।।स्वभावोक्ति अलंकार।।
जब काव्य में किसी वस्तु,व्यक्ति या स्थिति का स्वाभाविक वर्णन हो तब वहाँ स्वभावोक्ति अलंकार होता है।
इस अर्थालंकार की सादगी में ही चमत्कार रहता है।
उदाहरण :
1. सीस मुकुट कटी काछनी , कर मुरली उर माल।
इहि बानिक मो मन बसौ , सदा बिहारीलाल।।
2. चितवनि भोरे भाय की, गोरे मुख मुसकानि।
लगनि लटकि आली गरे, चित खटकति नित आनि।। ।।धन्यवाद।।