अर्थान्तरन्यास अलंकार
(Corroboration)
जहाँ सामान्य कथन का विशेष से या विशेष कथन का सामान्य से समर्थन किया जाए, वहाँ अर्थान्तरन्यास अलंकार होता है।सामान्य - अधिकव्यापी, जो बहुतों पर लागू हो।
विशेष - अल्पव्यापी, जो थोड़े पर ही लागू हो।उदाहरण-
1.जो रहीम उत्तम प्रकृति का करि सकत कुसंग ।
चन्दन विष व्यापत नहीं लपटे रहत भुजंग
2.बड़े न हूजे गुनन बिनु, बिरद बडाई पाए।
कहत धतूरे सों कनक, गहनो गढ़ो न जाए।।
(क ) सामान्य का विशेष बात से समर्थन
- संगति सुमति न पावही, परे कुमति के धन्ध ।
- राखो मेलि कपूर में , हींग न होई सुगंध ।।
कुमति से ग्रस्त व्यक्ति को संगति से सुमति नहीं मिलती ! इस सामान्य बात का समर्थन 'हींग का कपूर के साथ सुगंधित ना होना' विशेष बात कहकर किया गया है।
सबै सहायक सबल के, कोई न निबल सहाय ।
पवन जगावत आग को, दीपहिं देत बुझाय ।।
'सबल के सब सहायक है निर्बल के नहीं 'इस सामान्य बात का समर्थन 'पवन 'के द्वारा सबल आग को प्रदीप्त करने और निर्बल दीपक को बुझा देने के विशिष्ट कथन द्वारा किया गया है।
अन्य उदाहरण:-
1-टेढ़ जानि सब बंदौ काहू।
बक्र चंद्रमा ग्रसहि न राहू।।
2-कारन ते कारजु कठिन,होय दोष नहि मोर।
कुलिस अस्थि ते उफल ते लोह कराल कठोर।।
3-भलो भलाई पै लहहि लहहि ।निचाहि नीचू।
सुधा सराहहिं अमरता गरल सराहहिं मीचू।।
(ख)विशेष का सामान्य बात से समर्थन
1-रहिमन अँसुवा नयन ढरि, जिय दुःख प्रकट करेइ
जाहि निकारो गेह तें, कस न भेद कह देइ।।
2-जो रहीम उत्तम प्रकृृति का करि सकत कुसंंग।
चन्दन विष व्यापत नहि लिपटे रहत भुजंग।।
3-पर घर घालक लाज न भीरा।
बाझ की जान प्रसव के पीरा।।
।।। धन्यवाद। ।।।