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लघु कथा

hindi articles, stories and books related to Laghu katha


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अगला साल आया, और मनाली की घाटी फिर से वही ठंडी हवाओं और गुलाबी आभा से भर गई थी। प्रभात और अरुणिमा दोनों ही अपने-अपने जीवन में कुछ बदलावों से गुजर चुके थे, लेकिन एक वादा, जो उन्होंने एक साल पहले किया थ

छू लेता शायद मैं भी उचक कर चांद कोखुदा ने ख्वाहिशें तो दी मगर हाथ छोटे रखे

सरिता एक घरेलू महिला थी ,सरीता के चेहरे पर हमेशा एक मुस्कान होती थी। एक ऐसी मुस्कान, जिसे देखकर कोई भी कह सकता था कि वह दुनिया की सबसे खुशहाल महिला है। लेकिन उसकी मुस्कान का सच सिर्फ वही जानती थी। सरी

अगली सुबह प्रेम जल्दी उठ जाता है और नासिक जाने के लिए तैयार होता है। उधर सागर भी तैयार होकर प्रेम को फोन करता है। प्रेम फोन उठाकर: "हां सागर, बोलो।"सागर: "नासिक चलने के लिए तैयार हो?"प्रेम: "हां, बिल्

प्रेम: "तो चलो मिली, आज मेरे घर चलो। मेरी माँ के हाथ का खाना खाओ, तुम्हें मज़ा आ जाएगा।"सागर: "हाँ मिली, आंटी बहुत अच्छा खाना बनाती हैं, तुम्हें ज़रूर चलना चाहिए।"मिली: "लेकिन..."प्रेम: "लेकिन-वेकिन क

थोड़ी देर बाद सागर के पापा भी ऑफिस आ जाते हैं और अनुज से पता चलता है कि प्रेम आज सागर सर के साथ उनकी कार में ऑफिस आया था। इतना सुनने के बाद वे गुस्से में सागर के पास जाते हैं, जहां प्रेम पहले से ही मौ

एक चांद आसमान में, दूसरा जमीं पर खिला,दोनों की रौशनी से, जग सारा हीरा बन गया।आसमानी चांद की चमक, जमीं के चांद का प्यार,इन दोनों के मिलन से, सजी रात की बहार।सितारे भी शर्मा गए, इस रोशनी के आगे,एक चांद

प्रेम: इसका मतलब हुआ कि मुझे पीटी टीचर अच्छे लगते थे।सागर: मतलब तुम भी...प्रेम: नहीं, मेरा उनके प्रति बस एक खिंचाव था।सागर: मतलब?प्रेम: वो अच्छे थे, उनसे बात करना मुझे पसंद था। लेकिन उनके लिए कुछ ज़्य

सागर: मैं डरता हूं कि अगर बता दूंगा तो तुम्हें खो दूंगा।प्रेम: मतलब?सागर: अभी इस बात का सही समय नहीं है। जब सही समय आएगा तब बता दूंगा।प्रेम: सागर, तुम तो ऐसे बोल रहे हो जैसे कोई लड़का किसी लड़की से यह

अगले दिन प्रेम सुबह के नौ बजे तक सो रहा होता है कि प्रिया जोर से आवाज लगाती है: "उठ जाओ आलसी, ऑफिस को लेट हो जाओगे वरना।"प्रेम हड़बड़ाकर उठता है और प्रिया से कहता है: "अरे आज क्या मैं फिर लेट उठा हूं?

अगली सुबह प्रेम जल्दी उठ जाता है और मां के पास जाकर कहता है, "मां, आपको आपके जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई! आप हमेशा खुश रहो और मेरा हमेशा ध्यान रखो।"प्रेम की मां कहती हैं, "बेटा, मैं कब तक तेरा ध्यान रखू

तेरे साथ कितनी हसीन थी ज़िंदगीअब तेरे बिना बस सज़ा है ज़िंदगीतेरे साथ कितने मज़े में थी ज़िंदगीअब तेरे बिना बड़ी बेमज़ा है ज़िंदगीकभी तूने ही संवारी थी मेरी ज़िंदगीफिर क्यों तूने उज़ाड़ दी मेरी ज़िंदग

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प्रेम घर आकर अपने कमरे में बैठा था और सागर के साथ हुई बातचीत के बारे में सोच रहा था। उसे यह अहसास हो रहा था कि सागर सिर्फ एक सख्त बॉस नहीं है, बल्कि उसके अंदर भी संवेदनशीलता और भावनाएं हैं। उधर, सागर

सागर ने मुस्कुराते हुए कहा : "क्या हुआ? अब चुप क्यों हो गए? बताओ कौन अंधा है? लेकिन पहले तुम कार में जल्दी बैठो, नहीं तो और भीग जाओगे।"प्रेम: नहीं सर आप जाओ मैं चला जाऊंगा।  सागर : लगता है त

'ले जाओ मेरे सामने से इस आज़ाद ख्याल लड़की को और सलीमगढ़ के उसी क़िले में कैद कर दो, जहां उसके महबूब ने दम तोड़ा था। और जब तक मेरा हुक्म न हो, इसे बाहर निकलने की इजाज़त न दी जाए।' औरंगज़ेब ने किसी चोट ख

मोनिका ओ माय डार्लिंग, दुनिया में लोगों को धोखा कभी हो जाता है आंखों में आंखों में .... इसी प्रकार के और भी कई अतरंगी गाना सुनते हुए राम और रहीम जो बहुत ही पुराने दोस्त है वह एक कमरे में पार्टी क

एक समय की बात है, जलालाबाद नगर में जलाल खान नाम का एक बादशाह था। वह बहुत पराक्रमी था। उसका प्रेम उसी के नगर में रहने वाली मधुमति नाम की स्त्री से हो गया। जो चन्द्रमा के समान सुन्दर थी। उसकी आंखें हिरन

इश्क क्या है, इस पर बड़े-बड़े कवियों और शायरों ने एक से एक खूबसूरत बातें कही होगी लेकिन इस अहसास को शब्दों में बयान कर पाना बहुत ही मुष्किल है क्योंकि कुछ लोगों के इश्क करने का अंदाज औरों से अलहदा होता

मगध देष में सुकुमार नाम का एक राजा राज्य करता था जिसकी चन्द्रावती नाम की रानी थी। जो अत्यन्त ही सुन्दर और गुणवती स्त्री थी। सम्पूर्ण देष में उसके जैसी सुन्दर कोई अन्य न थी, मानो ब्रह्मा ने उसे अपने हा

मोबाईल में ग्रेट ग्रैण्ड मस्ती फिल्म में षाइनी मेड का सीन देखता हुआ मोन्टी मन ही मन गुदगुदा रहा था और एक्साईटेड होते हुए सोचता है। अगर ऐसी मेड मेरे पास भी होती तो क्या मजा होता! इंस्टा, फेसबुक, व्हाटस

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