बीजेपी के एक बड़े नेता को लोगों ने दौड़ा-दौड़ाकर पीटा. चूते-चप्पल फेंके उनपर. नेता जी की ऐसी हालत हुई कि सिर पर पैर रखकर भागे. सरपट भागे.
क्या? आपको नहीं पता लगा? कोई खबर नहीं आई? टीवी, अखबार, कहीं नहीं दिखी?
ओहो. अब समझ आया. इतनी बड़ी खबर आप तक क्यों नहीं पहुंची. ये ‘बिकाऊ मीडिया’ की कारस्तानी है. ‘बिकाऊ मीडिया’ ने जान-बूझकर आपको ये खबर नहीं बताई. सब बिके हुए हैं जी. सब बिके हुए हैं.
ऊपर लिखी बातें हमने बस टाइप की हैं. कही नहीं हैं. सोशल मीडिया पर हमको एक पोस्ट वायरल होती दिखी. खूब शेयर की जा रही है. हमने ऊपर जो भी कहा, वो उसी पोस्ट में कही गई बातें हैं. कुछ अलग तरह से लिखी गई हैं वहां. आज की अपनी पड़ताल में हम इसी वायरल पोस्ट की चीर-फाड़ करेंगे. (और बिकाऊ मीडिया वाला दाग भी धो लेंगे )
क्या है इस वायरल पोस्ट में?
पोस्ट का कहना है कि बीजेपी के एक मुख्यमंत्री को जनता ने बुरी तरह पीटा. ये मुख्यमंत्री साहब थे रघुवर दास. झारखंड में बीजेपी सरकार के मुखिया. पोस्ट के साथ एक विडियो भी है. किसी सड़क पर अर्धगोलाकार शेप टाइप में एक भीड़ जमा है. एक लाल रंग की कार भी खड़ी है. कुछ लोग हुतूतू टाइप में आगे आकर मारपीट कर रहे हैं. बाकी लोग देख रहे हैं. फिर विडियो में एक आदमी दिखता है. भरा बदन, आंखों पर चश्मा. गले में बीजेपी के निशान कमल के फूल वाला गमछा टाइप. ये शायद नेता जी हैं. फिर एकाएक क्या होता है कि पीछे से कुछ लोग आकर इन लोगों को दौड़ाने लगते हैं. हड़बड़ी मच जाती है.
नेता जी के साथ वाले लोगों में एक आदमी है. उसने भी वो बीजेपी वाला गमछा लपेटा हुआ है. वो नीचे गिर जाता है. नेता जी और उनके साथ के बाकी लोग तेज-तेज चलते हुए वहां से भाग जाते हैं. तब तक वो नीचे गिरा आदमी पिटने लगता है. पीछे से आए लोग उनको जमकर पीटते हैं. और वो किसी तरह उठकर भागने की कोशिश करता है. फिर अगले फ्रेम में नेता जी लोग सहमे-सहमे से जा रहे होते हैं. शायद उस इलाके से निकलने की कोशिश कर रहे हैं. जो आदमी कुछ देर पहले पिटा होता है, वो भी साथ में होता है. फिर कुछ लोग आते हैं और उस आदमी को पीटने की कोशिश करते हैं. दो-चार झापड़ लगा भी देते हैं. नेता जी और उनके सहयोगी रोकने की कोशिश करते हैं. मगर वो आदमी बार-बार निशाना बनाया जा रहा है. पीछे-पीछे आ रहे नाराज लोग कभी लात से, तो कभी घूंसे से उसको पीट रहे हैं. इस सबके बीच नेता जी शायद अपनी गाड़ी की तरफ चले जा रहे हैं. दो लोगों ने दोनों तरफ से उनको थामा हुआ है. प्रॉटेक्शन देने के लिए. ऐसे ही पॉइंट पर ये विडियो खत्म हो जाता है.
विडियो के साथ जो पोस्ट है, उसमें लिखा है (व्याकरण की गलतियां लिखने वालों के सिर-माथे)-
बुरी तरह पिटे और बेइज्जती हुई झारखंड के भाजपाई मुख्यमंत्री रघुवर दास की. करीब 500 जूते-चप्पल सीएम पर फेके गए. सीएम मैदान से दौड़कर भागे….भारत का कोई भी बिकाऊ चैनल, कोई मीडिया चैनल नहीं दिखा रहा है. सब बिके हुए है…लेकिन आप शेयर कीजिए और देश को बताइए.
क्या है इस वायरल पोस्ट का सच?
ये पोस्ट अभी की नहीं है. पिछले कुछ महीनों से सोशल मीडिया पर चहलकदमी कर रही है. पिछले साल नवंबर-दिसंबर में भी दिखी. फिर नया साल आया, तब भी दिखी. मार्च-अप्रैल में भी दिखी. मई भी नागा नहीं किया. और अब जून चल रहा है. ये पोस्ट अब भी पूरी शिद्दत के साथ शेयर की जा रही है. इस पोस्ट की सारी बातें काल्पनिक नहीं हैं. इसका सच्चाई से कुछ-कुछ वास्ता तो है. मगर ये घटना न तो झारखंड की है और न ही पिटने वाले शख्स मुख्यमंत्री रघुवर दास हैं. ये विडियो दार्जिलिंग का है. विडियो में जो नेता जी दिख रहे हैं, वो पश्चिम बंगाल में बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष हैं. उनके साथ बीजेपी के कार्यकर्ता हैं. दिलीप घोष तीन दिन के दौरे पर दार्जिलिंग पहुंचे थे. कुछ अज्ञात युवकों ने वहां इन कार्यकर्ताओं पर हमला किया था. दिलीप घोष के सामने बीजेपी कार्यकर्ताओं की पिटाई की. बचने के लिए दिलीप घोष अपने समर्थकों को लेकर चाक बाजार थाने में घुस गए. फिर उन्होंने अपना दौरा भी रद्द कर दिया.
ये अक्टूबर 2017 के शुरुआत की बात है. हमने खोजा, तो इस खबर का लिंक भी मिला. नवभारत टाइम्स (वेबसाइट) पर 5 अक्टूबर की एक न्यूज दिखी. इसमें इस घटना का जिक्र है. साथ में जो तस्वीर है, वो भी वायरल विडियो में नजर आ रहे विडियो से मिलती है. उसी का स्क्रीनशॉट है. खबर की हेडिंग है-
बंगाल बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष पर हमला, तीन दिन का दौरा रद्द.
खबर में अंदर लिखा है गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (GJM) के बागी नेता बिनय तमांग के समर्थक इस हमले के पीछे थे. बीजेपी ने कहा था कि तमांग के समर्थकों ने उनके दो कार्यकर्ताओं की बुरी तरह पिटाई की. दिलीप घोष का कहना था कि अपने कार्यकर्ताओं को बचाने की कोशिश के दौरान उनके ऊपर भी हमला हुआ.
इस खबर का एक लिंक हमें जनसत्ता में भी मिला. 5 अक्टूबर, 2017 की ही तारीख का. इसमें भी इस घटना का जिक्र है. बिनय तमांग का भी जिक्र है. खबर की हेडिंग है-
7 अक्टूबर, 2017 को प्रभात खबर ने भी ये खबर कैरी की है. हेडिंग है-
वायरल विडियो: दार्जिलिंग में दिलीप घोष पर हमला, समर्थकों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा.
7 अक्टूबर, 2017 की ही तारीख में हमें पत्रिका की एक खबर का लिंक मिला. इसमें इस घटना के ऊपर कलेक्टर का बयान था. खबर की हेडिंग थी-
खबर की शुरुआती लाइन्स हैं-
भले ही लोगों ने गुरुवार को समाचार टीवी चैनलों पर दार्जिलिंग में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष के सिर से टोपी खींचते, उन्हें अपमानित करते, भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को लात, घूसे और डण्डे से मारते हुए देखा, लेकिन दार्जिलिंग के कलेक्टर जे दासगुप्त को सिर्फ धक्का-मुक्की नजर आई.
इस खबर के सच होने की कुछ-कुछ नौबत आ गई थी
इस वायरल विडियो के साथ जो मैसेज लिखा जा रहा है, वह खबर बनने के करीब पहुंच गया था. 1 जनवरी, 2017 को झारखंड के खरसावां में शहीद स्थल पर शहीद दिवस समारोह था. वहां मुख्यमंत्री रघुवर दास शहीदों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे. वहीं पर आदिवासी समुदाय के लोगों ने उन्हें काला झंडा दिखाए हुए वापस जाओ के नारे लगाए थे और जूते-चप्पल फेंके थे. आदिवासी एक ऐक्ट में संशोधन से नाराज थे.
अब इतने सबूत देने के बाद बात तो मान ली जानी चाहिए. कि वायरल पोस्ट का दावा गलत है. झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास की पिटाई नहीं हुई. और मार-पिटाई करना कौन सी सही बात है? बीजेपी विरोधी होने की वजह से अगर आप बीजेपी के किसी नेता-कार्यकर्ता की पिटाई पर खुश होते हैं, ताली पीटते हैं, तो अपनी चिंता कीजिए. आपके विरोधी आपको पीटने पर उतारू हो जाएं, तो? कोई आपको बेबात बस इसलिए मार डाले कि वो आपका विरोधी है, तो? कोई आपको पसंद नहीं करता, आपकी बातों को पसंद नहीं करता, तो क्या वो आपको पीटने के लिए आजाद है? चीजों को थोड़ा अपने ऊपर लेकर सोचने की कोशिश कीजिए. थोड़ी बुद्धि खुलेगी.
ये विडियो प्रभात खबर ने 6 अक्टूबर, 2017 को अपलोड किया था. देखना चाहें, तो देख लीजिए.
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