एक कक्षा में पेंसिल, कटर व रबड़ पढ़ते थे। पेंसिल ने एक दिन कटर को प्रेम पत्र लिखकर भेजा लेकिन वो पत्र रबड़ के हाथ लग गया। उसने उसमें लिखा सब मिटा दिया। जब कटर के पास वो पत्र पहुँचा तो कोरा कागज देखकर उसे
अरे आ गई हमारी बिट्टो ! शादी वाले ,हमारे इस घर मे असली रौनक अब आई है जब घर की बिटिया अपने घरवाले के साथ विराजी है ! , बड़ी बहू जरा जल्दी से आरती की थाली लाकर कुँवर साहब की और बिटिया की आरती तो उतारो
ब्रह्म-बेला की मंद-मंद बयार में शीतलता का आभास है।होली को बीते अभी एक सप्ताह ही हुआ है ।रात्रि की कालिमा के चिन्ह अभी पूर्ण रूप से लुप्त नहीं हो पाए हैं । पूर्व दिशा से हल्के प्रकाश की आभा का प्रस्फुट
एक सुबह आर्यमा अपने काम के लिेये निकलने ही वाली थी कि उसके फोन पर एक मैसेज आया, “मैं आ रहा हूं आज शाम”, आर्यमा मुस्कुराने लगी, बादल का मैसेज था। कुछ साल पहले बादल और आर्यमा एक साथ काम कर रहे थ
एक कहानी जिसे उर्वी ने खुद अधूरा छोड़ दिया, वो छोड़ आई उसे बहुत पीछे, जिसके साथ चलना उसकी तकदीर थी। अपने एक फैसले की सजा खुद को देती रही उर्वी लेकिन जब उसका अतीत लौटा तो मंजर कुछ और ही हो
अपने नाम के अर्थ के अनुरूप ,अपने में प्रकाश,चमक आशावादी तथा महत्वकांक्षी जैसे गुणों को समेटे हुए मैंनें, ईश्वर के आशीर्वाद से अर्जित अपने ज्ञान के अंशो को मन,मस्तिष्क परिस्थिति तथा अनुभव पर आधारि
आपने कभी कशिश महसूस की किसी चीज की... जिसकी दीवानगी...पागलपन के हद की हो... कोई ऐसा जो सब कुछ भुला दे... किसी की जिंदगी में उसे मिल जाये तो फिर आगे क्या होगा? उसकी सोच समझ और उसके आस पास सब
“एक झूठ बोलेगे मेरे लिये” “झूठ क्यों ?” “मेरे लिये बस एक छोटा सा झूठ” “पहले बताओ क्या झूठ?” “कहो कि जब मैं सामने हूं तो कोई और दिखाई नहीं देता” “कभी सोचा नहीं” “सोचना नहीं है बस झू
"कही-बतकही" कहानी संग्रह की सभी कहानियां यथार्थ पर आधारित हैं। हमारे चारों तरफ बहुत सी कहानियां बिखरी पड़ी हैं। हमें और आपको बस समेटने की आवश्यकता है। किसी घटना, पात्र या समस्या का क्रमबद्ध ब्यौरा ज
मनोहर लाल जी आज सुबह से ही अच्छे मूड़ मे थे । मोबाइल पर अपने जमाने के गाने लगाए बैठे सुन रहे थे।"मुझे नींद ना आये । मुझे चैन न आये।कोई जाए कही ढूंढ के लाएं ना जाने कहां दिल खो गया ।ना जाने कहां द
सारा दिन थकान-थकान करके पूरा घर सिर पर उठाए रहती हो । तुम आखिर करती ही क्या हो? बस घर के ये छोटे-मोटे काम और इतने में ही तुम थक जाती हो?ये बात लगभग हर घरेलू महिला को सुनने को मिलती है । सुबह सबसे
आज मैं अपनी मौसी को उनके बेटे लड्डू को पढ़ाते हुए देख रही थी । लड्डू अभी चार साल का है और बहुत शैतान है । मौसी उसे पढ़ाते हुए चिड़चिड़ा जातीं और अक्सर उसे एक-दो थप्पड़ भी रख देतीं क्योंकि वो पढ़ने की बजाय
कहते हैं ना कि कोई चीज़ हमेशा प्राथमिकता नहीं रहती। वक़्त के साथ-साथ हर चीज़ का विकल्प मिल जाता है । हाँ! बहुत समय से यह मान्यता थी कि इंसान का कोई विकल्प नहीं हो सकता लेकिन इंसान के दिमाग ने ही इस धारणा
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 भारत वर्ष के एक राज्य भद्र के एक राजा थे, जिनका नाम अश्वपति था, राजा अश्वपति के कोई संतान न थी ,राजा और रानी दोनो ही संतान प्राप्ति के लिए बहुत कुछ प्रयास किए
सदियों पहले की कहानी है,, एक वृद्ध सन्यासी हिमालय की पहाड़ियों में कहीं रहता था. वह बड़ा ज्ञानी और बड़ा साधक था ,और उसकी बुद्धिमत्ता की ख्याति दूर -दूर तक फैली थी. *" एक दिन एक
“अब बस छोड़ो ये काम,,, चलो किसी अच्छे रेस्टोरेंट में डिनर करते हैं,,,” आलमा ने अपनी दोस्त और बिजनेस पार्टनर जियाना से कहा “डिनर??,, और ये काम कौन करेगा बस तीन दिन रह गये है टेंडर निकल
”आया" “मां” ( लघु कथा )रुप सिंग घर से निकले और तेज़ी से कार चलाते हुए साउथ दिल्ली डीडीए आफ़िस की ओर रवाना हो गए। आज ही सड़क निर्माण के लिए एक विगज्ञापन आया था । इस ठेके को रुपसिंग हर हाल में
जाते जाते वो मुझे अच्छी निशानी दे गया.... उम्र भर दोहराउंगा ऐसी कहानी दे गया.... उसकी याद भी तो एक कहानी की तरह है जो हर बार उसके साथ न होने पर मेरी आंखों के सामने आ जाती है जैसे कल ही की ब