपमेयोपमा' कहा जाता  है।इस वर्णन से यह भी ज्ञात होता है कि इनके समान तीसरा है ही न

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2(8) प्रतीप अलंकार

19 जून 2023
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              प्रतीप अलंकार-अर्थालंकार है     प्रतीप का अर्थ है - विपरीत अथवा उल्टा। जहाँ उपमेय का कथन उपमान के रूप में तथा उपमान का कथन उपमेय के रूप में कहा जाता है वहाँ प्रतीप अलंकार होता है।अर्था

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2(9) अनन्वय अलंकार Self Comparison

19 जून 2023
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  अनन्वय अलंकार- Self Comparison    सादृश्य-मूलक  अनन्वय अलंकार :- एक ही वस्तु को उपमेय और उपमान- दोनों बना देना 'अनन्वय' अलंकार कहलाता है। वामन के अनुसार भी देखें:- एकस्योपमेयोपमानत्वेऽनन्वय  अर्

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2(10)भ्रांतिमान अलंकार - Error

19 जून 2023
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        भ्रांतिमान अलंकार- Error      सादृश्य के कारण प्रस्तुत वस्तु में अप्रस्तुत वस्तु के निश्चयात्मक ज्ञान को भ्रांतिमान् कहते हैं- प्रस्तुत अर्थात उपमेय ,प्रकृत present जो हमारे सामने है उस पर अ

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2 (11)दीपक अलंकार - Illuminater

19 जून 2023
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   ।। दीपक  अलंकार - Illuminater।।  जब किसी पद में उपमेय (वर्ण्य, प्रकृत,प्रस्तुत पदार्थ)तथा उपमान (अवर्ण्य, अप्रकृत,अप्रस्तुत पदार्थ) दोनों के लिए एक ही साधारण धर्म होता है तो वहाँ दीपक अलंकार होता

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2(12)अपह्नुति अलंकार - Concealment

19 जून 2023
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         अपह्नुति अलंकार  - Concealment            प्रकृत, प्रस्तुत या उपमेय का प्रतिषेध/निषेध कर अन्य अप्रकृत,अप्रस्तुत या उपमान का आरोप या स्थापना किया जाए तो 'अपह्नुति अलंकार' होता है।        अपह

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2(13) व्यतिरेक अलंकार

19 जून 2023
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                ।।व्यतिरेक अलंकार।।      काव्य में जहाँ उपमेय को उपमान से श्रेष्ठ बताया जाता है, वहाँ व्यतिरेक अलंकार होता है।दूसरे शब्दों में जहाँ उपमान की अपेक्षा अधिक गुण होने के कारण उपमेय का

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2 (14) विभावना अलंकार-Peculiar Causation

19 जून 2023
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   ।।विभावना  अलंकार-Peculiar Causation।।          (विलक्षण हेतु अर्थात करणीय सम्बन्ध) वि=विशिष्ट, भावना=भावना, कल्पना।        सामान्यतः जबतक कोई कारण नहीं हो तब तक कार्य नहीं होता लेकिन बिना कारण

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2 (15) विशेषोक्ति अलंकार-Peculiar Allegation

19 जून 2023
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विशेषोक्ति अलंकार-Peculiar Allegation                                   (विलक्षण आरोप) परिभाषा:- सति हेतौफलाभाव:विशेषोक्तिर्निगद्यते-  आचार्य विश्वनाथ : साहित्य-दर्पण। अर्थात जहाँ कारण के रहने

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2 (16)अर्थान्तरन्यास अलंकारCorroboration

19 जून 2023
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अर्थान्तरन्यास अलंकार    (Corroboration) जहाँ सामान्य कथन का विशेष से या विशेष कथन का सामान्य से समर्थन किया जाए, वहाँ अर्थान्तरन्यास अलंकार होता है।सामान्य - अधिकव्यापी, जो बहुतों पर लागू हो। वि

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2 (17) उल्लेख अलंकार

19 जून 2023
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                उल्लेख अलंकार  जहाँ एक वस्तु का वर्णन अनेक प्रकार से किया जाये, वहाँ 'उल्लेख अलंकार' होता है। जैसे- तू रूप है किरण में, सौन्दर्य है सुमन में, तू प्राण है पवन में, विस्तार है गगन में

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2 (18)विरोधाभासअलंकार-Contradiction

19 जून 2023
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     ।।विरोधाभास अलंकार -Contradiction।।       विरोधाभास’ शब्द ’विरोध+आभास’ के योग से बना है।इस प्रकार  जहाँ विरोध न होते हुए भी विरोध का आभास हो वहाँ 'विरोधाभास अलंकार' होता है।   विरोधाभास अलंका

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2(19)।। असंगति अलंकार ।।

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           ।। असंगति अलंकार  ।। परिभाषा :-  जहाँ कारण कहीं और कार्य कहीं होने का वर्णन किया जाय वहाँ 'असंगति' अलंकार होता है।  कार्यकारणयोर्भित्रदेशतायामसंगति  साहित्यदर्पण आचार्य विश्वनाथ 'असंगत

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2 (20)।।मानवीकरण अलंकार Personification।।

19 जून 2023
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।।मानवीकरण अलंकार  Personification।। यह मूलतः English का अलङ्कार है।अतः हम English,हिन्दी दोनों में इसे समझते हैं। अंग्रेजी परिभाषा:-    In personification inanimate objects and abstract ideas

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2 (21)।।अन्योक्ति अलंकार।।

19 जून 2023
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।।अन्योक्ति अलंकार।।                 ।।अन्योक्ति अलंकार।।  परिभाषा:- जहाँ उपमान(अप्रस्तुत,अप्रत्यक्ष) के वर्णन द्वारा उपमेय (प्रस्तुत,प्रत्यक्ष) की प्रतीति कराई जाती है, वहाँ अन्योक्ति अलंकार

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2(22) काव्यलिंग अलंकार

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काव्यलिंग अलंकार:- किसी युक्ति से समर्थित की गयी बात को 'काव्यलिंग अलंकार' कहते है। यहाँ किसी बात के समर्थन में कोई-न कोई युक्ति या कारण अवश्य दिया जाता है।यह एक तर्क न्यायमूलक अलंकार है।बिना ऐसा किय

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2(23) स्वभावोक्ति अलंकार

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             ।।स्वभावोक्ति अलंकार।। जब काव्य में किसी वस्तु,व्यक्ति या स्थिति का स्वाभाविक वर्णन हो तब वहाँ स्वभावोक्ति अलंकार होता है।  इस अर्थालंकार की  सादगी में ही चमत्कार रहता है।  उदाहरण :

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2 (24)परिणाम अलंकार

19 जून 2023
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             ।।परिणाम अलंकार।।       जहाँ असमर्थ उपमान उपमेय से अभिन्न रहकर किसी कार्य के साधन में समर्थ होता है, वहाँ परिणाम अलंकार होता है। जब कवि उपमेय के लिए उपमान लाये औऱ वर्णन करते समय केवल

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2 (25) स्मरण अलंकार

19 जून 2023
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              ।।स्मरण अलंकार।।      जहाँ किसी सदृश वस्तु के स्मरण से अन्य वस्तु का स्मरण हो जाय वहाँ स्मरण अलंकार होता है। इसमें दो वस्तुओं  अथवा  स्थितियों का सादृश्य या वैसादृश्य  वर्णन होता है।प्र

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2 (26) तुल्योगिता अलंकार-Equal Pairing

19 जून 2023
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    तुल्योगिता अलंकार-Equal Pairing               जिन अलंकारों में क्रिया की समानता का चमत्कारपूर्ण वर्णन होता है, वे क्रिया साम्यमूलक अलंकार कहे जाते हैं।इन्हें पदार्थगत या गम्यौपम्याश्रित अलंकार भी

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2 (27) प्रतिवस्तूपमा अलंकार(Typical Comparison)

19 जून 2023
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  प्रतिवस्तूपमा अलंकार-TypicalComparison  प्रतिवस्तूपमाअलंकार:-जहाँ उपमेय और उपमान के पृथक-पृथक वाक्यों में एक ही समानधर्म दो भिन्न-भिन्न शब्दों द्वारा कहा जाय, वहाँ प्रतिवस्तूपमा अलंकार होता है। जै

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2 (28)सहोक्ति अलंकार

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          ।।सहोक्ति अलंकार।।  जहाँ कई बातों का एक साथ होना सरल रीति से कहा जाता है वहाँ सहोक्ति अलंकार होता है ।  सह+उक्ति=सहोक्ति अर्थात साथ-साथ उक्ति। इसमें  प्रायः सह, समेत, साथ, संग आदि शब्दों क

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2 (29) परिकर अलंकार

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परिकर अलंकार              जब विशेष्य के साथ किसी विशेषण का साभिप्राय प्रयोग हो, तब परिकर अलंकार होता है। उदाहरण:- 1.सोच हिमालय के अधिवासी, यह लज्जा की बात हाय। अपने ताप तपे तापों से, तू न तन

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2(30) परिकरांकुर अलंकार

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      ।।परिकरांकुर अलंकार।। जहाँ विशेष्य का प्रयोग अभिप्राय-सहित हो, वहाँ परिकरांकुर अलंकार होता है। जहाँ परिकर में विशेषण का प्रयोग साभिप्राय होता है वहाँ परिकरांकुर में विशेष्य  का प्रयोग साभिप्रा

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2(31)।।पर्यायोक्ति अलंकार।।

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            ।।   पर्यायोक्ति अलंकार   ।। अभीष्ट अर्थ का स्पष्ट कथन न कर अभ्यंतर से कथन करना पर्यायोक्ति होता है। इस अलंकार में कवि अपना वक्तव्य घूमा-फिराकर प्रगट करता है। पर्यायोक्ति के दो भेद हैं .

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2 (32) विनोक्ति अलंकार

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।। विनोक्ति अलंकार।।        जहाँ पर उपमेय या प्रस्तुत को किसी वस्तु के बिना हीन  अर्थात अशोभन या रम्य अर्थात शोभन   कहा जाता है वहाँ विनोक्ति अलंकार होता है. शोभनीय या अशोभनीय बताने के लिए बिना,विन

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2 (33)अप्रस्तुतप्रशंसा अलंकार --Indirect description (a figure of speech)

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                 अप्रस्तुत प्रशंसा अलंकार  Indirect description a figure of speech अप्रस्तुतप्रशंसा अलंकार :-    जहाँ अप्रस्तुत के वर्णन में प्रस्तुत की प्रतीति हो, वहाँ 'अप्रस्तुतप्रशंसा' अलंकार ह

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2 (34)आक्षेप अलंकार

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               ।।आक्षेप अलंकार।।             आक्षेप करने का सामान्य अर्थ है दोषारोपण करना। परन्तु साहित्य में आक्षेप एक अलंकार है जिसका अर्थ है निषेध। इस अर्थालंकार में लेखक या कवि अपने इष्टार्थ को

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2 (35)ब्याजस्तुति अलंकार एवं ब्याजनिंन्दा अलंकार

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ब्याजस्तुति अलंकार एवं ब्याजनिन्दा अलंकार 1.ब्याजस्तुति अलंकार :- काव्य में जब निंदा के बहाने प्रशंसा किया जाता है , तो वहाँ  ब्याजस्तुति  अलंकार होता है । उदाहरण :-   निर्गुन निलज कुबेष कपाली। 

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2 (36)निदर्शना अलंकार:- Illustration

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  ।।निदर्शना अलंकार- Illustration।।   जहाँ वस्तुओं का पारस्परिक संबंध संभव अथवा असंभव होकर उनमें बिंब प्रतिबिंब भाव सूचित करता है और सदृशता का आधार करता है, वहाँ निदर्शना अलंकार होता है।  आचार्य वि

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2(37) सम अलंकार

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  ।। सम अलंकार।। परिभाषा:-  दो वस्तुओं में योग्य रूप से सम्बन्ध वर्णन को  सम  अलंकार  कहते हैं। उदाहरण:- 1.मो सम दीन न दीन हित तुम्ह समान रघुबीर।  अस बिचारि रघुबंस मनि हरहु बिषम भव भीर॥ 2.भलो भल

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2(38) विचित्र अलंकार

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          ।। विचित्र अलंकार।। परिभाषा:-  अपने कारण से विपरीत फल की प्राप्ति के लिए प्रयत्न विचित्र अलंकार है। उदाहरण:- 1.जान आदिकबि नाम प्रतापू।    भयउ सुद्ध करि उलटा जापू॥ 2. मुनि हित कारन कृपा

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2 (39)अधिक अलंकार

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                         ।।अधिक अलंकार।। परिभाषा:-  आधार और आधेय में किसी एक का आधिक्य वर्णन अधिक अलंकार कहलाता है। उदाहरण:- 1.ब्रह्मांड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति बेद कहै।   मम उर सो बासी

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2(40) अन्योन्य अलंकार

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        ।।       अन्योन्य अलंकार       ।। परिभाषा:-  दो पदार्थ यदि एक ही क्रिया परस्पर करें, तो अन्योन्य अलंकार होता है। उदाहरण:- 1.राम तुम्हहि प्रिय तुम प्रिय रामही।    यह निरजोसु दास बिधि बामही

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2(41) विशेष अलंकार

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      ।।  विशेष अलंकार ।। परिभाषा:- आधेय का आधारहीन होना,एक का अनेक गोचर होना तथा असम्भाभ्य वतस्यन्तर का निष्पादन होना विशेष अलंकार होता है। उदाहरण:- 1.नख आयुध गिरि पादपधारी।    चले गगन महि इच्छा

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2 (42) अल्प अलंकार

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 ।।   अल्प अलंकार  ।। परिभाषा:-   बृहद आधार को अल्प बताया जाना ही अल्प अलंकार  होता है। उदाहरण:- गूलरि फल समान तव लंका।  बसहु मध्य तुम्ह जंतु असंका॥ .. तेरी लंका गूलर के फल के समान है। तुम सब की

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2 (43) व्याघात अलंकार

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।।  व्याघात अलंकार  ।। परिभाषा:- अन्य किसी कारण के विरोधी नहीं होने पर भी जहाँ कारण कार्य का उत्पादन नहीं करता वहाँ व्याघात अलंकार होता है। उदाहरण:- नाम प्रभाव जान शिव नीको।  कालकूट फल दीन्ह अमी

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2 (44)विषम अलंकार

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              ।। विषम अलंकार।। परिभाषा:- जहाँ कार्य और कारण से सम्बद्ध गुणों अथवा क्रियाओं का परस्पर विरोध उत्पन्न हो वहाँ  विषम अलंकार होता है। उदाहरण:- 1.कस कीन्ह बरू बौराह  बिधि जेहिं तुम्हहि स

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2 (45)अनुमान अलंकार

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                    ।।अनुमान अलंकार।। परिभाषा:- प्रत्यक्ष के आधार पर अप्रत्यक्ष की कल्पना या अनुमान करना ही अनुमान अलंकार होता  है,यह एक तर्क न्यायमूलक अलंकार है। उदाहरण:- 1.चलत मार अस हृदय बिचारा

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2 (46) ।।पर्याय अलंकार।।

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                 ।।पर्याय अलंकार।।   परिभाषा:-        जहाँ एक वस्तु की अनेक वस्तुओं में अथवा अनेक वस्तुओं की एक वस्तु में क्रम से (काल-भेद से) स्थिति का वर्णन हो वहां पर्याय अलंकार होता है।यह एक वाक

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2(47) ।।परिसंख्या अलंकार।।Special mention।।

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 ।।परिसंख्या अलंकार।। ।। Special mention।।     परिसंख्या अलंकार-Special mention:-       एक वस्तु की अनेकत्र संभावना होने पर भी, उसका अन्यत्र निषेध कर, एक स्थान में नियमन 'परिसंख्या' अलंकार कहलाता है

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2(48)यथासंख्य अलंकार

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             ।।यथासंख्यअलंकार।। परिभाषा:-   भिन्न धर्म वाले अनेक निर्दिष्ट अर्थों का अनुनिर्देश यथासंख्य अलंकार कहलाता है।    यथासंख्य का अर्थ हैं संख्या(क्रम) के अनुसार। इसमें एक क्रम से कुछ पदार्

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2(49) समासोक्तिअलंकार-SpeechofBrevity

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   ।।समासोक्ति अलंकार -Speech of Brevity।। परिभाषा:-         जहाँ प्रस्तुत के वर्णन में अप्रस्तुत की प्रतीति हो वहाँ समासोक्ति अलंकार होता है।         दूसरे शब्दों में जब प्रस्तुत वृत्तान्त के वर्ण

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2( 50)उदाहरण अलंकार

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  ।।उदाहरण अलंकार ।।परिभाषा:-            जहाँ पर एक वाक्य कहकर उसके उदाहरण के रूप में दूसरा वाक्य कहा जाए वहाँ उदाहरण अलंकार होता है। विशेष ध्यान रखने योग्य बात है कि उदाहरण अलंकार में उपमेय वाक्य द

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3-उभयालंकार(संकर-संसृष्टि)

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                ।।उभयालंकार।। परिभाषा:-     जब काव्य में चमत्कार शब्द तथा अर्थ दोनों में स्थित हो तब उभयालंकार होता है।               दूसरे शब्दों में जब एक ही जगह शब्दालंकार और अर्थालंकार दोनों हो

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4।।English में अलंकार(Figure of Speech)।।

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।।English में अलंकार(Figure of Speech)।। English  में अलंकार Figure of Speech मुख्य  रूप से सात प्रकार के होते हैं: 1-Simile (उपमा) 2-Metaphhor(रूपक/गुप्त उपमा) 3-Hyperbole(अतिश्योक्ति) 4-Oxymo

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5 अलंकार सम्बन्धित प्रश्नोत्तर

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।।अलंकार सम्बन्धित प्रश्नोत्तर।। आइये अब हम  सभी क्लासेज एवं सभी कंपेटिशन्स के लिए मोस्ट इम्पॉर्टेन्ट अलंकार सम्बन्धित प्रश्नोत्तर को विस्तार से जानें और लाभ उठायें। प्रश्न-1- कनक कनक ते सौगुनी, माद

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